कुछ दिनों से ख़बरें चलाई जा रही थीं कि उमा और प्रज्ञा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और दोनों के बयानों के ग़लत मतलब निकाले जा रहे थे लेकिन आज इन अटकलों पर विराम लग गया। भोपाल से सांसद रहीं उमा ने प्रज्ञा सिंह के पाँव छुए और उन्हें टिका लगाकर खीर भी खिलाई।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने प्रज्ञा ठाकुर के घर पहुँचकर उन्हें भगवा शॉल भेंट करके उनका सम्मान भी किया। कुछ भी हो, प्रज्ञा ठाकुर के चुनाव ना लड़ने के ऐलान के बाद अब बीजेपी और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने राहत की साँस ली है।
भीम आर्मी के महाराष्ट्र प्रमुख अशोक कांबले ने प्रज्ञा सिंह के चेहरे पर कालिख पोतने वाले को ₹5 लाख का इनाम दिए जाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि जो प्रज्ञा ठाकुर को महाराष्ट्र के किसी गाँव में नहीं घुसने देगा, उसे भी सम्मानित किया जाएगा।
श्यामपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रज्ञा ठाकुर ने कॉन्ग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि वो साधु-संतों पर भगवा आतंकवाद का आरोप लगाकर उन्हें जेल भेजती है।
इस फर्जी पत्र का अर्थ यह निकाला जा रहा है कि सुरेश सोनी भाजपा से कह रहे हैं कि भोपाल से भाजपा की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बदल कर कोई दूसरा प्रत्याशी चुनाव में उतारा जाए। जबकि सत्य का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
साध्वी प्रज्ञा ने कहा, “मैंने ढाँचे पर चढ़कर तोड़ा था। मुझे गर्व है कि ईश्वर ने मुझे अवसर दिया और शक्ति दी और मैंने यह काम कर दिया। अब वहीं राम मंदिर बनाएँगे।”
पीठ पर गोली लगने की वजह से जेहादियों के हाथ मारे गए करकरे को सवालों से परे क्यों होना चाहिए? अगर इशरत जहां के आतंकियों के साथ मारे जाने पर भी जाँच आयोग बिठाए जाते हैं, तो साध्वी प्रज्ञा के आरोपों की जांच में दिक्कत क्या है?
अहमद पटेल ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने गुजरात में भी अच्छे परिणाम मिलने की भी आशंका व्यक्त की है।
मैं साध्वी की बात से सहमत नहीं हूँ। मैं पीड़ित नहीं हूँ और महिला भी नहीं हूँ। मैं सत्य नहीं जानता। मैं यह जानता हूँ जहाँ कान पकड़ने पर एक व्यक्ति पुलवामा में 45 लोगों की हत्या कर देता है, एक साधनहीन महिला सिर्फ़ एक श्राप दे कर ठहरती है।
यह भी सच है कि कई सवाल न केवल अंदरूनी सूत्र आरवीएस मणि और पीड़िता साध्वी प्रज्ञा द्वारा उठाए गए हैं, बल्कि कई अन्य लोगों ने उनके आचरण और मिलीभगत के बारे में ‘भगवा आतंक’ का झूठ गढ़ने के लिए उठाए हैं। सच्चाई शायद बीच में कहीं है। लेकिन साध्वी प्रज्ञा की आवाज़ को चुप कराने की कोशिश करने वाले, इन तमाम मीडिया गिरोहों से कोई भी उम्मीद करना बेमानी है।