Wednesday, May 8, 2024

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चिल्कुर का ‘वीजा बालाजी’ मंदिर: जब भक्त के लिए जंगल में प्रकट हो गए भगवान वेंकटेश्वर

तेलंगाना के चिल्कुर बालाजी मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहाँ भक्तों की 'वीजा' प्राप्त करने की इच्छा पूरी होती है।

वेदगिरीश्वर मंदिर: जहाँ पुजारी से प्रसाद लेने सदियों तक आए 2 शुद्ध शाकाहारी गिद्ध

इन गिद्धों के बारे में मान्यता है कि ये वाराणसी से गंगा स्नान करके तिरुकलुकुन्द्रम पहुँचते, जहाँ वेदगिरीश्वर मंदिर के पुजारी इन्हें...

गवी गंगाधरेश्वर मंदिर: बेंगलुरु से वाराणसी तक सुरंग, जहाँ मकर संक्रांति पर होता है भक्ति और विज्ञान का संगम

बेंगलुरु के गवी गंगाधरेश्वर मंदिर के गर्भगृह में तीन सुरंगों के द्वार हैं जो शिवगंगा, सिद्धगंगा और वाराणसी के लिए जाती हैं।

कालीघाट मंदिर: जहाँ से दूर हुई थी भागीरथी नदी, माना जाता है सबसे सिद्ध काली मंदिर… 51 शक्तिपीठों में से एक

कोलकाता के कालीघाट मंदिर में गुप्त वंश के कुछ सिक्के मिलने के बाद यह पता चलता है कि गुप्त काल के दौरान भी इस मंदिर में श्रद्धालुओं का...

ज्वाला देवी मंदिर: अनंतकाल से प्रज्वलित ज्वालाएँ, अकबर ने जिसे हिंदू घृणा के कारण बुझाने की कोशिश की, हुई थी हार

अंग्रेजों ने भी उस ऊर्जा का पता लगाने का बहुत प्रयास किया, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश के ज्वाला देवी मंदिर में ये ज्वालाएँ कई वर्षों से...

जाना था बनारस पर स्वप्न में आईं भगवती, प्राण-प्रतिष्ठा के लिए जुटे 1 लाख से अधिक ब्राह्मण: कोलकाता का दक्षिणेश्वर काली मंदिर

कोलकाता में हुगली नदी के तट पर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर अपनी अद्भुत संरचना के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण एक विधवा ने कराया था।

एक मंदिर जिसे ध्वस्त करने आए औरंगजेब को गर्भगृह से भागना पड़ा था, जिसके लिए नर्मदा ने बदली अपनी दिशा

जबलपुर के चौसठ योगिनी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित गौरीशंकर की प्रतिमा को खंडित करने जब औरंगजेब पहुँचा तो उसे भागना पड़ा था।

काबुल के आखिरी पुजारी पंडित राजेश ने रतन नाथ मंदिर छोड़ने से किया इनकार, कहा- ‘तालिबान ने मार दिया तो यह भी मेरी सेवा’

"मेरे पूर्वजों ने सैकड़ों सालों तक इस मंदिर में सेवा की है। मैं इसे छोड़कर नहीं जाऊँगा। अगर तालिबान मुझे मार देता है तो यह भी मेरी सेवा ही होगी।"

स्तंभेश्वर महादेव: कार्तिकेय ने की थी स्थापना, दिन में दो बार आँखों से ओझल हो जाता है मंदिर

गुजरात के वडोदरा से 75 किमी दूर कावी-कमोई गाँव में स्थित स्तंभेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने की थी।

कैलाशनाथ मंदिर जिसे कहा गया ‘कांची का महान रत्न’: जिसकी प्रेरणा से हुआ बृहदेश्वर और विरुपाक्ष जैसे मंदिरों का निर्माण

तमिलनाडु के कांचीपुरम का कैलाशनाथ या कैलाशनाथर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव, भगवान विष्णु, देवी, सूर्य, गणेश जी और कार्तिकेय की उपासना करने के लिए बनाया गया था।

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