संविधान में आस्था है तो पुलिस पर पत्थरबाज़ी कैसे कर लेते हो? वो इसलिए कि तुम्हें पता है कि वो 'उम्माह' तुम्हारी खातिर जहाँ कहीं भी है, उठ खड़ा होगा और बोलेगा। अगर ये प्रदर्शन सिर्फ नागरिकता कानून को ले कर होता, और तुम सिर्फ विद्यार्थी होते तो इस प्रकरण में न तो पत्थर आता, न ही अल्लाह!
तेरा मेरा रिश्ता क्या-ला इलाहा इल्लल्लाह, ये शहर जगमगाएगा- नूर-ए-इलाहा से। वैसे ही नारे जैसे कश्मीर में पाकिस्तान के समर्थन में आतंकी लगाते हैं। जामिया में प्रदर्शन के दौरान पुलिस को उकसाने के किए गए तमाम जतन। कहा- पुलिस बचकर जाने न पाए। उसे छोड़े ना।
देखते ही देखते कहासुनी मारपीट में तब्दील हो गई और नशे में धुत लोगों ने अजय दास पर अपनी लाठी और डंडों से हमला बोलकर उसे बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया और लहू-लुहान हालत में छोड़कर भाग गए।
चाकुओं से गोदने और रेतने में वही अंतर है जो झटका और हलाल में होता है। एक में पीड़ित को सिर्फ मारना उद्देश्य होता है, एक में तड़पा कर मारना, और शायद कोई मैसेज देना।
घटना के बाद से इलाके की स्थिति इतनी नाजुक थी कि पूरे दशहरा मैदान को पुलिस व अन्य बलों के जवानों ने अपनी निगरानी में ले लिया। विरोध में लोगों ने रावण दहन भी नहीं किया। हालात बिगड़ने के डर से प्रशासन-पुलिस ने सुबह 4:30 बजे रावन दहन कर दिया।
मैं जब इस समाज का हिस्सा होने के कारण सोचने लगता हूँ तो पाता हूँ कि ये चलता रहेगा क्योंकि मर्दों के दम्भ की सीढ़ी की अंतिम लकड़ी स्त्री पर अपने लिंग के प्रहार के रूप में ही परिणत होती है। पितृसत्ता का विकृत रूप यही है कि लड़की इस क्रूरतम हिंसा के विरोध में इस तरह से अपनी आत्मा को मार चुकी है कि जो करना है कर लो, पर वीडियो मत बनाओ।
घटना शुक्रवार की है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार झड़प में कम से कम 2 पुलिसकर्मी और 10 भाजपा कार्यकर्ता घायल हो गए। पुलिस ने आँसू गैस के कई राउंड फायर किए और लाठी चार्ज किया। भाजपा ने पुलिस पर लगाया टीएमसी के इशारों पर काम करने का आरोप।
बाबुल सुप्रियो के पोस्ट के वायरल होने के बाद देबंजन की माँ रुपाली बल्लव, जो कि 3 साल से कैंसर पीड़ित है, ने बीजेपी नेता से बेटे को माफ कर देने की गुहार लगाई। और उनकी गुहार पर बाबुल सुप्रियो ने छात्र के खिलाफ एफआईआर न कराने की बात कही।