Sunday, December 22, 2024
Homeविचारसामाजिक मुद्देसेक्स और बच्चे पैदा करने में अमीरी-गरीबी, साक्षर-अनपढ़, जाति-धर्म का क्या रोल: नीतीश ने...

सेक्स और बच्चे पैदा करने में अमीरी-गरीबी, साक्षर-अनपढ़, जाति-धर्म का क्या रोल: नीतीश ने जो कहा और भारत सरकार के आँकड़ों में क्या है कनेक्शन?

बिहार विधानसभा में जनसंख्या वृद्धि पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान पर कल से हंगामा मचा हुआ है। नीतीश ने अपने बयान में महिलाओं की शिक्षा को सेक्स से जोड़ा था। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि असल में सर्वे और आँकड़े इस बारे में क्या कहता है?

बिहार विधानसभा में मंगलवार (7 नवंबर 2023) को जनसंख्या वृद्धि पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दिए गए बयान पर कल से हंगामा मचा हुआ है। नीतीश कुमार का बयान महिलाओं की शिक्षा और उनके सेक्स के प्रति रवैये को लेकर था। आखिरकार नीतीश को अपने बयान पर माफी माँगनी पड़ी है।

हालाँकि, नीतीश कुमार का बयान कुछ भी रहा हो, यह जानना जरूरी है कि आखिर महिला और पुरुष के बीच होने वाले सेक्स और बच्चे पैदा करने में अमीरी-गरीबी, पढ़ाई-लिखाई और जाति धर्म का क्या रोल है? इन सब प्रश्नों के उत्तर हमें बीते समय में सामने आए देश के कुछ सर्वे बताते हैं।

ऐसा ही एक सर्वे होता है नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) का। इसके जरिए सरकार देश में परिवारों से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करती है। इसी सर्वे में एक हिस्सा होता है टोटल फर्टिलिटी रेट यानी TFR का।

आखिर TFR क्या है?

TFR वह संख्या होती है, जो बताती है कि देश में एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन कितने बच्चों को जन्म देती है। किसी भी देश का TFR यदि 2.1 से अधिक होता है तो उसकी जनसंख्या बढ़ती है। यानी देश की महिलाओं के औसतन 2.1 से अधिक बच्चे होते हैं, तो इससे देश की जनसंख्या बढ़ती है।

NFHS-5 सर्वे के आधार पर वर्तमान में भारत का औसत TFR 2 है। इसका अर्थ है कि देश की जनसंख्या अब घटने की तरफ जाएगी। वहीं, बिहार में TFR का यह आँकड़ा 2.98 है। इसका मतलब है कि बिहार में महिलाएँ देश की औसत दर से अधिक बच्चे पैदा कर रही हैं।

हालाँकि, समय के साथ बिहार के TFR में कमी आई है, लेकिन अभी भी यह देश के कई राज्यों और राष्ट्रीय औसत से अधिक है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर TFR का नीतीश कुमार के बयान से क्या लेना-देना है।

दरअसल, सर्वे में यह सामने आया है कि TFR पर महिला की पढ़ाई-लिखाई, उसकी आर्थिक पृष्ठभूमि, उसके धर्म और जाति और यहाँ तक कि वह शहर या गाँव किस इलाके में रहती हैं। इसका फर्क पड़ता है। यह बात इसी NFHS-5 में सामने आई है।

नीतीश के बयान का जाति-धर्म, पढ़ाई-लिखाई और शहर-गाँव से क्या लेना-देना?

NFHS की रिपोर्ट के अनुसार, देश में जो महिलाएँ अनपढ़ हैं, उनके सबसे ज्यादा बच्चे हैं। ऐसी महिलाओं के औसतन 2.82 बच्चे हैं। जिन महिलाओं की शिक्षा 5 वर्ष से कम हुई है, उनके औसतन 2.3 बच्चे हैं। वहीं, 5-7 वर्ष की शिक्षा पाने वाली महिलाओं के 2.21 बच्चे हैं।

8-9 वर्ष तक शिक्षा पाने वाली महिलाओं के 2.12 बच्चे हैं, जबकि 10-11 साल की शिक्षा पाने वाली महिलाओं के 1.88 बच्चे हैं। वहीं, 12 साल से अधिक शिक्षा पाने वाली महिलाओं के सबसे कम 1.78 बच्चे हैं।

नीतीश TFR

किसी महिला के कम या अधिक बच्चे पैदा करने पर मात्र शिक्षा का ही नहीं, बल्कि उसके आवासन और आर्थिक स्थिति का भी फर्क पड़ता है। जहाँ शहरों में रहने वाली महिलाओं के 1.6 बच्चे हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के 2.41 बच्चे हैं।

शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के कम बच्चे पैदा करने का कारण अच्छी शिक्षा व्यवस्था, एकल परिवार व्यवस्था और रहन-सहन का महंगा होना एक कारण हो सकता है।

सिर्फ शिक्षा और आवास ही नहीं, जाति-धर्म भी एक फैक्टर

कोई महिला कितने बच्चे पैदा करती है, इस पर उसके धर्म और जाति का भी फर्क पड़ता है। यदि धर्म के आधार पर देखा जाए तो देश में सर्वाधिक TFR मुस्लिमों का है। हिन्दू, सिख, ईसाई तथा बौद्ध अब 2 के TFR से कहीं नीचे आ चुके हैं। आने वाले समय में इनकी जनसंख्या घटेगी, जबकि मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ेगी।

देश में पिछड़ी और अनुसूचित जाति एवं जनजातियों में भी महिलाएँ, अन्य वर्गों की महिलाओं की तुलना में अधिक बच्चे पैदा कर रही हैं। सामान्य वर्ग में TFR अब रिप्लेसमेंट लेवल (जितने बच्चे पैदा होने पर जनसंख्या यथावत बनी रहे) से कहीं नीचे हैं।

किसी परिवार के पास कितनी सम्पत्ति है, इसका फर्क उस परिवार की महिला के बच्चे पैदा करने पर पड़ता है। NFHS की रिपोर्ट बताती है कि देश में अधिक पैसे वाले लोग कम बच्चे पैदा कर रहे हैं, जबकि सबसे निर्धन लोग सबसे अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं।

तो क्या नीतीश का बयान सही सिद्ध होता है?

नहीं, नीतीश कुमार के बयान में उपयोग की गई भाषा पर अधिकांश लोगों को आपत्ति है। नीतीश कुमार ने जिस प्रकार से विधानसभा के भीतर सेक्स को लेकर बात की, उससे महिला विधायक भी नाराज थीं। वह अपनी बात को अन्य तरीके से समझा सकते थे, जिससे लोगों को गुस्सा नहीं आता। हालाँकि, उन्होंने अब माफ़ी भी माँग ली है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अर्पित त्रिपाठी
अर्पित त्रिपाठीhttps://hindi.opindia.com/
अवध से बाहर निकला यात्री...

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

कानपुर में 120 मंदिर बंद मिले: जिन्होंने देवस्थल को बिरयानी की दुकान से लेकर बना दिया कूड़ाघर… वे अब कह रहे हमने कब्जा नहीं...

कानपुर की मेयर प्रमिला पांडेय ने एलान किया है कि सभी मंदिरों को कब्ज़ा मुक्त करवा के वहाँ विधि-विधान से पूजापाठ शुरू की जाएगी

नाम अब्दुल मोहसेन, लेकिन इस्लाम से ऐसी ‘घृणा’ कि जर्मनी के क्रिसमस मार्केट में भाड़े की BMW से लोगों को रौंद डाला: 200+ घायलों...

भारत सरकार ने यह भी बताया कि जर्मनी में भारतीय मिशन घायलों और उनके परिवारों से लगातार संपर्क में है और हर संभव मदद मुहैया करा रहा है।
- विज्ञापन -