Friday, October 18, 2024
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पतंजलि को ‘भ्रामक विज्ञापनों’ पर सुप्रीम कोर्ट में खींचा, अब खुद के अध्यक्ष का बयान ही बना IMA के गले की फाँस: जानिए क्यों डॉक्टर अशोकन की माफी नहीं हुई कबूल

आईएमए पर सुप्रीम कोर्ट का ऐसा रवैया तब देखने को मिला है जब खुद डॉ अशोकन कोर्ट के आगे पेश हुए थे। उन्होंने जस्टिस हिमा कोहली और असहानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के आगे बिन कोई शर्त माफी भी माँगी लेकिन जज फिर भी IMA अध्यक्ष से नाराज रहे।

भ्रामक विज्ञापनों के नाम पर पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाने वाला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) अपने ही बिछाए जाल में फँस गया है। 14 मई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने IMA अध्यक्ष द्वारा मीडिया में की गई टिप्पणी पर फटार लगाई और IMA अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन द्वारा माँगी गई माफी पर असंतोष जताया।

आईएमए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का ऐसा रवैया तब देखने को मिला है जब खुद डॉ आरवी अशोकन कोर्ट के आगे पेश हुए थे। उन्होंने जस्टिस हिमा कोहली और असहानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच के आगे बिन कोई शर्त माफी भी माँगी लेकिन जज फिर भी IMA अध्यक्ष से नाराज रहे।

बता दें कि पतंजलि का विवाद सुप्रीम कोर्ट में चलने के दौरान IMA चीफ ने मीडिया में एक विवादित बयान दिया था और दावा किया था कि सुप्रीम कोर्ट उन पर उंगली उठाने लगा है। बाद में इसी इंटरव्यू के बारे में पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने जजों को बताया जिसके बारे में जानकर कोर्ट IMA पर नाराज हुआ और मानहानि केस तक की बात कही। इसके अलावा उन्होंने 23 अप्रैल, 2024 को भी संस्था से कहा था कि वो पहले अपने घर को व्यवस्थित करे। आधुनिक दवाओं को लेकर अनैतिक कारोबार और अस्पतालों द्वारा महँगी और गैर-ज़रूरी दवाएँ लिखने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई थी।

अब इसी मामले में आगे कोर्ट ने आईएमए चीफ से कहा- “डॉ अशोकन आपके अनुभव को देखते हुए हम आपसे जिम्मेदाराना रवैया चाहते थे, लेकिन आपने वही किया जो पतंजलि के संस्थापकों ने किया। आपने जाकर मीडिया में टिप्पणी की। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस केस को भी वैसे ही ट्रीट किया जाएगा जैसे कि पतंजलि के साथ किया गया था।”

कोर्ट ने कहा, “आप IMA के अध्यक्ष हैं। IMA के 3 लाख 50 हजार डॉक्टर सदस्य हैं। किस तरह की आप लोगों पर अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं। आपने पब्लिक में माफी नामी क्यों नही माँगी। आपने पेपर में माफीनामे क्यों नही छपवाया। आप एक जिम्मेदआर व्यक्ति हैं। आपको जवाब देना होगा। आपने 2 हफ़्ते में कुछ नहीं किया। आपने जो इंटरव्यू दिया उसके बाद क्या किया। हम आपसे जानना चाहते हैं। आपने जो लंबित मामले में कहा, हमें बहुत चौंकाने वाला लगा, जबकि आप खुद केस में एक पार्टी थे। आप देश के नागरिक हैं क्या देश में जज फैसले के लिए क्रिटिसिज्म नहीं सहते, लेकिन हम कुछ नही कहते क्योंकि हमारे में अहंकार नहीं है।”

जस्टिस कोहली ने IMA अध्यक्ष से कहा- “आपकी माफी के लिए हमें सिर्फ वही कहना है जो हमने पतंजलि के लिए कहा था। यह मामला कोर्ट में हैं, जिसमें आप पार्टी हैं। आपके वकील टिप्पणियों को हटाने के लिए कह सकते थे, लेकिन आप प्रेस के पास चले गए। हम बिलकुल इससे खुश नहीं हैं। हम आपको इतनी आसानी से माफ नहीं कर सकते हैं। आप सोचिए तो आप दूसरों के लिए कैसा उदाहरण तैयार कर रहे हैं।”

कोर्ट ने IMA की ओर से पेश वकील वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया से अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा हम मुवक्किल द्वारा माँगी गई माफी को स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं। इस पर पटवालिया ने कोर्ट से एक और मौका माँगा। साथ ही कहा कि उन्होंने कुछ गलती की है, ऐसा करना उनकी नादानी थी। डॉ अशोकन ऐसी स्थिति में पड़ गए थे कि उन्हें वो बयान देना पड़ा। वहीं जस्टिस ने उनकी बात को यह कहकर खारिज कर दिया- “आपके कहने का क्या मतलब है समाचार एजेंसी ने ऐसा कहने के लिए जाल बिछाया था।” इसके बाद टीआरपी का मुद्दा छेड़ने पर इस पहलू पर सहमति बनी।

उल्लेखनीय है कि यह सारा मामला पिछले वर्ष नवंबर में शुरू हुआ था। उसी समय सुप्रीम कोर्ट ने आधुनिक चिकित्सा पर सवाल उठाने के लिए रामदेव और उनकी कंपनी को कड़ी चेतावनी जारी की थी। इसके बाद इस मामले में सुनवाई चली। पतंजलि के संस्थापक ने इस संबंध में बिन किसी शर्त माफी माँगी। 14 प्रोडक्ट जिनपर बैन लगा था उन्हें बाजार से वापस मँगाया।

अब इस समय में भ्रामक विज्ञापन केस में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। दोनों को अगले आदेश तक कोर्ट में पेश होने से छूट भी दे दी गई है। वहीं IMA पर सख्ती दिखाई गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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