Tuesday, May 21, 2024
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‘पतंजलि’ को फँसाते-फँसाते सुप्रीम कोर्ट में खुद फँसा IMA, अध्यक्ष के बयान से उखड़ा न्यायाधीशों का पीठ: कहा- ये बेहद गंभीर, मानहानि का केस कीजिए

आधुनिक दवाओं को लेकर अनैतिक कारोबार और अस्पतालों द्वारा महँगी और गैर-ज़रूरी दवाएँ लिखने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (30 अप्रैल, 2024) को ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ के अध्यक्ष डॉक्टर RV अशोकन द्वारा की गई टिप्पणी पर सख्ती दिखाई। सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण की ‘पतंजलि आयुर्वेद’ एवं ‘दिव्य फार्मेसी’ पर भ्रामक विज्ञापन का मामला चल रहा है। इसी सिलसिले में ये टिप्पणी आई थी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस हिमा कोहली ने बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी द्वारा ध्यान दिलाए जाने के बाद इस टिप्पणी पर नाराज़गी जताई।

IMA अध्यक्ष ने एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान ये विवादित बयान दिया था। मुकुल रोहतगी ने बताया कि 1 दिन का पहले उन्होंने एक परेशान करने वाले इंटरव्यू को देखा, जिसमें IMA अध्यक्ष RV अशोकन कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट उन पर उँगली उठा रहा है। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप करार देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी को IMA अध्यक्ष ने दुर्भाग्यपूर्ण और अस्पष्ट करार दिया है, उन्होंने कहा कि ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के स्तर की नहीं है।

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इस पर कहा कि इसे रिकॉर्ड पर लेकर आइए, अब तक जो भी हो रहा है ये इससे अधिक गंभीर है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा करने वाले गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। IMA ने ही बाबा रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया हुआ है। इससे पहले 23 अप्रैल, 2024 को भी सुप्रीम कोर्ट ने संस्था से कहा था कि वो पहले अपने घर को व्यवस्थित करे। आधुनिक दवाओं को लेकर अनैतिक कारोबार और अस्पतालों द्वारा महँगी और गैर-ज़रूरी दवाएँ लिखने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई थी।

इसके बाद IMA अध्यक्ष ने इस टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था। उन्होंने इसे अस्पष्ट और सामान्यीकृत बयान भी बताया था। उनका दावा था कि इससे प्राइवेट डॉक्टर हतोत्साह हुए हैं। ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ में ये इंटरव्यू प्रकाशित हुआ था। मुकुल रोहतगी ने कहा था कि वो मानहानि के लिए एप्लिकेशन दायर कर रहे हैं, खबर किसी छोटे-मोटे समाचार-पत्र द्वारा नहीं छापी गई है, किसी छोटे-मोटे पदाधिकारी ने ऐसा नहीं बोला है। जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि आप इसे फाइल कीजिए, जिस पर मुकुल रोहतगी बोले कि वो जो भी ज़रूरी होगा वो करेंगे।

वहीं ‘पतंजलि’ द्वारा फिर से दायर किए गए माफीनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछली बार से महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, पिछली बार ये छोटा था और सिर्फ ‘पतंजलि’ का नाम था जबकि इस बार और नाम भी डाले गए हैं। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि माफीनामे की भाषा भी उचित है, इस सुधार की वो प्रशंसा करते हैं। उन्होंने कहा कि अब अदालत की अवमानना करने वाले भी समझ गए हैं कि कोर्ट की सहायता करने वाले एक बुद्धिमान वकील का क्या लाभ है।

माफीनामे के पेज नंबरिंग के मुद्दे पर ‘पतंजलि’ के अधिवक्ता शुक्ला को जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, “हम सिर्फ आहत थे। इस स्थिति में हर शब्द का महत्व है। कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है। आपके दिल में क्या है, ये हम नहीं देख सकते। ब्लैक एन्ड व्हाइट में क्या लिखा है सिर्फ वही मायने रखता है। हम ये नहीं कह रहे कि हम गुस्सा हैं। बार और बेंच के बीच पारदर्शिता होनी चाहिए। अपने जो किया है उसकी जिम्मेदारी लीजिए, माफ़ी माँगिए। कोर्ट पर ये भरोसा रखिए कि आपको निशाना नहीं बनाया जाएगा। हम पक्षपात नहीं करेंगे। अपनी तरफ से हम ये भरोसा देते हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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