Tuesday, October 1, 2024
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इस खबर को रोकने के लिए ₹10 लाख का ऑफर, पर हम छाप रहे… क्योंकि 12वीं पास भी बन रहे हैं डॉक्टर: MBBS की पढ़ाई के बिना ही 98 को डिग्री, कोई सर्जन तो कोई गाइनी

रिपोर्ट से पता चलता है कि आरएमसी के पास जब ऑनलाइन आवेदन आए तो उन्होंने कोई वेरिफिकेशन नहीं किया, बल्कि जाली ईमेल अटैच करके सत्यापन की सारी प्रक्रिया पूरी कर दी।

आपने झोलाछाप डॉक्टरों के बारे में सुना होगा। संभव है कि कभी उनके फेरे में आप फँस भी चुके हों। पर राजस्थान में ऐसे लोगों को सरकारी ठप्पे के साथ डॉक्टर बना देने का मामला सामने आया है, जिन्होंने कभी एमीबीएस की पढ़ाई ही नहीं की। इनमें से कुछ तो 12वीं पास ही हैं।

इस फर्जीवाड़े का खुलासा दैनिक भास्कर के रिपोर्टर अवधेश आकोदिया ने किया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कम से कम 98 ऐसे लोगों का राजस्थान मेडिकल काउंसिल (RMC) में रजिस्ट्रेशन किया गया है जो वास्तविकता में डॉक्टर नहीं हैं। उनका यह भी दावा है कि काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉक्टर राजेश शर्मा ने इस खबर को रोकने के लिए उन्हें 10 लाख रुपए देने का ऑफर दिया था।

रिपोर्ट से पता चलता है कि आरएमसी के पास जब ऑनलाइन आवेदन आए तो उन्होंने कोई वेरिफिकेशन नहीं किया, बल्कि जाली ईमेल अटैच करके सत्यापन की सारी प्रक्रिया पूरी कर दी। इन कथित डॉक्टरों ने ऑनलाइन आवेदन करते समय बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन और एनओसी के फर्जी दस्तावेज अटैच किए थे। आरएमसी ने बिना किसी की डिग्री की पड़ताल किए ही उन्हें सर्टिफिकेट जारी कर दिया। इन फर्जी डॉक्टरों में से कुछ सर्जन हैं तो कुछ गाइनी।

रिपोर्ट में ऐसे कुछ डॉक्टरों के नाम भी उजागर किए हैं। जैसे डॉ. सरिमुल एच मजूमदार, डॉ. रामकिशोर महावर, डॉ. गीता कुमारी, डॉ. देवेंद्र नेहरा, डॉ. शांतनु कुमार, डॉ. पंकज यादव, डॉ. महेश कुमार गुर्जर आदि। इन फर्जी डॉक्टरों ने न तो कभी मेडिकल की पढ़ाई की और न ही इंटर्नशिप का। बावजूद इनको सरकारी मुहर लगाकर डॉक्टर होने का प्रमाण पत्र बाँट दिया गया।

भास्कर ने इस मामले में सच्चाई खोजने के लिए राजस्थान मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ राजेश का स्टिंग भी किया। स्टिंग में राजेश शर्मा ने स्वीकार किया कि ये इस तरह के फर्जी डॉक्टरों को आरएमसी ने सर्टिफिकेट दिया। बाद में उन्होंने कथित तौर पर रिपोर्टर से कहा कि वह इस खबर को कहीं छापे नहीं, इसके लिए वे 10 लाख रुपए देंगे। रजिस्ट्रार ने ये भी कहा कि वो ये पैसे उन्हीं लोगों से लेंगे जिनको जिनकी फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरियाँ लगी हैं। रजिस्ट्रार ने कैसे भी इस मामले को निपटाने की बात कही।

बाद में जब भास्कर के रिपोर्टर ने इस संबंध में चिकित्सा मंत्री खींवसर को सारे सबूत दिखाए तो वह चौंक गए। उन्होंने कहा यह मामला बेहद गंभीर है। इस मामले में एक्शन लेना जरूरी है। उन्होंने रिपोर्टर से पूरी डिटेल माँगी और आरएमसी के ऑफिस को सीज करने की बात कही।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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