आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली दिल्ली नगर निगम (MCD) की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। ‘दिल्ली में स्वास्थ्य मुद्दों की स्थिति 2024’ नामक इस रिपोर्ट को 28 नवंबर को प्रजा फाउंडेशन द्वारा जारी किया गया। इसमें बताया गया है कि 2023-24 में MCD के अस्पतालों और डिस्पेंसरी में स्वीकृत पदों में से 31% पद खाली रहे, जबकि 2022-23 के स्वास्थ्य बजट का केवल 36% उपयोग किया गया।
दिल्ली सरकार के साल 2022-23 के बाद 2023-24 में स्वास्थ्य बजट में 16% की बढ़ोतरी हुई और 2024-25 में यह 12% और बढ़ाया गया। लेकिन बजट का उपयोग प्रभावी नहीं हो पाया। 2023-24 के बजट के उपयोग का डेटा भी उपलब्ध नहीं है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरे रिसर्च के दौरान MCD और राज्य सरकार के कई अस्पतालों ने महीनों का डेटा पूरा नहीं दिया। प्रजा फाउंडेशन के शोध प्रबंधक श्रेयस चोरगी ने बताया कि दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी के लिए डेटा संग्रह प्रणाली कमजोर है। उन्होंने कहा, “दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन केंद्र, राज्य और MCD में विभाजित है, जिससे डेटा संग्रह और विश्लेषण में बाधाएं आती हैं। एक केंद्रीकृत स्वास्थ्य सूचना प्रणाली आवश्यक है।” प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, MCD और राज्य सरकार द्वारा संचालित कई अस्पतालों और डिस्पेंसरी ने रिसर्च के दौरान कई महीनों का डेटा ही जमा नहीं किया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा का प्रबंधन केंद्रीय, राज्य और नगर निगम प्रशासन के बीच बंटा हुआ है, जिससे डेटा संग्रह और विश्लेषण कठिन हो जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्वास्थ्य जानकारी को एक केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म पर एकत्र करना जरूरी है।
रिपोर्ट में 2014 से 2023 तक के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया। इसमें संचारी रोगों के चलते 1,59,129 मौतें हुई हैं, तो सांस की बीमारियों के चलते 88,159 मौतें हुई हैं। वहीं, हाइपरटेंशन से 43,487 मौतें तो टीबी से 35,800 लोगों की जान गई है। इस बीच, डेंगू से मौत के मामले में 627% की बढ़ोतरी हुई है, जो 2014 में 74 थी और 2023 में बढ़कर 538 हो गई। हाइपरटेंशन से मौत के मामलों में 109% की बढ़ोतरी हुई है, जो 2014 में 1,962 थी और 2023 में 4,102 तक पहुँच गई। वहीं, हृदय रोग से मौत के मामले 66% बढ़े।
AAP के ‘दिल्ली मॉडल’ के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मरीजों की तकलीफें और बढ़ती बीमारियाँ दिखाती हैं कि बजट और संसाधन पर्याप्त होने के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर नहीं हो पा रही हैं। खाली पदों और बजट का उपयोग न हो पाना दिल्ली के निवासियों के लिए चिंता का विषय है।