Sunday, September 8, 2024
Homeराजनीतिसत्ता के लिए तीन-तिकड़म में लगी थी शिवसेना-कॉन्ग्रेस-एनसीपी, महाराष्ट्र में 300 किसानों ने कर...

सत्ता के लिए तीन-तिकड़म में लगी थी शिवसेना-कॉन्ग्रेस-एनसीपी, महाराष्ट्र में 300 किसानों ने कर ली आत्महत्या

2019 में कुल 2,532 आत्‍महत्‍या के मामले आए, जबकि वर्ष 2018 में यह आँकड़ा 2,518 था। अनुमान के मुताबिक़ बेमौसम की बारिश से राज्‍य के एक करोड़ किसान प्रभावित हुए हैं। यह राज्‍य के कुल किसानों की संख्‍या का दो तिहाई है। इनमें से लगभग 44 लाख किसान मराठवाड़ा क्षेत्र से हैं।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी के नेता सरकार बनाने के लिए गुणा-भाग करने में लगे थे उसी समय बेमौसम बरसात की मार से परेशान राज्य के 300 किसानों ने आत्महत्या कर ली। पिछले चार सालों में एक महीने में किसानों के आत्‍महत्‍या की यह सबसे अधिक संख्या है। बीते साल के नवंबर महीने से पहले वर्ष 2015 में कई मौकों पर एक महीने में किसानों की आत्‍महत्‍या का आँकड़ा 300 के पार गया था। लेकिन प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे किसानों की आत्‍महत्‍या से बेपरवाह महाराष्‍ट्र के राजनेता जोड़-तोड़ में व्‍यस्‍त रहे।

ख़बर के अनुसार, राज्‍य में अक्‍टूबर महीने में बेमौसम की भारी बारिश के बाद आत्‍महत्‍या की घटनाओं में काफी तेजी आई। इस बारिश में किसानों की 70% खरीफ़ की फसल नष्‍ट हो गई। अंतिम बार वर्ष 2015 में राज्‍य में किसानों की आत्‍महत्‍या का आँकड़ा 300 के पार पहुँचा था। राजस्व विभाग के नवीनतम आँकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल अक्‍टूबर से नवंबर के बीच आत्‍महत्‍या की घटनाओं में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अक्टूबर में 186 किसानों ने आत्महत्या की थी।

राज्य के सूखा प्रभावित मराठवाड़ा क्षेत्र में नवंबर महीने में सबसे अधिक यानी 120 आत्‍महत्‍या के मामले और विदर्भ में 112 मामले दर्ज किए गए। वहीं, विदर्भ क्षेत्र से ही किसानों के आत्‍महत्‍या की सबसे अधिक ख़बरें आती रहती हैं। किसानों की आत्‍महत्‍या में अचानक आई इस तेज़ी की वजह से जनवरी से नवंबर 2019 के बीच 11 महीने में आत्‍महत्‍या के मामलों में पिछले साल इसी अवधि के दौरान हुई घटनाओं से अधिक है।

वर्ष 2019 में कुल 2,532 आत्‍महत्‍या के मामले आए जबकि वर्ष 2018 में यह आँकड़ा 2,518 था। अनुमान के मुताबिक़ बेमौसम की बारिश से राज्‍य के एक करोड़ किसान प्रभावित हुए जो स्‍वीडन की कुल जनसंख्‍या के बराबर है। यह राज्‍य के कुल किसानों की संख्‍या का दो तिहाई है। इनमें से लगभग 44 लाख किसान मराठवाड़ा क्षेत्र के रहने वाले हैं। अब राज्‍य सरकार इन किसानों को मुआवज़ा दे रही है।

अधिकारियों ने बताया कि प्रभावितों को अब तक 6,552 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं। महा विकास आघाडी सरकार ने भी दिसंबर 2019 में दो लाख तक के कर्ज़-माफ़ी की घोषणा की थी। इससे पहले की भाजपा नीत सरकार ने 2017 में कर्ज़-माफ़ी की घोषणा की थी जिसके कारण 44 लाख किसानों का 18,000 करोड़ रुपए का कर्ज़ माफ़ किया गया था।

वहीं, किसानों के हितों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि कर्ज़-माफ़ी और मुआवज़े से परे राज्य को खेती को और अधिक लाभदायक बनाने की ज़रूरत है। विदर्भ के कार्यकर्ता विजय जौंधिया ने कहा, “खेती की लागत और मज़दूरी काफ़ी बढ़ गई है। इस वजह से किसान एक ख़राब मौसम बर्दाश्‍त नहीं कर पाते। यही आत्‍महत्‍या की मुख्‍य वजह है। किसानों को उनके उत्‍पाद का और अधिक पैसा मिलना चाहिए। किसानी की अर्थव्‍यवस्‍था किसानों के ख़िलाफ़ झुकी हुई है।”

महाराष्ट्र में खींचतान के बीच इस किसान ने राज्यपाल को लिखा पत्र, कहा- किसानों के लिए मुश्किल वक्त, मुझे बना दो CM

14000 खातों से गायब हुई कर्ज़ माफ़ी की रकम: किसानों ने कहा – कॉन्ग्रेस-JDS ने हमें बनाया बेवकूफ

मुस्लिमों को आरक्षण, ‘कर्जमाफी’ का भी पुराना पासा: शिवसेना, NCP और कॉन्ग्रेस ‘सरकार’ का एजेंडा

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -