Friday, November 22, 2024
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जामिया के लाइब्रेरी में पहले घुसे नकाबपोश, पीछे से आई पुलिस: नए वीडियो से बेनकाब हुआ प्रपंच

जैसे ही पुलिस आती है, उपद्रवी किताबें पढ़ने का नाटक करने लगते हैं। तमाम ड्रामा के बावजूद पुलिस उन्हें पहचान लेती है और एक्शन लेती है। साफ़ है कि दंगाइयों को बचाने के लिए दिल्ली पुलिस को बदनाम किया जा रहा, क्योंकि वो केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है।

सोशल मीडिया में जामिया मिल्लिया इस्लामिया का एक वीडियो जारी किया गया। जिसे गिरोह विशेष ने वायरल किया। तथाकथित लिबरल पत्रकारों ने इस वीडियो के सहारे न सिर्फ़ दिल्ली पुलिस को क्रूर और अत्याचारी साबित करने का झूठा प्रयास किया, बल्कि जामिया नगर के दंगाइयों को भी पाक-साफ़ बताने की कोशिश की। बता दें कि बीते जनवरी में जामिया में भड़की हिंसा में सैकड़ों वाहनों को फूँक डाला गया था, जिनमें सरकारी बसें भी शामिल थीं। इसके बाद पुलिस को यूनिवर्सिटी के अंदर घुस कर सीएए विरोध के नाम पर दंगा कर रहे उपद्रवियों को खदेड़ना पड़ा था।

अब जामिया लाइब्रेरी में पुलिस और उपद्रवियों के बीच संघर्ष का नया वीडियो सामने आया है। ‘न्यूज़ नेशन’ के अनुसार, उपद्रवी नकाबपोश पहले लाइब्रेरी में घुसे, उसके बाद पुलिस उन्हें खदेड़ते हुए आई। ऐसा नहीं है कि पुलिस ने यूँ ही किसी पर कार्रवाई कर दी। पुलिस ने उपद्रवियों को चिह्नित कर एक्शन लिया। नए वीडियो में देखा जा सकता है कि लाइब्रेरी के दरवाजे पर एक व्यक्ति खड़ा है, जो भाग कर आ रहे नकाबपोशों को अंदर घुसा रहा है। स्पष्ट है कि ये सारे उपद्रवी लाइब्रेरी में बैठ कर पढ़ाई करने का नाटक करने लगे।

देखें जामिया लाइब्रेरी में हुई घटना का सच (वीडियो साभार: न्यूज़ नेशन)

सहानुभूति पाने के लिए जामिया के छात्रों ने मीडिया के एक वर्ग के साथ मिल कर दिल्ली पुलिस को बदनाम करने के लिए वीडियो जारी किया था। ऑपइंडिया ने भी एक वीडियो के जरिए बताया था कि कैसे नकाब पहने छात्र बिना किताबें लिए बैठे हुए थे। जैसे ही पुलिस आती है, वो किताबें पढ़ने का नाटक करने लगते हैं। तमाम ड्रामा के बावजूद पुलिस उन्हें पहचान लेती है और एक्शन लेती है। साफ़ है कि दंगाइयों को बचाने के लिए दिल्ली पुलिस को बदनाम किया जा रहा, क्योंकि वो केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है।

इस संबंध में हमने कई सवाल भी पूछे थे। जामिया का ये वीडियो हिंसा के 60 दिनों बाद क्यों रिलीज किया गया? इतने दिन तक इन्तजार क्यों? उपद्रवी छात्रों और गिरोह विशेष के बीच क्या सेटिंग चल रही थी? वीडियो को काट-छाँट कर क्यों जारी किया गया? पूरा वीडियो आने से उपद्रवी छात्रों की पोल खुल जाती, क्या इसलिए वीडियो को अपने हिसाब से काट कर पेश किया गया? जामिया का प्रशासन और छात्र पुलिस की जाँच में सहयोग क्यों नहीं कर रहे हैं? सीसीटीवी फुटेज में ऐसा क्या था कि इसे पुलिस को नहीं दिया गया?

ये वीडियो किसने जारी किया? पुलिस ने तो नहीं किया है। फिर जामिया के छात्रों ने किया? या फिर गिरोह विशेष ने? अब नए वीडियो से सारा ‘खेल’ सामने आ रहा है। उपद्रवियों को बचाने के लिए ‘छात्रों पर पुलिसिया क्रूरता’ का ड्रामा रचा जा रहा है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि बदनाम की जा सके। उधर जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन ने वीडियो जारी करने की बात नकार दी है। यूनिवर्सिटी ने कहा कि उसने कोई सीसीटीवी फुटेज जारी नहीं किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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