देश में कोरोना के नए मामलों में आधे के लिए जिम्मेदार तबलीगी जमात के ऊपर अब जाँच एजेंसियों ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जाँच एजेंसियों ने देश को कोरोना संकट में डालने वाले रुढ़िवादी इस्लामी संगठन तबलीगी जमात के फंडिंग के स्त्रोत की जाँच शुरू कर दी है। इंडिया टुडे में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, फंडिंग का लाभ उठाने वाले अधिकतर जमात खाड़ी देशों से संबंधित हैं।
इसके साथ ही पुलिस ने भी फंडिंग के स्त्रोत और विदेशियों की डिटेल माँगी है। जानकारी के मुताबिक जमात ने पिछले तीन सालों में कितना टैक्स भरा है, उसके बैंक खातों में कहाँ-कहाँ से कितने पैसे आए हैं, इन सब डिटेल्स के साथ पैन नंबर का विवरण भी माँगा है। इसके अलावा मरकज प्रमुख मौलाना साद और 6 अन्य सदस्यों से उन विदेशियों और भारतीय जमातियों की लिस्ट भी माँगी गई है, जिन्होंने 12 मार्च के बाद मरकज में शिरकत की थी।
यह भी पूछा गया है कि क्या उन्होंने इस आयोजन के लिए प्रशासन से अनुमति ली थी। इस बाबत कोई लिखित सूचना दी गई थी। मरकज ने प्रशासन से किसी और मामले में संपर्क किया था। इतना ही नहीं जाँच एजेंसियों ने कमिटी मेंबर्स और मरकज कर्मचारियों की पूरी लिस्ट देने के लिए भी कहा है।
जाँच एजेंसी ने मरकज से बीते एक जनवरी से लेकर एक अप्रैल तक हुए सारे कार्यक्रमों की लिस्ट माँगी है। आयोजनों में शामिल लोगों की संख्या, नक्शा या साइट प्लान और परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की संख्या की डिटेल भी माँगी गई है। यह भी बताना होगा कि अगर यहाँ कोई बीमार पड़ा था उसे बाहर लेने जाने के लिए क्या-क्या किए गए थे। अगर किसी को हॉस्पिटल ले जाया गया , या फिर किसी की मौत हुई है तो उसकी भी डिटेल माँगी गई है।
बता दें कि दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में आयोजित मजहबी धर्मसभा में 1700 से 3000 के आस-पास लोग शामिल हुए थे। अब तक मरकज में शामिल हुए तबलीगी जमात के 400 से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए है और कई संदिग्धों को क्वारंटाइन किया गया है। तबलीगी जमात में शामिल होने वाले 10 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
तबलीगी जमात की लापरवाही ने भारत की बड़ी आबादी को कोरोना वायरस से बचाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के स्वास्थ्य सैनिकों की कोशिशों पर काफी हद तक पानी फेर दिया है। देशव्यापी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस संक्रमण पर काफी हद तक लगाम लगाने की उम्मीद थी, मगर अब आलम यह है कि तबलीगी जमात से जुड़े कोरोना वायरस मामले में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है।