छत्तीसगढ़ चुनाव के परिणाम आ गये हैं और कांग्रेस वहां बहुमत के लिए जरूरी 46 सीटों के आंकड़े से काफी आगे निकल गई है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आये नतीजों के अनुसार कांग्रेस ने कुल 68 सीटों पर जीत का परचम लहराया है वहीं भाजपा के हाथ महज 15 सीटें ही आई। ताजा ख़बरों के अनुसार मुख्यमंत्री रमण सिंह ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है। हलांकि नई सरकार के शपथग्रहण तक वो मुख्यमंत्री का कार्यभार सम्भालते रहेंगे। बता दें कि डॉक्टर रमण सिंह भाजपा के सबसे लम्बे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री हैं। अपने 15 वर्षों के शासनकाल में लोक-लुभावन योजनाओं के कारण उन्हें छत्तीसगढ़ के लोग “चावल वाले बाबा” और “मोबाइल वाले बाबा” भी कहते हैं।
भाजपा के उलट कांग्रेस बिना किसी सीएम उम्मीदवार के चुनाव में उतरी थी. राहुल गाँधी ने धुआंधार प्रचार में किसानों की कर्जमाफी का वायदा भी किया था। विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गाँधी के हर भाषण में इस मुद्दे को उठाना और रमण सिंह का इसे मजाक में लेना भाजपा को भारी पड़ गया। अपनी हार स्वीकारते हुए डॉक्टर रमण सिंह ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव मेरी अगुवाई में लड़ा गया था, इसलिए हार की जिम्मेदारी भी मैं लेता हूं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन चुनाव में जब हमारी जीत हुई थी, तो जीत का श्रेय भी मुझे ही मिला था इसलिए अब हारे हैं तो उसकी जिम्मेदारी भी मैं लेता हूं।
वहीं अगर वोट शेयर की बात करें तो कांग्रेस को कुल 43% वोट मिले हैं तो भाजपा के खाते में 33% मत आये। ये जानने लायक बात है कि चुनाव से पहले अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन किया था। जेसीसी को कुल पांच सीटें आई और बसपा ने दो सीटों पर जीत दर्ज की। दोनों पार्टियों का संयुक्त वोट शेयर 11.5% के आसपास रहा। कई विश्लेषकों ने इस इस गठबंधन को भी भाजपा की हार के पीछे रही प्रमुख कारणों में से एक गिनाया है क्योंकि अगर भाजपा और कांग्रेस के मत प्रतिशत के बीच के अंतर को देखें तो वो जोगी-माया को मिले मत प्रतिशत के लगभग बराबर ही है।
छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों के लिए दो फेज में 12 नवंबर और 20 नवंबर को मतदान हुए थे जिसमे लगभग 76% वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।