‘मिशन शक्ति’ की सफलता के बाद DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ) ने ‘मिशन शक्ति’ से जुड़ा एक प्रेजेंटेशन जारी किया है। इस प्रेजेंटेशन में दिखाया गया है कि कैसे ‘मिशन शक्ति’ को सफल बनाया गया और इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे।
कॉन्ग्रेस नेता चिदंबरम ने जताई थी मिशन पर आपत्ति, DRDO ने कहा ‘चिल्ल ब्रो’!
पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मिशन शक्ति’ की सफलता की घोषणा करने के बाद कॉन्ग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि देश की इस क्षमता को गोपनीय रखना चाहिए था लेकिन ‘नासमझ सरकार’ ने ऐसा नहीं किया। चिदंबरम की चिंता को DRDO ने दूर करते हुए आज शनिवार (अप्रैल 06, 2019) को DRDO प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने कहा कि ‘मिशन शक्ति’ की प्रकृति ऐसी थी कि इसे किसी भी हाल में गोपनीय नहीं रखा जा सकता था। उन्होंने कहा कि उपग्रह को दुनिया भर के कई देशों के स्पेस स्टेशनों द्वारा ट्रैक किया जाता है। इसके साथ ही रेड्डी ने बताया कि इस मिशन के लिए सभी जरूरी परमिशन ली गई थी। इस बीच डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने मिशन शक्ति पर एक प्रेजेंटेशन भी जारी किया।
#WATCH Defence Research and Development Organisation releases presentation on #MissionShakti pic.twitter.com/4llQ1t3JUG
— ANI (@ANI) April 6, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुमति के बाद इस मिशन को सफल बनाने के लिए 200 वैज्ञानिकों की टीम ने दिन-रात मेहनत की। 27 मार्च को धरती से 300 km दूरी पर स्थित एक लाइव सैटेलाइट को गिराकर वैज्ञानिकों के इस मिशन की सफलता की नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को जानकारी दी थी।
बता दें कि अब तक दुनिया के तीन देश अमेरिका, रूस और चीन को यह उपलब्धि हासिल थी अब भारत चौथा देश है, जिसने यह सफलता प्राप्त की है. PM मोदी ने बताया था कि कि एलईओ सैटेलाइट को मार गिराना एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था, इस मिशन को सिर्फ 3 मिनट में पूरा किया गया है।