Sunday, May 12, 2024
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से इस मामले में संबित पात्रा-बग्गा को बड़ी राहत, बीजेपी ने की बघेल सरकार से माफी की माँग

तजिंदर बग्गा के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 505 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी। बग्गा के खिलाफ यह एफआईआर जवाहरलाल नेहरू और राजीव गाँधी के बारे में पात्रा के ट्विटर पोस्ट को रीट्वीट करने के संबंध में दर्ज की गई थी।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा और बीजेपी नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा को बड़ी राहत मिली है। सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए उनके खिलाफ दर्ज कराई गई FIR को निरस्त करने के आदेश दिए। हालाँकि, इससे पहले कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका पर नो कोरेसिव एक्शन का आदेश दिया था। यानी इस मामले में कोई भी कार्रवाई से मना किया था। पात्रा के वकील शरद मिश्रा ने कहा कि पिछले साल मई में रायपुर और दुर्ग में पात्रा के खिलाफ दो FIR दर्ज की गई थीं, जबकि एक केस कांकेर में बग्गा के खिलाफ दायर किया गया था।

गौरतलब है कि पात्रा के खिलाफ पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू और राजीव गाँधी सहित कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए ये एफआईआर दर्ज की गई थीं। पात्रा के खिलाफ एक एफआईआर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499, 500, 501 व 505 (1) और दूसरी एफआईआर आईपीसी की धारा 298, 153A और 505 (2) के तहत दर्ज की गई थी।

इसी प्रकार, तजिंदर बग्गा के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 505 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी। बग्गा के खिलाफ यह एफआईआर जवाहरलाल नेहरू और राजीव गाँधी के बारे में पात्रा के ट्विटर पोस्ट को रीट्वीट करने के संबंध में दर्ज की गई थी।

जस्टिस संजय के. अग्रवाल ने कहा कि मानहानि के मामले में जाँच शुरू करने से पूर्व पुलिस को मजिस्ट्रेट से उचित निर्देश प्राप्त करने होते हैं। इन्हें असंज्ञेय अपराध (ऐसे अपराध जिनमें पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं प्राप्त होता) कहते हैं। एक असंज्ञेय अपराध आमतौर पर एक मामूली अपराध है, जिसका उल्लेख आईपीसी की पहली अनुसूची में किया गया है, जिसके लिए अभियुक्त को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान जस्टिस अग्रवाल ने डॉ. पात्रा के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर पहले ही रोक लगा दी थी। पूर्व में इस मामले में याचिकाकर्ता पात्रा के वकील ने अंतिम सुनवाई का आग्रह किया था।

हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद बीजेपी की छत्तीसगढ़ इकाई ने भूपेश बघेल सरकार से माफी की माँग की है। छत्तीसगढ़ प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा, ”तमाम एफआईआर को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा निरस्त किया जाना लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सत्य की विजय है।”

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मोहन मार्कम में जरा भी नैतिकता बाकी हो तो पूरे देश-प्रदेश के साथ-साथ बीजेपी और पात्रा से बिना शर्त माफी माँगनी चाहिए, क्योंकि उनके इशारे पर प्रदेश के अलग-अलग थानों में पात्रा के विरुद्ध लगभग एक सौ एफआईआर की गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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