Friday, May 17, 2024
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अकेले गाड़ी में मास्क… हँसी आती है तो डरिए, सिंगल नहीं डबल मास्क पहनिए: पढ़िए बेस्ट मेडिकल जर्नल के 10 सबूत

"SARS-CoV-2 वायरस के विषय में अपनी नीतियों को बदलें और यह स्वीकार करें कि कोरोना वायरस हवा के माध्यम से भी मुख्य रूप से फैलता है।" - बिना छीकें या खाँसे भी आप दूसरों को या दूसरों से खुद को संक्रमित कर सकते हैं।

विश्व के प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक शोध पत्र में यह दावा किया गया है कि कोरोना वायरस हवा से फैलता है। जर्नल में यह कहा गया है कि कोविड-19 के वायरस SARS-CoV-2 के हवा से फैलने के पर्याप्त सबूत हैं। हालाँकि, जर्नल में यह कहा गया है कि अभी तक वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस वायरस के हवा के माध्यम से न फैलने के पर्याप्त सबूत नहीं दे पाए हैं लेकिन जर्नल में प्रकाशित शोध में दिए गए सबूत काफी हैं यह बताने के लिए कि कोरोना वायरस हवा के माध्यम से फैल रहा है और यही कारण है कि विश्व भर में उसके प्रसार को रोकने के सभी उपाय असफल हो रहे हैं।

जर्नल में कोरोना वायरस के हवा के माध्यम से प्रसारित होने के विषय में कहा गया है कि किसी भी वायरस के हवा के माध्यम से संचरण को प्रत्यक्ष तौर पर सबके सामने तो नहीं दिखाया जा सकता है किन्तु वायरस के संचरण के तरीके, मानवीय व्यवहार, भौतिक परिस्थितियों और अब तक के अनुभव के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि SARS-CoV-2 मुख्यतः और ‘प्रारंभिक’ रूप से हवा के माध्यम से फैलता है।

जर्नल में पहले सबूत के तौर पर सुपर-स्प्रेडर इवेंट्स को आधार बनाया गया है। इसमें कागिट चोयर ईवेंट के बारे में बताया गया है जहाँ एक संक्रमित व्यक्ति के कारण 53 व्यक्ति संक्रमित हुए थे। ईवेंट के बारे में की गई रिसर्च से यह पता चला कि ईवेंट में मौजूद लोग न तो एक दूसरे से मिले और न ही एक दूसरे के संपर्क में आए लेकिन फिर भी 53 लोगों का कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाना यह बताता है कि संक्रमण हवा के माध्यम से फैलता है।

दूसरे सबूत के तौर पर द लैंसेट में कुछ क्वारंटीन केंद्रों का उदाहरण दिया गया, जहाँ अलग-अलग कमरों में क्वारंटीन किए गए लोगों में SARS-CoV-2 का संक्रमण बिना संपर्क में आए पाया गया। यह वायरस के लॉन्ग रेंज ट्रांसमिशन का एक उदाहरण है।

जर्नल में कोरोना वायरस के हवा के माध्यम से प्रसारित होने के विषय में बिना लक्षण वाले मरीजों को प्रमुख आधार बनाया गया है। जर्नल में कहा गया है कि बिना लक्षण वाले मरीज न तो खाँसते हैं और न ही छींकते हैं। ऐसे में मात्र उनके बोलने से जो ड्रॉपलेट उनके मुँह से निकलती है वह संक्रमण के विस्तार का एक बड़ा कारण है और यह भी एक तथ्य है कि बिना लक्षण वाले मरीज ही दुनिया के कुल संक्रमणों के मामलों में से 59% केस में संक्रमण का मुख्य कारण बने।

जर्नल में SARS-CoV-2 के हवा के माध्यम से संचरण को साबित करने के लिए जो चौथा बिन्दु दिया गया है, वह अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार आउटडोर के मुकाबले इनडोर वातावरण में अधिक है लेकिन यदि इनडोर परिस्थितियों में वेंटिलेशन का उपयोग किया जाए तो संक्रमण की यह दर कम हो जाती है। 

कोरोना वायरस का संक्रमण अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी तेजी से हुआ। इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि हालाँकि दुनिया भर में अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में संक्रमण को रोकने के कई उपाय हुए जैसे, प्रत्यक्ष संपर्क से बचने के लिए पीपीई किट और अन्य ऐसे ही तकनीकी उपाय। लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण का पाया जाना यह बताता है कि उन केंद्रों में संक्रमण हवा के माध्यम से हुआ।

इसी शृंखला में जो छठवाँ सबूत दिया गया, वह काफी चौंकाने वाला था। कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के कमरे और कार से लिए गए अलग-अलग हवा के सैम्पल में सक्रिय SARS-CoV-2 वायरस मिला, जो तीन घंटे तक संक्रमणशील बना रहा। इसके लिए बाकायदा लैब में प्रयोग किया गया। हालाँकि जर्नल में यह कहा गया है कि हवा के सैंपल को इकट्ठा करके उसमें उपस्थित वायरस के बारे में अध्ययन करना बहुत ज्यादा कठिन है।

जर्नल में हवा में कोरोना वायरस की उपस्थिति को साबित करने के लिए सातवें सबूत के तौर पर अस्पतालों और अन्य इमारतों का उदाहरण दिया। जर्नल में बताया गया है कि ऐसे स्थानों पर जहाँ कोविड-19 के मरीज थे, वहाँ ऊँचे स्थानों पर लगे एयर फिल्टर्स और बिल्डिंग डक्ट्स में SARS-CoV-2 वायरस की उपस्थिति हवा के माध्यम से उसके संचरण की पुष्टि करती है।

आठवें सबूत के रूप में द लैंसेट में जानवरों का उदाहरण दिया गया जहाँ एक संक्रमित जानवर के पिंजरे को दूसरे असंक्रमित जानवर के पिंजरे से एयर डक्ट के माध्यम से जोड़ा गया। इस प्रयोग में SARS-CoV और SARS-CoV-2 वायरस का एयर ट्रांसमिशन साबित हुआ।

जर्नल में प्रकाशित शोध में नौवें और दसवें बिन्दु में कोरोना वायरस के संबंध में हुए अब तक के प्रयोगों पर प्रश्न उठाए गए हैं। नौवें बिन्दु में कहा गया है कि अभी तक कोई भी स्टडी पूरी तरह से यह साबित नहीं कर पाई है कि कोरोना वायरस हवा से नहीं फैलता। कई लोग किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद भी संक्रमित नहीं हुए लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं हुआ कि SARS-CoV-2 हवा के माध्यम से नहीं फैलता क्योंकि दोनों को आपस में जोड़ने का कोई तर्क ही नहीं है। किसी के संक्रमित न होने के कई अन्य कारण हो सकते हैं।

दसवें बिन्दु में यह कहा गया है कि चूँकि यह संक्रमण संक्रमित मरीज के द्वारा साँस लेने से उत्पन्न हुई ड्रॉपलेट्स के कारण फैल रहा है, अतः आसानी से इसे सम्पर्कशील संक्रमण घोषित कर दिया गया। श्वसन के द्वारा उत्पन्न हुई ड्रॉपलेट्स और हवा में मौजूद एरोसॉल के मध्य अंतर करने की विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से अभी भी कोरोना वायरस के संक्रमण के माध्यम पर पुख्ता परिणाम नहीं दिए जा सके हैं।

जर्नल में कहा गया है कि हालाँकि वर्तमान में मास्क, सैनिटाइजर, वेंटिलेशन और स्वच्छता जैसे कई उपाय किए जा रहे हैं, जो इनडोर और आउटडोर दोनों परिस्थितियों के लिए सही हैं लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हवा के माध्यम से फैलने वाले कोरोना वायरस के लिए अलग उपाय करने होंगे। इसके लिए जर्नल में मास्क की बेहतर गुणवत्ता, एयर फिल्टरेशन, वेंटिलेशन और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए और भी आधुनिक और बेहतर उपायों की वकालत की गई है। साथ ही अधिक समय तक खुले में न रहने की सलाह भी दी गई है।

जर्नल में विभिन्न देशों की जिम्मेदार संस्थाओं, सरकारों और डबल्यूएचओ आदि से यह माँग की गई हैं कि अब वो SARS-CoV-2 वायरस के विषय में अपनी नीतियों को बदलें और यह स्वीकार करें कि कोरोना वायरस हवा के माध्यम से भी मुख्य रूप से फैलता है।

Note: यह लेख मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित हुए शोध पर आधारित है। सभी दावों की पुष्टि के लिए ‘द लैंसेट’ में लेख को विस्तार से पढ़ा जा सकता है।   

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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