आरटीआई में खुलासा हुआ है कि केजरीवाल सरकार ने इस साल जनवरी से मार्च तक विभिन्न माध्यमों से विज्ञापनों पर 150 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं। इसी बीच उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जो पोर्नोग्राफी वेबसाइट पोर्नहब से लिया गया स्क्रीनशॉट है।
स्क्रीनशॉट को देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि केजरीवाल का विज्ञापन पोर्न वेबसाइट पर चल रहा है। स्क्रीनशॉट साझा करने वाले ट्विटर यूजर्स ने दावा किया है कि वह VPN पर पोर्न देख रहा था, तभी उसे वीडियो में केजरीवाल का विज्ञापन नजर आया।
ट्विटर यूजर के इस पोस्ट से मानो सोशल मीडिया पर तूफान आ गया। हर कोई जवाब की तलाश में है, लेकिन अधिकांश भारतीयों को यह नहीं पता है कि पोर्नहब का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है, क्योंकि यह देश में प्रतिबंधित है।
ऑपइंडिया की जाँच
जब हमने स्क्रीनशॉट को देखा तो हमें लगा कि यह सब गलत हो रहा है और हमने इसकी जाँच शुरू कर दी। हमें लगा कि आम आदमी पार्टी भारत में पोर्नहब का इस्तेमाल करने वालों को टारगेट कर रही है। जैसा कि यह हमारी नीति है जो अपने प्रचार के लिए किसी भी अवैध दस्तावेज या वेबसाइटों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देती हैं, इस नियम का हम हर समय पालन भी करते हैं। इसलिए हमने इस स्क्रीनशॉट का विश्लेषण करना शुरू कर दिया।
हालाँकि, यहाँ ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह विज्ञापन वास्तव में अरविंद केजरीवाल का ही है। इसे अक्सर YouTube और अन्य प्लेटफार्मों पर देखा जा सकता है। आप यहाँ विज्ञापन देख सकते हैं।
ऑनलाइन विज्ञापन कैसे काम करते हैं?
एक समय था जब Google पर विज्ञापन वेबसाइट की सामग्री के आधार पर नजर आते थे। लेकिन, आजकल Google, Facebook, Twitter और अन्य प्लेटफ़ॉर्म आपके कंप्यूटर से कुकीज के रूप में बहुत सी व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करते हैं। आज हर तरह के विज्ञापन सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और साइट्स पर नजर आ जाएँगे। जब आप सोशल मीडिया या वेबसाइटों पर सर्फिंग कर रहे होते हैं, तो आपको हर तरह के विज्ञापन दिखाई देंगे।
उदाहरण के लिए, आपने गूगल पर लैपटॉप के बारे में सर्च किया या फिर कोई ट्वीट किया। इससे आपका स्थान, उम्र, लिंग और अन्य जानकारी के आधार पर एल्गोरिदम आपको लैपटॉप से संबंधित विज्ञापन दिखाना शुरू कर देगा। अगर आपने घूमने का प्लान बना कर गूगल पर बेस्ट टूरिस्ट प्लेस के बारे में जानकारी लेने के लिए कुछ भी सर्च किया तो आपको कुछ ही घंटों के भीतर इससे जुड़े विज्ञापन दिखाई देने लग जाएँगे।
इससे अक्सर यूजर कंफ्यूज हो जाते हैं कि ये वेबसाइट कैसे जानती हैं कि आप क्या देख रहे थे। दरअसल एल्गोरिदम को आपके व्यवहार को समझने और उन उत्पादों को दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिन्हें आप खरीदना चाहते हैं।
इसी तरह कंप्यूटर की भाषा में एल्गोरिदम (Algorithm) का उपयोग किसी प्रोग्राम के लॉजिक को प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। एल्गोरिदम (Algorithm) दी गई समस्या के समाधान पर पहुँचने का तरीका हो सकता है, जिसे इस तरीके से डिज़ाइन किया जाता है कि यदि उसमेंं दी गई कमाण्ड को उसी क्रम में फॉलाे किया जाए तो बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
राजनीतिक विज्ञापनों के मामले में YouTube पर केजरीवाल का विज्ञापन इसका उदाहरण है, यह आपके स्थान, आयु, लिंग, राजनीतिक विचारधारा और बहुत कुछ के आधार पर दिखाई देगा। जैसा कि केजरीवाल को विज्ञापन प्रकाशित करने की आदत है। यह संभव है कि आप दिल्ली और पंजाब के बाहर भी उनका विज्ञापन देख सकते हैं।
बता दें कि एक ट्विटर यूजर आलोक भट्ट द्वारा शेयर किए गए आरटीआई से पता चला है कि जनवरी 2021 में AAP सरकार द्वारा विज्ञापनों पर 32.52 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, फरवरी 2021 में 25.33 करोड़ रुपए और मार्च 2021 में 92.48 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। ऐसे हालात में जब कोरोना की दूसरी लहर से राष्ट्रीय राजधानी की स्वास्थ्य सेवाएँ चरमरा रही हैं, केजरीवाल सरकार ने औसतन हर दिन 1.67 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए हैं।
So money spent by @ArvindKejriwal during first 3 months of 2021 on bribing Indian media via ads
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) April 24, 2021
Jan: 32.52 cr
Feb: 25.33 cr
Mar: 92.48 cr
He spent 1.67 crores per day just on ads.
Imagine the no of oxygen tankers he could have built witt this money? #DilliKaCancer hai ye! pic.twitter.com/zi5VFEB1OK