प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के मद्देनजर पिछले साल की तरह इस बार भी गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ जनता को मुफ्त में नवंबर तक अनाज मुहैया कराने का ऐलान किया। इस फैसले के बाद जहाँ कई जगह पीएम की सराहना हुई तो वहीं मोदी विरोधी प्रोपगेंडा चलाने वाली कुख्यात लेखिका व पत्रकार तवलीन सिंह ने सवाल दागा कि पीएम की घोषणा के बाद वह इस कशमकश हैं कि क्या भारत में इतने सारे लोग गरीबी रेखा से नीचे आते हैं।
The Prime Minister’s decision to give 80 crore Indians free food grain till November is puzzling. Are there that many Indians now below the poverty line?
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) June 8, 2021
वैसे तो तवलीन के इस ट्वीट के नीचे सोशल मीडिया यूजर्स ने ही उन्हें सलाह दे दी कि पहले तो वह एसी कमरे में बैठकर देश के हालातों पर बात न करें तो बेहतर होगा। दूसरा उन्हें ये बताया गया है कि ये अन्न जनता को कोरोना काल में उपजी स्थिति के कारण मुफ्त में दिया जा रहा है, न कि केवल देश के उस वर्ग को जिसके पास बीपीएल कार्ड है।
If 80 Cr. people in India need free food grain for sustenance, it says it all! #Covid19 has decimated livelihoods of ordinary Indians. In contrary it has been blessing for Indian billionaires! Acc. to Oxfam report they have increased their wealth by 35% during the lockdown!
— Be Human (@RanaMitra15) June 8, 2021
अब इस बात में तो कोई संदेह नहीं है कि देश में कोरोना के कारण कई लोगों की नौकरियाँ छूटीं, कई बड़े व्यापारियों के काम ठप्प हुए, कई छोटी-बड़ी दुकानें या धंधे प्रभावित हुए… कोरोना काल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ जनता को मुफ्त राशन मुहैया कराने वाला फैसला देश की उसी जनता के लिए है जिनकी आर्थिक स्थिति इस कोरोना काल में डगमगाई। लेकिन इसका असर उनके घर के राशन पर न पड़े इसलिए सरकार ने निर्णय लिया कि इस योजना के तहत राशनकार्ड पर हर महीने मिलने वाले अनाज के अतिरिक्त मुफ्त 5 किलो अनाज दिया जाएगा। सबसे महत्तवपूर्ण बात राशन कार्ड में जितने लोगों के नाम दर्ज हैं सबके नाम पर 5 किलों अनाज मुफ्त जाएगा।
अब तवलीन जी को राशन कार्ड और बीपीएल में फर्क नहीं पता तो देश की जनता या फिर देश की सरकार कुछ नहीं कर सकती। उन्हें इसके लिए ज्ञानवर्धन की जरूरत है। सरकार इस समय जो अन्न मुहैया करवा रही है उसके लिए जनता के पास राशन कार्ड होना अनिवार्य है। राशन कार्ड क्या होता है पहले इसे समझिए और ये जानिए कि कैसे राशन कार्ड ये नहीं दर्शाता कि इसे बनवाने वाले सारे गरीबी रेखा से नीचे के लोग हैं।
क्या होता है राशन कार्ड और कितने प्रकार होते हैं?
राशन कार्ड एक तरह का पहचान पत्र है, जिसे राज्य शासन द्वारा लागू किया जाता है। राशन कार्ड का मुख्य उपयोग स्पेशल मूल्य की दुकानों से सही या कम मूल्य से आवश्यक सामान खरीदने के लिए किया जाता है। वर्तमान में सरकार द्वारा कई प्रकार के राशन कार्ड बनते हैं। इनमें गरीबी रेखा से नीचे वाला भी राशन कार्ड बनवाता है और गरीबी रेखा से ऊपर वाला भी।
इसका प्रमुख उद्देश्य सही दाम पर दैनिक उपयोग की वस्तुएँ खरीदना होता है। बस बीपीएल वालों को फायदा ये होता है कि उन्हें थोड़े कम दाम पर खाद्य वस्तुएँ मिल जाती हैं।
राशन कार्ड को बनवाने के लिए आपकी आय क्या है ये जरूरी नहीं है बशर्ते वह बीपीएल हो। इसके लिए हर व्यक्ति जो देश का नागरिक है और उसके पास इसका स्थायी प्रमाण है, वह इसे बनवा सकता है। मुख्य रूप से तीन श्रेणी में राशन कार्ड जारी होते हैं।
पहला अन्त्योदन राशन कार्ड: यह कार्ड सबसे गरीब परिवारों को जारी होता है जिनके पास कोई स्थिर आय नहीं होती। इसमें बुजुर्ग, बेरोजगार या लेबर श्रेणी के लोग आते हैं। इसका रंग पीला होता है। दूसरा बीपीएल राशन कार्ड: इस कार्ड के लिए एप्लाई वहीं करते हैं जिनकी सालाना आय 10,000 से कम होती है। ये नीले, गुलाबी या लाल रंग में जारी होता है। तीसरा एपीएल राशन कार्ड: इस कार्ड के लिए कोई आय सीमा नहीं निर्धारित नहीं है। बस जो व्यक्ति बीपीएल में नहीं आता वह इसके लिए एप्लाई करता है। ये नारंगी रंग में जारी होता है।
तो ये होता है राशन कार्ड। सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जो खाद्य वस्तुएँ मुहैया करवा रही है। वो इन्हीं राशन कार्ड पर है। एक व्यक्ति अपने राशन कार्ड में अपने बच्चों और माता-पिता का नाम भी लिखवा सकता है। इसका मतलब है कि एक राशन कार्ड पर यदि 5 लोगों का नाम शामिल है तो सरकार उन पाँच लोगों के लिए अलग-अलग 5-5 किलो राशन देगी।
बीपीएल कार्ड क्या होता है?
अब बात बीपीएल (Below poverty line) की। इसे लेकर स्पष्ट कर दें कि बीपीएल कार्ड और राशन कार्ड दो अलग चीजें हैं। राशन कार्ड से खाद्य वस्तुएँ मिलती हैं। वहीं बीपीएल श्रेणी में आने वाले या बीपीएल कार्ड धारक को स्वास्थ्य, शिक्षा, सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिलता है। इसके अलावा बीपीएल कार्ड धारक यदि किसान है तो उसके ऋण ब्याज में भी कमी आती है। बीपीएल कार्ड का लाभ केवल वे ही व्यक्ति ले सकते हैं। जिनकी सालाना आय मात्र 20,000 या उस से कम होती है।
ऐसे में ये समझना जरूरी है कि बीपीएल एक सामान्य स्थिति में गरीबों को कम दाम में अनाज मुहैया व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाता है। साथ ही सरकार को एक आँकड़ा देता है कि इतने लोग देश में गरीबी रेखा से नीचे है।
मगर, कोरोना में स्थिति इससे अलग है। इसलिए सरकार ने आम जन की जरूरतों को पूरा करने के लिए ये ऐलान किया है। सरकार को मालूम है कि इस कोरोना ने लोगों को हर तरह से तोड़ने का काम किया है। इसलिए पिछले साल शुरू हुई पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि उन्होंने नवंबर तक बढ़ाई है।
8 माह में 80 करोड़ जनता के घर मुफ्त में राशन
सरकार द्वारा मामले के संबंध में जारी बयान भी बताते हैं कि उनकी कोशिश इस बीच सिर्फ यही रही कि कोविड-19 संकट का देश की खाद्य सुरक्षा और पोषण पर कोई भारी प्रभाव न पड़े। इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू हुई ताकि खाद्य सुरक्षा लाभार्थियों को इस महामारी में किसी समस्या का न सामना करना पड़ा।
पिछले साल भी सरकार ने 8 माह के भीतर इस योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के द्वारा लाभ पहुँचाया। इसमें 5 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह की दर पर खाद्यान्न आवंटित किए गए। खाद्य सुरक्षा से तात्पर्य खाद्य पदार्थों की सुनिश्चित आपूर्ति एवं जनसामान्य के लिए भोज्य पदार्थों की उपलब्धता से है।
किन लाभार्थी को मिल रही सुविधा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National food security act), 2013 के अंतर्गत लोगों को सस्ती दर पर पर्याप्त मात्रा में उत्तम खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है ताकि उन्हें खाद्य एवं पोषण सुरक्षा मिले और वे सम्मान के साथ जीवन जी सकें।
मोदी सरकार ने अपने बयान में जो 80 करोड़ लोगों के बारे में बात की है वह जनता इसी अधिनियम के तहत लक्षित है। ऊपर बयान में बताया भी गया है कि ये सुविधा इस एक्ट के तहत आने वाले लाभार्थियों को मिलने वाले मासिक लाभ के अतिरिक्त है।
जानकारी के अनुसार, इस कानून के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत तक तथा शहरी क्षेत्रों की 50 प्रतिशत तक की आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
This is in accordance with section 3(2) of the National Food Security Act, 2013. Assuming the Indian population to be 120 crore, and as per my estimates, the rural population is around 90 crore and urban at 30 crore. 90 * 0.75 + 30* 0.25= 82.5. Please include this in your column! pic.twitter.com/UG2eyGTJ77
— Pratyush Gupta #GetVaccinated (@Pratyush__Gupta) June 8, 2021
वन नेशन वन राशन कार्ड का मिलेगा फायदा
केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कम दरों में मिल रही वस्तुओं को भी फ्री किया है। यानी सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि कैसे आम नागरिक की जेब पर असर पड़े बिना उनके घर का राशन तब तक भरा रहे जब तक कि कोरोना काल में राहत नहीं मिलती। इस कोविड दौर में ये सरकार की वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना का लाभ भी जनता को जरूर मिलेगा।
सरकार ने यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत पूरे देश में लागू की थी। इसमें राशन कार्ड धारक देश में कहीं से भी राशन ले सकता है। इस नेटवर्क में देश की लगभग 5.25 लाख राशन दुकानें शामिल हैं। यह व्यवस्था हर स्थान पर राशन उपलब्ध कराती है, जो बायोमैट्रिक सिस्टम पर आधारित है। अब कोरोना संकट में जब अधिकतर लोगों का काम प्रभावित हुआ है तो ये योजना प्रवासी नागरिकों को राहत देगी। इससे राशन कार्ड धारक की पहचान उसकी आँख और हाथ के अँगूठे से होती है।
80 करोड़ जनता का पेट भरने में कितना आएगा सरकार को खर्च
टाइम्स नाऊ की एक खबर के अनुसार, अपनी जनता को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने में सरकार को दीवाली तक 70 हजार करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। इसके अलावा फ्री वैक्सीन वाली योजना को यदि इसमें जोड़ दिया जाए तो उसका खर्चा 10 हजार करोड़ रुपए का होगा।
यानी कुल 80 हजार करोड़ रुपए का खर्च सरकार पर आएगा। बावजूद इन सब प्रयासों के तवलीन जैसे लोग मोदी सरकार पर ऊँगली उठाएँगे। सवाल ऐसे पूछा जाएगा कि लोगों को लगे यदि सरकार राशन मुफ्त में दे रही है तो देश में गरीबी है और अगर नहीं दे रही है तो सरकार को उस तबके कि चिंता ही नहीं जो लगातार कोरोना के कारण बेरोजगारी की मार झेल रहा है।