राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) एक बार फिर विवादों में है। NCERT कई वर्षों से सती प्रथा को लेकर भारतीय संस्कृति के खिलाफ जहर फैलाने की कोशिश में लगा हुआ है, बिना सबूत के। दुर्भाग्य यह है कि स्कूलों में भारतीय शिक्षा पद्धति को लागू करने का दावा करने वाले भी वामपंथियों की इन मंशाओं को अभी तक भाँप नहीं पाए हैं। पिछले कई वर्षों से बच्चों के दिमाग में यह जहर भरा जा रहा है।
इस मामले में सोशल एवं पॉलिटिकल एक्टिविस्ट विवेक पांडेय ने एक RTI दायर की थी, जिसके जवाब चौंकाने वाले हैं। इसमें कहा गया कि एनसीईआरटी के पास भारत में सती प्रथा की उत्पत्ति या इसके प्रभाव के बारे में कोई जानकारी नहीं है। एनसीईआरटी के जवाब के अनुसार, एएसआई के आधार पर विभाग की फाइलों पर अभिलेखों/तथ्यों के स्रोत उपलब्ध नहीं हैं।
विवेक पांडेय ने आरटीआई दायर करते हुए दो बिंदुओं पर जवाब माँगा था। पहले सवाल में उन्होंने पूछा भारत में सती प्रथा होने के संदर्भ के बारे में पूछा। वहीं दूसरे सवाल में उन्होंने देश में सती प्रथा के मामले को लेकर विवरण माँगी थी।
RTI filed to NCERT seeking information on 2 points.
— Vivek pandey (@Vivekpandey21) June 18, 2021
NCERT have no Information on origin or extent of sati practice in India. The sources of the records/facts are not available on the files of department based on ASI as per NCERT reply. #NCERT #Satipratha #RTI pic.twitter.com/b3qkUWBIO3
बता दें कि एनसीईआरटी की कक्षा- 8 के चैप्टर ‘Women, Caste and Reforms’ में सती प्रथा के बारे में बताया गया है। इसमें कहा गया है कि देश के कुछ हिस्सों में उन विधवा औरतों की प्रशंसा की जाती है, जो पति के मरने के बाद उसकी चिता में जल कर अपने प्राण त्याग देती है। इसके अलावा महिलाओं के संपत्ति के अधिकार पर भी प्रतिबंध था। महिलाओं के पास शिक्षा की पहुँच नहीं थी। इसमें कहा गया है कि देश के कुछ हिस्सों में ऐसा माना जाता था कि अगर महिलाएँ शिक्षित होंगी, तो विधवा हो जाएँगी। विवेक पांडेय ने इसी को लेकर एनसीईआरटी से संदर्भ माँगा था।
गौरतलब है कि इससे पहले भी NCERT बिना आधिकारिक विवरण के पाठ्यक्रम पढ़ाने को लेकर विवादों में आ चुका है। इसी तरह कक्षा 12 में पढ़ाए जाने वाली इतिहास की किताब पर बवाल हुआ था। इसमें सिखाया जा रहा था कि औरंगजेब जैसे आक्रांताओं ने भी भारत में रहते हुए मंदिरों की रक्षा की और उनकी देख-रेख का जिम्मा उठाया था। लेकिन जब एनसीईआरटी से इस दावे का स्रोत पूछा गया तो उनके पास अपना दावा साबित करने के लिए कोई प्रमाण या स्रोत नहीं था। ऐसे ही कुतुब मीनार को लेकर भी एनसीईआरटी के पास कोई सबूत नहीं थे कि उसे कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश ने बनवाया।
हाल ही में NCERT के पाठ्यक्रम में कक्षा-1 के छात्रों को पढ़ाए जाने वाली कविता ‘आम की टोकरी’ को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल हुआ। लोगों ने इसे डबल मीनिंग कविता करार देते हुए पाठ्यक्रम से निकालने की बात की।
इसके अलावा अनिता रामपाल के नेतृत्व में वर्ष 2007 में तैयार की गई इस पुस्तक में ‘द लिटिल बुली’ चैप्टर के माध्यम से छोटे बच्चों में सनातन संस्कृति में विष्णु भगवान के प्रचलित नाम ‘हरि’ के नाम पर एक ऐसे बच्चे की कहानी कही गई है जो लड़कियों को चिढ़ाता है, उन्हें चिकोटी काटता है, उन पर धौंस जमाता है। सब बच्चे उससे डरते हैं और उससे नफरत करते हैं। उससे दूर रहते हैं और आखिर में एक केकड़ा उसे काटकर सबक सिखाता है। ‘हरि’ नाम के उस बच्चे की नकारात्मक छवि बनाकर पाँचवी क्लास में पढ़ने वाले छोटे बच्चों के मन में सनातन संस्कृति के प्रति घृणा के बीज डाले जाते हैं। पिछले पंद्रह सालों से यह कार्य अनवरत किया जा रहा है।