प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सुरक्षा चूक के मामले में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) द्वारा जाँच कमेटी गठित किए जाने के बाद एक और जनहित याचिका (PIL) शीर्ष अदालत में दायर की गई है। इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Chief Minister Charanjit Singh Channi) और राज्य के तत्कालीन डीजीपी (DGP) समेत दूसरे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक एक्शन लेने की माँग की गई है।
रिपब्लिक टीवी की खबर के मुताबिक, सर्वोच्च अदालत में यह याचिका 7 जनवरी 2022 (शुक्रवार) को वकील नीरज कुमार ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जाँच आतंकवाद के एंगल और पंजाब पुलिस और कॉन्ग्रेस सरकार की कथित भूमिका की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से करवाने की माँग की है।
याचिका में इस बात को प्रमुखता से उठाया गया है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला फँसा था तो उस संकट के समय पंजाब सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं किया गया। याचिका में कहा गया है, “यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक का प्रधानमंत्री की अगवानी और उनके आधिकारिक कार्यक्रमों से दूर रहने का इरादा था। यह जानबूझकर उनकी सुरक्षा को खतरे में डालने की साजिश का एक हिस्सा है।”
याचिका में पंजाब सरकार पर आरोप लगाया गया है कि प्रदर्शनकारियों को जान-बूझ कर पीएम मोदी के काफिले तक पहुँचने दिया गया। ये राज्य तंत्र और राज्य की राजनीतिक स्थापना द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर और अक्षम्य उल्लंघन था।
सोमवार (10 जनवरी, 2022) को पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक मामले की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक समिति बनाने का निर्णय लिया था। इस कमिटी में चंडीगढ़ के डीजीपी, NIA के आईजी, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और पंजाब के ADGP (सिक्योरिटी) को शामिल किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 5 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान फिरोजपुर जाते वक्त उनके काफिले को हुसैनीवाला के एक फ्लाईओवर पर प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया था। वहाँ तकरीबन 20 मिनट तक पीएम का काफिला फँसा रहा था।