Sunday, April 28, 2024
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जामिया में एक ‘संघी’ की नियुक्ति पर मौत के बाद वाला मजहबी लाइन: दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने दिखाई हिंदू-घृणा

जाकिर नाइक को हीरो बताने वाले जफरुल इस्लाम ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहने के दौरान पुलिस पर झूठा आरोप लगाया था कि CAA दंगों के आरोपितों को वह प्रताड़ित कर रही है।

‘मिली गजट’ जैसे कट्टरपंथी अखबार के एडिटर और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्लाम ने एक बार फिर अपनी हिंदू विरोधी मानसिकता का सार्वजनिक प्रदर्शन किया है। राज्यसभा द्वारा सांसद राकेश सिन्हा को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के अंजुमन (सभा या कमिटी) में शामिल करने पर इस्लाम ने कटाक्ष किया है।

जफरुल इस्लाम ने राकेश सिन्हा की नियुक्ति से संबंधित राज्यसभा के उप-सचिव द्वारा जारी पत्र को ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, “संघी (RSS) विचारक को जामिया मिलिया अंजुमन (कोर्ट) का सदस्य बनाया गया। इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजिउन।”

जफरुल ने संघ विचारक को कमिटी में शामिल करने की बात लिखी साथ ही लिखा ‘इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलाही राजिउन’, जिसका अर्थ है ‘हम अल्लाह के हैं और हमें अल्लाह के पास ही जाना है’। जरुफल साफ तौर पर कहना चाह रहे हैं कि जामिया मिलिया इस्लामिया एक इस्लामिक विश्वविद्यालय है और यहाँ काम करने वाला भी मुस्लिम ही होना चाहिए, क्योंकि एक मुस्लिम अल्लाह का होता है और अल्लाह के पास ही जाता है।

दरअसल, 59 सदस्यीय अंजुमन (सभा) जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण प्राधिकार है। इसमें कुलपति और विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग शामिल होते हैं। इसके साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते इसमें लोकसभा के दो और राज्यसभा के एक सदस्य को अंजुमन में तीन साल के लिए शामिल किया जाता है। अंजुमन विश्वविद्यालय के नीतियों और कार्यक्रमों की समय-समय पर समीक्षा करती है और विश्वविद्यालय के सुधार और व्यवस्था के संबंध में सुझाव देती है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते सरकार नियमों से संबद्ध किसी को भी अपना प्रतिनिधि के रूप में भेज सकती है। ये सरकार का काम है, लेकिन जफरुल को आपत्ति है कि एक हिंदू और वो भी एक राष्ट्रवादी को मुस्लिम नाम वाले विश्वविद्यालय में क्यों भेजा गया।

ये तो एक विश्वविद्यालय है, जो केंद्रीय सरकार फंड पर चलता है। लेकिन मुस्लिम नाम होने के कारण जफरूल जैसे कट्टरपंथी विचारधारा के लोग इसे सिर्फ मुसलिमों के सुरक्षित मानते हैं। दूसरी ओर कुंभ जैसे धार्मिक आस्था वाले कार्यक्रम का प्रधान एक मुस्लिम को बना दिया गया था, जो अपनी कट्टरवादी विचारधारा के लिए भी कुख्यात है। नाम है आजम खान।

जब एक मुस्लिम बना था कुंभ मेला प्रभारी

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन अखिलेश यादव की सपा सरकार में मंत्री आजम खान को कुंभ मेले का प्रभारी बनाया गया था। आजम उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और वो अच्छी तरह परिचित हैं कि कुंभ मेले में कितने लोग आते हैं और कब आते हैं। हालाँकि, कुंभ आयोजन के प्रमुख होने के नाते या फिर हिंदू आस्था के प्रति वैचारिक घृणा के कारण उन्होंने कुंभ मेला के आयोजन में विशेष सावधानी नहीं बरती। परिणाम ये हुआ कि जनवरी 2013 के कुंभ के दौरान मची भगदड़ में करीब 36 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी।

तब दिखावे के तौर पर आजम खान ने इस्तीफा दिया था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनके इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया था। अखिलेश यादव ने कहा था कि आजम खान ने पूरी गंभीरता के साथ काम किया था। हालाँकि, ये सत्य है कि आजम खान ने कुंभ आयोजन के लिए व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं किया था। उनकी उदासीनता के कारण रेलवे स्टेशन से लेकर कुंभ क्षेत्र तक अराजकता के हालात बन गए थे।

तब किसी ने किसी ने ये नहीं कहा था कि एक हिंदू धार्मिक आयोजन का मुखिया एक मुस्लिम को क्यों बनाया जा रहा है। आज जब सरकार अपना काम कर रही है तब जफरुल इस्लाम जैसे लोग जहर उगने का काम कर रहे हैं। जहरीले बोल बोलने का इतिहास रहा है जफरुल इस्लाम का।

कौन हैं जफरुल इस्लाम?

पिछले साल नवंबर में हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने वाले स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के बचाव में जफरुल इस्लाम के ‘मिली गजट’ ने गोधरा ट्रेन हिंसा का समर्थन तक कर डाला था। मिली गजट ने लिखा था, “क्या मुनव्वर फारुकी ने इस तरह की टिप्पणी की कि अगर उनकी कार के नीचे एक कुत्ता भी आ जाता है तो वो दुःखी हो जाते हैं। इससे ज्यादा अमानवीयकरण क्या हो सकता है? क्या गोधरा और ऑशविच समान हैं? वाऊ, यहूदी ट्रेन में ठेले वालों और लोगों पर हमले कर रहे थे। साथ ही वो रेलवे स्टेशनों पर हमले कर के एक धार्मिक इमारत को गिराए जाने का जश्न मना रहे थे?” लोगों ने ‘मिली गैजेट’ से पूछा कि क्या हिन्दुओं को ज़िंदा जलाया जाना उसके लिए एक दुःख भरी घटना नहीं है?

मई 2020 में जफरुल इस्लाम ने ‘काफिरों’ को चेताते हुए कहा था कि कट्टर हिन्दुओं को शुक्र मनाना चाहिए कि भारत के मुस्लिमों ने अरब जगत से कट्टर हिन्दुओं द्वारा हो रहे ‘घृणा के दुष्प्रचार, लिंचिंग और दंगों’ को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन अरब के मुस्लिम एक आँधी लेकर आएँगे, एक तूफ़ान खड़ा कर देंगे।

जाकिर नाइक को हीरो बताने वाले जफरुल इस्लाम ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहने के दौरान पुलिस पर झूठा आरोप लगाया था कि CAA दंगों के आरोपितों को वह प्रताड़ित कर रही है। उस समय CAA को खूब हवा देने का काम जफरुल कर रहे थे और साथ ही पुलिस पर आरोप लगाकर आरोपितों के लिए सुरक्षा घेरा भी तैयार कर रहे थे। मथुरा में श्रीकष्ण मंदिर को लेकर भी वह हिंदुओं को नमक-हराम बता चुके हैं।

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सुधीर गहलोत
सुधीर गहलोत
इतिहास प्रेमी

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