Saturday, November 23, 2024
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सिखों में जट्ट-दलित विभाजन का फायदा उठा रहे मिशनरी, पंजाब में बढ़ रही ‘पगड़ी वाले ईसाइयों’ की संख्या: 8000 गाँवों में ईसाई समितियाँ, अकेले 2 जिलों में 600+ चर्च

पंजाब के 12,000 गाँवों में से 8,000 गाँवों में ईसाई धर्म की मजहबी समितियाँ हैं। वहीं अमृतसर और गुरदासपुर जिलों में 4 ईसाई समुदायों के 600-700 चर्च हैं। इनमें से 60-70% चर्च पिछले 5 सालों में अस्तित्व में आए हैं।

पंजाब में ईसाई धर्मान्तरण एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। पहले ज़्यादातर पंजाब के सीमावर्ती इलाकों से मिशनरियों द्वारा सिख युवकों को बहला-फुसलाकर या लालच देकर उनका धर्म बदलवाने की कोशिश की जा रही थी वहीं अब इनके निशाने पर पंजाब के समृद्ध इलाके भी हैं। सिखों को क्रिश्चियन बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। ईसाई धर्मांतरण का यह अभियान खासकर पंजाब के उन इलाकों में चलाया जा रहा है जो पाकिस्तान बॉर्डर से जुड़े हुए हैं। बटाला, गुरदासपुर, जालंधर, लुधियाना, फतेहगढ़ चूड़ियाँ, डेरा बाबा नानक, मजीठा, अजनाला और अमृतसर के ग्रामीण इलाकों से ऐसी खबरें आई हैं।

न्यूज़ नेशन की रिपोर्ट के अनुसार, अकाल तख्त अब इस मामले में सीधा हस्तक्षेप करते हुए खुलकर बोला है कि ईसाई मिशनरियाँ सीमा पर स्थित गाँवों में सिखों का ईसाइयत में धर्मांतरण करा रही है। अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बताया कि सीमा पर स्थित गाँवों में ईसाई मिशनरियाँ सिख परिवारों को पैसे का लालच देकर जबरन धर्म परिवर्तन करा रही हैं।

अकाल तख्त के जत्थेदार का कहना है कि निर्दोष सिखों को जबरन ईसाई धर्म कबूल करवाना सिख समुदाय के आंतरिक मामलों में सीधा हमला है और यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) को इस मामले में कई शिकायतें भी मिली हैं। एसजीपीसी ने इस मामलों को बेहद ही गंभीरता से लिया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भाई तारू सिंह के शहादत दिवस पर कहा, “पंजाब में धर्म परिवर्तन बड़े पैमाने पर हो रहा है। यह चिंता का कारण है। लोग, विशेष रूप से गाँवों में रहने वाले, आसान लक्ष्य हैं। वे क्षुद्र लालच के बदले अपना धर्म परिवर्तित करते हैं। भाई तारू सिंह कठिन समय का सामना करने के लिए दृढ़ रहे। उन्होंने मुगल साम्राज्य के दौरान अपने बाल काटने और इस्लाम में परिवर्तित होने के बजाय अपना सिर कटा दिया था।” उन्होंने कहा कि भाई तारू सिंह सिखों के रोल मॉडल होने चाहिए। लेकिन आज कई युवा सिख धर्म के रास्ते से भटक गए हैं।

बता दें कि पंजाब में धर्मान्तरण खासतौर से छोटी जातियों में देखने को मिल रहा है। खासतौर से दलित सिखों (मजहबी सिख) और वाल्मीकि हिंदू समुदायों से जुड़े तमाम छोटी जातियों ने एक सम्मानजनक जीवन और बेहतर शिक्षा के लालच में ईसाई धर्म को अपनाना शुरू कर दिया है। इसका एक प्रमुख कारण जट्ट सिखों का मजहबी सिखों को अपने बराबर न मानना भी है। जिसमें दलित सिख वहाँ दोयम दर्जे के ट्रीट होते हैं और उनके उत्पीड़न की खबरें आती रहती हैं। इसलिए मजहबी सिख और वाल्मीकि हिन्दुओं का ईसाई धर्म की तरफ झुकाव बढ़ रहा है और रही सही कसर उनके द्वारा इन्हें अच्छी ज़िन्दगी का लालच दिखाया जाना भी एक बड़ी वजह बनकर उभरा है।

यही वजह है कि आज पंजाब में ईसाई धर्म अपनाने वाले बढ़ रहे हैं, कुछ वैसी ही स्थिति तमिलनाडु जैसे दक्षिण के राज्यों ने 1980 और 1990 के दशक में हुआ करती थी। यहाँ तक कि पंजाब के गुरदासपुर के कई गाँवों की छतों पर छोटे-छोटे चर्च बन गए हैं।

न्यूज़ नेशन ने यूनाइटेड क्रिश्चियन फ्रंट के आँकड़ों के हिसाब से बताया है कि पंजाब के 12,000 गाँवों में से 8,000 गाँवों में ईसाई धर्म की मजहबी समितियाँ हैं। वहीं अमृतसर और गुरदासपुर जिलों में 4 ईसाई समुदायों के 600-700 चर्च हैं। इनमें से 60-70% चर्च पिछले 5 सालों में अस्तित्व में आए हैं।

पंजाब में धर्मान्तरण के कार्यशैली को देखा जाए तो ईसाई मिशनरियाँ बहुत ही चालाकी से धर्म परिवर्तन की साजिश को अंजाम दे रही हैं। इसके तहत पहली पीढ़ी के नए धर्मान्तरित होकर ईसाई बने पंजाबियों को उनकी सांस्कृतिक मान्यता और पहनावे और रहन-सहन से अलग नहीं किया जा रहा है।

इसका परिणाम यह सामने आया है कि बाहर से देखकर किसी भी सिख से ईसाई बने पंजाबी को पहचानना मुश्किल है कि वह सिख धर्म छोड़ चुका है। क्योंकि ईसाई मिशनरियों ने पहली पीढ़ी के लिए पगड़ी से लेकर टप्पे तक कई सांस्कृतिक प्रतीकों की छूट दे दी हैं। वहीं अधिकांश ईसाइयों की तरफ से चर्च के प्रति अपनी निष्ठा जताने के लिए उपनाम ‘मसीह’ का लगाया जाता है, लेकिन बहुत से सिख से ईसाई बने लोगों ने अपने पिछले नाम नहीं बदले हैं। हालाँकि, नाम न बदलने की एक बड़ी वजह दलितों को मिलने वाला आरक्षण भी है, जो कि धर्मांतरण करने की स्थिति में उन्हें नहीं मिल सकता है। यही वजह है कि धर्मान्तरित होने के बावजूद जनगणना में पंजाब की ईसाई आबादी का अधिकांश हिस्सा आँकड़ों में दर्ज नहीं हो पाता।

SGPC ने तैयार की रणनीति

गौरतलब है कि पंजाब में ईसाई धर्मान्तरण को लेकर सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी एक्शन में नजर आ रही है। SGPC ने सिख से ईसाई धर्म परिवर्तन के मामले में कमेटियाँ तैयार की हैं। जो कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाओं और ईसाई मिशनरियों के प्रति सख्त एक्शन लेंगी। वहीं एसजीपीसी द्वारा तैयार की प्रचार कमेटियाँ ईसाई धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए गाँवों में सिख धर्म का प्रचार करने में जुट गई हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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