Saturday, November 23, 2024
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गुजारा भत्ता, मेहर, निकाह में मिले गिफ्ट… तलाक के बाद मुस्लिम महिला सब पाने की हकदार: इलाहाबाद HC का फैसला, फैमिली कोर्ट के निर्णय को गलत बताया

अदालत ने कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को अपने पूर्व शौहर से जीवन भर सम्मानजनक गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि तलाकशुदा महिला दूसरी शादी हो जाने तक ही गुजारा भत्ता की हकदार होगी। 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad high court) ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के गुजारा-भत्ता को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को अपने पूर्व शौहर से जीवन भर सम्मानजनक गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि तलाकशुदा महिला दूसरी शादी हो जाने तक ही गुजारा भत्ता की हकदार होगी। 

हाईकोर्ट ने इस संबंध में गाजीपुर परिवार अदालत के मुख्य न्यायाधीश के फैसले को रद्द कर दिया। जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की पीठ ने कहा कि 15 सितंबर 2022 को गाजीपुर परिवार अदालत ने इस संबंध में त्रुटिपूर्ण फैसला दिया था।

दरअसल हाईकोर्ट मुस्लिम महिला जाहिदा खातून से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी। जाहिदा के शौहर नरुल हक ने 11 साल की शादी के बाद 2000 में उसे तलाक दे दिया था।

परिवार अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि जाहिदा केवल इद्दत की अवधि तक ही अपने शौहर से भरण-पोषण की हक़दार है। वक्फ बोर्ड ने इद्दत को अवधि को तलाक की तारीख के बाद 3 महीने 13 दिन तक निर्धारित किया है। हाईकोर्ट ने कहा, “हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि गाजीपुर के परिवार न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने  फैसले के दौरान इस बात की गलती की है कि अपीलकर्ता केवल इद्दत की अवधि तक ही गुजारा भत्ता के लिए हकदार है।”

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि परिवार अदालत ने डेनियल लतीफी और अन्य बनाम भारत संघ (2001) के मामले को समझने में गलती की है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने डेनियल लतीफी और अन्य बनाम भारत संघ (2001) के मामले में फैसला सुनाया था, जिसके तहत कहा गया था की तलाकशुदा मुस्लिम महिला को इद्दत की अवधि के बाद भी गुजारा भत्ता का अधिकार है।

हाईकोर्ट ने साथ ही कहा कि गुजारा भत्ते के साथ ही तलाकशुदा मुस्लिम महिला मेहर की रकम और शादी में मिले सभी उपहार को भी पाने की हकदार है। इसके साथ ही गुजारा भत्ता ऐसा होना चाहिए कि महिला अपनी न्यूनतम आवश्यकता को पूरा कर सके।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गाजीपुर परिवार अदालत को अब तीन महीने के अंदर नए तरीके से गुजारा भत्ता तय करना होगा। हाईकोर्ट ने साथ ही कहा कि परिवार अदालत द्वारा गुजारा भत्ते की राशि तय किए किए जाने तक पूर्व शौहर नूरुल हक को जाहिद खातून को हर महीने 5000 रुपए गुजारा भत्ता के रूप में देना होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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