Sunday, November 24, 2024
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‘हल्लिलूय्याह’ बन गया ‘अनंत आनंदम्’, बच्चों का यौन शोषण करने वाला हिन्दू बाबा: साउथ के अभिनेताओं को लाकर Netflix फैला रहा हिन्दू घृणा

संस्कृत या शुद्ध हिंदी से शब्द उठा कर इस तरह का तकिया कलाम बना देना कोई नई बात नहीं है। प्रकाश झा की वेब सीरीज 'आश्रम' में ऐसे ही बॉबी देवल के बाबा वाले किरदार और उसकी संस्था के लिए 'जप नाम' का चनाव किया गया था।

भारत में आजकल गालियों और सेक्स को ही वेब सीरीज मान लिया गया है। इसमें अगर हिन्दू घृणा का छौंक लग जाए तो फिर कहना ही क्या। चाहे ‘पाताल लोक’ में पंडित के मुँह से माँ की गाली बुलवाने वाला दृश्य हो या फिर ‘मिर्जापुर’ में ब्राह्मण को लालची बता कर उसे उठा कर भगाने का, OTT पर धड़ाधड़ रिलीज हो रहे ये वेब सीरीज इन मामलों में निराश नहीं करते। ऐसी ही एक नई वेब सीरीज Netflix पर आई है, ‘राणा नायडू’ नाम की।

आजकल दक्षिण भारत की फ़िल्में भारत में खूब चल रही हैं। तेलुगु फ़िल्म ‘RRR’ के गाने को ऑस्कर मिला है। कन्नड़ फिल्म ‘KGF 2′ ने 1100 करोड़ रुपए से भी अधिक की कमाई की। मलयालम फिल्म दृश्यम’ की कई भाषाओं में रीमेक बने हैं। तमिल के सुपरस्टार रजनीकांत का क्रेज किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में अब साउथ से अभिनेताओं को लाकर वेब सीरीज में डाला जा रहा है, क्योंकि साउथ के एक्टर्स का लोग सम्मान करते हैं।

‘राणा नायडू’ में भी दक्षिण भारत के दो बड़े अभिनेता हैं। पहले, साढ़े 3 दशक से तेलुगु फिल्मों में काम कर रहे वरिष्ठ अभिनेता दग्गुबती वेंकटेश। दूसरे, ‘बाहुबली’ फिल्म सीरीज में ‘भल्लाल देव’ के नेगेटिव कैरेक्टर से सुर्खियाँ बटोरने वाले राणा दग्गुबती। दोनों ही अभिनेताओं को दर्शक पसंद करते हैं। ऐसे में इस वेब सीरीज में कुछ ऐसी बातें ठूँस दी गईं, जिससे कहानी में हिन्दू घृणा का छौंक लगाया जा सके। गालियाँ और सेक्स तो जम कर है ही।

आगे बढ़ने से पहले बता दें कि इस शो का कॉन्सेप्ट करण अंशुमान का है, जिन्होंने ‘मिर्जापुर’ वेब सीरीज बनाई थी। उसके लेखक और निर्देशक वही थे। उनके साथ कई फ़िल्में और वेब सीरीज डायरेक्ट कर चुके सुपर्ण वर्मा भी इस शो के निर्देशक हैं। ‘राणा नायडू’ में सुशांत सिंह भी एक अहम किरदार में हैं, जो सोशल मीडिया के जरिए वामपंथी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। ये वेब सीरीज 10 मार्च, 2023 को Netflix पर कई भाषाओं में रिलीज की गई।

फिल्म की कहानी तीन भाइयों और उनके पिता के इर्दगिर्द घूमती है। राणा दग्गुबती, सुशांत सिंह और अभिषेक बनर्जी (‘पाताल लोक’ वाले ‘हथौड़ा त्यागी’) ने इन तीनों भाइयों के किरदार निभाए हैं। जबकि वेंटकेश इनके पिता के किरदार में हैं। राणा दग्गुबती का भी परिवार (पत्नी, बेटा-बेटी) होता है। उन्होंने एक ‘फ़िक्सर’ का किरदार निभाया है, जो पैसे लेकर सेलेब्रिटीज की समस्याएँ सुलझाता है। ये एक क्राइम ड्रामा है।

यहाँ तक तो कोई खास दिक्कत नहीं थी, लेकिन इसमें एक ऐसा किरदार है जिसके इर्दगिर्द फिल्म में अभिषेक बनर्जी का किरदार घूमता है। वो किरदार है एक हिन्दू साधु का। उसका तकिया कलाम ‘अनंत आनंदम्’ बनाया गया है। इस नकारात्मक किरदार को निभाया है मिलिंद पाठक ने। ‘विजयवाड़ा महाराज’ नाम का ये किरदार बच्चों का यौन शोषण करने वाला होता है। ये और इसके शिष्य बार-बार ‘अनंत आनंदम्’ बोलते हैं।

संस्कृत या शुद्ध हिंदी से शब्द उठा कर इस तरह का तकिया कलाम बना देना कोई नई बात नहीं है। प्रकाश झा की वेब सीरीज ‘आश्रम’ में ऐसे ही बॉबी देवल के बाबा वाले किरदार और उसकी संस्था के लिए ‘जप नाम’ का चुनाव किया गया था। कल को इसी तरह ‘जय श्री राम’ को भी किसी वेब सीरीज में विलेन की फेवरिट लाइन बता कर हिन्दू धर्म को बदनाम किया जाएगा। बॉलीवुड फिल्मों में हमने ‘काली के पुजारी’ गुंडे तो देखे ही हैं।

इसी तरह, ‘राणा नायडू’ वेब सीरीज में ‘विजयवाड़ा’ महाराज ने राणा दग्गुबती के किरदार का भी यौन शोषण किया होता है, जो राज़ अंत में खुलता है। ये शुरू में ही बता दिया जाता है कि उसने राणा दग्गुबती के भाई के किरदार में दिखे अभिषेक बनर्जी (फिल्म में ‘जफ़ा’) का बचपन में यौन शोषण किया है। जफ़ा की इस कारण मानसिक स्थिति खराब हो जाती है। वो जीवन भर इसी गम में रहता है, उसके दिमाग पर इस घटना का गहरा असर पड़ता है।

एक दृश्य में तो ‘विजयवाड़ा महाराज’ को जफ़ा का गुप्तांग भी मुँह में लेकर अश्लील हरकतें करते हुए दिखाया गया है। एक और गौर करने वाली बात है। आपने अक्सर सोशल मीडिया पर ऐसे वायरल वीडियोज देखे होंगे, जिनमें ईसाई पादरी चमत्कार और बीमारी ठीक करने के लिए कुछ-कुछ बुदबुदाता है और पूरी सभा में लोग पागलों जैसी हरकतें करने लगते हैं, जिनमें महिलाएँ भी होती हैं। इस दौरान ‘मेरा येशु-येशु’ या ‘हल्लिलूय्याह’ जैसा कुछ सब बोलते रहते हैं।

इस वेब सीरीज में उस ईसाई पादरी की जगह हिन्दू बाबा को डाल दिया गया है। अब पादरी को डालते तो माफ़ी माँगनी पड़ जाती। फिल्म निर्देशक फराह खान, कॉमेडियन भारती और अभिनेत्री रवीना टंडन को सदेह उपस्थित होकर लिखित में वेटिकन के एजेंट पादरी से माफ़ी माँगनी पड़ी थी, सिर्फ बाइबिल के एक शब्द का मजाक बनाने पर। अगर इस किरदार को मौलवी दिखाया जाता तो ऐसे मामलों में कट्टरपंथी सीधा ‘सर तन से जुदा’ ही करते हैं।

इसीलिए, सारी समस्याओं का समाधान है कि गुंडे के किरदार में, यौन शोषक के किरदार में – एक हिन्दू बाबा को डाल दो। ‘राणा नायडू’ में भी वही किया गया है। बाद में बाबा इस बात को छिपाने के लिए 3 करोड़ रुपए भी देता है। अंत में पीड़ित उसे मार भी डालता है, क्योंकि वो उसके बचपन की याद दिलाने लगता है। एक सौम्य सा दिखने वाला एक बाबा, जो Pedophile है, जो बच्चों को अपना शिकार बनाता है। गुंडे के लिए इससे बेहतर और सुरक्षित किरदार और क्या हो सकता था?

ये सब तब हो रहा है, जब हाल ही में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्पष्ट कहा है कि रचनात्मकता के नाम पर अश्लीलता और गालियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने OTT प्लेटफॉर्म्स पर आजकल आ रहे कंटेंट्स को लेकर ही ऐसा कहा था। साथ ही चेतावनी भी दी है कि हद पार करने पर केंद्र सरकार कार्रवाई भी करेगी। उन्होंने इसे रोकने के लिए नियमों के बदलाव के भी संकेत दिए हैं। लेकिन, फ़िलहाल ऐसी किसी स्क्रूटनी की व्यवस्था न होने का पूरा फायदा उठाया जा रहा है।

‘राणा नायडू’ में अप्राकृतिक सेक्स भी जम कर है। साथ ही एक अहम किरदार को समलैंगिक भी दिखाया गया है। ठीक इसी तरह, ‘सेक्रेड गेम्स’ में पंकज त्रिपाठी का किरदार बना गया था, जो समलैंगिक भी होता है और मुंबई को बर्बाद करने की साजिश भी रचता है। उन्हें भी एक हिन्दू बाबा के रूप में दिखाया गया था, जो अश्लील हरकतों में लगा हुआ है। बॉलीवुड अब भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। साउथ के नाम पर यह सब खेला जा रहा है।

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अनुपम कुमार सिंह
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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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