Friday, October 18, 2024
Homeदेश-समाजघर के सामने की झोपड़पट्टी में मस्जिद-मजारों पर 19 माइक, तेज आवाज से जीना...

घर के सामने की झोपड़पट्टी में मस्जिद-मजारों पर 19 माइक, तेज आवाज से जीना मुहाल: हाई कोर्ट पहुँचे पूर्व नौसैनिक, 500 कंप्लेन पर भी पुलिस ने नहीं की कार्रवाई

75 साल के पूर्व नौसैनिक महेंद्र सप्रे ने बताया है कि उनके घर के सामने बसी झोपड़पट्टी की मस्जिद और मजारों पर लगे लाउडस्पीकरों से आने वाली तेज आवाज से उनकी तबीयत बिगड़ चुकी है। उन्हें दवाइयाँ लेनी पड़ती है। उनकी याचिका पर 12 जून को सुनवाई होनी है।

मस्जिदों की लाउडस्पीकर से होने वाली शोर का मुद्दा फिर से चर्चा में है। मुंबई में एक पूर्व नौसैनिक ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि पुलिस में करीब 500 बार कंप्लेन करने के बावजूद इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही कारण है कि अब उन्हें अदालत जाना पड़ा है।

75 साल के पूर्व नौसैनिक महेंद्र सप्रे ने बताया है कि उनके घर के सामने बसी झोपड़पट्टी की मस्जिद और मजारों पर लगे लाउडस्पीकरों से आने वाली तेज आवाज से उनकी तबीयत बिगड़ चुकी है। उन्हें दवाइयाँ लेनी पड़ती है। कोर्ट में उनकी याचिका पर 12 जून 2023 को सुनवाई होनी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मामला मुंबई के वडाला क्षेत्र का है। यहाँ की फैकल्टी बिल्डिंग में नौसेना से रिटायर होने के बाद 75 वर्षीय महेंद्र सप्रे अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। उनकी पत्नी भी इंडियन केमिकल्स टेक्नोलॉजी (ICT) में प्रोफेसर हैं। उनकी बिल्डिंग के सामने बंगालीपुरा स्लम एरिया है। पूर्व नौसैनिक का कहना है कि इस स्लम की मस्जिद-मजारों पर 19 से अधिक लाऊडस्पीकर अवैध तरीके से लगाए गए हैं। इन सभी से निकलने वाले शोर से वे बेहद परेशान हैं।

महेंद्र सप्रे के मुताबिक उनके हृदय का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने उनको अधिक आराम और ज्यादा से ज्यादा नींद लेने की सलाह दी है। लेकिन मस्जिदों की माइक से आने वाली तेज आवाज उन्हें सोने नहीं देती। सप्रे ने इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस से कई बार की। लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। आखिरकार उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी पड़ी। सप्रे के वकील प्रेरक चौधरी ने बताया है कि ध्वनि प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उनके क्लाइंट के क्षेत्र में उल्लंघन हो रहा है।

पूर्व नौसैनिक के वकील के मुताबिक उनके क्लाइंट की याचिका किसी मजहब के खिलाफ नहीं है। उन्होंने इस समस्या को इलाके में सभी लोगों की दिक्कत करार दिया है। इस याचिका पर 12 अप्रैल 2023 को हाई कोर्ट ने सुनवाई की थी। अगली सुनवाई के लिए 12 जून की तारीख दी गई है। सप्रे साल 2017 में नौसेना से रिटायर हुए थे। शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि उन्होंने अपनी शिकायत को पीएमओ से ले कर गृहमंत्रालय तक भी ट्विटर पर टैग किया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

गौरतलब है कि 2020 में एक फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना था कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है, क्योंकि यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा था कि अजान इस्लाम का हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं हो सकता। इसके लिए कोर्ट ने तर्क दिया था कि लाउडस्पीकर के आने से पहले मस्जिदों से मानव आवाज में अजान दी जाती थी। मानव आवाज में मस्जिदों से अजान दी जा सकती है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘टुकड़े-टुकड़े कर रामगोपाल मिश्रा के शव को कर देते गायब’: फायरिंग के बीच हिंदू युवक को बचाने जो अब्दुल हमीद की छत पर पहुँचा,...

किशन ने बताया कि जब वो रामगोपाल का शव लेने गए तो सरफराज ने उनपर भी गोली चलाई, अगर वो गोली निशाने पर लगती तो शायद उनका भी शव अब्दुल हमीद के घर में मिलता।

बांग्लादेश को दिए गौरव के कई क्षण, पर अब अपने ही मुल्क नहीं लौट पा रहे शाकिब अल हसन: अंतिम टेस्ट पर भी संशय,...

शाकिब के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर का अंत अब बिना आखिरी टेस्ट खेले ही हो सकता है। उनके देश वापसी को लेकर फिलहाल कोई स्पष्टता नहीं है, और वे दुबई से अमेरिका लौट सकते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -