उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी ढाँचे में मिले शिवलिंग कितना पुराना है, इसका अब खुलासा हो जाएगा। मस्जिद कमिटी इस शिवलिंग को फव्वारा बताता है और कहता है कि इसे मुगलों ने बनवाया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिवलिंग ने कार्बन डेटिंग कराने के लिए कहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग एवं साइंटिफिक सर्वे की माँग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है। याचिका स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) को बिना शिवलिंग को किसी तरह की क्षति पहुँचाए बिना कार्बन डेटिंग कराने का आदेश दिया है।
Gyanvapi mosque matter | Allahabad High Court allows ASI (Archaeological Survey of India) to conduct carbon dating of 'Shivling' found in the premises, without causing any kind of damage to the structure.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 12, 2023
इससे पहले वाराणसी की निचली अदालत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस जगह पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के चलते कार्बन डेटिंग जाँच कराने से इनकार कर दिया था। निचली अदालत के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने वाराणसी की अदालत के आदेश को पलट दिया।
हाईकोर्ट ने भारत सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से पूछा था कि शिवलिंग को नुकसान पहुँचाए बिना कार्बन डेटिंग से जाँच की जा सकती है या नहीं, क्योंकि इससे शिवलिंग की आयु का पता चलेगा। इस पर ASI ने कहा बिना किसी नुकसान के शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जाँच की जा सकती है।
दरअसल, ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान 16 मई 2022 को शिवलिंग मिला था। इस शिवलिंग की ASI से साइंटिफिक सर्वे कराने की माँग को लेकर वाराणसी की जिला अदालत में वाद दाखिल किया गया था। हालाँकि, कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2022 को इसे खारिज कर दिया। इसके बाद इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।