Monday, May 6, 2024
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न फाति​हा-न दुआ, न कोई फूल चढ़ाने आया: 40वें पर अतीक और अशरफ की कब्र को चादर तक न मिली, माफिया बीवी अब भी फरार

प्रयागराज के जिस कसारी-मसारी कब्रिस्तान में माफिया भाइयों को दफनाया गया है, वहाँ सन्नाटा पसरा रहा। पहले कहा जा रहा था कि अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन और अशरफ की बीवी जैनब चालीसवें की रस्म अदायगी के लिए कब्रिस्तान आ सकती हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

कभी माफिया अतीक अहमद प्रयागराज में खौफ का पर्याय था। वह चाहता तो शहर ठहर जाता। वह चाहता तो पीछे-पीछे हुजूम चल पड़ता। लेकिन 40वें पर अतीक और उसके भाई अशरफ की कब्र पर सन्नाटा पसरा रहा। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दोनों की कब्र पर फूल चढ़ाने और चादरपोशी की रिवाज तक निभाने कोई नहीं आया।

इस्लाम में मौत के 40वें दिन की खासी मान्यता है। मृतक के परिजन, रिश्तेदार कब्र पर आकर चादरपोशी करते हैं। फूले चढ़ाते हैं। फातिहा पढ़ते हैं। मृतक के रूह के सुकून के लिए दुआ माँगते हैं। लेकिन खबरों की मानें तो गुरुवार (25 मई 2023) को ऐसा कुछ अतीक और अशरफ की कब्र पर देखने को नहीं मिला। प्रयागराज के जिस कसारी-मसारी कब्रिस्तान में माफिया भाइयों को दफनाया गया है, वहाँ सन्नाटा पसरा रहा।

पहले कहा जा रहा था कि अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन और अशरफ की बीवी जैनब चालीसवें की रस्म अदायगी के लिए कब्रिस्तान आ सकती हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फरवरी में उमेश पाल की हत्या के बाद से ही शाइस्ता फरार है। यूपी पुलिस ने अब उसे भी माफिया घोषित कर दिया है। वह शौहर को दफनाए जाने के दिन भी कब्रिस्तान नहीं आई थी। हालाँकि बाद में कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया था कि वह उस दिन प्रयागराज में ही थी। लेकिन पुलिस के कड़े बंदोबस्त की वजह से कब्रिस्तान नहीं गई।

अतीक के दो बेटे जेल में बंद हैं। दो बेटे सुधार गृह में हैं। उमेश पाल की हत्या में आरोपित बेटा असद पुलिस एनकाउंटर में ढेर हो चुका है। असद के एनकाउंटर के बाद भी शाइस्ता सामने नहीं आई थी। अतीक अहमद के कई अन्य रिश्तेदार भी फरार हैं। माफिया भाइयों को दफनाने के दिन ससुर हारुन और बहनोई उस्मान अहमद कब्रिस्तान आए थे। लेकिन चालीसवें पर वे भी नहीं आए।

गौरतलब है कि अतीक अहमद और अशरफ की शूटरों ने मीडिया के सामने गोली मारकर हत्या कर दी थी। 15 अप्रैल 2023 को माफिया भाइयों को लेकर पुलिस प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल आई थी। यहीं मीडिया से बात कर रहे माफिया भाइयों को गोलियों से भूनकर शूटर्स ने सरेंडर कर दिया था। तीनों शूटर्स भी मीडियाकर्मी ही बनकर आए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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