तुर्किए के पुरातत्वविदों ने इस्तांबुल के सरचने पुरातत्व पार्क में स्थित एक चर्च के पास खुदाई के दौरान ग्रीक देवता पान की 1700 साल पुरानी एक संगमरमर की मूर्ति मिली है। यह ईसाई कालीन एक चर्च की खुदाई के दौरान मिला है। पान को बकरी के सींग, खुर और नग्न धड़ के साथ चित्रित किया गया है
उत्खनन में मिली यह मूर्ति रोमन कालीन है। वहाँ सेंट पॉलीयुक्टस (St. Polyeuctus) स्थित है। अब इसका सिर्फ खंडहर ही बचा है। यह कभी रोमनों कांस्टेंटिनोपल में सबसे बड़ा चर्च था। इसे यरूशलेम में सोलोमन मंदिर के समान बनाया गया था। अब यहाँ इस्तांबुल मेट्रोपॉलिटन नगरपालिका स्थित है।
सन 537 में सम्राट जस्टिनियन द्वारा बनवाए गए नए हागिया सोफिया चर्च से पहले कॉन्स्टेंटिनोपल में चर्च ऑफ सेंट पॉलीयूक्टस सबसे बड़ा चर्च था। बताते चलें कि इन्हीं रोमनों को हराकर कर तुर्किए में ऑटोमन साम्राज्य की नींव रखी गई थी और उस समय की राजधानी कॉन्स्टेंटिनोपल आज का इस्तांबुल है।
हागिया सोफिया विश्व प्रसिद्ध एक चर्च है, जिसे बाइजेंटाइन शासकों ने बनवाया था। इस्तांबुल पर ओटोमेन्स ने 1453 पर कब्जा कर लिया था और इसे 1511 में मस्जिद बना दिया था। हागिया सोफिया को 434 वर्ष तक मस्जिद माना गया। फिर 1945 में तुर्की सरकार ने इसे म्यूजियम बना दिया।
तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने 10 जुलाई 2020 को ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन कैथेड्रल हागिया सोफिया को एक बार फिर से मस्जिद में बदलने की घोषणा की थी। उससे पहले तुर्की के एक अदालत ने यह निर्देश दिया था। एर्दोगन के इस निर्णय पर पोप ने दुख व्यक्त किया था।
संगमरमर की इस मूर्ति का जानकारी उस समय सामने आई है, जब सेंट पॉलीएक्टस चर्च के खंडहर के नीचे मिसे एक सुरंग को फिर से खोल दी गई। इस्तांबुल महानगरपालिका (IBB) इसे एक पुरातात्विक पर्यटक आकर्षण केंद्र के रूप में पुनर्विकास किया है।
यह मूर्ति चर्च के मुख्य भवन के उत्तर-पश्चिम की ओर सतह से लगभग 8.5 फीट (2.6 मीटर) नीचे बैकफिल में मिली थी। संगमरमर की मूर्ति एक फुट (20 सेंटीमीटर) से भी कम लंबी है और बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। उसका केवल सिर, धड़ और एक हाथ बचा है। हालाँकि, इसका अभी भी महत्व है। हालाँकि, अधिकारियों का कहना है कि इसकी जाँच के बाद ही इसकी वास्तविक समय की जानकारी मिल पाएगी।
पान जंगलों, खेतों, चरवाहों और किसानों के प्राचीन यूनानी देवता थे। वह मूल रूप से एक उर्वरता (Fertility) के देवता थे और वे अप्सराओं के साथ गुफ्तगू करते थे जो पेड़ों, धाराओं आदि वाली अन्य विशेषताओं से जुड़ी महिला प्रकृति देवी थीं।