भगवान श्रीराम और हनुमान जी को आपत्तिजनक रूप से प्रदर्शित करने के लिए इलाहाबद उच्च न्यायालय ने ‘आदिपुरुष’ फिल्म के निर्माताओं को खरी-खरी सुनाई है। हाईकोर्ट ने पूछा कि आखिर एक समुदाय की सहिष्णुता के स्तर की बार-बार क्यों परीक्षा ली जा रही है? जजों ने कहा कि अगर कोई सभ्य है तो इसका मतलब है आप उसे दबा कर रखेंगे? क्या ऐसा ही होता है? हाईकोर्ट ने कहा कि ये अच्छा है कि ये एक ऐसे धर्म का मामला है, जिसके अनुयायी किसी प्रकार की सार्वजनिक समस्या पैदा नहीं करते।
जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की बेच ने कहा, “हमने देखा कि कुछ लोग सिनेमा हॉल्स में गए थे जब ये फिल्म दिखाई जा रही थी। उन्होंने सिर्फ हॉल को बंद रखने के लिए ही दबाव बनाया। वो कुछ और भी कर सकते थे। सेंसर बोर्ड को सर्टिफिकेट देने समय ध्यान रखना चाहिए था। अगर हम इस पर भी आँख बंद कर लें क्योंकि ये कहा जाता है कि इस धर्म के लोग बड़े सहिष्णु हैं, तो क्या उसका टेस्ट लिया जाएगा?”
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई 2 जनहित याचिकाओं (PIL) पर सुनवाई करते हुए जजों ने ये टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि जो धार्मिक साहित्य लोगों के लिए संवेदनशील हैं, उन्हें नहीं छुआ जाना चाहिए और उनका अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा कि कुछ धार्मिक ग्रन्थ इतने पवित्र हैं कि लोग उनकी पूजा करते हैं, जैसे कई लोग घर से निकलने से पहले रामचरितमानस की चौपाइयाँ पढ़ते हैं।
जजों ने कहा कि भगवान श्रीराम, माँ सीता और हनुमान जी को ऐसे दिखाया गया जैसे वो कुछ हों ही नहीं। फिल्म में डिस्क्लेमर जोड़े जाने की जानकारी पर अदालत ने पूछा कि क्या ऐसा करने वाले इस देश के युवाओं को बिना दिमाग का समझते हैं? हाईकोर्ट ने कहा कि आप राम, सीता और हनुमान को दिखा कर ये कह रहे हो कि ये रामायण नहीं है? हाईकोर्ट ने कहा कि डायलॉग बदले जाने से कुछ नहीं होगा, दृश्यों का आप क्या करेंगे?
Slamming the makers of the movie Adipurush for portraying religious characters including Lord Rama and Lord Hanuman in an objectionable manner, the Allahabad High Court today observed as to why the tolerance level of a particular religion (referring to Hindus) was being put to… pic.twitter.com/NcT7FxqX1E
— Live Law (@LiveLawIndia) June 27, 2023
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा भारत के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वो इस मामले में संबंधित अथॉरिटी से इंस्ट्रक्शंस लें, उसके बाद देखा जाएगा क्या करना है। साथ ही टिप्पणी की कि अगर फिल्म का प्रदर्शन रुक जाएगा तो जिनकी भावनाएँ आहत हुई हैं उनलोगों को राहत मिलेगी। हाईकोर्ट को बताया गया कि ऐसी चीजें ‘PK (2014)’, ‘मोहल्ला अस्सी (2018)’ और ‘हैदर (2014)’ जैसी फिल्मों में भी किया जा चुका है।