Saturday, December 21, 2024
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बच्चों का यौन शोषण, वर्कप्लेस पर उत्पीड़न… दिल्ली हाई कोर्ट के पत्रों से भी नहीं जागी AAP सरकार: दोस्त की बेटी से बलात्कार करने वाले अधिकारी पर पहले भी कई दाग

'जुवेनाइल जस्टिस कमिटी' ने इस संबंध में DWCD को एक दिन के भीतर कार्रवाई करने और जाँच पूरी होने तक तत्कालीन सुपरिटेंडेंट को ट्रांसफर करने के लिए कहा था। साथ ही ये निर्देश भी दिया था कि उसका ट्रांसफर किसी चिल्ड्रन होम में नहीं किया जाना चाहिए।

दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में बतौर डिप्टी डायरेक्टर कार्यरत प्रेमोदय खाखा पर आरोप लगा है कि उसने अपनी दोस्त की नाबालिग बेटी का 3 महीने तक बलात्कार किया। उसकी पत्नी ने पीड़िता को गर्भपात की गोलियाँ खिलाई। दोनों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बच्ची के पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद उक्त अधिकारी उसे अपने घर पर रखने ले गया था। प्रेमोदय खाखा कट्टर ईसाई है। लगातार पैनिक अटैक की समस्या के कारण पीड़िता अस्पताल में भर्ती है।

अब प्रेमोदय खाखा के बारे में सामने आया है कि उसके खिलाफ 3 अन्य महिलाओं ने भी वर्कप्लेस पर उत्पीड़न की शिकायत दी थी। आरोप है कि उनके ही विभाग ने इस मामले को रफा-दफा कर दिया और उनसे जवाब तक नहीं माँगा। ऑपइंडिया के पास 23 फरवरी, 2019 को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली के WCD विभाग को भेजा गया वो पत्र मौजूद है, जिसमें लिखा गया है कि जवाब माँगे जाने के बावजूद विभाग ने इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से कई पत्र, दिल्ली का WCD सोया रहा

उस समय प्रेमोदय खाखा विभाग के अंतर्गत ही आने वाले ‘ऑब्जरवेशन होम फॉर बॉयज, सेवा कुटीर कॉम्प्लेक्स’ के सुपरिटेंडेंट थे। पत्र में दिल्ली हाई कोर्ट के जॉइंट रजिस्ट्रार ने दिल्ली सरकार के सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी को लिखा है कि बार-बार पत्र भेज कर याद दिलाए जाने के बावजूद कोई उत्तर नहीं दिया गया। ये शिकायत ‘चाइल्ड सर्वाइवर इंडिया’ के अध्यक्ष अनिल कुमार कालिया द्वारा दायर की गई थी।

इसी पत्र में ये भी जानकारी दी गई है कि इसी बीच किंग्सवे कैम्प, सेवा कुटीर कॉम्प्लेक्स में पदस्थापित क्लिनिकल साइक्लॉजिस्ट अभिलाषा द्विवेदी द्वारा जुवेनाइल जस्टिस सेक्रेटेरिएट को शिकायत भेजी गई है। ‘जुवेनाइल जस्टिस कमिटी’ ने इस शिकायत के बाद विभाग से जवाब माँगा था। साथ ही 10 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए भी कहा गया था। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास इस भी इस पत्र की एक प्रति भेजी गई थी।

इतना ही नहीं, ‘बॉयज-II, सेवा कुटीर, किंग्सवे कैम्प’ में 2019-19 के लिए शासकीय और वित्तीय गड़बड़ियों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई गई थी। वेलफेयर ऑफिसर बृजकिशोर पांडेय ने ये शिकायत दर्ज कराई थी और इस संबंध में भी दिल्ली हाईकोर्ट के जॉइंट रजिस्ट्रार ने विभाग से जवाब माँगा था। इस संबंध में 13 मई, 2019 को पत्र भेजा गया था, फिर 26 जुलाई, 2019 को रिमाइंडर लेटर भेजा गया। तीसरा पत्र 27 अगस्त, 2019 को भेजा गया था, जिसे आप नीचे देख सकते हैं:

जहाँ सुपरिटेंडेंट था प्रेमोदय खाखा, वहाँ शासकीय और वित्तीय गड़बड़ियाँ: दिल्ली हाईकोर्ट के जॉइंट सेक्रेटरी का पत्र

अब एक पत्र पर आते हैं, जो 7 मार्च, 2019 को भेजा गया था। इसमें लिखा लिखा गया है कि शिकायतकर्ता अनिल कुमार कालिया द्वारा कोई प्रतिक्रिया न दिए जाने के कारण इस शिकायत को बंद कर दिया गया है। वहीं इसमें ये भी बताया है कि अभिलाषा द्विवेदी की शिकायत ‘ऑब्जरवेशन होम’ में बच्चों के अधिकारों के हनन के संबंध में थी। साथ ही उन्होंने वर्कप्लेस पर उत्पीड़न की शिकायत भी प्रेमोदय खाखा के खिलाफ दर्ज कराई थी। इसी पत्र में बताया गया है कि विजिलेंस डिपार्मेंट के पास कुछ शिकायतें अज्ञात के नाम से भी आई थीं।

इसमें आरोप लगाया गया था कि प्रेमोदय खाखा वर्कप्लेस पर महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं और साथ ही कुछ पीड़िताओं के नाम भी दिए गए थे। 5 मार्च, 2019 को ही दिल्ली हाईकोर्ट के जॉइंट रजिस्ट्रार द्वारा भेजा गया पत्र और भी गंभीर है, जिसमें बॉयज होम में बच्चों के यौन शोषण के आरोप की बात की गई है। ‘सेवा कुटीर’ में बच्चों के यौन उत्पीड़न को लेकर जुवेनाइल जस्टिस कमिटी के पास ये शिकायतें आई थीं। कमिटी ने माना था कि इस मामले पर त्वरित रूप से ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है।

‘जुवेनाइल जस्टिस कमिटी’ ने इस संबंध में DWCD को एक दिन के भीतर कार्रवाई करने और जाँच पूरी होने तक तत्कालीन सुपरिटेंडेंट को ट्रांसफर करने के लिए कहा था। साथ ही ये निर्देश भी दिया था कि उसका ट्रांसफर किसी चिल्ड्रन होम में नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही निर्देश दिया गया था कि उन्हें ऐसी जगह भी ट्रांसफर न किया जाए, जहाँ से वो जाँच को प्रभावित कर सकें। साथ ही 6 मार्च, 2019 तक विभाग को ये रिपोर्ट भी सौंपने के लिए कहा गया था कि अब तक क्या-क्या किया गया है। इस पत्र को आप यहाँ देख सकते हैं:

जहाँ सुपरिटेंडेंट थे प्रेमोदय खाखा, वहाँ बच्चों के यौन उत्पीड़न का लगा आरोप

इसी तरह, 16 मई, 2019 को भेजी गई एक चिट्ठी में भी प्रेमोदय खाखा के खिलाफ फिर से जाँच शुरू करने के लिए कहा गया था। ये पत्र भी दिल्ली हाईकोर्ट के ‘जुवेनाइल जस्टिस सेक्रेटेरिएट’ द्वारा भेजा गया था। साथ ही अब तक जो जाँच हुई उसकी रिपोर्ट माँगी गई थी। ये बताता है कि बार-बार पत्र भेजे जाने के बावजूद विभाग इस मामले को लेकर गंभीर नहीं था। इसे प्रेमोदय खाखा के रसूख का भी पता चलता है। बताया जाता है कि इतनी शिकायतें और FIR होने के बावजूद उसने 2019 में स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के दिन मुखर्जी नगर स्थित ‘सेवा कुटीर’ में जाकर झंडा फहराया।

तो साफ़ है कि प्रेमोदय खाखा एक दागदार अधिकारी हैं और उसके खिलाफ इतनी शिकायतें आने के बावजूद मंत्री ने उसे अपना OSD बताया। आरोप है कि उसे डिप्टी डायरेक्टर बनाए जाने के लिए भी वरिष्ठों की अनदेखी की गई। बाल संरक्षण गृह में बच्चों का यौन शोषण, वर्कप्लेस पर महिलाओं का उत्पीड़न – दोनों ही गंभीर आरोप हैं। फिर भी AAP सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब उस पर बच्ची के बलात्कार का आरोप लगा है। सवाल ये है कि ये मामला तो सामने आ गया, इससे पहले के जो पीड़ित हैं क्या उनकी शिकायतों की फाइलें फिर से खुलेंगी?

दिल्ली में बच्ची का रेप, अधिकारी हुआ गिरफ्तार: जानें मामला

दिल्ली में एक कट्टर ईसाई अधिकारी द्वारा एक बच्ची का बलात्कार करने का मामला सामने आया है। प्रेमोदय खाखा नाम का उक्त अधिकारी, जो मूल रूप से झारखंड का रहने वाला है और जो दिल्ली सरकार की महिला एवं बाल विकास (WCD) विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर काबिज था, उसे अब गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी पत्नी भी गिरफ्तार की गई है, जो पीड़िता को गर्भपात की गोलियाँ खिलाती थी। चर्च के माध्यम से बची का परिवार अधिकारी के परिवार के संपर्क में आया था।

ये भी सामने आया है कि बच्ची आरोपित को मामा कह कर बुलाती थी, क्योंकि उसकी माँ उसे भाई बोलती थी। अधिकारी प्रेमोदय खाखा उसके पिता का दोस्त था। लेकिन, पिता की मृत्यु के कारण वो एकदम गुमसुम सी रहती थी। अक्सर चर्च जाने वाले अधिकारी को माँ ने बेटी को जिम्मेदारी सौंप दी। माँ काम से बाहर रहती थी और फोन पर बात करती थी। जनवरी 2021 में बच्ची वापस माँ के पास आई, लेकिन उसे पैनिक अटैक आने लगे थे। काउंसिलिंग के दौरान उसने डॉक्टरों के सामने रेप-गर्भपात का खुलासा किया।

14 वर्षीय लड़की के पिता की मृत्यु के बाद अधिकारी और उसकी पत्नी उसे लेकर अपने घर आ गए। NCPCR (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अनाथ बच्ची के डिटेल्स ‘स्वराज पोर्टल’ पर अपलोड नहीं किए गए। यानी, दिल्ली सरकार ने इस मामले में गलती की। उन्होंने चर्च का किरदार भी इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध माना है। बलात्कार की ये घटनाएँ नवंबर 2020 से लेकर जनवरी 2021 तक चलीं। पीड़िता अब 17 साल की है और 12वीं की छात्रा है।

सोशल मीडिया से पता चलता है कि प्रेमोदय खाखा कट्टर ईसाई है। एक फेसबुक पोस्ट में उसने लिखा है, “मेरी कोई आशा न होती यदि मैं इस बात से अनजान होता कि किसी ने मेरे सब कर्मों का फल क्रूस पर बलिदान होकर भुगत लिया।” उसने इंट्रो में बाइबिल का एक उद्धरण लगा रखा है। बाइबिल के ‘जॉन’ में 14वें चैप्टर की 21वीं वर्स के इस उद्धरण का मतलब है, “जिसके पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूँगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूँगा।”

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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