सोशल मीडिया पर आए दिन फर्जी खबरों के चक्रव्यूह में इस बार फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन भी फँस गए। वो भी तब, जब कि मुंबई में खतरनाक बारिश जारी है। दरअसल, अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के झाँसे में आ गए। इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि NASA ने बारिश वाले बादल बनाने की मशीन विकसित की है जिसकी मदद से बारिश करवाई जा सकती है।
ट्विटर पर @JayasreeVijayan नाम के एक यूजर ने भारी-भरकम मशीन से निकलते धुएँ का एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “NASA ने बारिश वाले बादल बनाने वाला इंजन विकसित कर लिया है। देखिए, दुनिया कहाँ जा रही है। अद्भुत!” इस ट्वीट में कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर को भी टैग किया गया है। यही ट्वीट बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन की नजरों में आया और उन्होंने इसे रीट्वीट करते हुए इच्छा जताई कि हमें भी ऐसी ही एक बादल बनाने वाली मशीन की जरूरत है।
… can we get one in India .. I mean right now .. RIGHT NOW .. PLEASE !!?????? https://t.co/pTRI8r4VsK
अमिताभ बच्चन से एक कदम आगे जाते हुए कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें ऐसी तकनीक भारत में तो चाहिए ही, साथ ही उन्हें इसरो से भी शिकायत है कि आखिर वो कब ऐसे बारिश करने वाले यंत्रों का आविष्कार करेंगे?
अमेरिका के नैशनल ऐरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने ऐसी कोई मशीन नहीं बनाई जिससे बारिश करने वाले बादल बन सके। यह दावा पूरी तरह से फर्जी है और इस बात का स्पष्टीकरण फ़ोर्ब्स भी दे चुकी है। लेकिन फिर भी यह वीडियो बड़ी मात्रा में भ्रामक तथ्य के साथ बड़ी मात्रा में शेयर किया जा रहा है।
यह आर्टिकल फ़ोर्ब्स पर अप्रैल, 2018 में प्रकाशित किया गया था और इसे मार्शल शेफर्ड ने लिखा था, जो कि NASA में 12 साल तक रिसर्च मौसम विज्ञानी रह चुके हैं। इस आर्टिकल में शेफर्ड ने बताया है कि कैसे रॉकेट की टेस्टिंग से जलवाष्प पैदा होता है – “RS-25 (रॉकेट) से मुख्य रूप से जल वाष्प निकलता है क्योंकि इंजन लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सिजन को जलाता है। ओह….सोचिए जब ये दोनों मिलते हैं तो क्या होता है: आपको H2O मिलेगा (जिसे पानी भी कहा जाता है)। इसलिए तस्वीरों और वीडियो में जो आप बादल देख रहे हैं वह एक सरल वैज्ञानिक प्रक्रिया का हिस्सा है।”
RS-25 इंजन लिक्विड-फ्यूल क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन है। नासा ने इसका इस्तेमाल स्पेस शटल में किया था। अब इसका इस्तेमाल नासा के अगले बड़े रॉकेट द स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) में किया जाएगा।
वायरल हो रहा यह वीडियो 2 अलग-अलग रॉकेट इंजन के परीक्षण के वीडियो को जोड़कर तैयार किया गया है। वीडियो के शुरुआती कुछ सेकंड में RS-25 इंजन के परीक्षण की क्लिप है, जबकि बाकी का वीडियो बीबीसी की टीवी सीरीज “स्पीड” का है। 2001 में प्रसारित हुए इस शो को इंग्लिश ब्रॉडकास्टर जेरेमी क्लार्कसन ने होस्ट किया था। फुटेज में RS-68 इंजन का परीक्षण देखा जा सकता है।
इस प्रकार अमिताभ बच्चन और अन्य लोगों द्वारा शेयर किया जा रहा यह वीडियो फर्जी है और नासा ने ऐसी कोई मशीन तैयार नहीं की है, वायरल वीडियो रॉकेट इंजन के परीक्षण का है।
हालाँकि, क्लाउड-सीडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी मदद से सीमित इलाके में कृत्रिम बारिश करवाई जा सकती है। इसके तहत ड्राई आइस जैसे केमिकल्स का छिड़काव पानी वाले बादलों पर किया जाता है, जिससे बारिश होती है। इस प्रक्रिया ने काफी हद तक सफलता प्राप्त की है, लेकिन बारिश करवाने का यह तरीका काफी महँगा है।
इससे पहले कि आगे की बात की जाए, राजनीति और समाज की परतें उधेड़ी जाए, चंद सवाल आप से- क्या आपको भी डर लग रहा है देश में? क्या आपको लग रहा है कि सत्ता आपके रोजगार छीन रही है? क्या आपको लग रहा है कि उद्योगपतियों को ज़्यादा तरजीह दी जा रही है और आम जनमानस की लगातार उपेक्षा हो रही है? क्या ऐसा लग रहा है कि देश तेजी से ‘हिन्दू राष्ट्र’ की तरफ बढ़ रहा है? क्या आपको भी लग रहा है कि देश में ‘अल्पसंख्यक’ खतरे में हैं? क्या आप भी इस बात से इत्तेफ़ाक़ रखते हैं कि देश में दंगे, आतंकवाद और मॉब लिंचिंग बढ़ी है? क्या आपको लगता है कि देश में अचानक से अपराध के ग्राफ में उछाल आया है?
ऐसे और भी कई प्रश्न किए जा सकते हैं और इनके वास्तविक परिदृश्य को गायब कर मीडिया गिरोह आपको इनका मनगढंत और प्रोपगैंडा आधारित जवाब भी देती रही है। वैसे, ऐसे और भी कई सवालों की बाढ़ अचानक से मीडिया के विशेष गिरोह के द्वारा ‘कठिन सवाल’ के नाम पर पिछले पाँच साल से उठाए और उछाले जा रहे हैं और उनकी यह यात्रा फिलहाल अगले पाँच साल के लिए तो तय हो ही चुकी है। इसके बाद कितनी लम्बी चलेगी इस पर अभी से कुछ कहना कल्पना में लम्बा गोता लगाना होगा, जिससे बचते हुए जो चल रहा है उसी पर फोकस रहते हुए बात आगे बढ़ाता हूँ।
सबसे बड़ी बात इस पूरे वामपंथी और प्रोपेगैंडा प्रधान मीडिया गिरोह को जवाब से तब तक कोई राब्ता नहीं है, जब तक वह उसके अजेंडा को आगे बढ़ाने वाला न हो। सही जवाब, सही तथ्य या देश की सही तस्वीर से इस गिरोह को बदहज़मी है। इसका मुख्य काम, या कहें कि हुक्का-पानी का जुगाड़ फर्ज़ी नैरेटिव बिल्डिंग, काल्पनिक डर, झूठे आँकड़े, और देश में लगातार ‘नफ़रत का माहौल’ बनाने का पूरा सामान मुहैया कराकर ही चल रहा है।
फर्जी ‘नफरत का माहौल’ तैयार करने के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। यहाँ तक कि ये बहुत होशियारी से इतिहास से उन घटनाओं को गोल कर सकते हैं, जो इनके बर्दास्त करने लायक नहीं है या इनके अजेंडा को पलीता लगा सकता है और उन घटनाओं को चस्पा कर सकते हैं जिससे इनका मतलब सधता हो। इसके लिए अगर ‘कुछ भी’ करना पड़ेगा तो यह वामपंथी बुद्धिजीवी और पक्षकार ‘निष्पक्ष’ मीडिया गिरोह पीछे नहीं हटने वाले, फिलहाल, ऊपर के सभी सवालों में फिर से आग लगाने की कोशिश जारी है।
मुद्दे तलाश लिए गए हैं। गिरोह के सदस्य ‘कच्चा माल’ इकठ्ठा करने के लिए स्टूडियों के साथ ही, सड़कों पर भी निकल चुके हैं और इस बार इन्हे ऑक्सीजन मिला है दो मुद्दों से एक झारखण्ड में एक चोर तबरेज़ को भीड़ द्वारा पीटकर मार देने से और दूसरा, हाल ही में ‘तीन तलाक़‘ पर बहस को अपने अंजाम तक पहुँचाने की कवायद को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा आगे बढ़ाने से।
आप आँकड़ों में जाकर देखेंगे तो पता चलता है कि ये समस्याएँ नई नहीं हैं, लेकिन समाधान की तरफ बढ़ने वाला नेतृत्व ज़रूर इस बार दृढ़ है और यही वजह कि ये आज तक इसे ‘हिंदुत्ववादी सरकार’ कहकर गाली देते आए हैं। अब डर इस बात का है कि कहीं उन्हें उन पीड़ित महिलाओं का भी समर्थन न मिल जाए, जिससे इनका पूरा प्रोपेगैंडा मशीनरी और नैरेटिव की जड़ों में मट्ठा पड़ सकता है, इसलिए इनका बिलबिलाना एक बार फिर से चालू हो गया है।
हाल ही में जिस ‘डरा हुआ शांतिप्रिय’ के नैरेटिव को हवा दी जा रही थी, जब उसी समुदाय के पिछड़ेपन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने चर्चा करते हुए कॉन्ग्रेस काल के एक मंत्री के स्टेटमेंट को कोट करते हुए कहा कि ‘कैसे कॉन्ग्रेस चाहती थी कि मुस्लिम गटर में रहें’ इस पर कॉन्ग्रेस से सवाल करने बजाए इसे इस तरह प्रोजेक्ट किया जा रहा कि पूर्ण बहुमत की बीजेपी सरकार अल्पसंख्यकों को ख़त्म कर देना चाहती है, उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बना देना चाहती है, आदि-इत्यादि…..
इसकी पहली कड़ी में बात करें तो प्रोपेगेंडा वेबसाइट “The Wire” की, जिसका मक़सद ही अब सिर्फ पत्रकारिता के नाम पर नफ़रत और सत्ता विरोधी लहर पैदा करना रह गया है, ने देश में अल्पसंख्यकों अर्थात मुस्लिमों, नहीं! नहीं! बल्कि ‘डरा हुआ शांतिप्रिय’ पर वैचारिक समर्थन के लिए पूर्व राजनीतिज्ञ और अब खुद को ‘कुरान का तालिब’ अर्थात विद्यार्थी बताने वाले आरिफ मुहम्मद खान से इंटरव्यू करते हुए उनसे अपने अजेंडे के अनुरूप जवाब पाने की कोशिश में प्रोपेगेंडा मास्टर ‘द वायर’ की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी को बहुत ज़लील होना पड़ा।
जल्दी में, आरिफ़ मुहम्मद खान के परिचय में इतना बता दूँ कि आरिफ साहब ने शाहबानों तीन तलाक़ मामले में राजीव गाँधी द्वारा सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट देने के कारण, उनकी मुख़ालफ़त करते हुए राजीव गाँधी मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था। उनसे जब पत्रकार आरफा ने अपने अजेंडे को आगे बढ़ाते हुए सवाल किया कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार में देश का समुदाय विशेष ‘बेहद डरा हुआ’ है? तो समझने में देर नहीं लगी कि इस पूरे इंटरव्यू का उद्देश्य क्या है। चलिए तेजी से कुछ सवालों और उनके बेहद सुलझे, दृढ़ और तार्किक जवाबों को आपके सामने रखता हूँ फिर आपसे पूछूँगा कि क्या है वाकई देश, हिंदुत्व और देश के वर्त्तमान नेतृत्व की वास्तविक तस्वीर….
आरफ़ा खानम (AK): अपने पहले ही स्पीच में प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कहा कि ‘देश का मुस्लिम गटर में है।’ क्यों एक विशाल जीत हासिल करने के बाद 33 साल के बाद यह कहा गया? जबकि मोदी को बहुत कम या न के बराबर मुस्लिमों का सपोर्ट हासिल है, यहाँ तक कि उनके 303 सांसदों में कोई भी समुदाय विशेष नहीं है तो क्यों वह लगातार मुस्लिमों और कॉन्ग्रेस पर बात कर रहे हैं?
आरिफ़ मोहम्मद खान (AMK): आप दोनों चीज़ों को गलत तरीके से मिला रही हैं, कॉन्ग्रेस या मोदी की विजय दोनों दो चीजें हैं। थम्पिंग मेजोरिटी (बड़ी जीत) इसलिए मिली है कि देश के लोगों ने उन्हें पसंद किया। कॉन्ग्रेस विपक्ष में है इसलिए उस पर बात होगी। सत्ता पक्ष विपक्ष और विपक्ष सत्ता पक्ष को निशाने पर लेगा, यह तो प्रक्रिया का हिस्सा है और यह लगातार चलता रहता है और यह लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है।
AK: उन्हें क्यों इसे बार-बार उठाना पड़ रहा है?
AMK: यह नया नहीं है। यह बेहद सामान्य है लोकतंत्र में यह कभी नहीं रुकना चाहिए। प्रधानमंत्री इस मुद्दे को (तीन तलाक़) खुद लेकर नहीं आए। वह एक पुराने इंटरव्यू के बारे में बात कर रहे हैं जहाँ एक कॉन्ग्रेस के मंत्री (आरिफ़ मुहम्मद खान) ने शाहबानो मामले में अपनी ही सरकार के खिलाफ स्टैंड लिया था। और यहाँ याद दिलाना ज़रूरी है कि कैसे कॉन्ग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण के चक्कर में तीन तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी करने के लिए कानून ले आई। उसे सामान्य मुस्लिमों की चिंता नहीं थी बल्कि उच्च वर्गीय मुस्लिमों को लाभ पहुँचाना था।
AK: शाहबानों पर फैसले को 1986 में उलट दिया गया था और अब मोदी सरकार तीन तलाक़ पर पहला बिल लाने जा रही है। आप अभी भी 1986 में अटके हैं?
AMK: क्या 1986 में जो समस्या थी, सुलझ गई है?
AK: लेकिन परिस्थितियाँ बदल गई हैं।
AMK: आप खुद को ही कंट्राडिक्ट कर रही हैं। आप कह रही हैं कि पहला बिल पेश हो रहा है उस समस्या पर जो शाहबानों मुद्दे को लाइमलाइट में लेकर आया था। शाहबानों को तीन तलाक़ दिया गया था या अयोध्या का मुद्दा ही ले लें, क्या ये मुद्दे सुलझ गए हैं?
AK: मोदी सरकार चाहती है कि हम इन्हीं मुद्दों में उलझे रहें।
AMK: वापस उसी मुद्दे पर आइए, क्या जो समस्या 1986 में उठी थी वह सुलझ गई है। 1986 में जो हुआ वह देश को पुनः 1947 में लेकर चला गया। जो नफ़रत 1947 में बोई गई थी वही, क्या आपको पता है कि 50 के दशक में कितने लोगों की लिंचिंग की गई थी। लाखों लोग मारे गए थे। तारीख भुलाकर आप खुद को धोखा दे रही हैं।
AK: 1947 की राजनीति अलग थी और 2019 की अलग है फिर आप अभी भी कह रहे हैं कि मुस्लिमों को हिंदुत्व की राजनीति से डरना नहीं चाहिए।
AMK: पहले आप मेरे सवाल का जवाब दीजिए। यदि 1986 में पैदा हुई समस्या अभी भी बनी हुई है, जो समस्या पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश में पैदा की थी, वह आज भी प्रासंगिक है। 6 फरवरी को राजीव गाँधी ने मुझसे कहा था कि अयोध्या में ताला खुलने का कोई भी मुस्लिम नेता विरोध नहीं करेगा। मैंने पूछा कैसे तो उन्होंने कहा कि मैंने सभी को ताला खोलने की सूचना दे दी है। (यहाँ आरिफ मोहम्मद में समस्या की जड़ एक गैर अनुभवी प्रधानमंत्री का होना बताया)
AK: 1986 का मुद्दा अब क्यों?
AMK: क्योंकि अभी तक सुलझा नहीं है, UPA 10 साल बीच में भी सत्ता में रही तब भी उसने इस समस्या को क्यों सॉल्व नहीं किया?
AK: क्योंकि कुछ दूसरे मुद्दे थे, कुछ समिति बनाई गई थी। (यहाँ निष्पक्ष पत्रकार खुलकर पक्षकारिता पर उतर गई हैं)
AMK: तो क्या हुआ?
AK: मुद्दों की पहचान की गई। (जैसे कॉन्ग्रेस की प्रवक्ता हों)
AMK: मुद्दे बहुत पहले पहचान लिए गए थे, कृपया लोगों को गुमराह मत कीजिए।
AK: क्या अभी की मोदी सरकार और कॉन्ग्रेस के बीच कोई अंतर नहीं है?
AMK: शाह बानो के बाद, शहाबुद्दीन ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था, जिसके बाद ‘सैटेनिक वर्सेस’ को बैन कर दिया गया। मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि बैन लगाने का क्या उद्देश्य था? बैन लगाया गया लेकिन कोई भी किताब जब्त नहीं की गई बल्कि बैन के बाद 10000 किताबें खान मार्किट में बेची गई। इस किताब को बैन करने के पीछे की मंशा क्या थी? आप क्या इस डुअलिटी से सहमत हैं? पिछले पाँच साल में कोई भी दंगा देश में नहीं हुआ।
AK:जो छोटे-मोटे हुए उनका क्या?
AMK: मैंने कहा कि ये सब नया नहीं है।
AK: लेकिन किसी भी चुनाव से पहले दंगे होते हैं। आपको याद होगा ‘2013 का मुजफ्फरनगर दंगा’ जबकि दूसरी पार्टी (कॉन्ग्रेस) सत्ता में थी। उस समय के ऐसे बहुत से प्रमाण हैं कि बीजेपी के पदाधिकारी और सांसद उसमें शामिल थे, जिन्हें अब प्रमोट कर मंत्री बना दिया गया है।
AMK: किसकी ज़िम्मेदारी थी कि उत्तर प्रदेश में उन दंगों को रोके?
AK: लेकिन,यदि जमीनी स्तर पर देखा जाए तो….
AMK: अमेजिंग, भीड़ में आखिर ये नफ़रत पैदा ही क्यों हुई?
AK: तो आपके कहने का मतलब है कि साम्प्रदायिकता यूँ खुलेआम बढ़नी चाहिए?
AMK: ऐसा आप कह रही हैं?
AMK: 6 महीने पहले ही गुलाम नबी आज़ाद अलीगढ़ के मीटिंग में कह रहे थे कि देश में साम्प्रदायिकता इतनी बढ़ गई है कि जो कैंडिडेट जहाँ 80% तक मुझे बुलाया करते थे उन्होंने अब मुझे बुलाना बंद कर दिया है। क्या वे सभी बीजेपी के कैंडिडेट थे जो उन्हें बुलाते थे? कौन सी पार्टी सांप्रदायिक हो चुकी है?
AK: तो क्या आप इस बात से सहमत हैं कि देश में साम्प्रदायिकता बढ़ रही है?
AMK: हमारा देश सांप्रदायिक नहीं हो रहा है। जो लोग सिर्फ एक ही समुदाय की बात करते रहें और इतने अदूरदर्शी थे कि उन्हें यह भी नहीं पता कि देश इस पर प्रतिक्रिया देगा। जो नारे लग रहे हैं, किसने उन नारों को ईजाद किया?
AK: क्या बहुसंख्यकों की साम्प्रदायिकता अल्पसंख्यकों की साम्प्रदायिकता के प्रति प्रतिक्रिया है?
AMK: अल्पसंख्यक शब्द का प्रयोग मत करिए, मैंने इस शब्द का प्रयोग नहीं किया है और न करूँगा।
AK: मोदी का दूसरा कार्यकाल चल रहा है, इसमें भारत में मुस्लिमों का भविष्य क्या है?
AMK: प्रश्न कि मुस्लिमों का भारत में भविष्य क्या है? जो भविष्य भारत का है वही वहाँ के लोगों का है, जिसमें मुस्लिम भी शामिल हैं।
AK: क्या उनकी पहचान का कोई महत्त्व नहीं है?
AMK: कौन सी पहचान?
AK: यह मुद्दे, उनकी पहचान से जुड़ी है?
AMK: क्या मेरी पहचान यह होनी चाहिए कि मैं अपनी पत्नी को तीन तलाक़ देकर घर से बाहर कर दूँ? क्या यह होनी चाहिए कि क्षमता एक भी पत्नी को संभालने की न हो और आगे बढ़कर तीन और रखनी चाहिए की वकालत करूँ?
AK: लोग अपनी चिंता ज़ाहिर कर रहे हैं कि भारत ‘सेक्युलर राष्ट्र’ से ‘हिन्दू राष्ट्र’ में तब्दील होता जा रहा है। क्या आप सहमत हैं?
AMK: क्या आपने कभी उन देशों का विरोध किया जो इस्लामिक हैं?
AK: भारत के सन्दर्भ में बात कीजिए?
AMK: जब विश्व एक ग्लोबल विलेज है और आप ‘हिन्दू राष्ट्र’ से क्या समझ रही हैं?
AK: जहाँ अल्पसंख्यक, मुस्लिम या ईसाई दूसरे दर्जे के नागरिक हों।
AMK: यह विचार केवल दूसरे धर्मों में है। खासतौर से मुस्लिमों में जहाँ अहमदिया, बरेलवी, देवबंदी, शिया, सुन्नी सब एक दूसरे को दोयम दर्जे का मानते हैं या ख़ारिज करते हैं। हिंदुत्व में दूसरे दर्जे के नागरिक का कोई विचार नहीं है। यहाँ कोई भी ‘धिम्मी’ नहीं होता और किसी को भी ‘जजिया’ के लिए नहीं कहा जाता।
AK: आप ‘हिन्दू सुप्रीमेसी’ से इनकार कर रहे हैं?
AMK: इस देश का सबसे छोटा अल्पसंख्यक पारसी, उनका भी संसद में कोई प्रतिनिधि नहीं है। वह प्रतिनिधित्व के लिए नहीं रो रहे? कितने ईसाई हैं इस देश में?
AK: लेकिन, अब आप इतिहास भूल रहे हैं, कैसे बहुत सारे गरीब लोग मुस्लिम ही हैं……
AMK: कैसे वे लोग इतने गरीब हुए? सर सैयद ने कहा था कि हमें कोई भी गरीब नहीं बना सकता। जब अंग्रेजों ने यहाँ इंग्लिश मीडियम स्कूलों की शुरुआत की तो उसके कुछ साल बाद ही 8000 मौलवी इकट्ठे होकर विरोध को निकल पड़े कि इंग्लिश स्कूल इस्लाम के खिलाफ हैं। तो कौन है आज मुस्लिमों के गरीब होने का ज़िम्मेदार?
AK: लेकिन यह तो 1947 से भी पहले की बात है?
AMK: यह दृष्टिकोण अभी भी जीवित है। मैं देवबंद के बहसों को दिखा सकता हूँ कि किस तरह आज भी वे आधुनिक शिक्षा को हतोत्साहित करते हैं।
AK: आज जिस साम्प्रदायिकता, संकीर्णता की बात कर रहे हैं मैं उससे असहमत नहीं हूँ, यह दोनों समुदायों में है। अंतर इस बात का है कि जो ‘हिंदुत्व की राजनीति’ में विश्वास करते हैं वह सत्ता में हैं।
AMK: आपकी समस्या यह है कि एक पत्रकार होने के नाते आप बार-बार मेरे मुँह में शब्द ठूँसने की कोशिश कर रही हैं।
AK: एक और सवाल, सबसे बड़ी समस्या क्या है देवबंद या नागपुर?
AMK: मेरी लड़ाई खुद के खुदगर्जी से है न कि दूसरों के विरुद्ध, समझने की कोशिश करिए यदि आप समझ सकती हों। आपको याद होगा कि आपने ट्विटर पर लिखा था, “मैं होली खेलूँगी बिस्मिल्लाह करके” याद करिए फिर क्या हुआ था? मैंने सारे कमेंट पढ़े थे। यह इनटॉलेरेंस कहाँ से आ रही है?
AK: मैं सहमत हूँ कि दोनों तरफ संकीर्णता है।
AMK: लेकिन हमेशा हमला दूसरी तरफ ही करुँगी। लेकिन, खुद के अंदर, अपनी कमियों की तरफ नहीं झाँकना है। क्योंकि दूसरों पर उँगली उठाना आसान है।
AK: मैं देख रही हूँ आप लगातार दूसरे तरफ की संकीर्णता और फ़ण्डामेंन्टलिज़्म को इग्नोर कर रहे हैं जिसे सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
AMK: आप लड़िए, मैं तो कहूँगा कि यह वह देश हैं जहाँ साईं बाबा के मंदिर पूरे देश में हैं। साईं बाबा का हर भक्त जानता है उनके माता-पिता मुस्लिम थे। लेकिन लोगों की उनमें आस्था को देखते हुए उन्हें ‘अवतार’ घोषित किया गया, उनकी पूजा होती है। यदि आप इस देश के लिए लाभकारी हैं तो आपको यहाँ एक पायदान ऊपर रखा जाएगा, भगवान की तरह।
इस तरह से अंततः, ‘वायर’ का सारा अजेंडा धरा का धरा रह गया। ‘डरा हुआ शांतिप्रिय और ‘दोयम दर्जे की नागरिकता’ की थ्योरी को इंटरव्यू से मान्यता नहीं मिली। साथ ही प्रोपेगेंडा पत्रकार को खुद यह स्वीकार करना पड़ा कि वो आपके बहुत से विचारों से असहमत है, फिर भी उनके मुँह में लगातार शब्द ठूँसकर सहमति ढूँढने की कोशिश हुई। (क्योंकि उनका जवाब तो गिरोह के अजेंडा को शूट ही नहीं कर रहा था।)
आरिफ मुहम्मद के तेवर और तार्किक जवाबों ने ‘The Wire’ के प्रोपेगेंडा आधारित सवालों को एक साइड कर वह सब उजागर कर दिया जो सत्य है और कहना ज़रूरी भी। क्योंकि इस बार सामने कोई ‘मुस्लिम नेता’ नहीं बल्कि इस देश को प्यार करने वाला, ‘डरा हुआ शांतिप्रिय’ नहीं बल्कि वह था जिसे इस देश की मिट्टी ने, देश की ज्वलंत समस्याओं ने, तत्कालीन अनुभवहीन सत्ता के खिलाफ मुखालफत की ताकत दी।
वह शक्ति और ईमानदारी आज भी कायम है, जिसकी बदौलत डंके की चोट पर वह यह कह सके कि ‘अगर आपको यहाँ डर लग रहा है तो क्या आप पाकिस्तान में रहना चाहेंगी, जहाँ आए-दिन मस्जिद में बम फेंके जा रहे हैं। क्या यमन या सीरिया में….या किसी भी इस्लामिक देश में’…. वायर की पत्रकार को जवाब नहीं सूझा।
कहने का तात्पर्य यह है कि इस देश से ज़्यादा सहिष्णु देश दुनियाँ के मानचित्र में ढूँढना मुश्किल है। इस देश ने कभी भी किसी और का हक़ नहीं छिना। इस देश ने अपने लोगों को बम बाँधकर जेहाद के नाम पर मानवता की हत्या करना नहीं सिखाया। इस देश ने सम्पूर्ण विश्व को न सिर्फ वसुधैव कुटुंबकम का पाठ पढ़ाया बल्कि प्राचीन काल से यही इस देश के निरंतर फलने-फूलने का मन्त्र भी रहा। आज जिसे ‘हिंदुत्व’ या ‘हिन्दू राष्ट्र’ कहकर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है उस हिंदुत्व ने, उस सनातन परम्परा के वाहकों ने कभी अपनी संतानों को ‘दोयम दर्जे’ का नहीं समझा।
माननीय गिरोहों, बंद करिए ना, ये नफ़रत का कारोबार, बंद करिए आपराधिक घटनाओं में भी मुस्लिम एंगल ढूँढ़कर साम्प्रदायिकता का रंग देना। लाल चश्मे को साइड रखकर देखिए यह देश हर रंग से सराबोर था, है और रहेगा। निरंतर विकसित होने का जेनिटिकल कोड इस धरा में इस तरह गुम्फित है कि वह चंद लोगों द्वारा फैलाए गए प्रोपेगेंडा से नष्ट नहीं होने वाला।
आज सोशल मीडिया के दौर में जागरूकता बढ़ी है, लोगों की समझ में भी इजाफा हुआ है। वायर और अन्य प्रोपेगेंडा मशीनरी को यह समझना होगा कि और कितना ज़लील होना चाहते हैं। क्योंकि, यह पहली बार नहीं है जब ऐसी जलालत से सामना हुआ हो। अब भी समय है, यह नफरत और ‘व्यक्ति विशेष’ (मोदी) से घृणा की पत्रकारिता बंद कर, देश के उत्थान के लिए कुछ ज़रूरी मुद्दे उठाइए, जिसमें दम हो, जो जायज हो, सरकार को कंस्ट्रक्टिव सपोर्ट भी दीजिए। बाकि, जनता रेत में सिर गाड़े नहीं खड़ी है। देश के लोगों की सब-पर नज़र है जो उसकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा वह राज करेगा नहीं तो…. आप खुद ही जानती हैं कि इस तरह की पत्रकारिता आपको कहाँ ले जाने वाली है।
हाँ, ऊपर के जो कुछ सवाल रह गए वह आप पर छोड़ता हूँ। अपने आस-पास नज़र रखिए, सरकार के कार्यों पर नज़र रखिए जवाब मिल जाएगा। जवाब तो आपके पास पहले से भी है, बस खुद को टटोलिए, इन वायर, स्क्रॉल, प्रिंट, NDTV आदि-इत्यादि जैसे प्रोपेगेंडा चैनलों और पोर्टलों को नहीं क्योंकि ये पत्रकारिता के नाम पर ख़बर नहीं डर, साम्प्रदायिकता, नफ़रत, घृणा, संकीर्णता… और न जाने क्या-क्या, का ज़हर बेच रहे हैं। निष्पक्ष ‘पक्षकार’ ‘महर्षि’ रवीश कुमार ने शायद इन्हीं के लिए कहा था कि इन्हें देखना-पढ़ना-सुनना बंद कर दीजिए, वह कर चुके हैं और अब कहा जा रहा है कि वह धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं तो अब बारी आपकी है….. चुन लीजिए बीमारी या स्वास्थ्य, नफ़रत या प्रेम, पतन या उन्नति…. चाभी आपके हाथों में है।
गुरुवार को, वेदांता के वरिष्ठ वकील, सी आर्यमा सुंदरम, ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया कि चीनी कंपनियों ने स्टरलाइट के विरोध प्रदर्शन को फंड दिया था जिसके परिणामस्वरूप थिपुकुडी में SIPCOT में अपनी तांबा गलाने की इकाई को बंद कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि ये चीनी कंपनियाँ भारतीय तांबा बाजार (कॉपर मार्केट) पर कब्ज़ा करने में रुचि रखती थीं।
सुंदरम ने तमिलनाडु सरकार द्वारा तूतीकोरिन में अपनी तांबा गलाने की इकाई को बंद करने के आदेश को चुनौती देते हुए ये आरोप लगाए। उन्होंने डिवीज़न बेंच को बताया, “इन कंपनियों ने स्टरलाइट के ख़िलाफ़ आंदोलन और विरोध-प्रदर्शन को बढ़ावा दिया और फंड भी दिया। तांबे के लिए भारत का आयात बिल $ 2 बिलियन है, यह माँग स्टरलाइट द्वारा पहले से की जा रही थी।”
उन्होंने कहा कि स्टरलाइट भारत के तांबे की माँग का लगभग 38% आपूर्ति कर रहा था। संयंत्र को बंद करने के दबाव में, यह माँग विदेशी कंपनियों द्वारा पूरी की गई।
बाद में सुंदरम ने बताया कि SIPCOT औद्योगिक परिसर में 63 कंपनियाँ थीं। इसमें 10 लाल श्रेणी की कंपनियाँ शामिल थीं जो ख़तरनाक सामग्री को संभालने का काम करती थीं।
इसके अलावा सुंदरम ने इस बात पर भी संदेह व्यक्त किया कि स्टरलाइट विरोधी- प्रदर्शनकारियों ने 20,000 लोगों को इकट्ठा करने का प्रबंधन कैसे किया। सुंदरम ने कहा कि 13 लोगों की मौत के बाद प्लांट को सरकार ने बंद कर दिया था। फिर भी, अदालत में अपनी दलीलों में, सरकार ने इसका कारण पर्यावरण प्रदूषण बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई, जो अब तक फायरिंग की जाँच कर रही थी, अब तक कंपनी को जाँच के लिए नहीं बुलाया गया। इसके बावजूद, दंड स्वरूप कंपनी को बंद करने का आदेश दे दिया गया।
कल (27 जून), वेदांता ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया था कि निहित स्वार्थ वाले एनजीओ और कार्यकर्ताओं ने स्टरलाइट विरोधी-प्रदर्शनों का आयोजन किया था। स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शन के कारण पुलिस ने फायरिंग की जिसमें 13 प्रदर्शनकारी मारे गए। इसके चलते मई 2018 में प्लांट बंद हो गया था।
एनजीटी ने साबित किया था कि कंपनी सभी पर्यावरण मानदंडों का पालन कर रही थी और सरकार को इसे फिर से खोलने का निर्देश दिया। हालाँकि, मद्रास उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया और संयंत्र को फिर से खोलने के आदेश को वापस ले लिया।
प्रवर्तन निदेशालय ने कॉन्ग्रेस के विधायक ज़मीर अहमद खान को IMA पोंजी घोटाला मामले में तलब किया है। उस पर आरोप है कि उसने आरोपित मंसूर ख़ान से धन प्राप्त किया है, जो अब गिरफ्तारी के डर से देश छोड़कर भाग गया। दरअसल, सन 2006 में खाड़ी से लौटे मोहम्मद मंसूर खान ने इस्लामिक बैंकिंग और हलाल निवेश के नाम पर एक फर्म बनाई जिसका नाम रखा ‘आई मॉनेटरी एडवाइजरी’ (I Monetary Advisory).
इस्लामिक बैंकिंग के नाम पर मंसूर खान ने अपने समुदाय के लोगों से इस फर्म में निवेश करने को कहा। उसने उन मुस्लिमों को निशाना बनाया जो इस्लामिक कानून के डर से किसी वित्तीय फर्म में निवेश करने से कतराते हैं। निवेश आने पर मंसूर खान ने उस पैसे से ज्वेलरी, रियल एस्टेट, बुलियन ट्रेडिंग, फार्मेसी, प्रकाशन, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में जमकर व्यवसाय किया और धन कमाया। आई मॉनेटरी एडवाइजरी में निवेशकों का 2000 करोड़ रुपया लग चुका है। ED इसी मामले की जाँच कर रही है।
#ShariatPonziScandal | MEGA TIMES NOW IMPACT: ED summons sitting Karnataka Congress Minister in the IMA Ponzi scam. He allegedly received funds from the accused. TIMES NOW had run the story on June 11.
ख़बर के अनुसार, जाँच में नामित अन्य विधायक हैं जिन्हें ED द्वारा भी बुलाया जा सकता है। कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार ने इस साल जनवरी में पूरे IMA पोंजी स्कैम को क्लीन चिट दे दी थी, बावजूद इसके कि यह घोटाला जारी था। प्रारम्भिक जाँच में IMA पोंजी स्कैम में मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के कैबिनेट मंत्रियों के शामिल होने की संभावना का संकेत मिला है। कर्नाटक सरकार के कई मंत्रियों पर इस 5000 करोड़ रुपए के घोटाले के लाभार्थी होने के आरोप हैं। इस घोटाले में 50,000 से अधिक निवेशकों को ठगा गया है जिसमें अधिकांश मुस्लिम हैं। इस महीने की शुरुआत में, IMA ज्वेल्स के 7 निवेशकों को कर्नाटक पुलिस ने गिरफ़्तार किया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने IMA समूह और इसके प्रबंध निदेशक, मोहम्मद मंसूर ख़ान के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई शुरू की है। इस कार्रवाई में 20 अचल सम्पत्तियों और मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत 209 करोड़ रुपए ज़ब्त किए गए।
Enforcement Directorate: ED attaches under Prevention of Money Laundering Act, 20 immovable properties and balances in bank accounts totaling to ₹209 crore of IMA Group, Bengaluru and its Managing Director Mohammed Mansoor Khan, in a Ponzi scheme case. pic.twitter.com/H5sS917AQF
इस मामले में एक मज़ेदार बात सामने आई थी जिसमें मंसूर ख़ान की आवाज़ वाली एक ऑडियो क्लिप घूम रही थी। इस ऑडियो क्लिप में वो कह रहा था कि वो नेताओं और बाबुओं को रिश्वत देते-देते थक गया है, इसलिए वो आत्महत्या करना चाहता है।
इस ऑडियो क्लिप में मंसूर ख़ान ने यह भी दावा किया था कि बेंगलुरू के एक कॉन्ग्रेसी विधायक रोशन बेग ने उसके 400 करोड़ रुपए हड़प लिए हैं। हालाँकि, रोशन बेग ने ऑडियो क्लिप के वास्तविक होने पर सवाल खड़े किए थे। पुलिस भी जाँच में जुटी है कि मंसूर ख़ान ने कहीं सच में तो आत्महत्या नहीं कर ली।
ख़बर के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय अब मंसूर ख़ान के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया में जुट गया है। साथ ही उसके ख़िलाफ़ भगोड़े आर्थिक अपराध अधिनियम के तहत कार्रवाई करने की कोशिश में है। बता दें कि मंसजूर ख़ान ईद के बाद से ही फ़रार है, पुलिस शिद्दत से उसकी तलाश में जुटी हुई है।
Enforcement Directorate (ED) on IMA Jewels case: ED is in the process of issuing Red Corner Notice against absconding accused Mohammad Mansoor Khan and is also examining possibility of invoking of Fugitive Economic Offenders Act. pic.twitter.com/HFT5JOeDFk
कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के दिलारी से खबर आई थी कि वहाँ एक 54 वर्षीय व्यक्ति गंगाराम की मुस्लिम भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी, क्योंकि उसने अपनी बेटी के अपहरण की शिक़ायत पुलिस से की थी। इस मामले में पहले गंगाराम ने अपनी बेटी के अपहरण का आरोप दूसरे समुदाय के पड़ोसी पर लगाया था, लेकिन बाद में पता चला, कि नदीम नाम के व्यक्ति द्वारा बच्ची का अपहरण किया गया है।
हालाँकि यह मामला 19 जून का है लेकिन मामले पर स्वराज्य पत्रिका की सीनियर पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा द्वारा कवर की गई ग्राउंड रिपोर्ट ने कुछ नए खुलासे किए हैं, जो बेहद चौंकाने वाले हैं। शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक लड़की का इस घटना से 2 महीने पहले भी अपहरण हुआ था, जो कि उसके पड़ोसी 25 वर्षीय दानिश द्वारा किया गया था। दानिश बच्ची को घर से 700 किलोमीटर दूर राजस्थान ले गया था।
गंगाराम के बेटे दीपक के मुताबिक उस समय परिवार ने पुलिस की जगह पड़ोस के गाँव पीपली उमरपुर से मदद की गुहार लगाई थी क्योंकि वह लोग अपने गाँव के प्रधान अब्दुल रहमान के पास जाने तक से डर रहे थे। उन्हें डर था कि प्रधान उनकी न सुनकर, आरोपितों की तरफदारी करेंगे। दीपक ने बताया कि उनका गाँव मुस्लिम बहुल गाँव है। जहाँ 100 मुस्लिम परिवारों में सिर्फ़ 2 हिन्दू घर हैं। ऐसे में उनकी सुनवाई होना मुश्किल था।
@ndtv@Nidhi@BDUTT@thewire_in @_sabanaqv @RanaAyyub Is this case worth your tears & breast beating considering the criminal are Muslims. ‘Leave Our Area, You Hindus’ Mob In UP Lynches Father For Filing Police Complaint On His Minor Daughter’s Abduction https://t.co/1MygQdVXti
इस घटना के बाद 18 जून को नाबालिग लड़की फिर घर से गायब हो गई। पिछली घटना के आधार पर गंगाराम ने दानिश को दोषी समझा और समाज की परवाह न करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पहुँचे, जहाँ मामले पर तुरंत एफआईआर दर्ज करने की जगह पुलिस ने गैर-जिम्मेदाराना बर्ताव दिखाया।
इस बीच जैसे ही दानिश के परिवार को शिकायत के बारे में पता चला वह लोग जबरन गंगाराम के घर में घुस आए और उन्हें तब तक मारा जब तक वह होश नहीं गवा बैठे। रिपोर्ट के मुताबिक गंगाराम की पत्नी सविता ने दावा किया कि हमलावरों ने कहा था,“तुम लोग हमारे बीच रहते हो, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे ख़िलाफ़ खड़े होने की।” सविता ने दावा किया कि गंगाराम को मारने के लिए 6 आदमी और 2 महिलाएँ आईं थीं। उनके पास लाठियाँ थी और कसाई वाला चाकू था।
वह लोग उनके घर में गाली देते हुए घुसे और सविता के सिर पर मारा, फिर उन्होंने चौहान को बहुत तेज छाती पर घूँसा मारा और उन्हें कई बार उठा-उठाकर ज़मीन पर पटका। गंगाराम के होश गंवाने तक उन्हें पीटा गया और फिर वे लोग उन्हें छोड़कर चले गए। सविता के अनुसार उनके पति को देखकर ऐसा लग रहा था कि उनकी मृत्यु हो गई है।
“You live among us and yet dare to stand up against us? Leave our area, you Hindus”. Danish’s family lynched Gangaram Singh to death, only for going to police to complain about his minor girl’s kidnapping. Danish had kidnapped her earlier too
वहीं, चौहान के छोटे बेटे दीपक के मुताबिक हमलावर कह रहे थे, “हमारे बीच में रह रहे हो और हमसे ही मुँहजोरी दिखा रहे हो? हिंदुओं यहाँ से भागो।” इस भीड़ में दानिश का पिता सफायत नबी भी शामिल था, जो बार-बार दोहरा रहा था कि वह उनकी बेटी को उनकी आँखों के सामने उठाकर अपने घर ले जाएँगे और वह कुछ नहीं कर पाएँगे।
इतना ही नहीं सविता के अनुसार दानिश की अम्मी अमीना ने जान बूझकर खुद अपना हाथ काटा ताकि वह पुलिस के पास जाकर मामला दर्ज करवा सके कि उन्होंने (गंगाराम के परिवार वालों) उसपर हमला किया है। दीपक के अनुसार हमलावर बार बार गंगाराम से कह रहे थे कि न तू रहेगा न लड़की ढूंढेगा।
रिपोर्ट के अनुसार पड़ोसी गाँव पीपली उमरपुर में रहने वाले चौहान के भाई हरस्वरूप ने बताया कि जैसे ही उन्हें इस हमले की खबर मिली, वह तुरंत अपने भाई के घर पहुँचे और उन्हें स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। स्वास्थ्य केंद्र से उन्हें मुरादाबाद भेजा गया, लेकिन कॉसमॉस अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। परिवार ने जब मामला दर्ज किया तो उनके पास पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट भी नहीं थी।
बता दें इस मामले में पहली एफआईआर हमले की रात ही दर्ज हुई थी। जिसमें दानिश के साथ उसके पिता सफायत नबी, उसके दो भाई मोहसिन, छोटू और 2 कज़न अकरम और इरफान का नाम शामिल था। इस प्राथमिकी में दर्ज था कि 6 लोग चौहान के घर में 8 बजे के करीब घुसे और उनसे मारपीट की, लेकिन उसमें यह नहीें था कि उन लोगों ने चौहान की बेटी को अगवा किया और शिकायत करने पर हमला किया।
इस एफआईआर में धारा 302, 147 और 452 के तहत मामला दर्ज है लेकिन इस प्राथमिकी में किसी महिला आरोपित का नाम नहीं शामिल किया गया और न ही धर्म के नाम पर फैलाई घृणा से जुड़े मामले को जोड़ा गया। इस लापरवाही के कारण दिलारी के एसएचओ दीपक कुमार को सस्पेंड भी कर दिया गया है।
I am glad SSP of Moradabad Amit Pathak conducted an inquiry and suspended SHO Deepak Kumar. He had refused to file FIR on Gangaram’s daughter’s kidnapping.
And just see this statement in the FIR filed after lynching. Yeah, that’s all! pic.twitter.com/M2KKvfkR7L
एसएचओ के निलंबन पर मुरादाबाद जिले के एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि मामले में जिम्मेदारियों को सही ढंग से न निभाने के कारण उन्हें निलंबित किया गया है। जैसे एसएचओ ने परिवार की शिकायत को न रात में दर्ज किया और न ही 19 जून की सुबह, उन्होंने बच्ची को ढूँढने के लिए तत्परता नहीं दिखाई और न ही मामले के ‘हिंदू-मुस्लिम’ एंगल होने की जानकारी अपने सीनियर अधिकारियों को दीं।
एसएसपी के मुताबिक उनकी आगे की जाँच अभी जारी है ताकि 2 महीने पहले हुए अपहरण मामले में दिलारी पुलिस की लापरवाही की जाँच हो सके।
बता दें इस मामले में 21 जून को लड़की का पता लगा लिया गया है। लड़की के चचेरे भाई संदीप ठाकुर का कहना है कि जब वह आश्रय गृह में उससे मिली तो उसने स्वीकारा कि वह नदीम के साथ भाग गई थी, जो कि दानिश का चचेरा भाई था। संदीप ने बताया कि लड़की के मुताबिक यह सब दानिश का प्लान था, लेकिन अपने पिता की हत्या के बाद वह नदीम के साथ नहीं रहना चाहती है और साथ ही उसने पिता के हत्यारों के लिए सख्त से सख्त सजा की भी माँग की।
“Leave our area, you Hindus”, said Safayat Nabi’s family while lynching man for complaining about minor daughter’s kidnappinghttps://t.co/oCt9Cm8zJZ
दिलारी थाना के दरोगा विजेंद्र सिंह राठी ने बताया है कि इस मामले में दानिश सहित चार लोगों पर धारा 363 और 366 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और लड़की की मेडिकल रिपोर्ट आनी भी अभी बाकी है।
इस घटना के बाद चौहान का परिवार हरस्वरूप के घर जाकर रहने लगा है क्योंकि उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर डर है। वह अपना अलियाबाद गाँव स्थित घर बेचने की भी सोच रहे हैं। जिसके लिए उनका कहना है कि उन्हें कोई हिंदू घर नहीं मिलेगा, उन्हें अपने घर को किसी दूसरे मजहब वाले को ही बेचना होगा, जो उनकी जरूरतों को देखते हुए उनकी मदद करे।
बता दें कि पीपली के प्रधान ने चौहान के परिवार को आश्वासन दिया है कि वह उनके गाँव में सुरक्षित है क्योंकि पीपली हिंदुओं का गाँव है, जहाँ उनके समुदाय के लोग उनकी मदद करेंगे। वहीं स्वाति के मुताबिक जब वह आलियाबाद पहुँची तो वहाँ उनसे कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ। मोहम्मद इबरार नाम के शख्स ने सिर्फ़ इतना बताया कि जिस दिन यह घटना हुई उस वक्त वह अपने घर नहीं था।
लोकसभा में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने आज जम्मू कश्मीर से जुड़े कई अहम मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए कॉन्ग्रेस द्वारा की गई कई भूलों का भी जिक्र किया।
गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 अस्थाई तौर पर लगाया गया है और यह स्थाई नहीं है। उन्होंने कहा कि यह शेख अब्दुल्ला साहब की सहमति से हुआ था। साथ ही, शाह ने कहा कि कश्मीर को लेकर मोदी सरकार के एप्रोच में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जो पहले था वह आगे भी रहेगा।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दोनों बिल कश्मीर की भलाई के लिए हैं और इन्हें सदन से पारित कराना चाहिए।लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में काफी अंतर होता है और इस हालात में वहाँ सुरक्षा दे पाना मुमकिन नहीं था, यही वजह रही कि लोकसभा के साथ विधानसभा के चुनाव नहीं कराए गए।
370 पर बात करते हुए अमित शाह ने कहा, “हसनैन जी ने कहा 370 है। लेकिन वो इसके साथ जुड़ा अस्थाई शब्द को भूल जाते हैं। ये टेम्परेरी प्रोविज़न है। 370 हमारे संविधान का अस्थाई मुद्दा है।”
ये याद रखियेगा, जम्मू-कश्मीर में धारा 370 संविधान का अस्थाई है मुद्दा है, गृह मंत्री @AmitShah ने जम्मु-कश्मीर आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि धारा 370 कभी भी स्थाई व्यवस्था नहीं थी। pic.twitter.com/9rrKC0bXcr
— Vikas Bhadauria (ABP News) (@vikasbha) June 28, 2019
अमित शाह ने कहा कि काफी सदस्यों ने जम्मू कश्मीर की सुरक्षा और देश की सुरक्षा पर चिंता जताई है, उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूँ कि मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाकर चल रही है और इस समस्या को जड़ से उखाड़ कर रहेंगे। शाह ने कहा कि हमारी विचारधारा भारत माता के हित में समाहित है इससे ऊपर उठने की जरूरत नहीं है।
गृहमंत्री ने कहा कि 2014 में सरकार बनने के पहले दिन से हमारी सरकार ने जम्मू कश्मीर को प्राथमिकता दी है। सबसे पहले हमने वहाँ सीआरपीएफ ती तैनाती को बढ़ाया ताकि जवानों की कमी कश्मीर में न हो।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने बुलंदशहर के चिंगरावती इलाके में हिंसा भड़काने के 44 आरोपितों पर राजद्रोह लगाने की अनुमति दे दी है। बुलंदशहर के कोतवाली स्याना के गाँव चिंगरावती में गोकशी के बाद हुई हिंसा में एक पुलिसकर्मी सहित दो लोगों की जान जाने चली गई थी।
मामले की जाँच कर रहे अधिकारी राघवेंद्र मिश्रा के अनुसार, उन्हें स्याना हिंसा के 44 आरोपितों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के तहत राजद्रोह लगाने की मंज़ूरी मिल गई है।
उन्होंने बताया, “इस साल 19 फरवरी को, हमने आधिकारिक तौर पर एक अनुरोध भेजा था, जिसमें आरोपितों के ख़िलाफ़ राजद्रोह लगाने के लिए मंज़ूरी माँगी गई थी। आज, हमें मंज़ूरी पत्र मिल गया है और हमने इसे अदालत में पेश कर दिया है।”
पिछले साल 3 दिसंबर को बुलंदशहर में उस वक़्त हिंसा भड़क उठी थी जब बुलंदशहर के चिंगरावती के पास महाव गाँव के एक खेत में गायों के शव पाए गए थे। प्रदर्शनकारी एक थाने के बाहर इकट्ठा हुए थे और दावा किया था कि उन्हें अपने इलाक़े में गायों के शवों मिले हैं।
बार-बार शिक़ायत के बाद भी पुलिस की लापरवाही से नाराज़ होकर वे पुलिस से भिड़ गए थे। इसके चलते विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो गया जहाँ पुलिस निरीक्षक सुबोध सिंह ने ग़लती से 17 वर्षीय लड़के सुमित को गोली मार दी। भीड़ द्वारा गोली मारे जाने के बाद इंस्पेक्टर सिंह की भी मौत हो गई थी।
एक तरफ जहाँ दिल्ली-एनसीआर के लोग पानी की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारियों के ऑफिस के अंदर ताश खेलने और शराब पीने का वीडियो सामने आया है। वीडियो के वायरल होने के बाद जल बोर्ड के 4 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है।
जैसा मुख्यमंत्री; वैसे ही उसके मंत्री और उनसे भी बढ़कर उस सरकार के कर्मचारी!!
दिल्ली जल बोर्ड का हाल तो देखिए – दिल्ली के लोग पानी को क्यों तरस रहे हैं… इस वीडियो को देखकर समझ आ जाएगा
दरअसल, पंजाबी बाग स्थित दिल्ली जल बोर्ड के दफ्तर में 4 कर्मचारी शराब पार्टी करते पाए गए। इनमें से 3 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया, जबकि 1 कर्मचारी, जो कॉन्ट्रैक्ट पर था, उसे नौकरी से हटा दिया गया है। ये चारों कर्मचारी बोर्ड के दफ्तर में बैठ कर शराब पीते हुए ताश खेल रहे थे। वीडियो में एक कर्मचारी सिक्योरिटी गार्ड को दरवाजा बंद करने के लिए भी कह रहा है, ताकि बाहर से उन्हें कोई देख न ले।
इस मामले पर दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया ने कहा कि इस संबंध में आधिकारिक रुप से किसी के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। उन्होंने बताया कि उन्हें ये वीडियो पब्लिक डोमेन से मिला। वीडियो देखने के बाद मामले पर संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई की गई और 4 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया। मोहनिया ने कहा कि वीडियो में दिख रहे 4 लोगों में से 2 चपरासी हैं और बाकी 2 वाटर मीटर रीडर्स हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह की अवांछनीय गतिविधियों के मामलों पर दिल्ली जल बोर्ड की जीरो टॉलरेंस की नीति है।
वीडियो के सामने आने के बाद राजधानी में सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों के रवैये पर सवाल उठने लगे हैं। अकाली दल विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने सीएम केजरीवाल पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, “जैसा मुख्यमंत्री, वैसे ही उसके मंत्री और उनसे भी बढ़कर उस सरकार के कर्मचारी। दिल्ली जल बोर्ड का हाल तो देखिए- दिल्ली के लोग पानी को क्यों तरस रहे हैं…इस वीडियो को देखकर समझ आ जाएगा।”
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने केंद्र सरकार के बजट से कुछ दिन पहले रेलवे में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। पीयूष गोयल ने कहा है कि रेलवे में आने वाले समय में होने वाली भर्ती में 50% पदों पर महिलाओं की भर्ती होगी। गोयल के अनुसार, “रेलवे में 9,000 पदों की कांस्टेबल और सब-कांस्टेबल भर्ती में 50% पदों पर सिर्फ महिलाओं की भर्ती की जाएगी।”
Union Minister of Railways, Piyush Goyal: 50% of over 9,000 vacancies that are coming up for the posts of Constables and Sub-Inspectors in the railways will be for women. (File pic) pic.twitter.com/lqBjnhqunm
रेलवे की आरपीएफ (Railway Protection Force) में मौजूदा समय में महिलाओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है। सरकार ने तय किया है कि आरपीएफ की 9,000 पदों की भर्ती में 50% यानी, 4500 पदों पर महिलाओं की भर्ती होगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार (जून 28, 2019) को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह बातें कहीं।
पीयूष गोयल ने कहा, “मौजूदा समय में आरपीएफ में सिर्फ 2.25% महिलाएँ हैं। इसको ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने महिलाओं की भर्तियों का सुझाव दिया। जिसके परिणामस्वरूप, सरकार आने वाले वक्त में 9,000 पदों पर भर्तियां करने वाली है। इन भर्तियों में हमारा ध्यान महिलाओं की भर्ती पर रहेगी। हम इस बार 4500 महिला कांस्टेबलों की नियुक्ति करने जा रहे हैं। जो कि कुल भर्ती पदों का 50% हिस्सा है।”
पूर्व प्रधानमंत्री और वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता स्वर्गीय पीवी नरसिम्हा राव के पोते एन वी सुभाष ने पूर्व प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ आरोप लगाने के लिए कॉन्ग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और पार्टी की खिंचाई की और गाँधी परिवार से इस अन्याय के लिए माफ़ी की माँग की।
Narasimha Rao sidelined by Congress to keep focus on Gandhis, says grandson, demands apology
नरसिम्हा राव के पोते, एन वी सुभाष, जो अब भाजपा से जुड़े हुए हैं, उन्होंने दावा किया कि कॉन्ग्रेस नेताओं ने आज उनकी जयंती पर पूर्व प्रधानमंत्री को सम्मान नहीं दिया।
सुभाष ने ANI को बताया, “1996 चुनाव में कॉन्ग्रेस की पराजय के बाद, उन्हें (राव) को पार्टी से कई कारणों से दरकिनार कर दिया गया था जिनका उनकी सरकार की नीतियों से कोई लेना-देना नहीं था। कॉन्ग्रेस पार्टी ने सोचा था कि अगर गाँधी-नेहरू परिवार के अलावा कोई आगे बढ़ जाएगा, तो उनकी चमक फ़ीकी पड़ जाएगी, इसलिए राव जी को ही दरकिनार कर दिया गया।”
सुभाष ने आगे कहा, “कॉन्ग्रेस पार्टी की सभी विफलताओं के लिए पीवी नरसिम्हा राव को ज़िम्मेदार ठहराया गया है और उनके योगदानों का श्रेय उन्हें नहीं दिया गया है। मैं माँग करता हूँ कि सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को माफ़ी माँगनी चाहिए, और आकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए।”
एन वी सुभाष 2014 में भाजपा में शामिल हुए थे और वो पार्टी की तेलंगाना इकाई के आधिकारिक प्रवक्ताओं में से एक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस नेहरू-गाँधी परिवार ने ख़ासकर स्वर्गीय पी वी नरसिम्हा राव के अलावा अन्य नेताओं की उपेक्षा की।
नरसिम्हा राव की जयंती पर उनके पोते सुभाष ने कहा, “तेलंगाना के किसी भी कॉन्ग्रेस नेता ने आकर उन्हें (राव)पुष्पांजलि नहीं दी। भाजपा, टीआरएस और टीडीपी सहित सभी ने उनका सम्मान किया, लेकिन कॉन्ग्रेस ने नहीं। इससे पता चलता है कि वे कितने निरंकुश हैं।”
नरसिम्हा राव के योगदान पर सुभाष ने कहा, “कॉन्ग्रेस और राष्ट्र में उनके (नरसिम्हा राव) योगदान को दुनिया भर में सभी ने सराहा है। जब 1991 में राजीव गाँधी की मृत्यु के बाद नरसिम्हा राव ने पदभार संभाला, तो उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की मदद की।” उन्होंने कहा कि उनका योगदान बहुत बड़ा है, जिसे मापा नहीं जा सकता है।
लोकसभा में नरसिम्हा राव के नाम का उल्लेख करने के लिए सुभाष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि लोकसभा में संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नरसिम्हा राव के योगदान और 1991 में लागू की गई आर्थिक नीति की प्रशंसा की थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने नरसिम्हा राव को उनकी 98वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी और अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “श्री पीवी नरसिम्हा राव जी को उनकी जयंती पर याद करते हुए। एक महान विद्वान और अनुभवी प्रशासक, उन्होंने हमारे इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ पर राष्ट्र का नेतृत्व किया। उन्हें अग्रणी कदम उठाने के लिए याद किया जाएगा। हमारे इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ पर उन्होंने राष्ट्र का नेतृत्व किया।”
Remembering Shri PV Narasimha Rao Ji on his birth anniversary. A great scholar and veteran administrator, he led the nation at a crucial juncture of our history. He will be remembered for taking pioneering steps that contributed to national progress.
मंगलवार (25 जून) को मोदी ने कॉन्ग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि पार्टी ने कभी भी राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों के प्रयासों को मान्यता नहीं दी।
पीएम मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के धन्यवाद के अभिभाषण के बाद कहा, “2004 से 2014 तक सत्ता में रहने वालों ने कभी अटल जी के अच्छे काम के बारे में बात की? क्या वे कभी नरसिम्हा राव जी के अच्छे काम के बारे में बोलते हैं? इस लोकसभा बहस में वही लोग मनमोहन सिंह जी की बात भी नहीं करते थे?”
बता दें कि भारत के नौवें प्रधानमंत्री राव ने जून 1991 में पदभार ग्रहण किया और मई 1996 तक सत्ता में रहे। उन्हें देश में विशेष रूप से लाइसेंस राज को ख़त्म करने और कई आर्थिक सुधार करने का श्रेय दिया जाता है। छ: बार सांसद रहे राव ने 2004 में 83 वर्ष की आयु में अंतिम साँस ली।