बाराबंकी के टिकैतनगर में मुहम्मद सलीम नामक व्यक्ति पर आठ साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार का मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस सूत्रों के हवाले से 40 साल का बताया जा रहा आरोपित पीड़ित बच्ची समेत गाँव के बच्चों को बाग़ घुमाने ले गया था। वहाँ से उसने अन्य बच्चों को घर वापिस पहुँचा दिया, और पीड़िता को अपने साथ ले जाकर बलात्कार किया।
बच्चों ने बताया, अपने साथ ले गया है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जब सलीम बच्ची को अन्य बच्चों के साथ अपनी गाड़ी में बाग घुमाने ले जा रहा था तो बच्ची की माँ ने विरोध भी किया था। इस पर सलीम ने वादा किया कि आधे घंटे में बच्चों को वापिस ले आएगा। बाकी बच्चे तो वापिस आ गए लेकिन पीड़िता वापिस नहीं आई। जब उसके पिता ने बाकी बच्चों से पूछा तो उन्होंने बताया कि पीड़िता बच्ची को तो सलीम अपने साथ ले गया है।
लहूलुहान बच्ची पहुँची घर, अस्पताल में भर्ती
रात आठ बजे के आस-पास लहूलुहान बच्ची घर पहुँची और अपनी माँ को बताया कि सलीम ने उसके साथ बलात्कार किया है। बच्ची के पिता ने थाने में आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। तहरीर पर कार्रवाई करते हुए थानाध्यक्ष दुर्गेश मिश्र ने सलीम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बच्ची को भी जिला अस्पताल में भर्ती और उसका मेडिकल कराया गया है। पहले बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था जहाँ महिला चिकित्सक नहीं मिली।
मुंबई के भांडुप इलाक़े में क्रिकेटर राकेश अंबादास पवार की शुक्रवार (7 जून) को सुबह चंदनवाड़ी गाँव की सड़क पर एक पेट्रोल पंप पर तीन अज्ञात व्यक्तियों ने चाकू मारकर हत्या कर दी।
Maharashtra: A local cricketer Rakesh Panwar was stabbed to death by three unknown assailants in Bhandup, Mumbai, last night. Police investigation underway. pic.twitter.com/8C1aoCKgLb
सोशल मीडिया यूजर ने क्रिकेट स्टार की हत्या पर बॉलीवुड, NDTV और The Print के ख़िलाफ़ तीखी प्रतिक्रिया दर्ज करते हुए लिखा कि एक स्थानीय क्रिकेट स्टार राकेश पवार को सोहेल ख़ान (18) और आसिफ़ ख़ान (48) द्वारा सार्वजनिक स्थल पर मार डाला गया। पवार को एक चॉपर जैसे हथियार से बेरहमी से काट दिया गया! हालाँकि मिड-डे की खबर के मुताबिक केवल सोहैल का नाम सामने आया है जिसे उसी चॉल में रहने वाली राधिका की भतीजी ने देखा था। राकेश के भाई रवि को खान भाईयों पर पूरा शक है।
TOI Front Pg News ? Rakesh Pawar, a local cricket star was stabbed to death in Full Public View by Sohail Khan (18yr) & Asif Khan (48). Pawar was brutally hacked with a chopper-like weapon! -happened in Mumbai, any Bollywoodiya will speak? NDTV/Print? https://t.co/r9g6vKs4kC
पुलिस के अनुसार, शुक्रवार की सुबह लगभग 12.30 बजे, राकेश पवार, जो कि युवा खिलाड़ियों के कोच भी हुआ करते थे, एक अज्ञात महिला मित्र के साथ अपनी बाइक पर महावीर पेट्रोल पंप पर गए थे, वहाँ पहले से उनका इंतज़ार कर रहे तीन व्यक्तियों ने उन पर अचानक हमला बोल दिया।
पेट्रोल पंप के कर्मचारियों ने गंभीर अवस्था में घायल पवार को नज़दीकी अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ उन्हें कुछ घंटों के बाद मृत घोषित कर दिया गया। भांडुप पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया किया है और अपराध शाखा इस हत्या मामले की जाँच में जुट गई है।
पुलिस ने इस बात की भी जानकारी दी कि क्रिकेटर की हत्या मामले में उस अज्ञात महिला के भी बयान दर्ज कर रही है जो उसके साथ घटना स्थल पर मौजूद थी। एक अधिकारी ने कहा, “उससे पूछताछ की जा रही है।” पुलिस को शक़ है कि क्रिकेटर की हत्या के लिए पहले से योजना बनाई गई थी। पुलिस पेट्रोल पंप के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
भारतीय जनता पार्टी दूसरी बार प्रचंड जीत हासिल करके सत्ता में वापस आई है। इस जीत के बाद भाजपा महासचिव राम माधव ने शुक्रवार (जून 7, 2019) को त्रिपुरा में पार्टी कार्यक्रम के दौरान एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सत्ता में सबसे ज्यादा समय तक रहने के कॉन्ग्रेस के रिकॉर्ड को तोड़ देगी और 2047 तक सत्ता में बनी रहेगी। बीजेपी नेता ने कहा, “यदि कोई पार्टी सबसे ज्यादा सत्ता में रही है तो वह कॉन्ग्रेस है। कॉन्ग्रेस ने 1950 से 1977 तक देश में शासन किया है। मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि मोदी जी ये रिकॉर्ड तोड़ने जा रहे हैं। 2047 में आजादी के 100वें वर्ष में प्रवेश करने तक बीजेपी सत्ता में काबिज रहेगी।”
Ram Madhav, BJP in Tripura: If there’s any party which has been in power for longest duration, it’s Congress – from 1950 to 1977. I assure you that Modi ji is going to break that record…There will be BJP in power till the time we enter 100th yr of independence in 2047. (07.06) pic.twitter.com/deWi8s8FjB
राम माधव ने कहा कि उनकी पार्टी पिछले 5 वर्षों में सांप्रदायिक अशांति, भ्रष्टाचार को रोकने, आर्थिक स्थिरता लाने और एक मजबूत भारत का निर्माण करने में कामयाब रही, जिसकी वजह से पार्टी को प्रचंड जीत मिली है। उन्होंने कहा कि संसद तक पहुँचने के लिए उनकी पार्टी ने सेना की उपलब्धियों का सहारा नहीं लिया।
Ram Madhav, BJP: Modi ji’s BJP is the present of this country, future will also be Modi ji’s BJP. In 2022, we will make a new India where there will be no homelessness, joblessness will end. In 2047 on the centenary of independence, India will stand as a ‘vishwa guru’ (7.6.19) https://t.co/2mqKwXBsO9
इस दौरान भाजपा महासचिव ने कहा कि पीएम मोदी की भाजपा इस देश का वर्तमान है और भविष्य में भी पीएम मोदी की भाजपा ही होगी। उन्होंने कहा कि पार्टी 2022 में एक नए भारत का निर्माण करेगी, जहाँ न तो कोई बेघर नहीं होगा और न ही कोई बेरोजगार होगा। आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत एक विश्व गुरु के रुप में उभरकर सामने आएगा। इसके साथ ही उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रवाद भाजपा के डीएनए में है, इसी से भाजपा की पहचान है। चाहे चुनाव हो या न हो, भाजपा का मतलब राष्ट्रवाद और राष्ट्रवाद का मतलब भाजपा है।
पत्रकारिता के समुदाय विशेष (मुख्यतः The Hindu और ईसाई फे डिसूज़ा के सम्पादन में चलने वाला Mirror Now) के द्वारा इस्कॉन/गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के एनजीओ ‘अक्षय पात्र फाउंडेशन’ के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार को भारत ने बड़ा तमाचा मारा है। अपने धार्मिक आग्रहों को बच्चों की भोजन जरूरतों की कीमत पर थोपने का आरोप लगाने वाले The Hindu के लेख और फे डिसूज़ा द्वारा इसी मुद्दे पर अक्षय पात्र पर कीचड़ उछालने की कोशिश के बाद लेखक, वैज्ञानिक और स्वराज्य पत्रिका के स्तम्भकार आनंद रंगनाथन की अपील पर 510 लोगों ने 11 घंटे में अक्षय पात्र फाउंडेशन को ₹21 लाख का दान दिया है, कुछ ने तो अपनी पॉकेट मनी तक दान कर दी।
रंगनाथन की अपील, बातें नहीं पैसे से ठोस समर्थन दिखाओ
The Hindu ने दो-चार बच्चों की प्याज-लहसुन के बिना पकाए गए खाने की नापसंदगी को पूरे कर्नाटक के बच्चों द्वारा अक्षय पात्र के मिड डे मील को ख़ारिज करने की कहानी रचते हुए लेख छापा था। इस पर ऑपइंडिया समेत देश के अधिकाँश हिस्सों से तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।
This is a conspiracy against d Akshay Patra Foundation financed by the soul harvesters, because TAPF is a proudly Hindu organisation. TAPF has been providing meals for over 9 crore school children in India and are known for their stringent quality control, taste and hygiene. https://t.co/vYeULDR5oJ
इसके बाद Mirror Now की सम्पादिका फे डिसूज़ा ने भी इस पर The Hindu सरीखा ही प्रोग्राम किया।
Editorial — We cannot use religious philosophy to dictate what these children will or will not eat, simply because they’re poor. @fayedsouzapic.twitter.com/sKWpRpb1ky
इसके बाद आनंद रंगनाथन ने अक्षय पात्र के समर्थकों से अपील की कि केवल जबानी समर्थन देने की बजाय अक्षय पात्र के कार्य के समर्थकों को अपना पैसा अपने समर्थन के रूप में लगाना चाहिए। तभी हिन्दूफ़ोबिक गिरोहों को जवाब मिलेगा।
The ONLY way bigoted, illogical, anti-science, Hinduphobic vested interests can be silenced, is when you put your money where your mouth is.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) June 7, 2019
उनकी इस अपील के बाद समर्थकों ने अक्षय पात्र को भारी मात्रा में दान भेजना शुरू कर दिया। महज़ 11 घंटे के अंतराल में अक्षय पात्र को 510 सोशल मीडिया यूज़र्स ने ₹21 लाख दान कर दिए। जहाँ एक अनाम दानदाता ने ₹2 लाख अकेले दान किए, वहीं पूरी दान राशि का औसत ₹3800 प्रति व्यक्ति के आसपास रहा। स्वराज्य पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार एक व्यक्ति ने तो एक दूसरे व्यक्ति की ओर से भी दान किया, जब उसे पता चला कि वह व्यक्ति अक्षय पात्र फाउंडेशन का समर्थक तो है लेकिन आर्थिक मजबूरी के चलते दान करने में अक्षम है।
Call to arms! What better way to spend money than to feed hungry children an eco-friendly, kind, sustainable, planet-friendly diet. I support #Akshayspatra and their ideology. I will protect them against hate-filled bigots. pic.twitter.com/3N4ojuW2y5
And yes, thanks to @ARanganathan72‘s tweet-plea, I’ve made a small donation. Once again, thank you for what you’ve created @AkshayaPatra Philanthropy married with scale is what India needs
लोगों के इस भारी समर्थन के लिए आंनद रंगनाथन ने उन्हें धन्यवाद करते हुए ट्वीट किया:
Just crossed 510 donations in 11 hours. Average donation size now Rs 3800 excluding the one single donation of Rs 2 lacs. Please keep them coming.
Thank you SO much everyone, but above all, thank YOU @AkshayaPatra. You are an inspiration. And the PRIDE of India.
Good night. TY.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) June 7, 2019
अक्षय पात्र ने हाल ही में अपना 300 करोड़-वाँ मिड डे मील परोसा था। इस उपलक्ष्य में वृंदावन चंद्रोदय मंदिर में उसके कार्यक्रम में उपस्थित हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 20 बच्चों को खाना खिलाया।
गुरुवार (जून 7, 2019) को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के द्वारा भाजपा के विजय जुलूस पर प्रतिबंध लगाए जाने पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शुक्रवार (जून 7, 2019) को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस दौरान उन्होंने ममता बनर्जी की तुलना उत्तर कोरिया के तानाशाह नेता किम जोंग उन से कर दी। गिरिराज सिंह ने कहा कि ममता बनर्जी अपने राजनीतिक विरोधियों का दमन करने के लिए उसी तरह की क्रूरता पर उतर आई हैं, जैसा कि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन करते हैं। उन्होंने कहा कि वो (ममता) किम जोंग उन का किरदार निभा रही हैं, जो भी आवाज उठाता है, उसकी हत्या कर दी जाती है। किसी को ‘विजय यात्रा’ निकालने की अनुमति नहीं मिलती है। जनता उनकी उल्टी गंगा का जुलूस निकाल देगी। उनके श्राद्ध का जुलूस निकाल देगी।
Union Minister Giriraj Singh: She plays the role of Kim Jong Un, that those who raise voices will be killed and no one will be allowed to take out a ‘Vijay Yatra’. Janta unka ulti Ganga ka julus nikaal degi, unke shraadh ka julus nikaal degi. https://t.co/phSAxmTDMo
गिरिराज सिंह ने कहा कि कि ममता बनर्जी जिस तरह से शासन चला रही हैं उसे देखकर ऐसा लगता है कि जैसे उनको संविधान में विश्वास ही नहीं हैं। वो प्रधानमंत्री को भी प्रधानमंत्री नहीं मानती हैं, लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती हैं, वो सिस्टम में नहीं आना चाहतीं। मगर अब लोग विकास चाहते हैं और उनकी (ममता) उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
गौरतलब है कि, इससे पहले ममता बनर्जी ने नीति आयोग को लेकर अपनी नाराजगी प्रकट की थी। उन्होंने 15 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की होने वाली बैठक में शिरकत करने से इनकार करते हुए इसे निरर्थक बताया था और कहा कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है और ना ही आयोग के पास राज्य की योजनाओं को समर्थन देने अधिकार है ऐसे में उनका बैठक में भाग लेना बेकार है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को वर्ल्ड कप के आने वाले मुकाबलों में ‘बलिदान बैज’ लगे हुए ग्लव्स पहनकर खेलने की इजाजत देने से मना कर दिया है। आईसीसी ने कहा कि नियमों के मुताबिक, खिलाड़ी के कपड़ों या उनके खेल के सामनों पर कोई भी व्यक्तिगत संदेश या लोगो लगाने की इजाजत नहीं है। इसके साथ ही ये विकेटकीपर के ग्लव्स पर लागू नियम के भी खिलाफ है। नियम के मुताबिक, विकेट कीपिंग के प्रत्येक दस्ताने पर बनाने वाली कंपनी के दो लोगो लगाने की इजाजत है।
ICC has responded to the BCCI to confirm the logo displayed by MS Dhoni in the previous match (India’s match against South Africa on June 5) is not permitted to be worn on his wicket-keeping gloves at the ICC Men’s Cricket World Cup 2019. pic.twitter.com/lLygzCzr5r
दरअसल, बुधवार (जून 5, 2019) को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में धोनी जो ग्लव्स पहनकर विकेटकीपिंग करने उतरे थे, उस पर भारतीय सेना की स्पेशल फ़ोर्स का ‘बलिदान बैज’ का लोगो लगा था। गुरुवार (जून 6, 2019) को आईसीसी ने इस पर आपत्ति जताते हुए बीसीसीआई से धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स से ‘बलिदान बैज’ को हटाने के लिए कहा था। जिसके बाद शुक्रवार (जून 7, 2019) को बीसीसीआई ने आईसीसी को पत्र लिखकर धोनी को ‘बलिदान बैज’ लगे ग्लव्स पहनकर विकेटकीपिंग करने की इजाजत देने की माँग की थी। मगर आईसीसी ने नियमों का हवाला देते हुए इजाजत देने से इनकार कर दिया है।
Union Minister & former Army Chief Gen VK Singh: By wearing the ‘Balidaan’ insignia over his gloves MS Dhoni has shown his love & respect for the forces. ICC should understand that this is not related to any political/religious/racial activities but it is about our national pride pic.twitter.com/3KI39XSo0H
हालाँकि, इस मामले में धोनी को केंद्रीय मंत्री और खेल जगत का भी साथ मिला। पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने धोनी का समर्थन करते हुए कहा था, “धोनी के दस्ताने पर बलिदान बैज से उनका सुरक्षाबलों के प्रति प्यार और आदर झलकता है। आईसीसी को यह समझना चाहिए कि यह राजनीतिक, धार्मिक और नस्ल से जुड़ा हुआ मामला नहीं है बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का विषय है।”
सरकार खेल निकायों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है, वे स्वायत्त हैं। लेकिन जब मुद्दा देश की भावनाओं से जुड़ा होता है, तो राष्ट्र के हित को ध्यान में रखना होता है। मैं बीसीसीआई से आग्रह करता हूँ की वह महेंद्र सिंह धोनी ग्लव्स मामला में उचित क़दम उठाए।
खेल मंत्री किरण रिजूजू ने ट्वीट करते हुए कहा था कि सरकार खेल निकायों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है, वे स्वायत्त हैं। लेकिन जब मुद्दा देश की भावनाओं से जुड़ा होता है, तो राष्ट्र के हित को ध्यान में रखना होता है। इसके साथ ही उन्होंने बीसीसीआई से इस मामले में उचित कदम उठाने का आग्रह किया था।
वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी धोनी के समर्थन में आए और उन्होंने धोनी की जमकर प्रशंसा करते हुए उन्हें सच्चा देशभक्त बताया। उन्होंने कहा, “धोनी सिर्फ एक क्रिकेटर ही नहीं हैं। वह एक सच्चे राष्ट्रभक्त हैं। वह अन्य हस्तियों की तरह नहीं हैं, जिनका देश के प्रति प्रेम नहीं है। वह एक देशभक्त हैं और अपने देश के गौरव के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
स्वघोषित ‘विरोध की पत्रकारिता’ और किसी खास वर्ग और पार्टी की पक्षकारिता का झंडा बुलंद करने वाले कई स्वनामधन्य मीडिया समूह पिछले एक-दो सालों में चुपचाप अपने सम्पादकों, टेक्निकल स्टाफ़ और ग्रॉउंड रिपोर्टरों, पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखाते रहें। कुछ ने अपने कई एडिशन बंद किए तो कुछ किसी तरह चुनाव तक अपना एजेंडा इस आस में चलाते रहें कि अगर वो अपने मतलब की सरकार बनवाने में कामयाब हो गए तो शायद उनके वही ‘लुटयंस पत्रकारिता’ का सुनहरा दौर लौट आए। पर अफ़सोस! लोकसभा चुनाव-2019 के साथ उनकी रही-सही उम्मीद भी जाती रही।
चुनाव परिणाम के बाद फिर से आनन-फानन में सम्पादकों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। उन्हें संस्थान से त्यागपत्र देने को कहा जा रहा है बिना यह सोचे कि अब वही उनके अजेंडा परोसने वाले संपादक-पत्रकार आखिर जाएँ तो जाएँ कहाँ?
पहले की खबरों पर नज़र दौड़ाएँ तो कई मीडिया संस्थानों में नौकरियों की कटौती की शुरुआत जनवरी 2017 से ही शुरू हो गई थी। इसमें सबसे पहला नाम जो नज़र आता है वह है Hindustan Timesजिसने अपने 4 ब्यूरो बंद करने का निर्णय लिया जिससे सैकड़ों कर्मचारी एक झटके में बेरोजगार हो गए। इसके बाद यह सिलसिला उन तमाम मीडिया समूहों में जारी रहा जिनकी पत्रकारिता का पर्याय ही एक मात्र बीजेपी का विरोध है। सरकार के अच्छे से अच्छे काम में भी खोट निकालना और अपने समर्थक पार्टी की बड़ी से बड़ी गलती को भी छिपा जाना ही इनके लिए पत्रकारिता का स्वर्णिम मानदंड बन चुका था।
बाद के समय में The Telegraph, NDTV, DB Post ने अपने कई सम्पादकों, एंकरों, रिपोर्टरों की नौकरियाँ छीन लीं। इस साल के शुरुआत में भी Buzzfeed, Vice और DNA ने भी अपने कई सम्पादकों, पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। जो बचे रहे उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान विरोध के नाम पर खुलेआम पक्षकारिता और फेक न्यूज़ की बाढ़ लगा दी ताकि किसी भी तरह से अपने सत्ता में घुसपैठ वाली और लगातार डर का माहौल है या एक तरफा खबरों वाली पत्रकारिता को बचाया जा सके लेकिन वह काम नहीं आया। सारे हथकंडे फेल हो गए यहाँ तक कि टीवी न देखने की अपील को भी जनता ने ठुकरा दिया।
30 मई को मोदी के शपथ के दिन जहाँ देश उत्सव के माहौल में डूबा था तो वहीं अगले ही दिन विरोध और नफ़रत की पत्रकारिता को हवा देने वाले एक और संस्थान Scroll.in ने 31 मई को अपने कई सम्पादकों को निकालने की तैयारी कर ली। न्यूज़ लॉन्ड्री के मुताबिक स्क्रॉल ने अपने सम्पादकीय टीम के 16 कर्मचारियों को 3 जून तक त्यागपत्र देने को कहा। हालाँकि इसमें अभी तक बाहर किए जाने वाले पत्रकारों और प्रॉडक्शन, मार्केटिंग टीम के कर्मचारियों की संख्या शामिल नहीं है और न ही स्क्रॉल के हिंदी वेबसाइट सत्याग्रह से कितनों को बाहर किया गया इसकी अभी तक कोई सूचना नहीं है।
वैसे मजाक-मजाक में यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी विरोध के नाम पर झूठ और फेक न्यूज़ परोसने वाले इन पत्रकारों के सामने दोहरा संकट है। एक तो यहाँ से इनकी नौकरी गई, दूसरा CV में यदि उस संस्थान का जिक्र करते हैं तो आगे भी इन्हें कोई मीडिया संस्थान नौकरी नहीं देगा। खबर यह भी है कि Scroll ने कॉस्ट कटिंग के लिए या व्यूअरशिप की संख्या कम होने के कारण Hotstar पर आने वाले अपने एक शो का प्रसारण भी बंद कर दिया है।
स्क्रॉल द्वारा निकाले गए कर्मचारियों के लिए कहा जा रहा है कि राहत की बात यह कि उन्हें जून-जुलाई दो महीने के पेमेंट के साथ विदा किया जाएगा। मीडिया जगत में इतने बड़े पैमाने पर छँटनी का कारण यह बताया जा रहा है कि हालिया आर्थिक स्थिति उन्हें इतना भारी-भरकम स्टॉफ मैनेज करने की इजाजत नहीं दे रहा है। साथ ही, वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अधिकांश इन्वेस्टर ऐसे पोर्टलों और चैनलों में दोबारा पैसा लगाने से कतरा रहे हैं।
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि एकतरफा पत्रकारिता में संलिप्त होने के कारण आने वाला दौर ऐसे पत्रकारों के लिए बहुत कठिन हो गया है क्योंकि उनकी छवि किसी भी हद तक जाकर सरकार का विरोध करने की बन गई है। इसके अलावा उनकी चिंता यह भी है कि अभी आने वाले कई महीनों तक अधिकांश मीडिया समूहों में भर्ती भी बंद है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रोपगैंडा न्यूज़ वेबसाइट ‘द क्विंट’ के संस्थापक राघव बहल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। उन पर विदेश में अघोषित संपत्ति खरीदने के लिए मनी लांड्रिंग का आरोप है।
मीडिया के अनुसार, अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि राघव बहल के खिलाफ आयकर विभाग की शिकायत और आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए ईडी ने इसी हफ्ते की शुरुआत में उनके खिलाफ इंफोर्समेंट केस इंफॉरमेशन रिपोर्ट (ईसीआइआर) दर्ज की है। यह पुलिस की एफआइआर के समकक्ष होती है। उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया गया है। आयकर विभाग ने हाल ही में राघव बहल के खिलाफ मेरठ की अदालत में कालाधन निरोधी कानून के तहत आरोपपत्र दाखिल किया था।
— Abhijit Majumder (@abhijitmajumder) June 7, 2019
ईडी की कार्रवाई की पुष्टि करते हुए राघव बहल ने आरोप लगाया कि सभी करों का ईमानदारी और तत्परतापूर्वक भुगतान करने के बावजूद बिना कोई गलत काम किए उन्हें उनका शिकार किए जाने का एहसास हो रहा है। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और ईडी के प्रमुखों को ईमेल के जरिए पत्र भेजे हैं। उनके संगठन ने यह पत्र पीटीआई के साथ साझा किया है।
"वो लोग बहुत ख़ुशक़िस्मत थे जो इश्क़ को काम समझते थे या काम से आशिक़ी करते थे हम जीते जी मसरूफ़ रहे कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया काम इश्क़ के आड़े आता रहा और इश्क़ से काम उलझता रहा फिर आख़िर तंग आकर हम ने दोनों को अधूरा छोड़ दिया"
मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ये पंक्तियाँ हाल ही में घटी कुछ घटनाओं के बाद खुद ही जुबान पर आ रही हैं। लेकिन इस किस्से को अगर आप भी पढ़ेंगे तो हो सकता है आप कुछ और शायरों को भी गुनगुनाने लगें। ऐसा ही एक किस्सा कुछ दिन पहले तब प्रासंगिक हुआ जब जाने-माने आतंकवादी ज़ाकिर मूसा को सेना ने कुत्ते की मौत मारा था। अपने ‘मिशन’ के दौरान प्रेमरोग के चक्कर में बुरहान वनी और जाकिर मूसा को अपनी जान गँवानी पड़ी, इस तरह प्रेम कहानियाँ ही उन दिलजले आशिक़ों की मौत का जरिया बनीं। अब ऐसा ही एक नया प्रकरण जो सामने आया है वो है, कार चोर शाहरुख़ का।
कुछ दिन पहले ही दिल्ली में नशे की हालत में बेतरतीब तरीके से तेज रफ्तार में कार चलाकर लोगों को टक्कर मारने वाले शख्स कार-चोर शाहरूख़ को पुलिस ने पकड़ लिया है। वह अपनी गर्लफ्रेंड की गलती के कारण पकड़ा गया। दरअसल, ईद के अवसर पर, एक तेज़ रफ़्तार से कार गुज़रने के बाद भड़के नमाजियों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए डीटीसी की बस सहित कई सार्वजनिक संपत्ति को भारी क्षति पहुँचाई थी। इस हादसे में 17 नमाज़ियों के घायल होने की अफ़वाह भी फैलाई गई थी, जो कि पूरी तरह से झूठी थी। घटना के बाद से ही पुलिस कार चालक की तलाश में जुट गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कार-चोर शाहरुख़ पर करीब दो दर्जन आपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं।
ईद के अवसर पर दिल्ली के जगतपुरी इलाके में लोग नमाज पढ़कर लौट रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार होंडा सिटी कार ने कुछ गाड़ियों को टक्कर मारने के बाद खुरंजी गाँव की एक गली में घुस गई। वहाँ भी कई लोग कार की चपेट में आने से बाल-बाल बचे।
गर्लफ्रेंड की वजह से पकड़ा गया ‘आशिक़ शाहरुख़‘
पुलिस ने बताया कि कि कार-चोर शाहरुख अपनी गर्लफ्रेंड के साथ था। मंगलवार (4 जून) को दोनों ने यमुना बाजार इलाके से ड्रग्स खरीदी और नशे की हालत में ही दोनों रानी गार्डन इलाके में कार खड़ी कर के सो गए। इसके बाद दोनों आनंद विहार से होते हुए डासना के पास गंगनहर पहुँचे। वहाँ नहाने के बाद खाना खाया और फिर दिल्ली की तरफ लौटे। वहाँ आनंद विहार के पास कार में सीएनजी खत्म हो गई। दोनों ने कार को वहीं खड़ा किया और एक स्कूटी चुराकर उससे यमुना बाजार पहुँच गए। इसी बीच पुलिस को मुखबिरों ने सूचना दी कि शाहरुख के साथ उसकी प्रेमिका याशिका भी है। इसके बाद पुलिस ने याशिका के मोबाइल को ट्रैक किया और उसके सहारे दोनों तक पहुँच गई। शाहरुख ने अपने सभी नंबर बंद कर रखे थे।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जाहिद नाम के व्यक्ति ने अपने साथी असलम के साथ मिलकर एक 3 साल की बच्ची की निर्मम हत्या कर डाली। बताया जा रहा है कि इस बर्बर हत्या के पीछे का कारण बच्ची के परिवार से हुई एक बहस थी, जो 10,000 रुपए के लोन के कारण हुई थी।
2 जून को बच्ची का शव बरामद करने के बाद अलीगढ़ पुलिस ने जाहिद और उसके दोस्त असलम को गिरफ्तार कर लिया है। बच्ची का अपहरण 31 मई 2019 को किया गया था। और उसी दिन अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) के टप्पल पुलिस थाने में FIR भी दर्ज की गई थी। हालाँकि, पुलिस का पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के आधार पर यह भी कहना है कि रेप की पुष्टि नहीं हो पाई है यहाँ ध्यान रखने वाली बात है कि इसका यह मतलब नहीं है कि रेप हुआ ही नहीं है।
एक तरफ जहाँ आज कुछ संवेदनशील लोग इस घटना से स्तब्ध और आक्रोशित हैं वहीं तमाम वामपंथी इस पर मौन हैं या न्याय के लिए दबे-छुपे स्वरों में अपील तो कर रहे हैं लेकिन साथ ही यह सलाह भी कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि यहाँ आरोपित ज़ाहिद और असलम है और पीड़ित बच्ची हिन्दू, यहाँ कोई नारेबाजी नहीं हो रही और न ही विरोध के स्वर अभी मुखर हुए हैं।
यहाँ तक कि गिरोह के कई सदस्य लीपा-पोती में जुट गए हैं जबकि आरोपित पकड़ में हैं। स्वघोषित फैक्ट-चेकर AltNews ने ज़ाहिद और असलम के अपराधों को धोने-सुखाने के कुछ ज़्यादा तेजी से प्रयास किए और क्लेम कर दिया कि कोई रेप नहीं हुआ है। इसे साबित करने का आधार इन्होनें यह निकाला कि ऐसा उत्तर-प्रदेश पुलिस के कुछ अधिकारियों का कहना है।
“AltNews ने एसएसपी अलीगढ़ का जिक्र करते हुए कहा कि पीड़ित का रेप नहीं हुआ है पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के अनुसार गला घोंटने से उसकी हत्या हुई है। सोशल मीडिया पर जो दावा किया जा रहा है कि उसकी आँखें बाहर आ गई थी और उसकी बाँह उखड़ी हुई थी, भी गलत है। उसके शरीर पर एसिड डाला गया था यह भी गलत है, ऐसा कुछ नहीं हुआ था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पीड़ित के परिवार से भी साझा किया गया है।”
यहाँ गौरतलब है कि ऐसे स्वघोषित एक्टिविस्ट के लिए पुलिस का स्टेटमेंट ही अंतिम सत्य की तरह है क्योंकि यह इनके एजेंडे और नैरेटिव को आगे बढ़ा रहा है। यदि इनके एजेंडे को शूट नहीं कर रहा है तो यह गिरोह कोर्ट के निर्णय को भी मानने से इनकार कर देगा। AltNews के इसी तर्क से सवाल यहाँ यह भी है कि क्या AltNews के संस्थापक इशरत जहाँ के मामले में यह स्वीकार सकते हैं कि वह एक आतंकी थी क्योंकि कई पुलिस वालों ने ऐसा कहा है। हम सब को उनका जवाब पता है।
चलिए, इनके पाखंड से आगे बढ़ते हैं, इस मामले में पर्याप्त सबूत हैं या तो उस बच्ची का रेप हुआ है या नहीं दोनों वैलिड या इनवैलिड साबित हो सकते हैं।
ऑपइंडिया ने इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट को कई डॉक्टरों को दिखाया। उन्होंने बताया कि बच्ची की मौत उसे लगने वाली कई गंभीर चोटों की वजह से हुई है। एक डॉक्टर ने यह भी स्पष्ट किया, “जख्म इतने गहरे और घातक हैं कि उससे शॉक और मौत निश्चित है। शॉक की पुष्टि वेसल्स के कोलैप्स होने से हो जाती है (ऐंटेमार्टम साइन) मृत्यु से पहले बहुत ज़्यादा ब्लड लॉस भी हुआ था।”
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर्स का कहना है, “सबसे महत्पूर्ण बात यहाँ यह है कि उस बच्ची के गर्भाशय और जेनिटल सहित एब्डॉमिनल ऑर्गन भी गायब हैं। जो इस बात का सबूत है कि उसे वीभत्स तरीके से टार्चर किया गया था जिससे उसकी शरीर से अत्यधिक रक्तस्राव हुआ हो और जो उसके ब्लड वेसेल्स के कोलैप्स होने की वजह भी हो। बाकी दूसरे घातक जख्म, जैसे पाँव का घुटने के नीचे से फैक्चर होना और हाथ की एक हड्डी ह्यूमरस का उखड़ जाना, का वर्णन ही बर्बरता की पूरी कहानी कह रहा है। रेप की पुष्टि के लिए हालाँकि वेजाइनल स्वैब जाँच के लिए भेजा गया है लेकिन बॉडी डिकम्पोज होने की वजह से शायद ही इस जाँच के लिए उपयोगी हो। वैसे यहाँ यह जानना ज़रूरी है कि स्वैब का परिणाम नेगेटिव आना सेक्सुअल एक्ट के न होने का सबूत होता है।”
डॉक्टर ने आगे कहा, “उसकी दाहिने भुजा की हड्डी का उखड़ना और बाएँ पाँव का फ्रैक्चर निश्चित रूप से उसके मौत के पहले की घटना है। उसके एब्डॉमिनल अंगों का गायब होना भी उसके साथ हुई बर्बरता का सबूत है।”
एक दूसरे डॉक्टर ने यह भी कहा, “अब ऐसा लग रहा है कि बहुत ज़्यादा शरीर के नष्ट और सड़ जाने से रेप की अब न पुष्टि हो सकती है और न ही उसे ख़ारिज किया जा सकता है। हालाँकि, कंडीशन देखते हुए यह भी कहा कि जिस तरह से आईबॉल ग़ायब है, पाँव टूटा हुआ है, हाथ उखाड़ा हुआ है, सभी एब्डॉमिनल ऑर्गन गायब हैं, ऐसा किसी जानवर के खा जाने की वजह से भी हो सकता है।”
ऐसे जख्म तब भी उभरते हैं जब जानवर अटैक करते या शरीर का क्षरण हो जाता हैं तब। हालाँकि, ऐसा कहना भी पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि बच्ची का शरीर जंगल या ऐसी किसी जगह न मिलकर कथित रूप से एक डंपिंग ग्राउंड के पास पाया गया है।
पोस्टमार्टम में डॉक्टर के कमेंट में यह बात साफ-साफ मेंशन है कि गर्भाशय और दूसरे जेनाइटल ऑर्गन गायब हैं। ऑपइंडिया से बात करते हुए डॉक्टर ने बताया, “जानवर खा गए वाली संभावना को रूल आउट नहीं किया जा सकता है, यह सभी अंग पहले गायब हुए या मृत्यु के बाद में यह पता लगाना बहुत मुश्किल है इसके लिए एडवांस्ड फोरेंसिक परीक्षण की आवश्यकता है।”
हालाँकि, एक डॉक्टर ने जानवर वाली संभावना को बहुत ही क्षीण बताया। उन्होंने कहा, “मैं नहीं समझता कि यह किसी जानवर की हरक़त है क्योंकि जब कोई जानवर हमला करता है तो कटे-फटे या आधा-अधूरा खाए गए मांस के टुकड़े आस-पास मौजूद होते हैं। जानवर के दांतों के निशान भी शरीर पर ज़रूर मौजूद होते। यहाँ तक कि छाती की पसलियों पर भी जानवर द्वारा फाड़े जाने के निशान होते।”
जब यह सवाल किया गया कि कितनी संभावना है अब रेप की पुष्टि के लिए तो डॉक्टर ने कहा, “मेरे हिसाब से अब रेप की पुष्टि और मना करना दोनों मुश्किल है। अब एक संभावना केवल वेजाइनल स्वैब की बचती है अगर वहाँ कोई ह्यूमन फ्लूइड पाया जाता है या उसके ट्रेसेस मिलते हैं तभी इस तरह के सेक्सुअल असॉल्ट पुष्टि हो सकती है।”
इसलिए, अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट की विस्तृत छानबीन, ज़रूरी शारीरिक अंगों का गायब होना, उसकी बाँह का उखड़ा होना और बच्ची का रेप हो भी सकता है और नहीं भी। AltNews के उस तथाकथित ‘फेक न्यूज़ के पर्दाफाश’ वाली रिपोर्ट की धज्जियाँ उड़ा देता है।
AltNews ने यहाँ तक दावा कर दिया था कि Opindia की इस घटना पर पहली रिपोर्ट जिसमें बच्ची के शरीर के क्षत होने और बर्बरता की बात कही गई थी ‘फेक’ है। यहाँ उनका पूरा दावा इस आधार पर था कि आँख बाहर नहीं आई थी। जिसके बारे में हमनें डॉक्टर से बात की जिन्हे हमने पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिखाया था। उन्होंने साफ कहा और यहाँ तक कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी यही कह रही है कि आँखे भी क्षतिग्रस्त थी।
संक्षेप में कहा जाए तो, AltNews ने सीधे-सीधे इनकार कर दिया जबकि उत्तर प्रदेश पुलिस का साफ स्टेटमेंट है “पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ‘अभी तक’ रेप की पुष्टि नहीं हुई है।” यहाँ ‘अभी तक’ जिसकी पूरी तरह अवहेलना करते हुए AltNews के स्वघोषित जज ने फैसला सुना दिया कि रेप हुआ ही नहीं है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के ऊपर जिस तरह की बर्बरता की पुष्टि की गई है, उसकी गंभीरता को भी AltNews ने बेहद हल्का कर हवा में उड़ा देने की कोशिश की।
अरुंधति राय द्वारा वित्तपोषित AltNews के संस्थापक प्रतीक सिन्हा क्या बिलकुल ही दिमाग से पैदल है या पूरी तरह सेंसलेस और संवेदनहीन है कि यदि कोई डेड बॉडी को भी बाहर सड़ने या जानवरों के खाने के लिए फेंक दे तो यह बर्बरता भी उसकी क्रूर और घृणित मानसिकता का स्पष्ट दस्तावेज नहीं कहा जा सकता? यहाँ तक कि ऐसे मामलों में कोर्ट खुद स्वतः संज्ञान लेते हुए ऐसे कार्यों को निर्दयतापूर्ण और रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर अपराध की श्रेणी में रखते हुए कठोर से कठोर सजा का प्रावधान करती है।
लेकिन, स्वघोषित ‘फैक्ट चेकर’ और ‘जज’ AltNews के लिए एक हत्यारे का रोल वहीं ख़त्म हो जाता है जहाँ पीड़ित की मृत्यु हो जाती है। यह न केवल असंवेदनशीलता की चरमावस्था है बल्कि एक जघन्य अपराध की वाइटवाशिंग में सभी सीमाएँ लाँघ दी गई हैं क्योंकि यहाँ अपराधी मुस्लिम है और पीड़ित 3 साल से भी कम उम्र की एक मासूम हिन्दू बच्ची।