Sunday, September 29, 2024
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बंगाल में पोलिंग बूथ पर TMC कार्यकर्ताओं की मनमानी, पास जाकर देख रहे हैं किसको दिया वोट

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के पहले तीन चरणों में मतदान के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई साथ ही धांधली की भी ख़बरें सामने आईं। चौथे चरण के मतदान में भी वही रवैया जारी है। इन हिंसात्मक गतिविधियों में क्रूड बम मिलने के साथ ही भाजपा उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो पर हमला किया जाना भी शामिल है। इसी बीच, पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्दवान क्षेत्र का एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है जिसमें TMC कार्यकर्ताओं को खुलेआम चुनावों में धांधली करते हुए देखा जा सकता है।

DNA द्वारा ट्वीट किया गया यह वीडियो मतदान केंद्र संख्या 104 और 107 पर पूर्वी बर्दवान निर्वाचन क्षेत्र केतुग्राम का है। यह घटना पूर्वी बर्दवान के खाजी हाई स्कूल बूथ में हुई थी। वीडियो में, यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि जब कोई मतदाता EVM मशीन के पास वोट डालने आता है तो वहाँ मौजूद TMC कार्यकर्ता हर बार EVM को घूरता दिखता है।

जबकि नियमानुसार मतदान केंद्र के अंदर मतदाता के साथ जाने वाले किसी को भी यह अनुमति नहीं है कि वो उसके आसपास मौजूद रहे और यह देखने का प्रयास करे कि उस मतदाता ने किसे वोट दिया है। इसीलिए इसे गुप्त मतदान कहा गया है। लेकिन, ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल में गुप्त मतदान के नियम को एक तरफ़ रख दिया गया है और TMC कार्यकर्ता मतदाताओं के साथ खड़े होकर ख़ुद मतदान करवा रहे हैं। ऐसा करने के पीछे यह सुनिश्चित करना है कि वोट TMC के पक्ष में डाला गया कि नहीं।

पीठासीन अधिकारी कथित TMC कार्यकर्ता को मतदाताओं पर निगरानी रखने के लिए मतदान केंद्र के अंदर खड़े होने की अनुमति दे रहा था। ख़बर के मुताबिक़, घटना के सामने आने के बाद पीठासीन अधिकारी को तुरंत हटा दिया गया और चुनाव आयोग द्वारा इस पर एक्शन लिया गया। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के कई अन्य मतदान केंद्रों जैसे रानाघाट, उत्तर पारा बूथ और चकदाहा विधानसभा बूथों में धांधली का आरोप लगाया है।

भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहाँ गिरफ्तार, शांति भंग करने का आरोप

भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी और उनकी पत्नी हसीन जहाँ का विवाद एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। दरअसल, हसीन जहाँ अपनी बेटी के साथ रविवार (अप्रैल 28, 2019) की रात अचानक अपने ससुराल यानी डिडौली थाना इलाके के सहसपुर अलीनगर गाँव पहुँच गई। हसीन के घर में दाखिल होते ही घर पर मौजूद शमी के भाई और माँ से हसीन की नोंक-झोंक हो गई। शमी की माँ ने इसकी शिकायत पुलिस से कर दी। उन्होंने हसीन पर आरोप लगाते हुए कहा कि हसीन जबरदस्ती घर में घुस गई और उन्हें बाहर निकाल दिया गया। जिसके बाद पुलिस ने हसीन जहाँ को शांति भंग होने की आशंका में गिरफ्तार कर लिया और अभी पुलिस ने हसीन जहाँ को जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में रखा है।

पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी के बाद हसीन जहाँ ने यूपी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि मोहम्मद शमी की ऊँची पहुँच और पैसे के कारण उनको यूपी पुलिस द्वारा परेशान किया जा रहा है। उन्हें बिना किसी अपराध के रात के 12 बजे बिस्तर से खींच कर धक्के मार कर लाया गया है और कुछ खाने-पीने को भी नहीं दिया गया है। हसीन जहाँ का कहना है कि वो अपने हक के लिए लड़ रही हैं, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। हसीन ने कहा कि शमी का घर उनका ससुराल है और वो जब चाहे वहाँ आ सकती हैं, इससे उन्हें कोई रोक नहीं सकता। इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी से मदद की गुहार भी लगाई है। बता दें कि, हसीन जहाँ ने शमी समेत उनके परिवार के चार सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। ये मामला फिलहाल कोर्ट में है।

गौरतलब है कि भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी पर उनकी पत्नी हसीन जहाँ ने पिछले साल कई गंभीर आरोप लगाए थे। इनमें गैर-महिलाओं के साथ संबंध और भारतीय टीम के लिए खेलते हुए मैच फिक्सिंग जैसे आरोप शामिल थे। ये विवाद सार्वजनिक हो गया था। इसके बाद बीसीसीआई ने अपने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से शमी का नाम हटा दिया था, मगर बीसीसीआई की एंटी करप्शन यूनिट ने जाँच के बाद मोहम्मद शमी को क्लीनचिट दे दी

वायनाड: शौहर गया था नमाज़ पढ़ने, प्रेमी-प्रेमिका ने बम बाँधकर खुद को उड़ाया

केरल के वायनाड में शुक्रवार (अप्रैल 29, 2019) को एक शख्स ने अपनी कमर पर बम बाँधकर खुद को और अपनी प्रेमिका को बम से उड़ा दिया। इस धमाके में दोनों की मौत हो गई। पूरी घटना को अंजाम देने के लिए देसी बम ‘थोट्टा’ का इस्तेमाल किया गया था।

मृतकों के पहचान 45 साल के बेन्नी और 38 साल की अमला के रूप में हुई है। खबरों के अनुसार दोनों की शादी अलग-अलग जगह हो चुकी है, लेकिन उनके बीच अवैध संबंध था।

शुक्रवार की दोपहर एलवाना नाज़र (अमला का शौहर) जब नमाज पढ़ने गया तो 1:30 बजे बेन्नी अपनी प्रेमिका अमला के घर आया। इस दौरान उसने अपनी शरीर पर बम बाँधा हुआ था। अमला के नजदीक पहुँचते ही बेन्नी ने उसे गले लगाया और ब्लास्ट कर दिया। घटना के दौरान अमला की 5 साल की बेटी भी वहाँ मौजूद थी लेकिन दूर होने के कारण वो सुरक्षित बच गई।

पुलिस का कहना है कि अमला और उसका पति नयकट्टी में सेंटर चलाते थे। जबकि बेन्नी की फर्नीचर की दुकान है। दोनों परिवार एक दूसरे को पिछले 8 साल से जानते थे। घटना की बाद से पुलिस जाँच में जुटी हुई है।

‘पिता ने मवेशियों का चारा खाया ताकि मैं खाना खा सकूँ’: गोल्ड मेडलिस्ट गोमती मारीमुथु

हाल ही में संपन्न हुए एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भारतीय धावक गोमती मारीमुथु ने 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। ESPN की ख़बर के अनुसार, चेन्नई लौटने पर, 30 वर्षीय ने मारीमुथु ने अपने पिता को याद करते हुए उन्हें भावनात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की।

30 वर्षीय मारीमुथु ने स्वर्ण पदक जीतने के लिए दौड़ में 2.02.70 का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, “जब मैं खेल रही थी, उस समय मेरे पिता को पैर की बीमारी थी, और वह चलने में असमर्थ थे। उनके पास एक दोपहिया वाहन (एक TVS XL moped) था, और यह हमारे लिए एक बड़ी बात थी। हमारे पास शहर जाने के लिए बस की अच्छी सुविधा नहीं थी, मेरे शहर में बिजली नहीं थी, और सड़कें भी अच्छी नहीं थीं।”

गोल्ड मेडलिस्ट गोमती मारीमुथु ने ज़िंदगी में विषम परिस्थितियों से जूझकर सफलता की ये सीढ़ियाँ चढ़ी हैं। उनके इस जज़्बे को दुनिया सलाम करती है।


गोल्ड मेडलिस्ट गोमती मारीमुथु

मारीमुथु ने अपने दिवंगत पिता के बलिदानों को याद करते हुए उनके महत्वपूर्ण योगदान के बारे में भी बताया, जिसमें हर सुबह चार बजे जागने से लेकर बीमारी के दौरान उनकी माँ की देखभाल करना तक शामिल है। उन्होंने कहा, “मुझे अपने पिता की याद आती है। चूँकि मैं खेलों में थी और हमारे पास ज़्यादा भोजन नहीं था, उन्होंने उस भोजन में से मेरे लिए पहले ही रख दिया था और ख़ुद उन्होंने मवेशियों का चारा खाया था।” उन्होंने बताया कि वो अपने पिता को भगवान की तरह मानती हैं।

प्रियंका गाँधी के रोड शो में घंटों जाम में फँसने के कारण एंबुलेंस में महिला की मौत

कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने रविवार (अप्रैल 28, 2019) को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रोड शो किया। रोड शो के दौरान सड़क पर लगे जाम की वजह से एक ऐम्बुलेंस घंटों फँसी रही, जिसकी वजह से एक महिला की मौत हो गई। महिला को ऐम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था मगर रोड शो के चलते ऐम्बुलेंस आगे नहीं बढ़ पाई और जब तक जाम हटा, तब तक महिला की जान जा चुकी थी। मृतक महिला के परिजनों का कहना है कि अगर ऐम्बुलेंस समय पर अस्पताल पहुँच जाती, तो महिला की जान बचाई जा सकती थी। प्रियंका गाँधी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के धौरहरा लोकसभा सीट से कॉन्ग्रेस उम्मीदवार जितिन प्रसाद के समर्थन में रोड शो कर रही थीं।

जानकारी के मुताबिक, लखीमपुर जिले के अजीतपुर की रहने वाली 62 वर्षीया रामकली ने रविवार को सीने में तेज दर्द था। रामकली के परिजन ऐम्बुलेंस से उनको सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे थे, मगर प्रियंका के रोड शो की वजह से ऐम्बुलेंस तकरीबन 1 घंटे तक जाम में फँसी रही और जब घंटे भर बाद जाम खुलने पर ऐम्बुलेंस अस्पताल पहुँची, तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। गुस्साए परिजनों ने रोड शो के कारण लगे जाम को महिला की मौत का जिम्मेदार ठहराया।

प्रियंका गाँधी कॉन्ग्रेस को जिताने के लिए काफी जोरों-शोरों से चुनावी प्रचार में जुटी हुई है। इसी कड़ी में उन्होंने उत्तर प्रदेश में रोड शो किया था। इस दौरान उन्होंने भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि विकास सिर्फ भाजपा के प्रचार में ही दिख रहा है वास्तविकता इससे बहुत दूर है। उन्होंने पीएम मोदी को प्रचार मंत्री बताते हुए कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में पिछले 5 सालों में केवल 15 किलोमीटर की एक सड़क लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे से वाराणसी शहर के लिए बनी, इसके अलावा कोई सड़क ही नहीं बनी है। मगर उनका ये दावा बिल्कुल झूठा निकला। आउटलुक की एक रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण सड़कों के लोकार्पण की खबर है, जिनकी कुल लंबाई 34 किलोमीटर है।

आसनसोल में ग्रामीणों ने किया मतदान का बहिष्कार, TMC के गुंडों ने तोड़ी बाबुल की कार

मतदान के चौथे चरण में 9 राज्यों की 72 लोकसभा सीटों पर आज (अप्रैल 29,2019) मतदान हो रहा है। इसमें बंगाल की 8 सीटें भी हैं, जिसमें आसनसोल की सीट भी शामिल है। टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक वहाँ के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार करने का फैसला कर लिया है।

खबरों के मुताबिक आसनसोल के 5 मतदान केंद्रो पर सीआरपीएफ की तैनाती नहीं हुई है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कह दिया है कि यदि वहाँ सीआरपीएफ की तैनाती नहीं होती है तो वह मतदान करने नहीं जाएँगे। ये खबर दुर्गापुर के जेमुआ गाँव की है, जो आसनसोल संसदीय क्षेत्र में आता है। बंगाल में बीते मतदान चरणों में हुई हिंसा की खबरों को सुनने के बाद गाँव वालों ने यह फैसला लिया है।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के आसनसोल और बीरभूम में वोटिंग के दौरान सीआरपीएफ की तैनाती की माँग विपक्षी पार्टियों द्वारा भी की गई थी, जिसके मद्देनज़र चुनाव आयोग ने तय किया था कि 100 सीआरपीएफ जवानों को सभी मतदान केंद्रों पर तैनात किया जाएगा। लेकिन बावजूद इसके कुछ मतदान केंद्रो पर सीआरपीएफ नहीं मौजूद थी। इसलिए जनता ने तय किया कि जब तक वहाँ सीआरपीएफ जवान नहीं मौजूद होंगे, वे लोग वोट नहीं डालेंगे।

बता दें कि जनता की नाराज़गी के चलते आसनसोल से सांसद और बीजेपी उम्मीदवार बाबुल सुप्रीयो को पोलिंग बूथ पर विरोध का सामना भी करना पड़ा। टीएमसी के समर्थकों ने बाबुल का जमकर विरोध किया। उनकी कार को तोड़ा गया है जिसका आरोप वह टीएमसी के गुंडो पर लगा रहे हैं।

जब तुर्की में कमाल पाशा ने बुर्के पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपनाया था नायाब तरीका

हाल ही में जिस वायनाड का नाम खूब चर्चा में रहा वो मोपला नरसंहार का भी क्षेत्र था। दुनिया से आखरी इस्लामिक खलीफा (ऑट्टोमन सल्तनत) के ख़त्म होने के दौर में हुए इन नरसंहारों में काफिरों और धिम्मियों पर अनगिनत पैशाचिक ज़ुल्म ढाए गए थे। जेहादियों को बूटों तले कुचलने के बाद जब फिरंगी हुक्मरानों ने मुक़दमे चलाए, तो अमानवीय अत्याचारों की कई कहानियाँ बाहर आईं। ये नरसंहार अरब के ऑट्टोमन खलीफाओं की हुकूमत फिर से लागू करने के लिए वहाँ से मीलों दूर, भारत के सुदूर दक्षिण में क्यों हुआ? किसी अरबी मुल्क की सल्तनत से भारत के दक्षिण के इस इलाके को क्या फायदा होता या फर्क पड़ता? ये सभी वो अजीब सवाल हैं, जिनके पूछे जाने पर ‘शेखुलर’ जज़्बात आपा के आहत हो जाने का खतरा रहता है।

ऑट्टोमन सल्तनत आखिरी इस्लामिक खलीफा की सल्तनत थी जो पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की ओर से लड़कर हारी थी। हो सकता है आपने कभी ‘तीन मूर्ती’ भवन का नाम सुना हो। इस मकान में कभी जवाहरलाल नेहरु का आवास भी रहा था। इसके ठीक सामने जो तीन मूर्तियाँ बनी हैं, उन्हीं के नाम पर इस भवन का नाम पड़ा है। हीरो ऑफ़ हाइफा कहलाने वाले मेजर दलपत सिंह शेखावत हाइफा के मोर्चे पर थे। उनकी कमान में जोधपुर स्टेट की टुकड़ी थी और उनका साथ देने के लिए वहां हैदराबाद स्टेट और मैसूर स्टेट के सिपाही भी थे। जोधपुर, हैदराबाद और मैसूर स्टेट को दर्शाने के लिए ही हाइफा के विजेताओं की ये तीन मूर्तियाँ इस भवन के सामने हैं। हाइफा क्या है, या कहाँ है, जैसा कुछ सूझ रहा हो तो बता दें कि ये इजराइल के सबसे बड़े शहरों में से एक है। इसकी आजादी में भारतीय सैनिकों के योगदान की वजह से ही इजरायल के प्रधानमंत्री भारत आने पर तीन मूर्ती देखने जाते हैं।

अब वापस ऑट्टोमन सल्तनत पर चलें तो ये बूढ़े बीमार हुक्मरान अपनी सल्तनत बचाने की कोशिशों में जुटे थे। इनके पास आर्थिक स्रोत ख़त्म हो चले थे और छोटे मोटे कबीले यहाँ विद्रोह करना शुरू कर चुके थे। जब भारत में इनके समर्थन में खून-खराबा करने की तैयारी हो रही थी तब ये लोग जर्मनी से जा मिले। इनके दो जहाज जो जर्मन नियंत्रण में थे, जिन्होंने रूस के एक बंदरगाह पर हमला कर दिया और भारी तबाही मचाई। अगस्त 1921 में जब भारत के जेहादी, अरब के खलीफा के समर्थन में कत्लेआम कर रहे थे, तभी कमाल पाशा ‘गाज़ी’ की उपाधि के साथ, ऑट्टोमन की सत्ता के खिलाफ लड़ रहे थे। सं 1922 के नवम्बर से लेकर 1923 की जुलाई तक चली वार्ताओं में तुर्की एक अलग देश बन गया। तभी से 29 अक्टूबर को तुर्की का गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।

खलीफा के खिलाफ लड़ने की वजह से 1924 में ही कमाल पाशा को शेख सईद का जिहाद झेलना पड़ा था। सन 1926 आते आते कमाल पाशा ने तुर्की से इस्लामिक शरियत को हटाकर कानून का शासन लागू कर दिया था। ऐसे कानूनों की वजह से उत्तराधिकार और तलाक जैसे मामलों में औरतों को भी मर्दों के बराबर अधिकार मिल गए। मूर्तियों पर पाबन्दी वाले इस इलाके में 1927 में उन्होंने ‘म्यूजियम ऑफ़ स्कल्पचर’ बनवा दिया। अरबी अक्षर इस्तेमाल करने के बदले 1 नवम्बर 1928 को उन्होंने तुर्की वर्णमाला भी लागू कर दी और इसके साथ ही तुर्की ज़ुबान को अरबी में लिखना बंद करवा दिया। सन 1935 के चुनावों में तुर्की की संसद में 18 महिलाएँ चुनकर आईं। उस दौर में ब्रिटिश हाउस ऑफ़ कॉमन्स में 9 और यूएस हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स में 6 महिलाऐं थीं।

उनका बुर्के पर प्रतिबन्ध का तरीका बड़ा रोचक था। जब कबीलाई मानसिकता के लोग बुर्के को छोड़ने को तैयार नहीं हो रहे थे तो उन्होंने वेश्याओं के लिए बुर्का अनिवार्य कर दिया। एक नियम से महिलाओं का बुर्का पहनना अपने आप बंद हो गया! बाकी बुर्के से याद आया कि पड़ोसी देश श्रीलंका ने भी बुर्के को प्रतिबंधित किया है। हमें उम्मीद है कमाल पाशा जैसा कोई कमाल का तरीका तो इस्तेमाल नहीं ही किया होगा?

श्री लंका में बुर्क़ा समेत हर तरह का नक़ाब पहनने पर लगा प्रतिबंध, राष्ट्रपति ने लिया फैसला

21 अप्रैल को श्री लंका में हुए हमले के बाद वहाँ की सरकार ने हर तरह के नकाब पहनने पर बैन लगा दिया है, जिससे चेहरा ढका जाता है। श्री लंका सरकार का यह आदेश आज (अप्रैल 29, 2019) से लागू होगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार श्री लंका के राष्ट्रपति ने संविधान द्वारा दिए गए आपातकालीन अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ये फैसला लिया है। श्री लंका के राष्ट्रपति ने लिखा, “ऐसे कपड़े पहनना जो चेहरे को पूरी तरह से ढकते हों, सोमवार से उनपर प्रतिबंध लगा दिया गया है।”

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले श्रीलंका की संसद में सुरक्षा के लिहाज से बुर्के पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इस दौरान सांसद आशु मरसिंघे ने कहा था कि ‘बुर्का’ मुस्लिमों का पारंपरिक परिधान नहीं है। साथ ही वहाँ के एसीजेयू (ऑल सिलॉन जमियाथुल अलामा) के मौलवी संगठनों ने भी एक आदेश जारी करते हुए बुर्का या चेहरा ढकने वाले किसी भी परिधान का इस्तेमाल न करने की बात की थी।

राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखने हुए श्री लंका सरकार ने यह कड़ा फैसला लिया है। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि वहाँ के राष्ट्रपति ऐसा करने की अनुमति नहीं देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राष्ट्रपति के फैसले के साथ ही श्री लंका उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने आतंकी हमले को रोकने के लिए ऐसे कदम उठाए। श्री लंका के अलावा कैमरून, मोरक्को, चाड, ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, गाबोन, फ्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क और उत्तर पश्चिम चीन के मुस्लिम बहुल प्रांत शिनजियांग में बुर्का पहनने पर प्रतिबंध है।

ईस्टर के मौक़े पर हुए हमले के बाद कल रविवार (अप्रैल 28, 2019) को श्री लंका के किसी भी चर्च में कोई भीड़ इकट्ठा नहीं हुई। लोगों ने अपने घरों में रहकर ईसा मसीह से प्रार्थना की क्योंकि पूरे देश में कर्फ्यू लगा हुआ है। पुलिस टीम और सेना का जाँच अभियान के तहत हमले में शामिल सभी आरोपितों की धरपकड़ जारी है।

गूँगे-बहरे दलित को राष्ट्रपति बनाती है BJP: ‘सबसे बड़े’ दलित नेता उदित राज ने किया राष्ट्रपति पद का अपमान

अपने आप को देश का सबसे बड़ा दलित नेता बताने वाले उदित राज ने भाजपा पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पद का अपमान किया है। नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से 2014 में बीजेपी के टिकट पर जीते उदित राज ने ट्वीट कर ख़ुद को ‘बोलने वाला’ दलित नेता बताया और कहा कि भाजपा को दलितों से नफ़रत है और वो ‘बोलने वाले’ दलित की जगह सीट हारना पसंद करेंगे। बता दें कि हाल ही में उदित राज का टिकट काटकर नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से प्रसिद्ध पंजाबी सूफी गायक हंस राज हंस को टिकट दे दिया गया था। हंस राज हंस दलित वाल्मीकि समुदाय से आते हैं। इससे बिफरे उदित राज ने भाजपा छोड़कर कॉन्ग्रेस ज्वाइन कर लिया था। उदित राज टिकट की घोषणा में हुई देरी के बाद से ही पार्टी को धमकाने लगे थे। लगातार विवादित बयानों के कारण पार्टी ने उनसे किनारा कर लिया।

उदित राज के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा ने उनसे पूछा कि क्या उनका दर्द अभी तक गया नहीं है? बता दें कि तेजिंदर बग्गा और उदित राज कई दिनों ने ट्विटर पर उलझे हुए हैं और हाल ही में तेजिंदर बग्गा ने कहा था कि उदित राज उन्हें मैसेज भेजकर उनके ट्वीट को रीट्वीट करने का निवेदन करते थे। कॉन्ग्रेस में शामिल होने के बाद लगातार भाजपा पर हमले कर रहे उदित राज को लेकर पार्टी पहले ही असहज थी और टिकट की घोषणा में हुई देरी ने भाजपा का काम आसान कर दिया। बाद में शत्रुघ्न सिन्हा की तरह टिकट कटने के बाद उन्होंने स्वतः पार्टी छोड़ दी और राहुल गाँधी से जा मिले।

हालाँकि, जब तक नॉर्थ वेस्ट दिल्ली का भाजपा द्वारा टिकट का ऐलान नहीं हुआ था, तब तक वो चुप भी रह सकते थे और इन्तजार कर सकते थे लेकिन बड़बोले उदित राज ने सीधा अमित शाह और नरेंद्र मोदी को घेरना शुरू कर दिया। उनका टिकट काटकर पार्टी ने साफ़ सन्देश दे दिया है कि भाजपा में रहकर पार्टी की विचारधारा के ख़िलाफ़ बार-बार बोलने वालों के लिए, यहाँ कोई जगह नहीं है। पिछले 5 वर्षों में कई मौकों पर उदित राज ने या तो अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा या फिर कुछ ऐसा बयान दिया, जिससे पार्टी की फजीहत हुई और कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा हुआ। यहाँ तक कि उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक के बयानों पर सार्वजनिक रूप से पलटवार किया।

नॉर्थ वेस्ट दिल्ली में आम आदमी पार्टी की तरफ से गुगन सिंह प्रत्याशी हैं। कॉन्ग्रेस ने राजेश लिलोठिया पर भरोसा जताया है। आम आदमी पार्टी से गठबंधन के विरोधी रहे लिलोठिया दिल्ली कॉन्ग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। गुगन सिंह 2017 में भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। जालंधर से ताल्लुक रखने वाले हंस राज हंस ने 2016 के अंत में भाजपा जॉइन की थी।

कुमारस्वामी ने पत्रकारों से कहा: मैं आपका बहिष्कार कर रहा हूँ, बेटे को मीडिया द्वारा भाव नहीं देने से हैं नाराज़

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने रविवार (अप्रैल 28, 2019) को मीडिया पर भड़क गए। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने मीडिया का ‘बहिष्कार’ करने की धमकी भी दे डाली। दरअसल मामला यह है कि वह मांड्या लोकसभा चुनाव के कवरेज को लेकर मीडिया से कुछ ज़्यादा ही नाराज हैं जहाँ से उनके बेटे निखिल गौड़ा उम्मीदवार हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुमारस्वामी ने कॉन्ग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल से मुकालात करने के बाद संवाददाताओं से कहा, “मैं आपका बहिष्कार कर रहा हूँ।” मीडिया से भड़के स्वामी ने कहा, “आप अपनी स्टोरी के लिए जो चाहते हैं वह करिए, जाइए करिए, जाइए आनंद लीजिए।”

बता दें कि नाराजगी की बड़ी वजह उनके बेटे को मीडिया का उतना अटेंशन नहीं मिलना है। मांड्या लोकसभा सीट से उनके बेटे निखिल गौड़ा को जद(एस) की टिकट पर निर्दलीय उम्मीदवार एवं बहुभाषी अभिनेत्री सुमालता अंबरीश के खिलाफ उतारा गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस सीट पर मुकाबले को बेहद दिलचस्प माना जा रहा है।

इस सीट की चुनावी दौड़ में कुमारस्वामी ने कई बार मीडिया पर हमला बोल उस पर सुमालता का समर्थन करने का आरोप लगाया है।

खैर, यह पहला मौका नहीं है जब मुख्यमंत्री ने मीडिया के बहिष्कार की बात कही है। इससे पहले पिछले साल नवंबर में भी कुमारस्वामी ने कहा था कि वह प्रेस से “किसी भी कारण” से बात नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा था कि वह मीडिया को जो वह मंच से बोलते हैं बस वही दिखाने तक सीमित कर देंगे। लेकिन थोड़ी ही देर में उनकी प्रतिज्ञा हवा हो गई थी।