Tuesday, October 1, 2024
Home Blog Page 5298

जंगल के बीच गाय को कंधे पर उठाकर इस ‘बाहुबली’ ने कैसे पेश की मिसाल, क्या है कहानी!

गाय को माँ का स्थान देकर पूजने वालों के बीच उत्तराखंड का ये नौजवान सोशल मीडिया पर एक प्रेरणा बन गया है। कुछ लोग उन्हें सुपर हीरो कह रहे हैं तो कुछ लोग ‘बाहुबली’ कह कर इस ‘गोभक्त’ की तारीफ कर रहे हैं।

28-30 साल का युवा, कंधे पर गाय लादे हुए, तस्वीर सोशल मीडिया… अचानक से देशभर में चर्चा का विषय बन गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर में घने जंगल के बीच इस युवा को गाय को कंधे पर ले जाते हुए देखा जा सकता है। शेयर की जा रही इस तस्वीर के अनुसार बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के एक घने जंगल मे ये गाय भटक गई थी और पानी न मिलने के कारण चलने में असमर्थ हो चुकी थी। गाय को जंगल में ऐसे हालात में देखकर उत्तराखंड के इस नौजवान ने उसे अपने कंधे पर उठाया और काफी दूर पैदल चल कर इसे पानी के स्रोत तक पहुँचा कर गाय की जान बचाई।

गाय की मदद करने वाला ये युवा लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है

इन दिनों सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों को खूब शेयर किया जा रहा है। हालाँकि, इस युवा की जानकारी अज्ञात ही है, लेकिन उसकी टी-शर्ट पर ‘वर्ल्ड हेल्प’ लिखा हुआ जरूर देखा जा सकता है। कुछ लोगों के अनुसार इसे चमोली जिले का बताया जा रहा है, तो किसी के अनुसार उत्तरकाशी जिले का। इस युवा की पहचान चाहे जो भी हो, लेकिन यह तस्वीरें सुकून देने वाली जरूर हैं।

घने जंगल के बीच युवक के चेहरे की प्रसन्नता बता रही है कि इन्हें कहते हैं ‘सच्चे गोभक्त’
सुस्ताती हुई गाय

अक्सर उत्तराखंड में गाय चारे और घास की खोज में अपने झुण्ड से बिछड़ कर घने जंगल में खो जाती है और रास्ता भटक जाने की वजह से पानी के स्रोतों से दूर हो जाती है। इसके बाद बहुत संभावना होती है कि उसे कोई जंगली जानवर अपना शिकार बना दे। शायद यही सोचकर इस युवा ने गाय की मदद की और जैसा कि हम देख सकते हैं, एक तस्वीर में गाय पानी पीने के बाद सुस्ता रही है। गाय को अपने कंधे पर उठाकर ले जाना आसान काम नहीं है, शायद दिलेरी के ऐसे ही उदाहरणों की वजह से गढ़वाल में ‘वीर भड़‘ की उपाधियाँ प्रचलित हैं।

माँ-बाप व भाई को प्रताड़ित करने वाले, IT छापे से परेशान लैंड माफिया ने BJP नेता पर फेंका जूता

भाजपा नेता व राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव पर जूता फेंकने का मामला सामने आया है। ये घटना एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हुई। भाजपा कार्यालय में ये अपने-आप में पहली ऐसी घटना है। ये घटना हुई तब हुई जब नरसिम्हा राव, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की उम्मीदवारी को लेकर पत्रकारों से बात कर रहे थे। जीवीएल ने घटना के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को नहीं रोका और पत्रकारों से बात करते रहे। भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव की मौजूदगी में हुई इस घटना को राव ने कॉन्ग्रेसी मानसिकता का परिचय करार दिया। हालाँकि, जूता फेंकने वाला व्यक्ति शक्ति भार्गव को लोगों ने धर लिया और उसे बाहर ले गए। ख़ुद को व्हिसल ब्लोअर बताने वाला भार्गव, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को टिकट दिए जाने से नाराज़ बताया जा रहा है।

भार्गव ने दावा किया कि उसने अपनी फेसबुक पोस्ट में ‘लाल इमली मिल्स’ के कर्मचरियों और पीएसयू कर्मचारियों की आत्महत्या का मामला उठाया था। इसके लिए उसने सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया था। लेकिन हिंदुस्तान में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, शक्ति भार्गव आयकर विभाग की रडार पर है। कई संदेहास्पद ख़रीददारियों के लिए आयकर विभाग की नज़रों में चढ़ा भार्गव अपने ठिकानों पर सरकारी एजेंसी की छापेमारी से परेशान बताया जा रहा है। डॉक्टर शक्ति भार्गव कानपुर के भार्गव अस्पताल का मालिक है और शहर के नामचीन डॉक्टरों में से एक गिना जाता है। बीआईसी बंगले की ख़रीद-फ़रोख़्त में उसने कई गड़बड़ियाँ की है।

इन बंगलों को लेकर उसके घर में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। हाईकोर्ट में उनके ख़िलाफ़ याचिका दायर की गई है और ये याचिका ख़ुद उसके माता-पिता ने दायर की है। शक्ति भार्गव के माता-पिता ने बहू-बेटे पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। शक्ति पर आरोप है कि उसने बीआईसी बंगलों को माँ डॉ. दया भार्गव के नाम पर ख़रीदा और फिर उन्‍हें एक कंपनी बनाकर ट्रांसफर करा लिया। बाद में उसने अपने माँ व भाई को ही अलग कर दिया। अभी छह महीने पहले उसके पिता वेद प्रकाश भार्गव का निधन हो गया था।

2018 में आयकर विभाग ने डॉक्टर भार्गव के कई ठिकानों पर छापा मारा था। उसका रियल एस्टेट का भी बड़ा कारोबार है। डॉ. शक्ति भार्गव ने स्काई लाइन निर्माण प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में करीब आठ करोड़ रुपए का निवेश किया था लेकिन वह आयकर विभाग को इस रक़म का स्रोत बताने में नाकाम रहा। भार्गव ने 500 करोड़ रुपए के बीआईसी के तीन बेशकीमती बंगले 11.5 करोड़ रुपए में ख़रीदे। उनके माँ-बाप ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शक्ति व उसकी पत्नी शिखा भार्गव पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट ने डीएम को आदेश देकर बेटे-बहू को घर से निकाल कर वृद्ध दम्पति को राहत देने की बात कही थी।

भार्गव ने माँ के नाम पर हॉस्पिटल ख़रीद कर बाद में अपने माँ व भाई को ही उसकी हिस्सेदारी से निकाल बाहर किया था। लोगों का कहना है कि वह पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से परेशान चल रहा था। मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार उसे लैंड माफिया भी बताया जा रहा है। लेकिन उसकी जीवीएल नरसिम्हा राव से क्या दुश्मनी थी, इस बारे में कुछ पता नहीं चल सका है।

बस को रोका, यात्रियों को एक-एक कर उतारा और 14 लोगों को गोलियों से भून डाला – बलूचिस्तान से आई बुरी ख़बर

पाकिस्तान के प्रतिबंधित बलूचिस्तान प्रांत में बंदूकधारियों ने यात्रियों को बसों से उतरने के लिए मजबूर किया। इसके बाद वर्दीधारी आतंकियों ने उन यात्रियों में से कम से कम 14 लोगों की हत्या कर दी।

ख़बर के अनुसार, प्रांतीय गृह सचिव हैदर अली ने बताया कि हमलावरों की संख्या दो दर्जन के आसपास थी और उन्होंने अर्धसैनिक फ्रंटियर कोर की वर्दी पहनी हुई थी।

उन्होंने कहा, “मकरान कोस्टल हाईवे पर बस को रोका गया और 14 लोगों को मार दिया गया।” उन्होंने कहा कि चार वाहन कराची के पोर्ट मेगासिटी से तटीय शहर ओरमारा की ओर जा रहे थे। आतंकियों ने तभी इस घटना को अंजाम दिया। अली ने यह जानकारी भी दी कि मृतकों में एक नौसेना अधिकारी और एक तट रक्षक सदस्य भी मारा गया। ऐसा अनुमान है कि सभी पीड़ित पाकिस्तानी हैं।

प्रांतीय गृह मंत्री मीर जिया लैंगोव ने मीडिया को बताया कि इस हमले की बड़े पैमाने पर जाँच शुरू कर दी गई है। आतंकी बंदूकधारियों को ट्रैक करने का आदेश दे दिया गया है। उन्होंने कहा, “ऐसी घटनाएँ असहनीय हैं और हम उन आतंकवादियों को नहीं छोड़ेंगे, जिन्होंने इस नृशंस हमले को अंजाम दिया।”

प्रांतीय राजधानी क्वेटा में एक आत्मघाती विस्फोट के बाद हुए इस ताज़ा हमले की अभी तक किसी भी समूह ने ज़िम्मेदारी नहीं ली है। आपको बता दें कि बलूचिस्तान अफगानिस्तान और ईरान की सीमा पर है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे गरीब प्रांत है। साथ ही साथ इस्लामवादी, सम्प्रदायवादी और अलगाववादी विद्रोहियों का स्थल भी है। यहाँ ISIS भी सक्रिय है। पिछले सप्ताह क्वेटा में फल मार्केट में शिया जाति को टारगेट करके किए गए हमले की ज़िम्मेदारी ISIS ने ली थी।

इसके अलावा बलूचिस्तान अरबों डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की परियोजना का प्रमुख स्थल भी है।

बंगाल में निष्पक्ष, शांत चुनाव के लिए राष्ट्रपति शासन लगाना ज़रूरी: सुब्रमण्यम स्वामी

लोकसभा चुनाव के बीच EVM पर कब्जा करने, बूथ कैप्चर करने जैसी घटनाएँ देखने को मिलती आ रही हैं। इस मामले में अक्सर लोकतंत्र की हत्या की दुहाई देने वाली ममता बनर्जी के राज्य पश्चिम बंगाल से ही इस प्रकार के प्रकरण सबसे ज्यादा सामने आए हैं। पश्चिम बंगाल में 6 चरण में मतदान हो रहे हैं। शुरुआती चरणों में सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएँ पश्चिम बंगाल में हो रही हैं। आज भी वामपंथी नेता मोहम्मद सलीम पर हमला हुआ है।

बीजेपी (BJP) से राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि चुनाव आयोग को पश्चिम बंगाल के हालात देखने चाहिए और वहाँ राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। उनकी राय है कि निष्पक्ष और शांत चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में ममता सरकार की जगह राष्ट्रपति शासन जरूरी है।

राम मंदिर का ना बनना, यूपी में करेगा नुकसान

सुब्रमण्यम स्वामी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “उत्तर प्रदेश की जनता इस बात से जरूर दुखी होगी कि 5 साल सरकार रहने के बावजूद राम मंदिर का निर्माण नहीं हुआ। लेकिन मैं UP की जनता से यह कहना चाहता हूँ कि बीजेपी को एक मौका और दीजिए, इस बार राम मंदिर का निर्माण जरूर होगा। अगर बीजेपी अपने दम पर सत्ता में नहीं आ पाई, तो NDA की सरकार बनेगी। शिवसेना जैसे गठबंधन के दलों की विचारधारा हमसे मिलती है और राम मंदिर बनाने में कोई समस्या नहीं आएगी।”

जेट एयरवेज का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए

जेट एयरवेज के विषय पर स्वामी ने कहा, “मैंने ही जेट एयरवेज के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी और अब यह लगभग तय हो गया है कि मैं केस जीतने वाला हूँ। पुरानी सरकार तो एयर इंडिया को बंद कराना चाहती थी, लेकिन अगर जेट एयरवेज में काम करने वाले 20,000 लोगों के लिए कुछ करना है, तो जेट का एयर इंडिया में विलय करके राष्ट्रीयकरण करना ही एकमात्र विकल्प है।

भारत आने के लिए 1 साल से बेताब अली को सुषमा स्वराज ने दिया सहारा, कहा- ‘हम हैं न’

इन दिनों विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्विटर पर उनकी सक्रियता के कारण पहचाना जाता है। वे विदेश में रह रहे भारतीय लोगों की समस्याओं को ट्विटर के ज़रिए सुलझाने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं। इस बात का हालिया उदाहरण तब देखने को मिला जब सऊदी अरब की राजधानी रियाद में फँसे अली नाम के एक शख्स ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया और सुषमा ने तुरंत उनको मदद का आश्वासन दिया।

अली ने सुषमा स्वराज को ट्वीट करते हुए लिखा “एक बात बताएँ आप लोग मेरी मदद कर सकते हो या मुझे खुदकुशी कर लेनी चाहिए। लगभग 12 महीनों से मैं दूतावास से गुहार लगा रहा हूँ, लेकिन दूतावास मुझे समझा रहा है। मुझे भारत भिजवा सकते हो तो मेहरबानी होगी क्योंकि मेरे चार बच्चे भी हैं।”

गौरतलब है कि अली पिछले एक साल से भारत आने के लिए परेशान हैं। अली के इस ट्वीट का जवाब देते हुए सुषमा स्वराज ने लिखा है, “खुदकुशी की बात नहीं सोचते हैं। हम हैं न।” सुषमा ने कहा हमारी ऐम्बेसी आपकी पूरी मदद करेगी। इस मामले में उन्होंने रियाद में भारतीय दूतावास से पूरी रिपोर्ट भी माँगी।

इतना ही नहीं सुषमा स्वराज ने एक दूसरे ट्वीट में सैन फ्रांसिस्को में रहने वाले क्षितिज को धन्यवाद किया। दरअसल, क्षितिज ने सुषमा स्वराज को ट्वीट करते हुए कहा था कि सैन फ्रांसिस्को का उच्चायोग सत्यापन के लिए मनी ऑर्डर या कैशियर चेक के जरिए भुगतान करने को कहता है। डिजिटलाइजेशन के जमाने में विदेश में भारत सरकार भुगतान के पुराने तरीकों का इस्तेमाल क्यों कर रही है? क्षितिज ने अपने ट्वीट के जरिए कहा कि कम से कम कार्ड तो स्वीकार कीजिए। भारत में आप करते हैं तो अमेरिका में क्यों नहीं। इस पर सुषमा स्वराज ने उनको रिप्लाई करते हुए कहा कि मामले को उनकी जानकारी में लाने के लिए धन्यवाद।

बता दें कि अभी कुछ समय पहले न्यूज़ीलैंड में मस्जिद पर हुए हमले के दौरान भी असदुद्दीन ओवैसी द्वारा इकबाल नामक व्यक्ति के वीज़ा प्रबंधन की गुहार लगाई थी, जिसके बाद सुषमा स्वराज ने मामले पर तत्काल सक्रियता दिखाई और खुद ओवैसी को उनके प्रयासों से अवगत कराया, इस पर ओवैसी ने ट्वीट करते हुए धन्यवाद भी कहा था।

भगवा को आतंक कहने वाली कॉन्ग्रेस अभी ‘स्त्री आतंकवादी’ जैसे शब्द भी लाएँगे: साध्वी प्रज्ञा

सियासत का शिकार हुई साध्वी प्रज्ञा ने मध्य प्रदेश के भोपाल में मीटिंग के बाद 17 अप्रैल को बीजेपी का दामन थाम लिया। वह भोपाल से बीजेपी के टिकट पर यह लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला अपनी उल-जुलूल बयानबाजी से चर्चा में रहने वाले कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ ने दिग्विजय सिंह से होगा। भोपाल लोकसभा सीट दिग्विजय सिंह के कारण बेहद हाई प्रोफाइल मानी जाती रही है। बृहस्पतिवार (अप्रैल 18, 2019) को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कॉन्ग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि वो धर्म युद्ध के लिए निकले हैं।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “कॉन्ग्रेस ने इतने सालों से देश को भ्रमित किया है, उन विषयों को लेकर जनता के बीच जाऊँगी और अपनी बात रखूँगी। साध्वी ठाकुर ने कहा कि भगवा को जिस कॉन्ग्रेस ने आतंक कहा है, वो मेरा मुख्य विषय है। मुझे इन्होंने बहुत प्रताड़ित किया है, जो मेरे साथ हुआ उसकी क्या गारंटी है कि वो किसी और के साथ नहीं करेंगे? साध्वी ठाकुर ने कहा कि इन्होंने स्त्री के शरीर को स्त्री नहीं समझा, कल ये लोग ‘स्त्री आतंकवादी’ कह सकते हैं।

मुस्लिम वोटर्स भी इसी धरती के पुत्र हैं

इस दौरान जावेद अख्तर के बयान पर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि देश के दुश्मन देश-विरोधी ऐसी बातें करते रहते हैं और करते रहेंगे। उन्होंने कहा, “मुस्लिम वोटर से मेरा कहना है कि वो भी इस देश धरती के पुत्र हैं।”

लोकसभा चुनाव को लेकर साध्वी ने कहा कि प्रचार-प्रसार की हमारी पूरी तैयारी है। उन्होंने कहा, “एजेंडा जल्द पेश किया जाएगा। शिवराज जी का काम सबको दिखता है और बीजेपी जन-जन तक पहुँची है। कॉन्ग्रेस के 10 साल भी जनता को याद हैं, कॉन्ग्रेस ने आते ही जन कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दी।” साध्वी ठाकुर ने कहा कि ये देश का कार्य है, इसमें सबको साथ आकर काम करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वो 23 अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेंगी।

झूठ के सहारे तुफैल द्वारा हिंदुत्व को हिंसक साबित करने का खोटा प्रयास, देवी-देवताओं का अपमान

बीबीसी के पत्रकार रहे तुफैल अहमद ने न सिर्फ़ हिन्दू और हिंदुत्व का अपमान किया है बल्कि भारतीय संस्कृति और जनमानस की भावनाओं को भी ठेस पहुँचाई है। ऐसे स्वयंभू विद्वानों की दिक्कत यह है कि ये बिना जाने-समझे किसी भी संस्कृति पर भद्दे केमन्ट्स कर देते हैं और बड़ी आसानी से बच निकलते हैं। अव्वल तो यह कि ये धर्मनिरपेक्षता के तथाकथित ठेकेदार फ्लाइट, बसों और ट्रेनों में बैठकर नमाज़ पढ़ना चाहते हैं लेकिन दूसरी तरफ़ अन्य धर्मों, सम्प्रदायों और संस्कृतियों को अपने पाँव के धूल के बराबर नहीं समझते। ऐसा ही मामला तुफैल अहमद का है। उन्हें माँ सरस्वती या हिन्दू देवी-देवताओं के बारे में कितना पता है, ये हमें नहीं पता। लेकिन, उनके ताज़ा ट्वीट से इतना तो पता लग ही गया है कि उन्हें भारत, भारतीय इतिहास और संस्कृति की समझ तो नहीं ही है। ऐसे लोगों के ज्ञान चक्षु खोलने के एक ही तरीका है, इन्हें तर्क-रूपी जूता सूंघा कर असली तथ्यों से परिचित कराया जाए।

हिन्दू धर्म को हिंसक साबित करने के कुटिल प्रयास में…

फर्स्टपोस्ट में लिखे एक लेख में तुफैल अहमद ने यह साबित करने का प्रयास किया कि हिन्दुओं द्वारा मुस्लिम आक्रांताओं पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। बर्बर इस्लामी आक्रांताओं के लिए जबरन धर्मान्तरण कराना और मंदिरों को तोड़ डालना आम बातें थी, यह बात किसी से छिपी नहीं है। लेकिन तुफैल ने इन बातों को झूठ साबित करने के लिए लम्बा-चौड़ा लेख तो लिखा परंतु जब ट्विटर पर लोगों ने उन्हें ‘शांतिप्रिय समुदाय’ की करतूतों के बारे में राय माँगी तो वो बौखला गए। आपा खो बैठे तुफैल ने तुरंत हिंदुत्व पर सवाल पूछ डाला कि आख़िर कौन से शांतिप्रिय धर्म में देवी-देवताओं को हथियारों के साथ दिखाया गया है, सिवाए सरस्वती के? यहाँ उन्होंने दो बड़ी गलतियाँ कीं। पहली ग़लती, तुफैल ने हिन्दू देवी-देवताओं द्वारा धारण किए गए अस्त्र-शस्त्रों को हिंसा से जोड़कर देखा। दूसरी ग़लती, उन्होंने माँ सरस्वती के बारे में बिना तथ्य जाने झूठ बोला।

पहली बात तो ये कि देवी-देवताओं को अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित दिखाने का अर्थ यह हुआ कि किसी को भी बुराई या दुष्टों से लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। वेदों व पुराणों में दिव्यास्त्रों से लेकर तमाम प्राचीन हथियारों का विवरण है लेकिन कहीं भी ऐसा प्रसंग नहीं है, जहाँ उनका ग़लत इस्तेमाल कर के समाज में भय का माहौल पैदा किया गया हो। समस्याएँ तब आती हैं जब राक्षसों व दुष्टों द्वारा समाज का उत्पीड़न किया जाता है और ऐसे ही मौक़ों पर देवताओं व देवियों द्वारा समय-समय पर अपने अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग कर बुराई का संहार किया गया है। यही अस्त्र- हिंदुत्व में एक महिला को भी परम शक्तिशाली दिखाते हैं। माँ दुर्गा के पास सभी देवी-देवताओं के हथियार थे, अर्थात उनके भीतर अन्य से ज्यादा शक्ति समाहित थी। ऐसा उदाहरण कहीं अन्यत्र नहीं मिलता।

अस्त-शस्त्र हिंसा का द्योतक नहीं है

इसे और अच्छी तरह से समझने के लिए प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक और धर्मगुरु सद्गुरु के शब्दों को देखते हैं। इसी तरह के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि हिन्दू देवी-देवता अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होते हैं क्योंकि वो हथियारों की रणनीतिक महत्ता को समझते हैं। एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास एक ऐसे राष्ट्रपति थे जो मिसाइल तकनीक और रॉकेट विज्ञान के पितामह थे। लेकिन उनका नेतृत्व, व्यवहार और उनकी कार्यप्रणाली से हमें शांति का ही सन्देश मिला। फेक शांति की बात करने वालों के लिए सद्गुरु एक बगीचे का उदाहरण देते हैं। बाहर से देखने पर तो वो अत्यंत सुन्दर और सम्मोहक लगता है लेकिन धरती के भीतर जड़ों, कृमियों व अन्य जीवों के बीच अस्तित्व की ऐसी लड़ाई चलती रहती है जिसमें क्षणभर में कई पैदा होते हैं और कइयों का विनाश हो जाता है।

तुफैल अहमद ने हिंदुत्व का एक ही पक्ष देखकर भद्दा, झूठा और अपमानजनक कमेंट कर तो दिया लेकिन वो इसके दूसरे पक्ष को नहीं देख पाए। द्वारकाधीश श्रीकृष्ण अगर सबसे धारदार अस्त्र सुदर्शन चक्र धारण करते हैं तो दूसरी तरफ़ वो बाँसुरी बजाते हुए जीव-जंतुओं को प्रसन्न करते हुए भी नज़र आते हैं। जहाँ भगवान शिव रौद्र रूप में त्रिशूल के साथ बुराई के संहार को तत्पर नज़र आते हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ डमरू बजाकर नृत्य करते हुए संगीत की महत्ता का उद्घोष भी करते हैं। अगर भगवान विष्णु अपने दाहिने हाथ में कौमोदीकी गदा धारण किए हुए हैं तो उसके एक हाथ में कमल का फूल होता है जो अपने-आप में शांति का अनुभव देता है। भगवान गणेश जहाँ कुल्हाड़ी से सबक सिखाने को तैयार दिखते हैं वहीं उनके एक हाथ में लड्डू होता है जो स्वादिष्ट भोजन की ओर इशारा करता है।

तुफैल अहमद ने जानबूझ कर हिंदू देवी-देवताओं के एक ऐसे पक्ष को हिंसा से जोड़कर ग़लत तरीके से पेश करना चाहा, जिसका असली सन्देश शांति और बुराई के संहार से जुड़ा है। समीक्षा, व्याख्या और विश्लेषण का स्वागत तभी तक है जब तक वो झूठ को प्रचारित करते हुए संवेदनाओं पर चोट करने का घृणित कार्य न करे। तुफैल ने अपना प्रोपेगंडा चलाने के लिए, हिंदुत्व को इस्लामिक आतंकवाद की तरह साबित करने की असफल कोशिश में झूठ बोला, ग़लत व्याख्या की और संवेदनाओं को पैरों तले कुचल दिया। अब जरा इसके उलट अन्य घटना की कल्पना कीजिए। मान लीजिए कि तुफैल की तरह झूठ बोलकर नहीं बल्कि सत्य के आधार पर ही पैगम्बर मुहम्मद के हरेक कार्यों व जीवन की व्याख्या की जाए तो क्या-कया निकलेगा? जिस धर्म के हितधारकों का अस्तित्व सच्चाई पर आधारित एक कार्टून बना देने भर से ख़तरे में आ जाता हो, उसी धर्म के लोग झूठ के आधार पर दूसरे सम्प्रदायों को नीचे दिखा रहे।

जी हाँ, माँ सरस्वती भी धारण करती हैं अस्त्र-शस्त्र

अब तुफैल के दूसरे झूठ पर आते हैं जिसमें उन्होंने माँ सरस्वती का जिक्र कर उन्हें बाकि देवी-देवताओं से सिर्फ़ इसीलिए रखा है क्योंकि उनके हिसाब से वो हथियार नहीं धारण करतीं। इसे ‘बन्दर बैलेसनिंग’ कह सकते हैं। एक तरफ़ तो उन्होंने हिन्दू देवी-देवताओं को हिंसक दिखाना चाहा और दूसरी तरफ सरस्वती को अच्छा दिखाकर यह भी साबित करने की कोशिश की कि वो अध्ययन के आधार पर ये बातें बोल रहे हैं। लेकिन तुफैल को जानना पड़ेगा कि माँ सरस्वती के हाथों में भी हथियार होते हैं, और ऐसा चित्रित भी किया गया है। अगर उन्होंने दो-चार मंदिरों का भ्रमण कर के या फिर कुछ अच्छी पुस्तकें पढ़ कर कमेंट किया होता तो शायद ऐसा नहीं बोलते। आइए देखते हैं कि कैसे तुफैल ने झूठ बोला ताकि हिन्दू धर्म को अहिंसक साबित किया जा सके।

कर्नाटक के हालेबिंदु में एक शिव मंदिर है, जिसका नाम है होयसलेश्वर मंदिर। राजा विष्णुवर्धन के काल में निर्मित इस मंदिर को पहले तो अलाउद्दीन ख़िलजी की सेना ने बर्बाद कर दिया और फिर बाद में मोहम्मद बिन तुग़लक़ ने यहाँ तबाही मचाई थी। हिन्दू राजाओं के प्रयासों से इसे हर बार एक नया रूप दिया गया। यहाँ माँ सरस्वती की मूर्ति ‘नाट्य सरस्वती’ के रूप में स्थित है। नीचे दिए गए चित्र में आप देख सकते हैं कि उनके हाथों में हथियार भी सुशोभित हैं। ऐसा एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों मंदिरों में दिखाया गया है।

नाट्य सरस्वती, जो हथियार भी धारण करती हैं (होयसलेश्वर मंदिर, कर्नाटक)

इसी तरह होसहोलालु के लक्ष्मीनारायण मंदिर में भी माँ सरस्वती को अस्त्र-शस्त्रों के साथ दिखाया गया है। इससे यह तो साबित हो जाता है कि तुफैल ने कभी सर उठाकर मंदिरों की ओर देखा तक नहीं, तभी उन्हें झूठ और असत्य के आधार पर लिखना पड़ रहा है। दूसरी बात यह कि उन्होंने पवित्र पुस्तकों को पढ़े बिना ही ज्ञान ठेल दिया। ऋग्वेद 6.61 के सातवें श्लोक को देखें तो वो इस प्रकार है:

“उत सया नः सरस्वती घोरा हिरण्यवर्तनिः|
वर्त्रघ्नी वष्टि सुष्टुतिम ||”

जैसा कि आप देख सकते हैं, यहाँ सरस्वती को ‘घोरा’ कहा गया है। इस श्लोक का भावार्थ करें तो यहाँ माँ सरस्वती को दुष्टों का संहारक कहा गया है। कुल मिलाकर देखें तो जहाँ एक तरफ़ माँ सरस्वती को पुस्तक और वीणा के साथ दिखाया गया है, वहीं दूसरी तरफ़ बुराई व दुष्टता का संहार के लिए उनके पास अस्त्र-शस्त्र भी है। तुफैल जैसों को बेनक़ाब करने के लिए इतना काफ़ी है। बिना अध्ययन किए किसी चीज पर कमेंट करने वाली फेक लिबरल मानसिकता से बाहर निकलने से मना करने वाले ये झूठी धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार भी अब वॉट्सएप्प यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर होते जा रहे हैं। इन्हें अपने धर्म की कुरीतियों पर कुछ भी सुनना गवारा नहीं लेकिन अपनी ही धरती की संस्कृति को झूठ बोलकर कटघरे में खड़ा करना इसका स्वभाव है।

गैंगरेप पीड़िता FIR लिखवाने पहुँची थाने, पुलिस अधिकारी ने किया बलात्कार और बना ली वीडियो – Pak की शर्मनाक घटना

पाकिस्तान में अहमदपुर की ईस्ट पुलिस ने क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी (आरपीओ) के आदेश के तहत एक सहायक सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) पर एक महिला के साथ बलात्कार करने के आरोप में मामला दर्ज किया है।

पाकिस्तानी अखबार डॉन में प्रकाशित खबर के मुताबिक पीड़िता पहले से ही सामूहिक बलात्कार की शिकार हो चुकी थी। जिसके कारण वह न्याय की गुहार लिए पुलिस के पास शिकायत करने पहुँची थी।

पाकिस्तान की ऊछ शरीफ शहर की रहने वाली पीड़िता का दावा है कि पुलिस अधिकारी मामले की जाँच का बहाना बनाकर उसे अपने घर ले गया। जहाँ पर पुलिस अधिकारी ने उसके साथ बलात्कार किया और साथ ही उसकी वीडियो भी बना ली। इसके बाद पुलिस अधिकारी ने उसे धमकी दी कि वह इस बारे में किसी को भी बताने की गलती न करे।

पीड़िता की मानें तो पुलिस अधिकारी ने उसे 12 फरवरी को बुलाया था और कहा था कि वह उसका बयान दर्ज करना चाहता है। लेकिन वहाँ जो कुछ भी हुआ, उसने वहाँ के प्रशासन पर भी सवाल खड़े कर दिए।

गौरतलब है कि पाकिस्तान में लगातार यौन हिंसा की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। अभी पिछले साल नवंबर महीने में एक अस्पताल में बेहोश महिला के साथ स्टाफ के द्वारा रेप करने की खबर सामने आई थी।

लाहौर के सर्विस अस्पताल में हुई इस घटना में पीड़ित 35 वर्षीय महिला को इस बात का तब पता चला जब उसे दर्द हुआ और खून बहने लगा। इसके अलावा साल 2016 में काहना इलाके में एक डीएसपी पर अल्पसंख्यक लड़की के रेप का आरोप भी लगा था।

कॉन्ग्रेस के ‘चौकीदार चोर है’ के प्रसारण पर चुनाव आयोग ने लगाया बैन

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान आज जारी हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस के ‘चौकीदार चोर है’ शीर्षक से प्रस्तुत किए गए विज्ञापनों के प्रसारण पर रोक लगा दी गई है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव की अध्यक्षता वाली कमिटी ने इन विज्ञापनों के प्रसारण की अनुमति को निरस्त करने का फैसला लिया है। भारतीय जनता पार्टी ने इन विज्ञापनों के प्रसारण को रोकने की अपील की थी।

भारतीय जनता पार्टी की ओर से शांतिलाल लोढ़ा ने आपत्ति उठाई थी कि विज्ञापन में अपमानजनक और व्यक्ति को बदनाम करने वाली भाषा का उपयोग किया गया है। उन्होंने अपनी अपील में यह भी कहा था कि चौकीदार के नाम से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रसिद्ध हैं, जिन्हें विज्ञापन में चोर बताया गया है, जो कि अपमानजनक है।

अपील के अनुसार, “किसी भी विज्ञापन में किसी भी व्यक्ति विशेष के नाम से आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं, यह संविधान का भी उल्लंघन है। विज्ञापन से प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय को ठेस पहुँची है। कॉन्ग्रेस ने यह भी नहीं बताया है कि ‘चौकीदार चोर’ से आशय उनका किस व्यक्ति से है? इसलिए इस विज्ञापन को निरस्त किया जाए।”

स्थानीय मीडिया में विज्ञापन पर बैन लगाए जाने की संभावना पर प्रकाशित रिपोर्ट

भाजपा की आपत्ति पर प्रदेश कॉन्ग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने यह तर्क दिया था कि ‘चौकीदार चोर है’ से आशय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं है। हालाँकि, वे यह स्पष्ट नहीं कर पाईं कि उनका आशय आखिर है किससे?

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणन तथा अनुवीक्षण समिति के अध्यक्ष वीएल कांताराव ने संबंधित ऑडियो और वीडियो विज्ञापन को किसी भी माध्यम से प्रचार-प्रसार करने पर रोक लगा दी है। उन्होंने इन्हें जमा करवाने का आदेश देने के साथ यह भी कहा कि राज्य स्तरीय विज्ञापन प्रमाणन समिति ने जो विज्ञापन आदेश जारी किए थे, उनको निरस्त करते हुए अपील स्वीकार की जाती है। इस आदेश से असंतुष्ट होने पर अपील उच्चतम न्यायालय में की जा सकती है।

निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा जारी आदेश की प्रति

पाकिस्तान से आए हिंदुओं की एकमात्र गुहार- एक बार फिर मोदी सरकार!

गुजरात में लगभग 600 से अधिक पाकिस्तानी हिंदू अप्रवासी ऐसे हैं, जो 2019 के लोकसभा चुनावों में पहली बार मतदान करेंगे। साल 2015 में मोदी सरकार द्वारा भारत की नागरिकता दिए जाने के बाद अब ये लोग मोदी सरकार को वोट डालने के लिए तैयार हैं।

2007 तक कराची में रहने वाले धनजी बागरा अब राजकोट(गुजरात) के निवासी हैं। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वो कहते हैं, “मुझे नरेंद्र मोदी को समर्थन देना है, उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। उन्होंने हमें यहाँ रहने की मँजूरी दी, भारतीय नागरिकता दी, और इस लायक बनाया कि हमें रोजगार मिल सके।”

बागरा ने राहुल गाँधी को समर्थन देने की बात को नकारते हुए कहा, “हम राहुल गाँधी का साथ नहीं दे सकते। उन्होंने हमारे लिए किया ही क्या है?” बागरा कहते हैं कि जब कॉन्ग्रेस सत्ता में थी, तो उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा था, और उन्हें उस दौरान लगभग पाकिस्तान भेजने के लिए मज़बूर भी कर दिया गया था।

बागरा पेशे से मोची हैं। साल 2007 में वे अपनी पत्नी (भानबाई)और दो बच्चे (मेघबाई जीवा और आकाश) के साथ राजकोट आए थे। लेकिन भारतीय नागरिकता इन्हें 2015 में मिल पाई। मार्च 2019 में उन्हें वोटर आईडी कार्ड भी मिल गया है, जिसकी मदद से वह 23 अप्रैल को अपना मतदान दे पाएँगे।

बागरा की मानें तो वह कराची में रह सकते थे लेकिन परिवार की सुरक्षा और सम्मान की चिंता उन्हें हमेशा घेरे रहती थी। महिलाएँ वहाँ अकेले नहीं निकल सकती थीं, और चोरी वहाँ पर बेहद आम थी।

रिपोर्ट के मुताबिक बागरा बताते हैं कि उनके घर पर चोरी होने के बाद उनकी माँ जो गुजरात के कच्छ में पैदा हुई थीं, उन्होंने उन्हे भारत जाने की नसीहत दी। बागरा ने उनकी सलाह को मान लिया। बागरा रोज भगवतीपारा में रेलवे ओवरब्रिज के नीचे जूता-चप्पल ठीक करने के लिए अपनी दुकान लगाते हैं। उनकी दुकान से उनका घर 2 किलोमीटर की दूरी पर है। बागरा के दोनों लड़के भी काम करते हैं। उनके परिवार में उनकी बहु और कृष्णा-रूही नाम के पोते-पोती भी हैं।

शुरुआत में उन्हें राजकोट में गुजर-बसर करने में काफ़ी दिक्कत हुई। पहली कक्षा तक पढ़े बागरा कहते हैं कि वे यहाँ लॉन्ग टर्म वीज़ा पर भारत आए थे। एक ओर जहाँ उन्हें काम की सख्त जरूरत थी, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान का नाम सुनते ही कोई उन्हें काम देने को तैयार नहीं होता था। बागरा बताते हैं कि उनके पास भारतीय होने की कोई पहचान नहीं थी, बावजूद इस सच्चाई के कि वे कच्छ के मूल निवासी महेश्वरी में से एक हैं।

वो कहते हैं कि उन्होंने दिन में पुराने जूते-चप्पलों को ठीक करने से काम की शुरुआत की और रात में गैराज में चौकीदार की नौकरी की। पुराने दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं कि हमें एक दिन खाना मिलता था और अगले दो दिन हमें खाली पेट गुज़ारने पड़ते था। इस दौरान उन्होंने अपने एक साथी (पाकिस्तानी अप्रवासी) से झोपड़ी किराए पर ली थी।

महेश्वरी समुदाय के नेताओं की यदि मानें तो बागरा जैसे लोगों के दिन तब बदले जब एनडीए की सरकार सत्ता में आई। पाकिस्तान से आए हिंदू अप्रवासियों के समर्थक केजी कनार कहते हैं कि मोदी सरकार ने लंबे समय से वीजा पर आए पाकिस्तानी हिंदू अल्पसंख्यकों को आधार कार्ड बनवाने का, बैंक खाता खुलवाने का और संपत्ति खरीदने का मौका दिया, जिससे वह अपना जीवनयापन बिना किसी परेशानी के कर सकें।

बागरा की पत्नी भानबाई का कहना है कि वह भी मोदी सरकार के लिए ही वोट करेंगी। भानबाई की मानें तो वह कराची के हर चुनाव में मतदान करती थीं, लेकिन इस बार वह मोदी को वोट करेंगी, क्योंकि यहाँ (भारत) में सब कुछ मोदी के कारण ही है।

बागरा की तरह, शंकर पटारिया नाम के एक रिक्शा चालक भी 2007 में भारत आए था। उनकी मानें तो उन्होंने भी अप्रत्यक्ष रूप से बताया है कि वो मोदी सरकार को ही वोट करेंगे। पटारिया अपने परिवार के साथ राजकोट घूमने आए थे, लेकिन जगह पसंद आने के कारण उन्होंने यही रुकना ठीक समझा।

बागरा और शंकर के अलावा धनजी भुचिया को भी पिछले वर्ष भारत की नागरिकता मिली है। वो कहते हैं कि आज से 7 साल पहले वीज़ा का समय बढ़वाना बहुत मुश्किल काम हुआ करता था, लेकिन अब सभी सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध हैं। राजकोट में इस समय कर सलाहकार के रूप में कार्यरत धणजी का कहना है कि वोटर आईडी कार्ड मिलने से उनमें जोश आया है, वह अब खुलेआम कह सकते हैं कि वह इस देश के नागरिक हैं।

भुचिया की मानें तो वह अपने जीवन में पहली बार मतदान करेंगे। उन्होंने पाकिस्तान में कभी भी वोट नहीं किया क्योंकि उन्हें लगता था कि वहाँ के दूसरे समुदाय वाले हिंदुओं से नफरत करते हैं। भुचिया बताते हैं कि पाकिस्तान में बाबरी मस्जिद के बाद माहौल और भी अधिक खराब हो गया था। वो वहाँ से जल्द से जल्द निकलना चाहते थे, लेकिन ऐसा करने के लिए उनके पास कोई संसाधन नहीं था।

राजकोट में महेश्वरी समुदाय के नेता भवन फुफल (Bhavan Fufal) की मानें तो वहाँ कुछ अप्रवासी 1990 के समय से हैं, जबकि कुछ 2007-2009 के बीच में आए हैं। उनकी मानें तो महेश्वरी समुदाय के अधिकतर अप्रवासी राजकोट और अहमदाबाद में बसे हुए हैं, जबकि कुछ परिवार राजस्थान चले गए हैं।

फुफल की मानें तो पहले उनके लिए भारतीय नागरिकता पाना लगभग मुश्किल हुआ करता था, लेकिन अटल बिहारी के नेतृत्व वाली सरकार में दिक्कतों में कमी आई और नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया। और इसके बाद जब मोदी सरकार आई तो केंद्र ने गुजरात की सरकार को हिंदू अप्रवासियों को नागरिकता देने का अधिकार दे दिया।

इसके बाद गुजरात सरकार ने अहमदाबाद और गाँधीनगर के कलेक्टरों को यह अधिकार सौंप दिए। जिसके कारण नागरिकता मिलने की प्रक्रिया में और तेजी आई। यही कारण है कि उनके समुदाय से मोदी को ही वोट जाएगा, इसमें कोई शक नहीं है।

गौरतलब है कि साल 2015 में 490 पाकिस्तानी हिंदू अप्रवासियों को अहमदाबाद में, कुच में 89 में लोगों को और राजकोट में 20 लोगों को नागरिकता प्राप्त हुई।

बता दें कि इन्हीं अप्रवासियों में से एक 52 वर्षीय नंदलाल मेघानी जो 2002 में अहमदाबाद के घटलोदिया में बसे थे। वो स्पष्ट कहते हैं कि उनका वोट सिर्फ़ भाजपा को जाएगा। उनकी मानें तो उन्हें यहाँ की नागरिकता पाने के लिए 15-20 वर्ष लगे हैं। उनके मुताबिक मोदी सरकार उनकी आवाज सुनती है। वो कहते हैं कि अगर वो अपने लिए नहीं तो अपनों बच्चों के लिए वोट देंगे।