Wednesday, November 6, 2024
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‘पैगंबर मोहम्मद या फातिमा पर फिल्म बनाने का साहस किसी में नहीं, लेकिन ‘सेक्सी दुर्गा’ बना सकते हैं’

लोकसभा चुनावों में दो चरण की वोटिंग बाकी है। सत्ता पाने को नेता लोग हर जोड़-तोड़ कर रहे हैं। इसी चक्कर में बोलते-बोलते कभी-कभार कुछ ऐसा बोल जाते हैं, जिससे बवाल मचना तय है। ताजा उदाहरण केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का है। मंगलवार को रमजान शुरू होने के दिन ही उन्होंने फिल्मों के नाम पर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर कुछ ऐसा बोल दिया कि सियासी और सामाजिक दोनों पारा गरमा गया है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विवादास्पद मलयालम फिल्म ‘सेक्सी दुर्गा’ का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि कोई भी इस तरह की फिल्म बना सकता है लेकिन पैगंबर मोहम्मद या फातिमा पर फिल्म बनाने का साहस किसी में नहीं है।

मलयालम फिल्म ‘सेक्सी दुर्गा’ का पोस्टर

दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी के लिए प्रचार करते वक्त गिरिराज सिंह ने एक जनसभा को संबोधित किया। इस रैली में गिरिराज सिंह ने न सिर्फ फिल्मों के नाम पर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बयान दिया बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए एक मुहावरे का भी इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, “केजरीवाल ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ का हिस्सा हैं। वह देशद्रोह के मामले में JNU के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ रोड़ा अटका रहे हैं।”

आपको बता दें कि बेगूसराय लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ कन्हैया कुमार भाकपा के प्रत्याशी हैं। गिरिराज सिंह इससे पहले भी ‘वंदेमातरम’ और एक समुदाय विशेष को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

Uber ड्राइवर इरफान ने IT प्रोफेशनल महिला से की छेड़खानी, जान से मारने की धमकी

‘सुरक्षा और आराम के लिए कैब लेना’ वाली सलाह खासकर महिलाओं के लिए अब सटीक नहीं है। आए दिन कुछ ऐसी घटनाएँ हो रही हैं, जिससे कैब कंपनियों के संचालन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसा ही एक हादसा शनिवार की रात 4 मई को हुआ।

अगली सीट पर बिठाने का बहाना

गुरुग्राम की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली एक लड़की दिल्ली स्थित द्वारका आई थी। रात में वापस गुरुग्राम लौटते समय शिवानी (बदला हुआ नाम) ने उबर से एक कैब बुक किया। जब कैब आई तो वो पीछे की सीट पर बैठ गईं। कैब चलने के 2-3 मिनट बाद ही ड्राइवर इरफान ने पीछे के टायरों में हवा कम होने का बहाना बनाया और शिवानी को आगे वाली सीट पर बैठने के लिए कहा। शिवानी ने भी इस बहाने को सच माना और आगे की सीट पर बैठ गई। बस यहीं से शुरू हो गया इरफान की गंदी हरकतों का खेल।

जब शिवानी अगली सीट पर बैठीं तो ड्राइवर इरफान किसी से गंदी-गंदी गालियाँ देकर बात करने लगा। इसके बाद उसने शिवानी की जाँघों को छूआ, ऐसे जैसे गलती से हो गया हो। लेकिन बाद में वो इसी हरकत को बार-बार करने लगा। जिस रास्ते से वो कैब ले जा रहा था, वो एकदम अंधेरा और सुनसान रास्ता था। शिवानी को कुछ समझ नहीं आया क्या किया जाए। 100 नंबर पर कॉल करने से ड्राइवर को शक हो जाता, इस डर से उसने उबर ऐप के SOS बटन दबाकर मदद माँगी। लेकिन आश्चर्यजनक यह कि उबर की ओर से कोई खास मदद नहीं मिली।

मदद के नाम पर राइड कैंसल

उबर ने मदद के नाम पर सिर्फ इतना किया कि ड्राइवर को कॉल कर राइड कैंसल करने को कहा। उबर की तरफ से आए फोन को सुनकर ड्राइवर ने शिवानी को धमकाया और जान से मारने की बात करने लगा। शिवानी ने बताया, “मैंने उबर हेल्पलाइन को बताया कि एरिया सुनसान है, मुझे इस एरिया की जानकारी नहीं है। मुझे लगा कि वे मेरी मदद करेंगे, पुलिस को फोन करेंगे। लेकिन राइड कैंसल करके उन्होंने ड्राइवर की ही मदद कर दी और मुझे सुनसान रास्ते पर उतार दिया। उन्हें कोई मतलब नहीं कि मैं घर कैसे जाऊँगी।”

शिवानी के अनुसार कैब से उतर कर भागने के बाद भी ड्राइवर इरफान ने उसे डराना नहीं छोड़ा। कुछ दूरी तक उसने पीछा भी किया। बाद में शायद वह डर कर या किसी और वजह से पीछा करना छोड़ दिया और चला गया। हिम्मत जुटा कर शिवानी ने तब दूसरी कैब बुक की और घर पहुँची। 7 मई को द्वारका नार्थ थाने में जब वो केस दर्ज कराने पहुँची तो पुलिस ने भी 6 घण्टे बाद आरोपित ड्राइवर इरफान के खिलाफ केस दर्ज किया।

उबर का रटा-रटाया बयान

उबर की प्रवक्ता दिशा लूथरा ने अपने बयान में कहा, “जो भी हुआ वह किसी भी हालत में स्वीकार नहीं है। ऐसे अपराध के लिए हमारे ऐप में कोई जगह नहीं है। हम कानून का पालन कराने वाले अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं और उनकी जाँच में सहयोग कर रहे हैं। ड्राइवर को उबर से हटा दिया गया है।”

रवीश कुमार SP-BSP के मंच पर कौन सा ‘कठिन सवाल’ पूछने गए थे? कौन जात हो वाला?

लोकसभा चुनावों की गहमागहमी जारी है, अब जबकि केवल दो चरण ही शेष हैं, राजनीतिक नेता चुनाव प्रचार में अपना सर्वश्रेष्ठ झोंक देने को तत्पर हैं। उत्तर प्रदेश में, महागठबंधन के साथी सपा और बसपा ने आज जौनपुर में एक संयुक्त रैली का आयोजन किया, जिसे अखिलेश यादव और मायावती ने संबोधित किया।

हालाँकि, रैली में सपा और बसपा का नेतृत्व पूरी ताकत से मौजूद था, लेकिन कार्यक्रम में एक महान टीवी पत्रकार की अप्रत्याशित उपस्थिति ने कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। जहाँ एक तरफ महागठबंधन के नेता रैली को संबोधित कर रहे थे, वहीं NDTV इंडिया के पत्रकार रवीश कुमार को मंच पर खड़ा देखा गया। रवीश कुमार के सपा या बसपा में शामिल होने की कोई खबर नहीं है, इसलिए यह सवाल लाज़मी है कि एक स्वघोषित निष्पक्ष और दूसरों को ‘डफ़र’ कहने वाला पत्रकार एक चुनावी रैली के मंच पर क्या कर रहा था?

वैसे चुनावी रैलियों में पत्रकारों की उपस्थिति कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि उन्हें अपने मीडिया घरानों के लिए रिपोर्ट करने के लिए ऐसी रैलियों में शामिल होना पड़ता है। लेकिन इसके लिए पत्रकार ऐसे आयोजनों में प्रेस के लिए आरक्षित स्थान लेते हैं। न कि वे मंच पर खड़े होकर भाषणों का हिस्सा बनते हैं। क्या इससे यह समझा जाए कि रवीश कुमार एक पत्रकार के रूप में नहीं बल्कि एक मंचीय प्रतिभागी के रूप में रैली में भाग ले रहे थे।

यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि रवीश कुमार ने कभी भी बीजेपी के लिए अपनी नफरत नहीं छिपाई है। उनकी भाजपा और खासतौर से मोदी के प्रति नफरत जगजाहिर है। जिसे वह अपनी भाषा में सत्ता से ‘कठिन सवाल’ पूछना कहते हैं।

लेकिन आज जिस तरह से उन्हें सपा-बसपा की रैली में भाग लेते हुए देखा गया। जितने प्रेम से वह आज मंच की शोभा बढ़ा रहे थे, उससे उनका अखिलेश और मायावती के प्रति भाव साफ नज़र आ रहा है।

वैसे उनका रैली में इस तरह से शरीक होने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। क्योंकि पिछले साल रवीश कुमार द्वारा संचालित एक कार्यक्रम में, सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा था कि उन्हें उस पत्रकार की हत्या नहीं करने का पछतावा है जिसने उनकी आलोचना की थी। रवीश कुमार ने अखिलेश यादव की सहनशीलता की प्रशंसा करते हुए उस शो की शुरुआत की थी। उनकी आपसी जुगलबंदी तभी ज़ाहिर हो गई थी।

रवीश कुमार नीचे दी गई रैली के वीडियो में मंच पर देखे जा सकते हैं:


ट्रम्प को पीछे छोड़ दुनिया के दूसरे सबसे लोकप्रिय नेता बने PM नरेंद्र मोदी, राहुल आसपास भी नहीं

सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बादशाहत बरकरार है। पीएम मोदी सोशल मीडिया पर फॉलो किए जाने वाले दुनिया के दूसरे नेता बन गए हैं। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर फॉलो किए जाने के मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी पीछे छोड़ दिया है। एक नए अध्ययन के अनुसार, लोकप्रियता के मामले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले दुनिया के दूसरे नेता बन गए हैं।

यदि पीएम मोदी के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नजर डालें तो फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम प्लेटफार्म्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फॉलोवर्स की संख्या 11,09,12,648 है। यह आँकड़ा ऑनलाइन दृश्यता प्रबंधन एवं कंटेंट मार्केटिंग सॉस प्लेटफार्म सेम्रुश ने अपनी नई रिपोर्ट में दिया है। सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले राजनेताओं की लिस्ट में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पहले स्थान पर हैं। बराक ओबामा के फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम प्लेटफार्म्स पर सबसे ज्यादा 18,27,10,777 फॉलोवर हैं।

हालाँकि, प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को पछाड़ दिया हो, लेकिन ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलोअर्स के मामले में ट्रम्प दूसरे सबसे लोकप्रिय राजनेता बने हुए हैं।

राहुल गाँधी के आँकड़ें भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं

वहीं, विपक्ष के नेता और रोजाना ED ऑफिस के चक्कर काटने वाले मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के आरोपित रॉबर्ट वाड्रा के साले और कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी के फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर केवल 1.20 करोड़ फॉलोअर्स हैं।

मूर्खों और मूढ़मतियों का ओजस्वी वक्ता है कन्हैया: JNU के कपटी कम्युनिस्टों की कहानी, भाग-2

कॉन्ग्रेस और कम्युनिस्टों का साथ चोली-दामन का रहा है। कब एक, दूसरे में परिवर्तित हो जाए, कहा नहीं जा सकता है। आखिर, ‘दुर्घटनावश हिंदू’ और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जब अंग्रेजों से ‘ट्रान्सफर ऑफ पावर’ किया था, तो सब कुछ जस का तस ही रखा। केवल चेहरे बदले, बाक़ी नेहरू के पास न तो भारत का विज़न था, न ही भारत को किसी भी तरीके से वह बदलना चाहते थे, तो अंग्रेजों और मुगलों का भारत ही उनकी नज़र में सब कुछ था, जिसके सबसे तीसरे दर्जे के नागरिक हिंदू थे।

नेहरू जीवन भर ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ ही करते रहे, इस क्रम में वह भारत को कभी समझे ही नहीं। हर एक हिंदू प्रथा, वस्तु, स्मारक या व्यक्ति उनके लिए न्यूनतम मज़ाक और अधिकतम घृणा का पात्र था। इसीलिए, सोमनाथ के जीर्णोद्धार के जुर्म में उन्होंने राजेंद्र बाबू को दमे से मरने दिया, अपने अंग्रेज दोस्तों को सपेरों और नजूमियों से तो मिलवाया, पर भारत की महान सभ्यता और संस्कृति पर लौह-कपाट जड़ दिए।

जब उन्होंने राष्ट्रवादी तरीके से इतिहास-लेखन तक को बाधित किया, तो भला कम्युनिस्टों से बेहतर अधिकारी कौन होता, जो शिक्षा को विकृत करे। तथाकथित लौह-महिला इंदिरा ने उस विष-बेल को बाकायदा सींचकर इतना जड़ीभूत कर दिया कि आज हम जो रोमिला, चंद्रा, हबीब आदि की विषैली शिक्षाएँ देख रहे हैं, वही मुख्यधारा बन चुकी है, यहाँ तक कि आर्य-आक्रमण का सिद्धांत, सभी तरह से खारिज होने के बाद भी पढ़ाया जा रहा है।

खैर, विषयांतर हो गया। हमारे समय कैंपस में एसएफआइ (SFI), एआइएसएफ (AISF) और आइसा (AISA) का जोर था। उसके एक नेता थे बत्तीलाल बैरवा, जो कि फिलहाल कॉन्ग्रेस में हैं। एक हुआ करते थे, नासिर हुसैन। साक्षात ज़हर की पुड़िया। वह कॉन्ग्रेस से राज्यसभा में पाए जा रहे हैं। हमारे जूनियर संदीप सिंह तो खैर आजकल राहुल बाबा के ही दाहिने हाथ हैं, उनकी किचन-कैबिनेट के सदस्य हैं।

अब, एक बार फिर से थोड़ा पीछे जाइए। याद कीजिए, जब कन्हैया कुमार का कांड हुआ, तो देश की तमाम यूनिवर्सिटीज में या तो पहले या बाद से तथाकथित आंदोलन चल रहे थे। चाहे वह गजेंद्र चौहान के बहाने IIFT का हो, या फिर नकली दलित रोहित वेमुला की आत्महत्या (जो दरअसल, उसके कॉमरेड की वजह से ही की गई) के बहाने हैदराबाद यूनिवर्सिटी का बवाल हो, या टीआइएसएस का मसला हो या जाधवपुर का। योजना यह थी कि एक नहीं बीस-पच्चीस कन्हैया तैयार किए जाएँ। एक जिग्नेश पहले ही तैयार किया जा चुका था। उसी क्रम में जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडे, शहला रशीद और कन्हैया को तैयार किया जा रहा था। एक तरह से 1977 टाइप फर्जी माहौल तैयार करने की योजना थी, जहाँ विद्यार्थियों को आगे कर राहुल बाबा की ताजपोशी करानी थी।

अफसोस। सोशल मीडिया के इस दौर में यह योजना परवान न चढ़ सकी और बिहार में पहले लालू प्रसाद ने और फिर तेजस्वी ने कन्हैया को घास न डाली।

कन्हैया कुमार के बारे में एक सबसे बड़ा दुष्प्रचार क्या है? यही न कि वह बहुत अच्छा बोलता है। मुझे अपने देश के लोगों पर तरस आता है। क्या हमारी मेधा इतनी सिकुड़ गई है, इतनी कम हो गयी है कि यह आदमी भी वक्ता हो गया?

कम्युनिस्टों में भी एकाध लोग ठीक-ठाक पढ़े-लिखे होते थे। जेएनयू के उस जमाने में एक तरफ बत्तीलाल बैरवा थे, तो दूसरी तरफ कविता कृष्णन भी थीं, वीजू कृष्णन भी थे। बत्तीलाल हमें हँसाने के काम आते थे, पर व्यक्तिगत स्तर पर मैं कविता या वीजू को उनकी विचारधारा के लिए कितना भी कोसूँ, वे कम से कम तथ्यों या सबूतों के साथ बात करते थे, उनकी भाषा बताती थी कि वक्तृता किसे कहते हैं। (इसका कविता जी के मौजूदा ट्वीट्स से अंदाज़ा न लगाएँ)।

कन्हैया को यह लेखक देखता भी नहीं है, सुनता भी नहीं है, क्योंकि उसका जो तथाकथित क्रांतिकारी भाषण एड-ब्लॉक पर हुआ था, वह दो सेकंड सुनकर मैं समझ गया था कि यह निहायत ही बदतमीज, तथ्यविहीन, दो कौड़ी की गटरछाप भाषा बोलने वाला आदमी है। मुझे इसके साथ मंच शेयर करने को कहा जाए, तो मैं नहीं करूँगा, क्योंकि मुझे शर्म आती है कि यह गंदा वक्ता मेरा जूनियर है, जो सिवाय मुँह चियारने के, गलतबयानी के और कुछ नहीं करता। (हर एक कम्युनिस्ट बिल्कुल यही करता है)

कन्हैया की देह-भाषा देखिए, उसका उच्चारण देखिए, उसका पूरा व्यवहार देखिए। क्या आपको शर्म नहीं आती कि वह आदमी आज की पीढ़ी के लिए शानदार वक्ता है, सत्ता से प्रश्न पूछने वाला क्रांतिकारी है, राजसत्ता को चुनौती देनेवाला है। क्या यही शिक्षा-पद्धति हमने बनाई है, क्या यही आदर्श हमने तैयार किए हैं?

(पहला भाग यहाँ पढें। अगले भाग में अब कन्हैया से यह कहानी कम्युनिस्टों के कुकर्म की गौरवगाथा की ओर आगे बढ़ेगी)

— व्यालोक पाठक

अमेरिका में हेट क्राइम की शिकार भारतीय बच्ची को बचाने आगे आए हजारों लोग

अमेरिका में हेट क्राइम की शिकार और अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रही एक भारतीय बच्ची को बचाने के लिए हजारों की संख्या में लोग आगे आए हैं। अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही 13 साल की बच्ची का नाम धृति नारायण है और वो क्लास 7 की छात्रा है। यह भारतीय बच्ची अमेरिका में हेट क्राइम की शिकार हुई है, उसके सिर में गंभीर चोटे आई है और वो अभी लाइफ सपोर्ट पर अस्पताल में है। बच्ची के इलाज के लिए 8 दिनों के भीतर क्राउड-फंडिंग के जरिए 6 लाख डॉलर (करीब 4.17 करोड़ रुपए) से ज्यादा जुटाए जा चुके हैं। अब तक 12,400 से ज्यादा लोगों ने रुपए दिए हैं। टारगेट 5 लाख डॉलर था और यह 6 लाख डॉलर के आँकड़े को पार कर चुका है।

एक पूर्व सैनिक ने मुस्लिम समझकर कार से किया था हमला

www.gofundme.com के अनुसार, कैलिफॉर्निया में 23 अप्रैल को धृति, उसके भाई, पिता और परिवार के दूसरे सदस्य सड़क पार कर रहे थे, तभी सनीवले इलाके में एक पूर्व सैनिक इशाह पीपल्स ने कार से हमला कर दिया। बताया जा रहा है कि पूर्व सैनिक पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से पीड़ित है। वह इराक युद्ध भी लड़ चुका है। इस हमले में धृति के पिता और 9 साल के उसके भाई को भी चोट आई है।

अमेरिकी पुलिस के मुताबिक मामला हेट क्राइम का लग रहा है क्योंकि परिवार को मुस्लिम समझकर टारगेट किया गया था। आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है और उस पर मामला दर्ज कर जेल भेज दिया गया है।

साध्वी प्रज्ञा पर बनी फिल्‍म ‘भगवा आतंकवाद एक भ्रमजाल’ का भोपाल में प्रदर्शन, EC ने बीच में रुकवाया

लोकसभा चुनाव की गहमागहमी जारी है। इसी बीच मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘भगवा आतंकवाद एक भ्रमजाल’ डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया जा रहा था। यह डॉक्यूमेंट्री भारत से पाकिस्तान जाने वाली समझौता एक्सप्रेस और मालेगाँव ब्लास्ट को लेकर बनाई गई है। हालाँकि, भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म के प्रदर्शन को चुनाव आयोग के हस्तक्षेप केे बाद रोक दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग का निर्देश आयोजकों तक पहुँचने तक फिल्म के बड़े हिस्से को दिखाया जा चुका था। इस डॉक्यूमेंट्री के समझौता एक्सप्रेस वाले भाग का प्रदर्शन हो चुका था और मालेगाँव ब्लास्ट पर भी लगभग 70% फिल्म दिखाई जा चुकी थी। फिल्म का प्रदर्शन भारत विचार मंच की ओर से किया जा रहा था।

बता दें कि इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में विभिन्न अदालतों के निर्णयों और नेताओं के बयानों के आधार पर यह कहा गया है कि यूपीए कार्यकाल में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कैसे हिंदू आतंकवाद का फर्जी सिद्धांत गढ़ा। RVS मणि ने अपनी किताब ‘हिन्दू टेरर’ में भी भगवा आतंकवाद और उसमे कॉन्ग्रेस की संलिप्तता की पोल खोल दी है।

इस डॉक्यूमेंट्री में यह बताया गया है कि उक्त नेताओं ने स्वामी असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा सिंह को फ़र्ज़ी तरीके से फँसाने के लिए मनगढंत कहानी गढ़ी थी, लेकिन वे अपनी फर्जी कहानी का कोई भी सबूत न्यायालय में पेश नहीं कर सके। जिससे कॉन्ग्रेस की पूरी साजिश विफल हो गई। RVS मणि ने हेमंत करकरे और दिग्विजय सिंह के संबंधों के माध्यम से अपनी किताब में पहले ही कई खुलासे किए हैं।

इस फिल्म वो सभी तथ्य दिखाए गए हैं जिनका जिक्र साध्वी प्रज्ञा अक्सर अपने चुनावी रैलियों में करती है। इस फिल्म में यह भी दिखाया गया कि साध्वी प्रज्ञा को प्रताड़ित करने के आरोपों की जाँच तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने की। लेकिन जाँच कमेटी में वही लोग शामिल थे, जिन्होंने प्रज्ञा पर हत्याचार किए। यही नहीं इस फिल्म में समझौता एक्सप्रेस और मक्का मस्जिद धमाकों के बाद हुई जाँच को किस तरह से जाँच एजेंसियों ने हिंदू संगठनों की तरफ मोड़ा उसे भी विस्तार से दिखाया गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्‍यूमेंट्री का प्रदर्शन भोपाल के शिवाजी नगर स्थित एक मोटेल में करीब शाम चार बजे शुरू हुआ था। फिल्म के 40 मिनट प्रदर्शन के बाद इसे बंद करने की घोषणा की गई।

परेश रावल ने याद दिलाई मोदी को दी हुई 50 गालियाँ, सबसे भद्दी जिग्नेश ने दी है

आम चुनाव की शुरू से ही कॉन्ग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गाँधी ‘चौकीदार चोर है’ के नारे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार घेरने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन, PM मोदी ने इसके जवाब में राजीव गाँधी पर तंज कसते हुए उन पर ‘भ्रष्टाचारी नंबर वन’ कहकर हमला क्या बोला कि विपक्ष सदमे की स्थिति में नजर आ रहा है। हाल ही में झारखंड रैली में नरेंद्र मोदी ने कहा था, “आपके (राहुल गाँधी) पिताजी (राजीव गाँधी) को आपके राजदरबारियों ने मिस्टर क्लीन बना दिया था, लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नंबर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया।”

प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजीव गाँधी को भ्रष्टाचारी बताने के बाद सोशल मीडिया से लेकर चुनावी रैलियों में ‘यह कहना आपको शोभा नहीं देता है’ वाले दल अचानक से सक्रिय हो चुके हैं और सब ने मिलकर नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए अपनी-अपनी पोज़िशन ले ली है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस और समस्त विपक्ष शायद ऐसा करने में असमर्थ साबित हो रहा है। इसके पीछे बड़ी वजह यह भी है कि विगत 5 साल से वो एक ऐसे प्रधानमंत्री पर लगातार बेबुनियाद आरोपों के माध्यम से निम्न से भी निम्नस्तर का बयान दे चुके हैं, जो बहुमत द्वारा चुनी गई सरकार का नेता है।

कॉन्ग्रेस महासचिव और रोजाना ED ऑफिस के चक्कर काट रहे मनी लॉन्ड्रिंग आरोपित रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गाँधी को आज महाभारत के पात्र दुर्योधन की भी याद आ गई। इसके बाद ट्विटर पर भारतीय जनता पार्टी के नेता और बॉलीवुड एक्टर परेश रावल के ट्विटर एकाउंट से एक ऐसी लिस्ट जारी की गई है, जिसमें हाल ही के कुछ वर्षों में विपक्ष के तमाम पढ़े-लिखे, युवा और बुजुर्ग, सभी नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहे गए अपशब्द, तारीख समेत लिखे गए हैं।

इस लिस्ट में कामरेड कन्हैया कुमार के समर्थक युवा नेता जिग्नेश मेवानी से लेकर कॉन्ग्रेस नेता दिव्या स्पंदना और अन्य कई नाम मौजूद हैं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी काल्पनिक और मनोवैज्ञानिक घृणा के कारण बेहद भद्दी बातें कही गई हैं। साथ ही, सोशल मीडिया पर नीचे लगाई तस्वीर भी घूम रही है जिसमें किस नेता ने, मोदी के लिए किस तरह के शब्दों का प्रयोग किया वह लिखा हुआ है।

विपक्ष द्वारा PM मोदी को दी गई कुछ ‘गैर-राजनीतिक’ गालियाँ

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस ट्वीट में दर्शाए गए विचार ट्विटर यूज़र के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति ऑपइंडिया उत्तरदायी नहीं है। इस रिपोर्ट में सभी सूचनाएँ ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार ऑपइंडिया के नहीं हैं, तथा ऑपइंडिया उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

ममता बनर्जी के बिगड़े बोल, कहा- मोदी को थप्पड़ मारने का मन करता है

चुनावी लड़ाई जैसे-जैसे अपने अंजाम तक पहुँच रही है, चुनाव प्रचार में नेताओं की जुबान भी उतनी ही तीखी होती जा रही है। पीएम मोदी पर कई आपत्तिजनक बयान देने के बाद तृणमूल कॉन्ग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक और विवादित बयान दे दिया है। ममता बनर्जी ने मंगलवार (मई 7, 2019) को कहा कि उनका पीएम मोदी को थप्पड़ मारने का मन करता है।

ममता ने पीएम मोदी को झूठा प्रधानमंत्री बताते हुए कहती हैं कि 5 साल पहले उन्होंने अच्छे दिनों की बात की थी, लेकिन फिर बाद में उन्होंने नोटबंदी कर दी। ममता ने कहा, “मैं भाजपा के नारों में विश्वास नहीं रखती। पैसा मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता, मगर जब पीएम नरेंद्र मोदी बंगाल आकर कहते हैं कि टीएमसी लुटेरों से भरी पड़ी है तो मुझे उन्हें थप्पड़ मारने का मन हुआ।” ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जबरन वसूली करने वाला टोलाबाज करार देते हुए कहा है कि उन्होंने नोटबंदी के जरिए बलपूर्वक लोगों का धन हथिया लिया। इसके साथ ही ममता ने मोदी को तूफान से ज्यादा खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि लोग हर समय मोदी से भयभीत रहते हैं। वो शांति चाहते हैं, युद्ध या विनाश नहीं। इसलिए मोदी को सत्ता से हटा दिया जाना चाहिए।

पुरुलिया में चुनावी रैली में उन्होंने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि असम में 22 लाख बंगालियों के नाम काट दिए गए। महाराष्ट्र और यूपी से बिहारियों को बाहर कर दिया गया और अब वो बंगाल में भी एनआरसी की बात कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी पर किसानों की आत्महत्या, दंगा फैलाने और धर्म के आधार पर बाँटने का आरोप लगाया।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने ममता बनर्जी के बयान पर विरोध जताते हुए कहा कि ममता ने जो पीएम मोदी को थप्पड़ मारने की बात कही है, वह निंदनीय है।

गौरतलब है कि, ममता बनर्जी इससे पहले भी पीएम मोदी पर काफी विवादित बयान दे चुकी हैं। बीते दिनों ममता ने कूचबिहार की एक रैली में पीएम पर ज़बानी वार करते हुए कहा था, “इस चुनाव में लोग उनके होठों पर ल्यूकोप्लास्ट चिपका देंगे ताकि वे झूठ ना बोल पाएँ। देश की खातिर उन्हें ना केवल कुर्सी (प्रधानमंत्री पद) बल्कि राजनीति से भी बाहर करना चाहिए।” वहीं, पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में पीएम मोदी पर निजी हमला करते हुए कहा था कि जिन्होंने अपनी पत्नी की उपेक्षा की है, वो जनता का ध्यान कैसे रखेंगे।

राजीव गाँधी को ‘भ्रष्टाचारी’ कहने के मामले में मोदी के खिलाफ SC पहुँची कॉन्ग्रेस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को ‘भ्रष्टाचारी नंबर 1’ कहने के मामले में अब नया मोड़ ले लिया है। कॉन्ग्रेसी सांसद सुष्‍मिता देव ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मोदी की इस टिप्पणी के खिलाफ अपील दायर की है। यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस ने चुनाव आयोग को भी नहीं बख्शा। देव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने इस मामले में मोदी को जो क्लीन चिट दी है वह पक्षपाती है। देव ने अपनी शिकायत में कहा है कि चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 की धारा 123ए का उल्लंघन किया है। देव ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी ऐसे उच्च पद पर बैठे व्यक्ति को करना शोभा नहीं देता। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देव की अपील पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार (मई 8, 2019) को सुनवाई करेगा।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी के बाद कॉन्ग्रेस के साथ ही अन्य पार्टियों ने भी इसका कड़ा विरोध किया था। वहीं सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक होती रही। लोगों का कहना था कि किसी के मृत्यु से उसके अपराध नहीं ख़त्म हो जाते। जबकि कॉन्ग्रेस का कहना था कि प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री पर ऐसी टिप्पणी कर अपने पद की गरिमा को कम किया है।