Monday, October 7, 2024
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‘बच्चों की कसम है’ से लेकर, उसी कॉन्ग्रेस सपोर्ट के लिए ‘लालायित’ सड़जी… और कितना गिरेंगे?

देश के सबसे ईमानदार नेता केजरीवाल जी इन दिनों दुविधा के दौर से गुज़र रहे हैं। वो साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाकर भी लोकसभा चुनाव में खुद को खड़ा नहीं कर पा रहे हैं। कभी देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए वो बंगाल जाकर ममता की रैली में शामिल हो रहे हैं, तो कभी खुद ही दिल्ली में रैली निकाल रहे हैं। जिन विपक्षी नेताओं से उनका किसी समय में 36 का आँकड़ा था, उनके गले लगने में भी सीएम साहब को इस समय कोई गुरेज नहीं है।

हाल ही में केजरीवाल साहब विपक्ष की रणनीति के लिए एनसीपी के नेता शरद पवार के घर हुई बैठक में शामिल हुए। उनके साथ इस बैठक में बंगाल सीएम ममता और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी थे।

बुधवार को देर रात हुई इस बैठक के बाद केजरीवाल का बयान आया है कि दिल्ली में गठबंधन को लेकर कॉन्ग्रेस ने लगभग मना कर दिया है। जी हाँ, एक बार फिर से पढ़िए… केजरीवाल ने आज गुरूवार (फरवरी 14, 2019) को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “हमारे मन में देश को लेकर बहुत ज्यादा चिंता है, इसी वजह से हम लालायित हैं, उन्होंने (कॉन्ग्रेस) ने लगभग मना कर दिया है।”

यह वचन हैं माननीय दिल्ली सीएम श्री अरविंद केजरीवाल के… देश के प्रति अटूट चिंता दिखाने वाले महानुभाव चाहते हैं कि कॉन्ग्रेस उनके साथ गठबंधन कर ले। ये वही केजरीवाल हैं जो कभी कॉन्ग्रेस को वोट देने का मतलब भाजपा को वोट देना ही कहते थे, और आज भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कॉन्ग्रेस से गठबंधन करने के लिए लालायित हुए जा रहे हैं। ये उन्हीं केजरीवाल के बोल हैं जिन्होंने कभी कॉन्ग्रेस से सपोर्ट के मुद्दे पर बच्चों की कसम खाते हुए कहा था कि उनसे गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता।

केजरीवाल के मीडिया में दिए इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनका खूब चुटकी ली जा रही है। और, ऐसा हो भी क्यों न, अपने आप को सबसे ईमानदार पार्टी कहने वाले केजरीवाल ने कुछ समय पहले साल 2011 में हुए पीएनबी स्कैम को केंद्र में रखकर कॉन्ग्रेस और भाजपा पर हमला बोला था। उनका कहना था कि जिन घोटालों से आज भाजपा कमा रही है, उनसे कभी कॉन्ग्रेस कमाई करती थी।

सवाल है कि जिस कॉन्ग्रेस की सीएम शीला दीक्षित को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ केजरीवाल कभी 370 पेज के सबूत दिखाकर, जेल में भेजने की बात करते थे, उन्हें केजरीवाल ने बीतते समय के साथ कहाँ पर गायब कर दिया? शीला दीक्षित को ‘आप’ ने जेल भेजने का जो वादा किया था उसे लगता है ‘आप’ भूल गए हैं। कोई बात नहीं…लेकिन यह तो नहीं भूलना चाहिए कि जिस कॉन्ग्रेस से समर्थन के लिए लार टपक रही है उसी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाकर आपने दिल्ली की जनता से वोट माँगा था।

लोकसभा चुनाव में केजरीवाल ने किरण बेदी के चुनाव लड़ने पर दिल्ली के आटो रिक्शा तक पर उन्हें अवसरवादी कहलवा दिया था। लेकिन, इस बार उनका इस तरह से लालायित होना राष्ट्रभक्ति है। क्योंकि उन्हें देश की चिंता खाए जा रही है। देश हित में आज वो कॉन्ग्रेस के साथ क्या सभी विपक्षी नेताओं के साथ जुड़ने को तैयार हैं।

जिन शरद पवार के घर जाकर केजरीवाल मोदी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए गठबंधन पर बातचीत करके आए है, उन्हीं शरद पवार से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले पर केजरीवाल दस दिन का अनशन कर चुके हैं। इस पर विधायक कपिल शर्मा ने तंज भी कसा है कि जो करप्शन से लड़ने आया था वो शरद पवार के सोफे पर जाकर पड़ा है। साथ ही कुमार विश्वास ने भी सीएम साहब की इस हरकत पर उन्हें आत्ममुग्ध बौना कहकर बुलाया। क्योंकि शरद पवार ही वो शख्स हैं जिन्होंने लोकपाल बिल का भरी संसद में मज़ाक उड़ाया था।

इतना ही नहीं, साल 2013 में “हैलो, मैं अरविंद केजरीवाल बोल रहा हूँ…फोन मत काटिएगा” का तरीका अपनाकर घर-घर के लोगों के मन में ईमानदार सरकार की आस जगाने वाले सीएम महोदय ने उस दौरान अपने बच्चों की कसमें तक खाई थी कि वो न ही कॉन्ग्रेस को समर्थन देंगे और न उनसे समर्थन लेंगे। लेकिन, नतीजों के कुछ दिन बाद ही ‘सड़जी’ नायक के अनिल कपूर जैसे मुख्यमंत्री पद पर बैठे।

ऐसे ही, समय-समय पर कोर्ट द्वारा अपराधी करार दिए जा चुके लालू जैसे भ्रष्ट नेताओं से गले मिलना भी इनकी ईमानदारी की चमक बढ़ाता रहा है। पहले यही केजरीवाल जी अपने आप को छोड़कर हर किसी को भ्रष्ट मानते थे, वो अब अवसरवाद की राजनीति के कारण स्वयं को शायद गंगा मानकर सबसे गले मिलते जा रहे हैं।

आज केजरीवाल साहिब को भले ही अपने किए कारनामें याद न हों, लेकिन मासूम जनता का ख्याल तो आना ही चाहिए। विपक्षी नेताओं के साथ इस तरह उनकी रणनीति तय करना स्पष्ट करता है कि उनका एजेंडा जन कल्याण नहीं बल्क़ि सिर्फ राजनीति और सत्ता लोलुपता ही रहा है। एक आम आदमी का चोला पहनकर और बड़े-बड़े नेताओं को भ्रष्ट बता कर जो साहब कभी ईमानदार छवि की वजह से मुख्यमंत्री बने थे, उन्होंने आज अपनी गलीच राजनीति के चलते बड़े से बडे़ घाघ राजनेता को भी पीछे छोड़ दिया है।

जम्मू कश्मीर में अब अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रह रहे लोगों को भी मिलेगा 3% आरक्षण, राज्यपाल ने दी स्वीकृति

जम्मू कश्मीर राज्य में नियंत्रण रेखा (LoC) पर रहने वाले लोगों की तर्ज़ पर अब अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रह रहे लोगों को भी 3% आरक्षण का लाभ मिलेगा। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोग काफी समय से इसकी माँग कर रहे थे। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू कश्मीर राज्य में नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वालों के लिए 3% आरक्षण वाले दस्तावेज़ पर अपनी स्वीकृति प्रदान करते हुए केंद्र की मोदी सरकार को भेज दिया है। सालों से यहाँ के रहने वाले लोग इसकी माँग कर रहे थे।

अब केंद्रीय कैबिनेट अगर इस पर अध्यादेश लाती है तो इसका लाभ जम्मू कश्मीर राज्य में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर रह रहे लोगों को मिल सकेगा। कानून बनने के बाद कठुआ,आरएसपुरा, हीरानगर, साँभा, मड़ क्षेत्र तक जो अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोग हैं, उन्हें 3% आरक्षण का लाभ एलोसी की तर्ज़ पर मिल सकेगा। बता दें कि फ़िलहाल लोकसभा भंग है और इसका लाभ देने के लिए केंद्र सरकार को अध्यादेश लाना होगा। उम्मीद की जा रही है कि सरकार अध्यादेश लाकर जल्द ही इसे मंजूरी दे देगी।

करीब 3 लाख लोगों को मिल सकेगा लाभ

कानून बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले करीब 3 लाख लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की लंबाई 198 किमी है जबकि एलओसी करीब 744 किमी है। इस इलाके में आए दिन पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी होती रहती है, जिसका शिकार यहाँ के लोग होते हैं।

गोलीबारी के चलते यहाँ रहने वाले लोगों को काफ़ी नुकसान उठना पड़ता है। यही कारण है कि एलओसी की तर्ज़ पर आरक्षण की माँग सालों से चली आ रही थी। जम्मू कश्मीर के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रविन्द्र रैना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इसकी जानकारी दी।

रविन्द्र रैना ने कहा, “अब अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर रहने वाले लोगों को भी एलोसी की तर्ज़ पर लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की असेम्बली में बीजेपी हमेशा से अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के समीप रह रहे लोगों को लाभ पहुँचाने के लिए इसकी माँग करती आई है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल से मंजूरी के बाद इस केंद्र के पास भेजा गया है, उम्मीद है कि जल्द अध्यादेश लाकर इसे मंजूरी दी जाएगी।”

70 सालों तक सरकारों ने यहाँ के नागरिकों को किया अनदेखा

इस दौरान रविन्द्र रैना ने कहा, “70 सालों से यहाँ कई सरकारें रहीं लेकिन उन्होंने यहाँ के लोगों को हमेशा अनदेखा किया और सिर्फ़ राजनीति की।” उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने यहाँ पर बॉर्डर के पास 20 हजार से ऊपर बंकरों का निर्माण शुरू कराया है। साथ ही बड़े-बड़े सीमा भवन भी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे यहाँ के नवजवानों को लाभ मिलेगा।

UP शराब कांड में मुख्य आरोपित RJD नेता गिरफ़्तार, बिहार से है कनेक्शन

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में ज़हरीली शराब के कारण 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई। इस शराब कांड ने दोनों ही राज्यों की सरकार को हिला कर रख दिया। राज्य सरकार की गंभीरता की वजह से दोनों ही राज्यों की पुलिस ने इस मामले में 346 केस दर्ज किए थे। इसी मामले में पुलिस ने बिहार के राजद (राष्ट्रीय जनता दल) नेता हरेंद्र यादव को गिरफ़्तार किया है।

सरकार के दबाव की वजह से पुलिस ने लगातार छापेमारी की। इसके कारण दोनों राज्यों में लगभग 10,000 लीटर से ज़्यादा अवैध शराब और 75,000 किलो से ज़्यादा लहन (जहरीला पदार्थ, जिससे लोकल शराब बनाई जाती है) पकड़ी गई। छापेमारी के दौरान लगभग 200 लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है। आपको बता दें कि मरने वालों में सहारनपुर के 70 जबकि हरिद्वार के 32 लोग हैं।

इस मामले में यूपी पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। यूपी पुलिस ने इस मामले में छापेमारी करके शराब माफ़िया हरेंद्र यादव को गिरफ़्तार किया है। हरेंद्र यादव बिहार के बिसंभरपुर थाने के भोजछापर गाँव का रहने वाला है। हरेंद्र आज से नहीं बल्कि दो दशक के ज़्यादा समय से राजद से जुड़ा हुआ है। यही नहीं, हरेंद्र यादव की पत्नी बाचो देवी सलेहपुर पंचायत से बीडीसी सदस्य भी है। यूपी पुलिस ने हरेंद्र को राजस्थान के भिलवाड़ा से गिरफ़्तार किया।

बता दें कि हरेंद्र उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाक़ों में शराब बनाकर बेचने का कारोबार करता था। पिछले दिनों बेदूपार एहतमाली, जवहीं दयाल चैनपट्टी, खैरटिया जलाल छापर गाँव के 20 लोगों की मौत हो गई थी। यूपी के इस क्षेत्र में हरेंद्र यादव द्वारा बनाई गई शराब बिकती थी। यही वजह है कि शराब कांड में नाम आते ही हरेंद्र के परिवार के सभी लोग भूमिगत हो गए थे। हरेंद्र पर कुचायकोट, विसंभरपुर, गोपालपुर थाने में शराब तस्करी के कई मामले दर्ज हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि इस शराब कांड के बाद अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित सपा के दफ़्तर में कहा था कि योगी सरकार ने शराब पर गौ कल्याण टैक्स लगाया है। सरकार ने लोगों को लालच दिया है कि गाय सेवा सिर्फ़ तभी अच्छी होगी, जब लोग शराब का ज़्यादा सेवन करेंगे। अखिलेश यादव ने कहा था कि ग़रीब को नहीं पता है कि उसे कौन-सी शराब पीनी है। लेकिन सरकार को सब पता है। सरकार शराब पीने वालों को बढ़ाना चाहती है। उनका मानना है कि सरकार को यह भी पता है कि कौन ऐसी ज़हरीली शराब बना रहा है।

अखिलेश यादव के ऐसे बयानों को सुनकर लगता है कि योगी सरकार पर लगातार किसी भी मामले में, किसी भी तरह से आरोप लगाने वाले पूर्व सीएम अपना समय भूल गए हैं। योगी सरकार पर ऊँगली उठाने वाले अखिलेश भूल रहे हैं कि उनके राज में उन्नाव और लखनऊ में 33 लोगों की मौतें ज़हरीली शराब पीने से हुई थी। इसके बाद तत्कालीन सरकार और प्रशासन की ओर से काफ़ी बड़े-बडे़ दावे भी किए गए थे।

ऐसे में अखिलेश यादव का इस मामले पर योगी सरकार को घेरना बेहद शर्मनाक है क्योंकि वो खुद भी ऐसी स्थिति का सामना अपने शासनकाल में कर चुके हैं।

PM मोदी के साथ भद्दा मज़ाक, ट्विटर पर कॉन्ग्रेस को मिला ईंट का जवाब पत्थर से

कॉन्ग्रेस पार्टी आज तक भाजपा के ऊपर आईटी सेल जैसा आरोप लगाती रही है। भाजपा को घेरने के लिए कॉन्ग्रेस ने न जाने कितने आम लोगों को भी पेड ट्रोल्स का तमगा बाँट दिया है। लेकिन इन सबके बीच देश की सबसे पुरानी पार्टी खुद कब ट्रोल बन गई, उसे पता ही नहीं चला।

वैलेंटाइन डे पर 14 फरवरी को दोपहर में कॉन्ग्रेस अपने ट्विटर हैंडल से एक कार्टून कैरेक्टर जारी करती है। यह कुछ और नहीं बल्कि पीएम मोदी को चौकीदार की ड्रेस पहना कर एक लाइन का तंज मारता हुआ कार्टून है। इसके बाद भाजपा के अन्य नेताओं के लिए भी ऐसे ही भद्दे कैरेक्टर कॉन्ग्रेस के ट्विटर हैंडल से जारी किए गए।

ऐसे में एक ट्विटर यूज़र शशांक‏ (@pokershash) ने कॉन्ग्रेस पार्टी को उसी की भाषा में जवाब दिया – प्यार के साथ – वैलेंटाइन विश करते हुए। देखा जाए और लहरिया लूटा जाए:

सोनिया गाँधी के लिए शशांक लिखते हैं – क्या तुम डिफेंस डील हो? क्योंकि मुझे अपना कमीशन लेना पसंद है।

मनमोहन सिंह के लिए सिर्फ डॉटेड लाइन खींची गई है, काफ़ी है न!
क्या तुम दिमाग हो, क्योंकि मैं तुम्हें बहुत मिस करता हूँ
क्या तुम चीन हो? क्योंकि मैं तुम्हें कश्मीर का एक हिस्सा देना चाहता हूँ
क्या तुम बार-डांसर हो? क्योंकि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ

कॉन्ग्रेस को अपने दड़बे से बाहर आना होगा। राजनीतिक मठाधीशी वाली ठसक से बाहर आना होगा। उन्हें समझना होगा कि 2019 वाली कॉन्ग्रेस 1885 वाली पार्टी नहीं रही। ना ही पढ़ाई-लिखाई से लेकर भावनात्मक स्तर पर अब देश की जनता का आपसे वैसा जुड़ाव रहा।

आज की जनता सोशल मीडिया को घोल कर पी गई है। जिस जनता को आप ट्रोल कह-कह कर लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, वो जनता दरअसल आपसे त्रस्त है। आपकी नीतियों से उसे नफ़रत है। आप जिस भाषा और शैली की राजनीति करते आए हैं, जनता ने अब उसमें मास्टरी कर ली है। कुछ ने तो डॉक्टरी भी। बचिए इनसे। ये आपकी लेंगे और कह के लेंगे… क्लास!

राहुल ‘अच्छे शगुन’ से फूँकेंगे चुनावी बिगुल, लेकिन वहाँ की जनता मानती है कॉन्ग्रेस को अपशकुन

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी गुरुवार को गुजरात के वलसाड जिले से चुनावी बिगुल फूकेंगे। गुजरात के इसी वलसाड ज़िले से होकर दमनगंगा नदी बहती है। इस नदी के किनारे से चुनावी बिगुल फूँकना राहुल और उनकी पार्टी अपने लिए शगुन मानती है, जबकि यहाँ रहने वाले लोग शायद कॉन्ग्रेस पार्टी को वोट देना अपने लिए अपशगुन मानते हैं।

यही वजह है कि इस ज़िले के पाँच विधानसभा सीटों में से चार विधानसभा सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। केंद्र के मोदी सरकार द्वारा गंगा को साफ़ करने के लिए नमामि गंगे योजना लागू होने के बाद वलसाड के लोगों में यह उम्मीद जगी है कि गंगा के तरह ही भाजपा सरकार दमनगंगा को साफ़ करने के लिए भी कोई नई स्कीम शुरू करेगी।

कॉन्ग्रेस पार्टी का कहना है कि वलसाड ज़िले के लालडुंगरी गाँव से चुनावी बिगुल फूँकना पार्टी के लिए अच्छा शगुन माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 1980 में इंदिरा गाँधी, 1984 में राजीव गाँधी और 2004 सोनिया गाँधी ने इसी गाँव से चुनाव प्रचार करके सत्ता हासिल की थी। यह बात अलग है कि 2014 में कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता हासिल करने के इस फॉर्मूले को भूल गई थी।

यह कहा जाता है कि वलसाड में जिस पार्टी को लोगों का प्यार मिलता है वही पार्टी राज्य या केंद्र में सरकार बनाती है। वलसाड दक्षिणी गुजरात का हिस्सा है। वलसाड ज़िले में कुल पाँच विधानसभा सीटें हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी यह दावा करती है कि लालडुंगरी से चुनावी अभियान की शुरुआत करने के बाद उनकी पार्टी सत्ता में आती है।

दरअसल, कॉन्ग्रेस के साथ समस्या यह है कि अपने विरासत को बचाने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी कभी गंभीर नज़र नहीं आती है। कॉन्ग्रेस पार्टी आज भले ही सत्ता पाने के लिए अच्छा शगुन बताकर वलसाड से चुनावी रैली की शुरुआत कर रही हो, लेकिन चुनाव के बाद उसी वलसाड के लोगों का हाल तक जानना कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता उचित नहीं समझते हैं। ऐसे में जनता का कॉन्ग्रेस पार्टी से दूर होना स्वाभाविक है।

वलसाड दक्षिणी गुजरात का एक हिस्सा है। दक्षिणी गुजरात में कुल 35 विधानसभा सीटें हैं। दक्षिणी गुजरात में कॉन्ग्रेस पार्टी की तुलना में भाजपा का मज़बूत पकड़ है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि चुनाव के पहले और चुनाव के बाद भाजपा के दिग्गज़ नेताओं का इस क्षेत्र में आना-जाना लगा रहता है।

यदि वलसाड विधानसभा की बात करें तो यहाँ से लगातार 6 बार भाजपा उम्मीदवार को लोगों का साथ मिला है। यही नहीं पिछले चुनाव में इस विधानसभा सीट पर भाजपा के भरत भाई कीकूभाई पटेल ने कॉन्ग्रेस उम्मीदवार टंडेल नरेंद्र कुमार जगुभाई को हराया था। इस ज़िले के एकमात्र कपराडा विधानसभा पर कॉन्ग्रेस पार्टी की मज़बूत पकड़ है। यहाँ से जीतू भाई लगातार तीन बार से कॉन्ग्रेस पार्टी से चुनाव जीत रहे हैं।

हलाँकि, 1975 के चुनावों से वलसाड़ विधानसभा की सीट पर नज़र दौड़ाएँ तो जिस दल के उम्मीदवार की इस सीट से जीत हुई है। सूबे में उस दल की ही सरकार बनी है। वर्ष 1975 में जनसंघ-एनसीओ गठबंधन उम्मीदवार के रूप में यहाँ से केशवभाई राणा जी पटेल चुनाव जीते थे। उस वर्ष राज्य में जनसंघ-एनसीओ की साझा सरकार बनी थी। वर्ष 1980 में कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार के रूप में दोलत राय देसाई ने वलसाड़ से चुनाव जीता था। तब राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार बनी थी।

SC का फ़ैसला संविधान और लोकतंत्र के ख़िलाफ़, दिल्ली के साथ अन्याय: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली सरकार बनाम उप-राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फ़ैसले को लोकतंत्र और संविधान के ख़िलाफ़ बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (फरवरी 14, 2019) को अहम निर्णय सुनाते हुए कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो केंद्र सरकार के अंतर्गत कार्य करेगी। इसके अलावा कोर्ट ने अधिकारियों के तबादले पर भी उप-राज्यपाल के निर्णय को ऊपर रखने की बात कही। दिल्ली सरकार के निर्णय पर निशाना साधते हुए केजरीवाल ने कहा:

“आज सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आया है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और दिल्ली के लोगों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं लेकिन ये फ़ैसला दिल्ली और दिल्ली की जनता के साथ अन्याय है। अगर कोई अधिकारी काम नहीं करेगा तो सरकार कैसे चलेगी। हमें 70 में से 67 सीटें मिली लेकिन हम ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री के पास एक चपरासी को भी ट्रांसफर करने की पावर नहीं है, यह ग़लत जजमेंट हैशीला दीक्षित का मैं बहुत सम्मान करता हूँ, उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए। उन्होंने जितने काम अपने कार्यकाल में किए उससे ज़्यादा हमने अपने 4 साल में किए हैं। अगर हमारे पास किसी की भ्रष्टाचार की शिक़ायत आती है और अगर एसीबी हमारे पास नहीं है तो हम क्या कार्रवाई करेंगे।”

साथ ही अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि सारी ताक़त विपक्षी पार्टी को दे दी गई है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को हर कार्य के लिए भाजपा के पास जाना होगा। यह बेतुका बयान है, क्योंकि कल को कई राज्यों में चल रही सारी विपक्षी पार्टियों की सरकारें अगर विशेष सहायता, फंड, योजनाएँ इत्यादि के लिए इसी आधार पर केंद्र सरकार से मिलना-जुलना और परस्पर सहयोग करना बंद कर दे, तो संघीय ढाँचा बर्बाद हो जाएगा। यहाँ तक कि केरल की वामपंथी सरकार ने भी कभी ऐसा बेहूदा कारण नहीं बताया है।

अरविन्द केजरीवाल बार-बार कहते रहे हैं कि भाजपा दिल्ली के विधानसभा चुनाव में हुई बुरी हार के कारण बौखलाई हुई है। अक्सर 67 विधायकों का झुनझुना बजाने वाले अरविन्द केजरीवाल अदालत द्वारा बार-बार झटका खाने के बावजूद वही चीजें दोहरा रहे हैं। इस से पहले भी दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकारें रहीं हैं, केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें रहीं हैं- लेकिन इस तरह का टकराव देखने को नहीं मिला। आख़िर क्या कारण है कि किसी भी विभाग के साथ केजरीवाल सरकार का समन्वय संभव नहीं हो पा रहा?

दिल्ली में जब पहली बार शीला दीक्षित की सरकार बनी थी, तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। दिल्ली और केंद्र में विरोधी दलों की सरकार होने के बावजूद ऐसी विषैली राजनीति देखने को नहीं मिली, जैसी आज खेली जा रही है। अरविन्द केजरीवाल को संवैधानिक संस्थाओं के दायरों को समझते हुए दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, दिल्ली पुलिस, केंद्र सरकार, उप-राज्यपाल एवं ब्यूरोक्रेसी के साथ मिल कर कार्य करना होगा। उनके मंत्रियों ने मुख्य सचिव तक को पीट रखा है। बहुमत पाँच वर्ष स्थिरतापूर्वक कार्य करने के लिए होता है, लड़ने के लिए नहीं।`

हरियाणा और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों से भी केजरीवाल सरकार के सम्बन्ध अच्छे नहीं हैं। दिल्ली में प्रदूषण का ठीकरा वह हरियाणा पर फोड़ते आए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह से उनकी पटती नहीं। अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को ही लोकतंत्र के ख़िलाफ़ बता दिया। यह सुविधा की राजनीति है। सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी न्यायिक व्यवस्था है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी उप-राज्यपाल के पक्ष में फ़ैसला दिया था। केजरीवाल को अपनी राजनितिक सीमा का ध्यान रखते हुए कार्य करना चाहिए।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने अरविन्द केजरीवाल के बयानों को सुप्रीम कोर्ट की धज्जियाँ उड़ाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि पार्टी केजरीवाल के ख़िलाफ़ अवमानना केस दर्ज कराएगी। पात्रा ने कहा:

“केजरीवाल ने इलेक्शन कमीशन, आरबीआई को नहीं छोड़ा। मगर आज पराकाष्ठा हो गई जब खुले मंच से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया। हम मानहानि के लिए कोर्ट में जाएँगे। सुप्रीम कोर्ट जैसी महान संस्था को मटियामेट करने की कोशिश केजरीवाल नहीं कर सकते। यह देश यह होने नहीं देगा। हम इस पर चिंतन करेंगे।”

पादरी ‘पुरुष वेश्याओं’ का भी लेते हैं सहारा, वेटिकन चर्च में 80% से ज़्यादा हैं समलैंगिक

चर्च के समलैंगिकता पर दोहरे रवैये का मामला एक लेखक अपनी किताब के माध्यम से सामने लेकर आए हैं। इस किताब में बताया गया है कि वेटिकन के पुजारियों का एक बड़ा प्रतिशत समलैंगिक है, जिनमें से कुछ स्थाई सम्बन्धों में हैं और अन्य ‘पुरुष वेश्याओं’ का सहारा लेते हैं। यह चौंकाने वाला ख़ुलासा लगभग 570 पन्नों की एक पुस्तक में किया गया है, जिसे अगले सप्ताह चर्च में यौन शोषण के विषय पर होने जा रहे पोप शिखर सम्मेलन में प्रकाशित किया जाएगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस पुस्तक में कैथोलिक चर्च के समलैंगिक सदस्यों से कथित गुप्त संबंधों, पुरुष वेश्याओं और चर्च के ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों के दोहरे रवैये का ज़िक्र किया गया है, जो अक्सर कठोरता से समलैंगिकों के ख़िलाफ़ होने का दवा करते हैं।

फ़्रांसीसी पत्रकार फ्रेडरिक मार्टेल की नई किताब, ‘इन द क्लॉज़ेस्ट ऑफ द वेटिकन’ का दावा है कि चर्च के पुजारी (प्रीस्ट) जितने अधिक समलैंगिक विरोधी होंगे, उनके समलैंगिक होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। यह किताब 20 भाषाओं में 8 देशों में प्रकाशित की जाएगी।

कैथोलिक प्रकाशन द्वारा दी गई समीक्षा के अनुसार, हालाँकि किताब में शामिल किए गए सभी पुजारी (प्रीस्ट) अपने यौन प्राथमिकताओं में रूचि नहीं रखते, जबकि बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अवैध रूप से ‘फादर’ के साथ सम्बन्ध बनाकर रह रहे हैं, वेश्यावृत्ति करने वाले पुरुषों की मदद ले रहे हैं और कुछ लोग सामान्य रूप से ही एक दूसरे के साथ संबंधों में जुड़े हुए हैं।

मार्टेल समलैंगिक हैं और फ़्रांसीसी सरकार के पूर्व सलाहकार थे। 4 साल तक 1,500 से अधिक लोगों के साथ साक्षात्कार करने के बाद ही फ्रेडरिक मार्टेल ने यह दावा अपनी किताब में किया है। इसके लिए उन्होंने 200 पुजारी, 41 कार्डिनल और 52 बिशप, राजनयिक अधिकारी, गार्ड और अन्य वेटिकन में रहने वाले अन्य  लोगों से जानकारी हासिल की।

प्रकाशकों ने मार्टेल की इस पुस्तक को ‘वेटिकन के अंदर भ्रष्टाचार और पाखंड का चौंकाने वाला वर्णन’ बताया है। किताब में एक यह भी ख़ुलासा किया गया है कि स्वर्गीय कोलंबियाई कार्डिनल अल्फोंसो लोपेज भी समलैंगिक वेश्याओं का इस्तेमाल करते थे, जबकि वो चर्च के समलैंगिकों के ख़िलाफ़ रहने वाले विचारों का समर्थन करते थे।

यह पुस्तक 21 फ़रवरी को पोप फ़्रांसिस के यौन शोषण पर होने वाले सम्मेलन के दिन ही प्रकाशित की जानी है। हालाँकि, यह पुस्तक कैथोलिक चर्च की बाल यौन शोषण की समस्याओं पर प्रकाश नहीं डालती है।

पोप फ़्रांसिस ने दिसंबर में कहा था, “समलैंगिकता का मुद्दा एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है, जिसे पुजारी (प्रीस्ट) पद के उम्मीदवारों के लिए शुरू से ही अच्छी तरह से ध्यान में रखा जाना चाहिए।

भारत-रूस के बीच 7.47 लाख AK राइफ़लों का समझौता, अमेठी में लगेगा प्लांट

भारत ने रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा क़दम उठाते हुए देशहित में अहम फ़ैसला लिया है। इसमें रूस के साथ मिलकर लगभग 7,47,000 क्लाशिनिकोव राइफ़लों के निर्माण का समझौता शामिल है। इन राइफ़लों को बनाने के लिए प्लांट उत्तर प्रदेश के अमेठी में लगाया जाएगा। बता दें इससे पहले भारत ने एक अमेरिकी कंपनी के साथ भी 72,400 असॉल्ट राइफ़ल्स की ख़रीद का समझौता किया था।

भारत-रूस की सरकारों के बीच होने वाले इस करार के अनुसार रूस की क्लाशिनिकोव कंसर्न और भारत का ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड मिलकर AK-47 की तीसरी पीढ़ी की राइफ़लें AK-203 तैयार करेंगे। ऐसी संभावना है कि दोनों देशों के बीच आधिकारिक समझौते पर हस्ताक्षर इस सप्ताह के अंत तक हो जाएँगे। हस्ताक्षर होने के बाद ही करार से जुड़ी क़ीमत, समय-सीमा जैसी अन्य आवश्यक जानकारियाों का पता चल सकेगा।

आपको बता दें कि यह समझौता रक्षा मंत्रालय के उस प्रस्ताव के तहत हुआ है जिसमें मंत्रालय ने साढ़े छह लाख राइफ़लों की ख़रीद के लिए ‘अभिरुचि पत्र’ माँगे गए थे। इन राइफ़लों का निर्माण कार्य ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में ही किया जाएगा। इस करार में भारत सरकार की पॉलिसी के तहत ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास मेजॉरिटी शेयर 50.5 फ़ीसदी रहेगा, जबकि रूस के पास 49.5 फ़ीसदी शेयर रहेंगे।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) के तहत एसआईजी जॉर असॉल्ट राइफ़लों के लिए US के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किए हैं। अमेरिकी कंपनी एसआईजी जॉर से 72,400, 7.62 एमएम राइफलें साल के अंदर मिलने की उम्मीद है। फ़िलहाल भारतीय सुरक्षाबल 5.56×45 एमएम इनसास राइफ़लों से लैस है।

मुलायम के बयान से आहत हुए आज़म ख़ान, कहा- ये बयान ‘नेताजी’ का नहीं हो सकता

16वीं लोकसभा के आखिरी सत्र में मुलायम सिंह ने पीएम मोदी की तारीफ़ में जो बयान दिया, उससे विपक्ष के साथ राजनीति के हर गलियारे में हलचल मच गई। सोशल मीडिया पर आम जनता ने प्रतिक्रियाओं को लेकर झड़ी लगा दी है। ऐसे में मुलायम सिंह यादव के बेहद ख़ास रहे आजम खान ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। आज़म खान का कहना है कि यह बयान मुलायम जी का नहीं है, यह बयान उनसे दिलवाया गया है।

एक तरफ जहाँ अखिलेश बाबू गठजोड़ के ज़रिए पीएम मोदी को सत्ता से हटाने के लिए लगातार प्रयासरत है वहीं बुधवार को उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने भरी संसद में नरेन्द्र मोदी के दोबारा पीएम बनने की कामना की है।

ऐसे में सपा के वरिष्ठ नेता और यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री रह चुके आज़म ख़ान ने इस बयान को सुनकर काफ़ी दुख जताया। आज़म ख़ान ने मुलायम सिंह यादव के इस बयान पर कहा, “बहुत दुख हुआ यह सुनकर। यह बयान उनके मुँह में डाला गया है। यह बयान नेताजी का नहीं है, इसे नेताजी से दिलवाया गया है।”

बता दें कल सत्र के आख़िरी दिन इस बात का पता चला कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी पीएम मोदी के फैन हैं। पूर्व सपा सुप्रीमो ने नरेंद्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने की कामना की थी। बजट सत्र के आख़िरी दिन मुलायम ने पीएम मोदी की उपस्थिति में सदन में कहा, “मेरी कामना है कि यहाँ जितने भी सदस्य हैं, वे फिर से चुनकर आएँ। हम इतना बहुमत हासिल नहीं कर सकते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री जी आप फिर प्रधानमंत्री बनकर आएँ।”

मुलायम सिंह के इस बयान का सदन ने ठहाकों और तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। संसद में यूपीए अध्यक्षा सोनिया गाँधी के साथ बैठे मुलायम ने जैसे ही पीएम मोदी के बारे में ऐसा कहा, लोकसभा में ‘जय श्री राम’ के नारे गूँजने लगे। उनके बगल में बैठीं सोनिया गाँधी इस दौरान इधर-उधर देखने लगीं।

इसके अलावा मुलायम के पुराने साथी और राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने ख़ुलासा किया है कि आखिर मुलायम ने संसद में ऐसा बयान क्यों दिया। उन्होंने मुलायम की टिप्पणी पर कहा कि यह बयान भ्रम पैदा करने के लिए दिया गया है। अमर सिंह ने लोकसभा में मुलायम सिंह यादव की टिप्पणी पर कहा कि इस बयान को भ्रम पैदा करने के उद्देश्य से दिया गया है ताकि भ्रष्टाचार के मामलों पर मोदी शांत रहें।

बता दें मुलायम सिंह यादव की इस टिप्पणी पर राबड़ी यादव का भी बयान आया है, राबड़ी ने कहा, ‘उनकी उम्र हो गई है, उन्हें याद नहीं रहता है कब क्या बोल देंगे, उनकी बोली का कोई माएने नहीं रखता है।’

‘पक्का मर्डर होगा’ – अखिलेश यादव को लखनऊ एयरपोर्ट पर रोकने वाले दो अफ़सरों को धमकी

अखिलेश यादव को लखनऊ एयरपोर्ट पर रोकने वाले दो अफ़सरों को जान से मारने की धमकी दी गई है। बीते दिनों प्रयागराज जा रहे सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ में रोक दिया गया था, जिसके बाद सपा कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ के साथ नारेबाजी की थी।

बता दें कि अब अखिलेश यादव का रास्‍ता रोकने वाले एडीएम सिटी पूर्व वैभव मिश्रा और एक सर्किल ऑफ़िसर को सोशल मीडिया फे़सबुक पर जान से मारने की धमकी मिल रही है। अफ़सरों को मिल रही धमकी के बाद प्रशासन ने दोनों की सुरक्षा बढ़ा दी है।

फे़सबुक पर एडीएम सिटी पूर्व और सीओ की फोटो को टैग करते हुए धमकी दी गई है। अपशब्द लिखते हुए कहा गया है, ‘इन दो अफ़सरों का तो पक्का मर्डर होगा।’ इसके बाद लखनऊ के जिलाधिकारी ने एसएसपी से एडीएम को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं।

क्या था पूरा मामला?

बीते मंगलवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ के चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डे पर उड़ान भरने से रोक दिया गया था। अखिलेश इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के एक कार्यक्रम में भाग लेने नहीं जा रहे थे। ख़बर की मानें तो उस समय जब अखिलेश यादव गाड़ी से नीचे उतरे थे तो वहाँ मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें सल्यूट किया। लेकिन पास में खड़े लखनऊ एडीएम सिटी वैभव मिश्रा ने उन्हें सम्मान देते हुए नमस्ते किया।

तभी अखिलेश यादव ने एडीएम से पूछा कि कितने पढ़े-लिखे हो, इस पर कोई जवाब न देते हुए उन्होंने अखिलेश को समझाते हुए कहा कि आप प्लेन पर नहीं जा सकते। बताया जा रहा है कि उस दौरान अखिलेश के साथ मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने एडीएम वैभव मिश्रा को झिड़क दिया था। लेकिन इसके बावजूद वैभव मिश्रा अखिलेश को मनाने की कोशिश करते रहे। वैभव मिश्रा वही अधिकारी हैं जिन्हें अब जान से मारने की धमकी मिली है।

‘अखिलेश के जाने से बिगड़ी कानून-व्‍यवस्‍था’

मामले के बाद सीएम योगी ने कहा था कि अखिलेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय जाने से वहाँ की कानून-व्‍यवस्‍था बिगड़ सकती थी। उन्होंने कहा था कि यूनिवर्सिटी ने खुद इस बारे में उनसे अनुरोध किया था कि सपा अध्‍यक्ष के दौरे से यहाँ छात्र संगठनों के बीच विवाद पैदा हो सकता है और कानून-व्‍यवस्‍था को लेकर हालात खराब हो सकते हैं।