Wednesday, November 27, 2024

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कश्मीर में ‘रिलिजियस आइडेंटिटी’ पर नहीं, तुम्हारी राजनैतिक थेथरई पर खतरा है

कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर देश ने कभी किसी रिलिजियस आइडेंटिटी को ऊपर नहीं माना है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में इंदिरा गाँधी ने स्वर्ण मंदिर में मिलिट्री ऑपरेशन करने की भी इजाज़त दे डाली थी।

आतंक की फंडिंग की जाँच मज़हब में दखल कैसे बन गई?

घाटी भर के इस्लामी नेता मीरवाइज़ उमर फ़ारुख को एनआइए समन के खिलाफ़ इकट्ठे हो गए हैं। उनके लिए कश्मीर में दहशतगर्दी की जाँच मज़हबी मामलों में दखल है।

केजरीवाल सपोर्ट देने के लिए घूम रहे हैं, राहुल गाँधी लेना ही नहीं चाहते! दुःखद!

अरविन्द केजरीवाल सपोर्ट देना चाह रहे हैं, आगे पीछे घूम रहे हैं, मीटिंग कर रहे हैं, पब्लिक जगहों से आवाज लगा रहे हैं, और एक बेवफ़ा सनम राहुल हैं कि लेना ही नहीं चाह रहे सपोर्ट।

29 ट्वीट, 88 लोगों व संस्था को टैग: एक सामान्य बात के लिए आखिर PM मोदी को क्यों लगाना पड़ा इतना जोर

माहौल ऐसा बने कि वोट नहीं कर पाने पर व्यक्ति को पश्चाताप हो। फिर कभी देश में कुछ भी गलत दिखे तो व्यक्ति अपने आप को उसके लिए जिम्मेदार माने और सोचे कि यदि मैं उस दिन वोट करने गया होता तो ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा नहीं होती।

दक्षिणपंथी मूर्ख नहीं है वामपंथी परमादरणीय क्यूटियों, तुम एक्सेल-एक्सेल खेलते रहो

अगली बार कोई एन्टीसैप्टिक क्रीम वाले लोग ऐसा विज्ञापन बनाएँगे जिसमें किसी नमाज़ पढ़ने जाते बच्चे पर हिन्दू बच्चों ने बम उछाल दिया हो, और उसकी चमड़ी जल जाए। बाद में पता चले कि वो तो हिन्दू ही था जिसने अपने मजहबी दोस्त के लिए टोपी पहनकर बम झेला! फिर आप चुपके से अपनी क्रीम बेच लेना यह कहकर कि साम्प्रदायिक सद्भावना का परिचायक है यह विज्ञापन।

मसूद अज़हर ‘जी’ के साथ माननीय राहुल G का पोस्टर लगा अमेठी में, वायरल हुआ सोशल मीडिया पर

अमेठी के रेलवे स्टेशन परिसर में राहुल गाँधी के विरोधस्वरूप एक पोस्टर लगाया गया है। इस पोस्टर में वह आतंकी मसूद अज़हर के साथ दिख रहे हैं। पोस्टर में राहुल गाँधी को जैश सरगना का पाँव छूते हुए दिखाया गया है।

मसूद अज़हर जी, जीजा जी, आपको लगता है मैं इस जन्म में सेंसिबल बात कर पाऊँगा?

राहुल गाँधी की हालात उस बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थी की तरह हुई पड़ी है, जिसे कल सुबह पेपर देने जाना है और वो आज शाम नोट्स बनाने बैठा है। उसे अभी सिलेबस भी खरीदना है, ‘मोस्ट इम्पोर्टेन्ट’ और वेरी-वेरी इम्पोर्टेन्ट सवाल लाल-नीले और तमाम रंगीन पेनों से रंग कर परीक्षा के मैदान में कूदना है।

आदिल डार के पिता का फ़ख्र glitch नहीं, इस आतंकी मानसिकता का feature है

बानगियों की कमी नहीं है यह जानने के लिए कि आखिर एक सेक्युलर समाज में ऐसी क्या कमी है जो अलगाववादियों को वह मंज़ूर नहीं, और जिससे कश्मीर को आज़ाद कराने के लिए बुरहान वानी और आदिल डार ने जान लेने और देने में कोई संकोच नहीं किया।

जनरल बख्शी का मज़ाक उड़ाने वालो, लॉन्ड्री ही चलाओ क्योंकि पत्रकारिता तुम्हारे वश की बात नहीं

जिसने अपने भाई को इतनी कम उम्र में खो दिया, वो भी देश की रक्षा हेतु- उस आदमी का मज़ाक बनाने में क्या स्वरा ब्रिग्रेड को शर्म नहीं आती?

अब तो सच बोल दे… राहुल! डोभाल और मसूद पर अपनी माँ से क्यों नहीं पूछते

रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि यह फ़ैसला कितना सही और कितना गलत था- इस पर बहस हो सकती है, लेकिन किसी अधिकारी का नाम लेकर उसे कटघरे में खड़ा करना सही नहीं है। अधिकारी तो बस अपनी ड्यूटी कर रहे थे, जो सरकार द्वारा उन्हें सौंपी गई थी।

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