Monday, November 25, 2024

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हिन्दुओं की मौत में अख़लाक़ वाला सोफ़िस्टिकेशन नहीं है

क्या मार दिए गए किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए न्याय नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि उसका नाम अख़लाक़ नहीं बल्कि रामलिंगम है?

अम्मा को मिली आँखें, सीमा को मिला नया जीवन: सरकार की वो योजना, जिसने बदली दी ज़िंदगियाँ

प्रेगनेंसी में दर्द से कराह रही सीमा को गहने बेचने की नौबत आ गई थी क्योंकि पति के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। यहाँ भी 'आयुष्मान भारत योजना' ने अपना काम किया।

प्रिय मुस्लिम औरतो, आप हलाला, पोलिगेमी और तलाक़ के ही लायक हो! क्योंकि आप चुप हो!

घरवालों ने बेटे से कहा कि अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करे। पति की शर्त आई कि पहले लड़की को उसके पिता के साथ हलाला करना होगा। हलाला यानी ससुर के साथ शारीरिक संबंध बनाना।

8 साल की दुष्कर्म पीड़िता को शिवराज सरकार ने दिया था घर, कॉन्ग्रेस सरकार ने दिया खाली करने का आदेश

घर खाली करने की बात सामने आने के बाद बच्ची के पिता ने कहा कि उन्हें डर है कि अगले शैक्षणिक सत्र में उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया जाएगा। उन्होंने कहा, "मैं ₹4.5 लाख की फीस नहीं दे सकता हूँ।"

डियर सोसायटी, लड़की को आप ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ पर आँक लेते हैं… लड़कों के लिए भी ऐसा ही कुछ किया जाए?

अगर एक हाइमन के ब्रेक हो जाने से उसके चरित्र पर ही उँगलियाँ उठें और शर्मसार हो जाना पड़े तो जरूरी है कि न केवल महाराष्ट्र की सरकार बल्कि पूरे देश में इस ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ को अपराध घोषित कर दिया जाए।

तीन तलाक़: ससुर के बाद अब देवर से ‘हलाला’ का दबाव, पहली बार इंजेक्शन देकर किया था ‘कुकर्म’

"ससुराल वालों ने मेरी बहन को जबरन इंजेक्शन लगा कर, उसके ससुर के साथ हलाला की 'रस्म' पूरी करवाई। अगले 10 दिनों तक, बुजुर्ग व्यक्ति ने मेरी बहन के साथ लगातार बलात्कार किया।"

वैरागी जीवन जीते हुए वीतरागी हो जाना है नागा संन्यासी होना

कई मुस्लिम, ईसाई और बाकी धर्मों के लोग भी स्वीकार किए गए हैं। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जो पहले डॉक्टर और इंजीनियर रह चुके हैं।

बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया… और IAF है दुधारू गैया

कहानी इसलिए क्योंकि कभी स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल मर जाता है, तो कभी स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी को भुला दिया जाएगा। उदाहरण इसलिए क्योंकि आपको मतलब हो या न हो, पार्टी आलाकमानों के बड्डे याद कराना नहीं भूलते नेता'जी' लोग।

CBI की गिरती साख: कब तक होती रहेगी केंद्रीय एजेंसियों की फ़ज़ीहत

आज आवश्यकता है एक ऐसी एजेंसी की जो आंतरिक सुरक्षा, भ्रष्टाचार की जाँच, इंटेलिजेंस एकत्र करना और आतंकवाद इन सभी ज़िम्मेदारियों को पूर्ण स्वायत्ता के साथ संभाल सके।

‘फिरौती के लिए अपहरण’ का बाज़ार ध्वस्त करने के लिए शुक्रिया नीतीश जी, लेकिन दंगे और रेप का क्या?

बलात्कार के मामलों में जहाँ 23% की वृद्धि देखी गयी है, वहीं दंगों की घटनाओं में 29% की वृद्धि सरकार के लिए चिंता का सबब बन सकती है।

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