विचार
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मोदी जी के बीस लाख करोड़: फेसबुक-ट्विटर के भविष्यवेत्ताओं और तत्वज्ञानियों के नाम
लक्ष्य दिल्ली-मुंबई में बैठे स्टॉक एक्सचेंज के खिलाड़ियों और आर्थिक बीट पर काम करने वाले पत्रकारों तक अपनी बात पहुँचाने का नहीं है, बल्कि उन्हें भी संबल देना है जो खाली पाँव, दहकते कंक्रीट पर, फफोलों के साथ निकल चुके हैं।
विश्व की 15% जनसंख्या का समाप्त होना निश्चित: विनाश से सृजन का बीज है चीनी कोरोना वायरस
अगले 10 वर्षों में कोरोना वायरस के कारण राष्ट्रों के बीच टकराव एवं आर्थिक विभीषका के परिणामस्वरूप, विश्व की 15% जनसंख्या समाप्त होगी और...
आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल जरूरी, पर व्यक्ति और समाज की प्राइवेसी का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक
द डायलॉग नामक थिंक टैंक ने आरोग्य सेतु ऐप से जुड़े हुए प्राइवेसी के मुद्दों को सुलझाने के लिए 14 बिंदुओं की एक रिपोर्ट तैयार की है।
1857 का स्वतंत्रता संग्राम, मुस्लिम तुष्टिकरण और साम्प्रदायिकता… बाद में अलीगढ़ वाले सैयद अहमद की भूमिका
1857 का संग्राम अंग्रेजों के लिए 'भयभीत' करने वाला अनुभव था। इसलिए यहाँ के बाद साम्प्रदायिकता के बीज को पाला-पोसा गया, उसके लिए...
दिल्ली में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें, आँकड़े छिपा रहा केजरीवाल: कपिल मिश्रा का लेख
दिल्ली में कोरोना से मौतों का जो आँकड़ा केजरीवाल सरकार सार्वजनिक कर रही है, वह अलग-अलग अस्पतालों के मौत के डाटा से मेल नहीं खा रहा है।
कोरोना आपदा से पैदा हुआ जड़ों की ओर लौटने का अवसर, विकास के वैकल्पिक मॉडल में ग्राम स्वराज पर हो फोकस
कोरोना जैसी आपदा ने गैर बराबरी जैसी असाध्य बीमारी को मिटाने का अवसर दिया है। जरूरी है कि फोकस अब ग्राम स्वराज पर हो।
हलाल का हल्ला: आयुर्वेद व ऋषि-परंपरा को इस्लामी देशों ने अपनाया, समझौता उन्होंने किया, जीत हमारी हुई
पतंजलि को हलाल सर्टिफिकेट मिला लेकिन क्या कंपनी में कोई बदलाव किया गया? नहीं। तो फायदा किसे हुआ और समझौता किसे करना पड़ा? समझिए!
‘वायर’ के वेणु! मस्जिदों से जिहाद, जकात का पैसा काहे नहीं माँगते? मंदिरों के सोने पर क्यों है तेरी कुदृष्टि?
वक़्फ़ के पास हर बड़े शहर की प्राइम लोकेशन पर दसियों एकड़ जमीनें हैं, जकात का अथाह पैसा है। कोरोना काल में मंदिर से सोने के बजाय मस्जिद को...
बेशुमार दौलत, रहस्यमयी सेक्सुअल लाइफ, तानाशाही और हिंसा: मार्क्स और उसके चेलों के स्थापित किए आदर्श
कार्ल मार्क्स ने अपनी नौकरानी को कभी एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी। उससे हुए बेटे को भी नकार दिया। चेले कास्त्रो और माओ इसी राह पर चले।
भूख से कितने मर-मरा गए, कोई गिनती नहीं: पी चिदंबरम ने कोरोना पर बोलते-बोलते कॉन्ग्रेस की ही खोल दी पोल
पी चिदंबरम ने मोदी सरकार की आलोचना के लिए लिखे लेख में कॉन्ग्रेस की पोल खोली है। वो कोरोना और लॉकडाउन से सीधे भूख पर पहुँच कर ऐसा फँसे कि...