विचार
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मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस MLA प्रद्युम्न लोधी ने पार्टी से दिया इस्तीफा, थामा BJP का हाथ
कॉन्ग्रेस को यह झटका ऐसे समय में लगा है जब उप-चुनाव होने ही वाले हैं। मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस विधायक प्रद्युम्न लोधी ने शिवराज सिंह से मिलकर...
भय बिनु होय न प्रीत: ड्रैगन को सामरिक और आर्थिक तरीकों से एक साथ घेरना ही उचित रास्ता
स्वदेशी उत्पादों का अधिकाधिक उपयोग चीन के सामरिक सामर्थ्य को क्रमशः कमजोर करेगा। स्वदेशी, स्वावलंबन और संकल्प आर्थिक वर्चस्व को...
सावन में माँस न खाना ढोंग, बकरीद में बकरियों को काटना ईमान: वामपंथियों का फिर जागा हिन्दूफोबिक ज्ञान
ऋचा सोनी -
सावन का महीना शुरू। लिबरल्स भी घटिया एजेंडे के साथ जाग चुके हैं। बकरीद पर सैकड़ों बकरियों को लेकर आँख मूँद लेने वाले अब नॉन वेज को...
ज्योति बसु: सामूहिक हत्याओं का वो वामपंथी प्रतीक जिसे भारत भूल चुका है
1979 में तत्कालीन ज्योति बसु सरकार की पुलिस व सीपीएम काडरों ने बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थियों के ऊपर जिस निर्ममता से गोलियाँ बरसाईं उसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं मिलती।
चीन पीछे हट रहा है लेकिन कॉन्ग्रेस को चैन क्यों नहीं: अजीत भारती के सवाल | Ajeet Bharti on China and Galwan valley
कॉन्ग्रेस राज में ही चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया और अब चिल्ला भी वही रहे हैं। मगर अब लोग समझने लगे हैं। हमें अपनी सेना पर विश्वास रखना चाहिए और कॉन्ग्रेसियों के प्रपंच से बचना चाहिए।
भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में सावरकर-बोस सिद्धांत को अमल में लाने का वक्त आया
यह स्पष्ट है कि आज के भारतीय जहाज के तल में एक बड़ा छेद है जिसे हमें दुरुस्त करने की आवश्यकता है। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो यह जहाज सागर में डूब सकता है।
CM शिवराज से कॉन्ग्रेसी नेता ने लगाई गुहार, कहा – ‘प्लीज, सिंधिया कैम्प के किसी को राजस्व मंत्री न बनाएँ’
"ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए राजस्व मंत्री की मदद से सरकारी ज़मीन अपने नाम करवाना आसान होगा। इसलिए शिवराज सिंह चौहान से निवेदन है कि..."
जातिवाद के लिए मनुस्मृति को दोष देना, हिरोशिमा बमबारी के लिए आइंस्टाइन को जिम्मेदार बताने जैसा
महर्षि मनु हर रचनाकार की तरह अपनी मनुस्मृति के माध्यम से जीवित हैं, किंतु दुर्भाग्य से रामायण-महाभारत-पुराण आदि की तरह मनुस्मृति भी बेशुमार प्रक्षेपों का शिकार हुई है।
भारतीय सेना जब भी विदेशी जमीन पर उतरी है, नया देश बनाया है… मुस्कुराइए, धुआँ उठता देखना मजेदार है
भारत-चीन विवाद के बीच प्रधानमंत्री का लेह-लद्दाख पहुँच जाना सेना के लिए कैसा होगा इस बारे में कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है। पुराने दौर में “दिल्ली दूर, बीजिंग पास” कहने वाले तथाकथित नेता पता नहीं किस बिल में हैं। ऐसे मामलों पर उनकी टिप्पणी रोचक होती।
गोकुलपुरी वाली चार्ज शीट एक महीने पुरानी है, इसे ‘खुलासा’ कह कर वामपंथी अभी क्यों नाच रहे हैं?
ऐसे में गोकुलपुरी के कुछ नवयुवक क्या करते? आप इस स्थिति में क्या करेंगे जब आप शत-प्रतिशत जानते हों कि यह भीड़ आपके घरवालों को पहली नजर में हाथ काट कर, पैर काट कर दिलबर नेगी की तरह आग में जलने को फेंक देगी?