'पीएम मोदी ने योगी आदित्यनाथ को पैदल कर दिया' और जन्मदिन की बधाई नहीं दी' वाला नैरेटिव अब ध्वस्त हो गया है। देश के सबसे बड़े नेता का हाथ भगवाधारी महंत के कंधे पर है। लखनऊ राजभवन के गलियारों से निकला सन्देश क्या कहता है?
कार्यकर्ताओं को भरोसे में नहीं लिया या संचार व्यवस्था कमजोर रही? भीड़तंत्र वाले 'ठेकेदारों' के हिंसक आंदोलन के बाद क्या करे केंद्र सरकार? आगे इस तरह की बलैकमेलिंग से निपटने का रास्ता क्या हो?
कई लोग मान रहे हैं कि केंद्र सरकार सड़क पर उतर कर भीड़ और हिंसा के सहारे अपनी बात मनवाने की कोशिश करने वालों के सामने झुक गई है। अंदर के लोगों का कहना है कि आंतरिक सुरक्षा के लिए ये अनिवार्य था।
इंदिरा ने पुराने कॉन्ग्रेस को फुस्स कर एक ऐसी कॉन्ग्रेस खड़ी कर ली जहाँ उनके चाटुकारों ने 'इण्डिया इज इंदिरा एंड इंदिरा इज इण्डिया' कहने में भी संकोच नहीं किया।