Thursday, November 28, 2024

राजनैतिक मुद्दे

लेनिन: लाखों किसानों-निर्दोषों की लाश के ढेर पर कम्युनिस्ट सत्ता स्थापित करने वाला

रूस में गृहयुद्ध के दौरान लेनिन के सामने शासन और सर्वहारा में से किसी एक को चुनने का समय आया, तब उसने सर्वहारा में ही जार को देखा।

उम्माह के पैरोकार इक़बाल ने कैसे बदल दिया था ‘सारे जहाँ से अच्छा’ तराना: कट्टरपंथी थे Pak के जनक

अगर आप इस्लामी कट्टरपंथी अल्लामा इक़बाल का 'सारे जहाँ से अच्छा' गाते हैं तो आपको 'तराना-ए-मिल्ली' के बारे में जरूर जानना चाहिए।

‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’- मोदी जी द्वारा बोले इन शब्दों का महत्व बहुत व्यापक है

प्रधानमन्त्री मोदी जी ने अपने संबोधन में कहा था- ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ अर्थात् इस राष्ट्र यानी देश के हित में हम सब आलस्य और प्रमाद को छोड़कर सजग बनें।

मस्जिद के सामने जुटी भीड़, गूँजा अल्लाह का नाम, अलग-अलग बातें बोल रहे ‘बेस्ट CM’ और बेटे: PK का दिल्ली मॉडल?

मजदूर घर जाने के लिए जमा हुए हैं तो इनके हाथों में थैले या बैग वगैरह क्यों नहीं हैं? भीड़ मस्जिद के पास ही क्यों जमा हुई और अल्लाह का नाम लेकर समझाने के पीछे क्या तुक है? महाराष्ट्र में 30 अप्रैल तक का लॉकडाउन पहले से ही घोषित था तो आज हंगामा क्यों हो रहा है?

जहाँ हुआ जलियाँवाला नरसंहार, 8 महीने बाद कॉन्ग्रेस ने वहीं क्यों रखा अधिवेशन: 2 फाइल, एक लेटर में छिपा है राज

भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार की होम पॉलिटिकल विभाग की फ़ाइल संख्या जनवरी 1920/77 के अनुसार कॉन्ग्रेस ने अमृतसर को अपने अधिवेशन के लिए जानबूझकर चुना, जिससे एक खास राजनैतिक मकसद को पूरा किया जा सके। दस्तावेज के अनुसार जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस उन खूनी धब्बों से ब्रिटिश सरकार को बचाने का प्रयास कर रही थी, जिनके निशान आजतक अमृतसर में मौजूद हैं।

बाबासाहब आजादी से पहले ही भाँप गए थे वहाबियों के खतरे को, चंद कॉन्ग्रेसी नेताओं ने दबा दी थी उनकी आवाज

"मुस्लिमों के लिए हिंदू काफिर है। मुस्लिमों की दृष्टि में काफिर सम्मान के योग्य नहीं होता है, उसकी कोई सामाजिक स्थिति भी नहीं होती है। अत: जिस देश में काफिरों का शासन हो, वह स्थान म्मुस्लिमों के लिए दारुल-हर्ब है। ऐसी स्थिति में यह सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं बचती कि मुस्लिम गैर-मुस्लिम के शासन को स्वीकार नहीं कर पाएँगे। इसलिए भारत और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की पूर्ण अदला-बदली ही क्षेत्र में शांति व सौहार्द रख सकती है।''

हाँ, नंदिता दो तरह का भारत है: एक जहाँ मजदूर रहते हैं, दूसरा जहाँ से तुम्हारे पिता निकाले गए थे

नंदिता दास का यह बयान अपने आप में गलत नहीं है, क्योंकि सच में भारत में एक महान विभाजन मौजूद है। लेकिन यह स्टेटमेंट किसकी तरफ से आया है जब आप यह सोचते हैं तो मुँह दबा कर हँसते हुए यह सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि आखिर कोई खुलेआम इतना दोमुँहा बर्ताव कैसे कर लेता है।

जब देशहित के लिए अपनी पहचान खो कर BJP का हुआ निर्माण: सावरकर से लेकर अटल-आडवाणी तक का इतिहास

जनसंघ की जड़ें RSS और अन्य धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रवादी आन्दोलनों और संगठनों से जुड़ी थीं। इसीलिए, भाजपा का इतिहास समझने के लिए हमें संघ के साथ-साथ आर्य समाज और हिन्दू महासभा के इतिहास को भी देखना पड़ेगा। आज के 'घर वापसी' अभियान को ही लें तो इसकी जड़ें आर्य समाज के शुद्धि आंदोलन में है।

कोरोना वायरस से इस जंग में नायक कौन, योगी या केजरीवाल?

वुहान वायरस का संक्रमण रोकने के लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार के सभी प्रयास सफल रहें। इसके लिए राज्य सरकारों को बिना किसी छल-कपट के एकजुट होकर काम करना होगा। तभी अपने लोगों के जीवन की रक्षा की जा सकती है।

पलायन या षड्यंत्र? ये देश को तबाह करने की साजिश नहीं तो और क्या है? दो लाख लोग इकट्ठा कैसे हो गए?

अरविंद केजरीवाल ने उन्हीं लोगों को धोखा दिया है, जिनके बल पर वह सत्ता पाता है। वो जानता था कि दिल्ली में वो 2 लाख लोगों की कोई व्यवस्था नहीं कर सकता। ऐसे में अफवाहें फैलाई गई और उन गरीब मजदूरों को घर से बाहर निकालने का षड्यंत्र रचा गया ताकि वो दिल्ली छोड़कर कहीं भी जा सकें।

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