सामाजिक मुद्दे
घिसी-पिटी और पॉलिटिकली करेक्ट लाइन से अलग और बेबाक बातें
कहीं पेट के बहाने छाती दबाता वार्ड ब्वाय, कहीं प्राइवेट पार्ट टच करता टीचर तो कहीं दोस्त की बेटी से रेप करता अधिकारी… मासूमियत...
दिल्ली सरकार के बाल विकास विभाग का अधिकारी रहते प्रेमोदय खाखा ने दोस्त की बेटी का जिस तरीके से शोषण किया, उसका दर्द जिस्मानी से कहीं अधिक जेहनी होता है, जो ताउम्र नासूर सा सालता रहता है।
जिस कानून के कारण बाल गंगाधर तिलक पर केस, अब वो खत्म: देश के खिलाफ युद्ध जैसे षड्यंत्रों पर सजा अब और भी कठोर
अमित शाह ने संसद में कहा कि राजद्रोह को खत्म कर दिया जाएगा। हालाँकि, प्रस्तावित कानून की धारा 150 में इसके लिए प्रावधान किया गया है।
स्वीडन में कुरान जलने पर मुंबई की मीनारा मस्जिद के बाहर जुटी इस भीड़ के खतरे बड़े, क्योंकि इसके पीछे है रजा अकादमी
अजीत झा -
लोकतांत्रिक व्यवस्था में शांतिपूर्ण विरोध अधिकार है। लेकिन जब विरोध-प्रदर्शन के पीछे रजा अकादमी हो तो वह घड़ी व्यवस्था के लिए अलर्ट हो जाने का है।
सबके परचम जलाने हैं ताकि धरती पर रहे एक ही परचम… जलते फ्रांस में विध्वंस की लपटें वही, जिस संत्रास को 1300 साल से...
इस्लाम जहाँ है, समाचारों में है। भारत में कश्मीर, बंगाल होकर केरल तक समाचार माध्यमों में उसकी चर्चा अधिकतर नकारात्मक है और फ्रांस समेत ऐसा ही अन्य देशों में है।
‘बेटी पढ़ाओ, पर बीवी नहीं’: ज्योति मौर्या नहीं तय करेगी ‘हीरा ठाकुर’ का भविष्य, वे अपने अलोक से समाज में हमेशा फैलाते रहेंगे ज्योति
एक कहानी है हीरा ठाकुर की। एक अलोक मौर्या की। हीरा जब पत्नी को आईएएस बनने में मदद करता है तो उसे श्रेय मिलता है। वहीं आलोक को धोखा मिलता है।
चद्दर में चुम्मा-चाटी से कैमरे पर लिपलाॅक तक पहुँच गया बिग बॉस: मनोरंजन के नाम पर भोंडापन, संस्कृति पर सुनियोजित हमला
एक ऐसी भी क्लिप सामने आई है कि जिसमें जैद हदीद आकांक्षा को जबरदस्ती पकड़कर खींच रहे हैं। इस पर आकांक्षा थोड़ा उनसे दूर होकर कहती भी हैं कि उन्हें ये सब नहीं पसंद इसलिए ऐसे न छुआ जाए। लेकिन जैद हदीद पर खासा फर्क नहीं दिखता।
योजना, तैयारी और समय पर कार्रवाई…. जानें विनाशकारी बिपरजॉय चक्रवात से कैसे बचा गुजरात, राज्य सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए
गुजरात चक्रवात बिपरजॉय के संकट से सफलतापूर्वक बाहर निकल आया है। इस दौरान सरकार की चौकसी और तैयारी के कारण किसी की जान नहीं गई।
दिलनूर जैसी मुस्लिम युवतियों को कौन दिलाएगा मुक्ति, भाभी देती है ताने- तेरे साथ तो बकरा भी नहीं रहेगा: ‘पैगाम’ वाली रवायत से निकाह...
अजीत झा -
इस्लामी कानून, रवायत और कठमुल्ले किसी के लिए मुस्लिम महिलाओं की आवाज का मोल नहीं। उलटे तकरीरों में उन्हें इस तरह पेश किया जाता है जैसे 'भोग की वस्तु' से अधिक उनका मोल न हो।
सेकुलर नहीं, अच्छा हिंदू बनिए, उनको उनकी ईद के साथ छोड़ दीजिए, क्योंकि फूलों की यही बारिश कल पत्थर बन बरसेंगे
अजीत झा -
सियासी मजबूरी तो समझी जा सकती है। लेकिन आम हिंदुओं की वह कौन सी मजबूरी है जो उन्हें कथित भाईचारे की मिसाल बनने को इतना उद्वेलित करती है?
नीतीश कुमार, यदि सुशासन ऐसा ही होता है तो इसे भी जहरीली शराब पीकर मर जाना चाहिए
बिहार में ज़हरीली शराब से गरीब मर रहे हैं। उनमें जागरूकता का अभाव है। उनके परिवारों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार क्यों? आम जनता पर क्यों थोपा जा रहा दोष?