Friday, November 22, 2024

सामाजिक मुद्दे

चर्च यौन शोषण: पोप का चुप्पी तोड़ना उनके मौन से भी ख़तरनाक है क्योंकि…

बलात्कार, यौन शोषण के आरोपित पादरी अब भी खुले घूम रहे हैं, ननों को प्रताड़ित करने वाले बिशप अब भी अपने पद पर बेशर्मी से कार्यरत हैं, चर्च प्रशासन के अन्याय से तंग नन्स आज भी सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।

पाकिस्तान का अमानवीय चेहरा: लाखों गदहों की बलि चढ़ा कर भरेगा ख़जाना

Ejiao नामक दवा बनाने के लिए गदहों को धैरती पर सुला कर उनके सिर पर हथौड़ों से ज़ोर-ज़ोर से प्रहार किया जाता है, जिससे कि वो एक धीमी और दर्दनाक मौत मरते हैं।

डियर सोसायटी, लड़की को आप ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ पर आँक लेते हैं… लड़कों के लिए भी ऐसा ही कुछ किया जाए?

अगर एक हाइमन के ब्रेक हो जाने से उसके चरित्र पर ही उँगलियाँ उठें और शर्मसार हो जाना पड़े तो जरूरी है कि न केवल महाराष्ट्र की सरकार बल्कि पूरे देश में इस ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ को अपराध घोषित कर दिया जाए।

सत्ता की वासना में जब नौकरशाही की निष्ठा शीघ्रपतित होती है तो लोग शाह फ़ैसल बन जाते हैं

वो कहते हैं कि उन्हें दुःख है कि कश्मीरियों की हत्या हो रही है और केंद्र सरकार कुछ नहीं कर रही है। देश के विरुद्ध खुली यलगार करने वाले पत्थरबाजों से उन्हें सहानुभूति हो जाती है। अलगाववादी नेताओं में उन्हें लीजेंड नज़र आने लगता है।

सेकुलर भारत के राष्ट्रपति भवन में ‘मुग़ल गार्डन’: ग़ुलामी के प्रतीकों पर गर्व करने वाली अकेली प्रजाति

गार्डन का नाम 'कलाम गार्डन' कर दो जो कि एक आदर्श नागरिक थे, भारत रत्न थे। आक्रांताओं के नाम पर गार्डन! आतंकियों, लुटेरों, बलात्कारियों, हत्यारों, नरसंहारकों, मूर्तिभंजकों, आतताइयों, धर्मांध अत्याचारियों आदि के नाम से कुछ भी है ही क्यों इस देश में?

क्या पोप और इमाम की चुम्मी से ज़मीनी स्तर पर सुधरेगी हालत?

अगर पोप और शीर्ष इमाम के बीच का चुम्मा-बंधन पूरा हो तो पोप को हिन्दू मंदिरों पर ईसाई कट्टरवादियों द्वारा किए जा हमले और ननों के यौन शोषण पर भी चुप्पी तोड़नी चाहिए।

जब ‘हिजाब’ से पितृसत्ता और धार्मिक कुरीतियों की बू आने लगे… तो उसे उतार फेंकना चाहिए

Nike वाला डिज़ाइनर हिजाब किसी विशेष धर्म की कुरीतियों को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है कि अब दौड़ के मैदान में भी एक लड़की 'खिलाड़ी' बनकर नहीं बल्की 'मुस्लिम खिलाड़ी' बनकर दौड़ेगी।

फ़ेक न्यूज़ का भस्मासुर अब नियंत्रण से बाहर हो चुका है

इंडिया टुडे जैसे प्रकाशनों से शुरू हुई ये व्यवस्था प्रचलित अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में आई। अब तो इसमें “द हिन्दू”, जनसत्ता और “इंडियन एक्सप्रेस” जैसे तथाकथित विचारधारा वाले अखबार भी शामिल हैं।

बजट विश्लेषण: पशुपालन, मत्स्यपालन, सस्ते ऋण व किसानों की आय बढ़ाने पर ज़ोर

गौपालन प्रोत्साहन पर सरकार ने ज़ोर दिया है। निर्धन व कम भूमि वाले किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी। मत्स्यपालन के लिए अलग विभाग बनाने का निर्णय लिया गया। कृषकों को सस्ता ऋण।

बजट विश्लेषण: गाँव, ग़रीब-गुरबा, पिछड़े और मध्यम वर्ग के लिए ज़रूरी था ये सब

ग़रीबों को सस्ता अनाज के लिए आवंटन दोगुना। मनरेगा का बजट हुआ तिगुना। बस्तियों में सड़कों का बिछा जाल। घर-घर में पहुँची बिजली। 10 लाख लोगों ने उठाया मुफ़्त चिकित्सा का लाभ। आर्थिक आधार पर आरक्षण।

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