Monday, May 6, 2024
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श्रमिक ट्रेनों में मौत की खबरों पर मीडिया ने फिर से फैलाया भ्रम, रेलवे ने लापरवाही के दावों को नकारा

बुधवार को दैनिक जागरण ने एक खबर प्रकाशित की। इसमें दावा किया गया कि लापरवाही की वजह से श्रमिक एक्सप्रेस में चार लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट में श्रमिक ट्रेनों के हालात को बदतर बताते हुए कहा कि प्रवासियों की मौत भोजन व पानी नहीं मिलने के कारण हुई।

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मौत को लेकर मीडिया लगातार भ्रामक खबरें प्रकाशित कर रहा है। भारतीय रेलवे ने एक बार फिर इस संबंध में प्रकाशित खबरों का खंडन किया है।

बुधवार (मई 27, 2020) को दैनिक जागरण ने एक खबर प्रकाशित की। इसमें दावा किया गया कि लापरवाही की वजह से श्रमिक एक्सप्रेस में चार लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रमिक एक्सप्रेस पर सवार प्रवासी श्रमिकों को भोजन और पानी के लिए तरसना पड़ता है। श्रमिक ट्रेनों के हालात को बदतर बताते हुए कहा कि प्रवासियों की मौत भोजन व पानी नहीं मिलने के कारण हुई।

सोशल मीडिया पर कई लोगों ने, जिसमें पत्रकार भी शामिल थे, ने श्रमिक एक्सप्रेस में भोजन और पानी की कमी को मौत का जिम्मेदार ठहराया।

रिपोर्ट के अनुसार, आजमगढ़ निवासी 45 वर्षीय राम अवध चौहान महाराष्ट्र के कल्याण से एक बस में झाँसी पहुँचे। झाँसी स्टेशन पहुँचने से पहले ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। झाँसी स्टेशन पहुँचने पर रेलवे अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें दवा दी। आराम मिलने पर वे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुए। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुँचने से पहले भीमसेन स्टेशन पर अचानकर उनकी हालत बिगड़ी और मौत हो गई।

श्रमिक ट्रेन में हुई मौत को लेकर ऑपइंडिया ने रेल मंत्रालय से संपर्क किया और उनसे इस बारे में जानने की कोशिश की। रेलवे के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि मृतक को ब्लड प्रेशर और ब्लड शूगर की शिकायत थी। डॉक्टरों ने भी उनका इलाज किया था और दवाई दी थी।

इसी तरह, जागरण ने सूरत से वैशाली जाने वाले एक अन्य प्रवासी सरोज का जिक्र किया है। इसमें बताया गया कि 26 मई 2020 को सासाराम से पटना जाने के दौरान ट्रेन में सरोज की मृत्यु हो गई। जागरण ने मृतक सरोज के भाई कृष्णा कुमार का हवाला देते हुए बताया कि दोनों ने सोमवार से ही कुछ नहीं खाया था। हालाँकि, रेलवे के सूत्रों का कहना है कि लापरवाही का आरोप निराधार है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।

जागरण की रिपोर्ट में एक अन्य प्रवासी 52 वर्षीय लालबाबू कामत का उल्लेख भी है। जागरण की रिपोर्ट में कहा गया है कि कामत को कुछ समय पहले लकवा हुआ था और जब रास्ते में उनकी तबीयत खराब हुई तो उन्हें दवाइयाँ भी दी गईं। रेलवे के सूत्रों ने भी पुष्टि की कि जब उनकी तबीयत खराब हुई तो उन्हें दवाइयाँ दी गईं।

इसके साथ ही ट्रेनों में मौत के संबंध में फैलाई जा रही गलत सूचना का खंडन करने के लिए भारतीय रेलवे ने ट्विटर का सहारा लिया। रेलवे ने दैनिक जागरण की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट लगाते हुए ट्वीट किया, “यह खबर पूर्णत: भ्रामक एवं असत्य है। जिन 4 मौतों का उल्लेख किया गया है उसमें से 2 लोग पहले से ही गंभीर रोग से ग्रसित थे। बाकी 1 व्यक्ति की मौत का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद ही सामने आएगा। चौथे व्यक्ति का कोई भी विवरण नहीं दिया गया है।”

रेलवे ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, “भारतीय रेल द्वारा विभिन्न स्टेशनों पर आवश्यकता पड़ने पर यात्रियों को तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाती है। सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अनिवार्य रूप से खाना और पानी सभी यात्रियों को उपलब्ध कराया जाता है। इस खबर में किसी भी रेल अधिकारी का कोई भी पक्ष नहीं लिया गया है।”

इससे पहले मंगलवार (मई 26, 2020) को दैनिक भास्कर ने अपनी इमोशनल स्टोरी में दावा किया था कि ईद के दिन इरशाद नामक बच्चे की ट्रेन में ही मौत हो गई। हालाँकि, रेलवे ने बाद में जब सच्चाई बयान की तो भास्कर के इस ख़बर की पोल खुल गई।

खबर में ये भी दावा किया गया था कि सूरत से सीवान पहुँचने में ट्रेनों को पूरे 9 दिन लग गए। रेलवे ने इस ख़बर को नकारते हुए कहा है कि ये पूरी की पूरी रिपोर्ट अर्धसत्य और गलत सूचनाओं से भरी हुई है। भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि 25 मई को सूरत से दो ट्रेनें 2 दिन मे पहुँच गई थी, इसीलिए 9 दिन वाली बात झूठी है।

रेलवे ने बताया कि वो बच्चा पहले से ही बीमार था और इलाज के बाद उसके परिजन उसे लेकर लौट रहे थे। इसी तरह वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘कारवाँ’ के पत्रकार विद्या कृष्णन ने ट्विटर पर मौत को लेकर फर्जी सूचना जारी की है। कारवाँ के लेखक ने ट्विटर पर दावा किया कि ट्रेन में 10 यात्रियों की भूख से मौत हो गई।

PIB ने इस ट्वीट को फर्जी बताते हुए इसका फैक्ट चेक किया। इसमें PIB ने स्पष्ट किया है कि यह दावा एकदम फेक है और भूख के कारण ऐसी कोई मौतें नहीं हुई है। PIB ने ट्वीट में लिखा कि मौत का कारण उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से ऑटोप्सी के बिना निर्धारित नहीं किया जा सकता है। कृपया असत्यापित खबरें फैलाने से बचें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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