फैक्ट चेक के नाम पर इस्लामी संस्थाओं, मजहबी मुल्ला-मौलवियों और कोरोना वायरस महामारी की दहशत के बीच यहाँ-वहाँ थूकने वाले तबलीगियों को क्लीन चिट देने वाली वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने एक बार फिर अपने ट्विटर अकाउंट से अपना ‘पाकिस्तान प्रेम’ जगजाहिर किया है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने सोमवार (जनवरी 04, 2021) को ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें अल्लामा कौकब नूरानी नाम का एक मौलवी, कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर बेहद भ्रामक जानकारी और अफवाह फैलाते हुए देखा जा सकता है।
नूरानी ने इस वीडियो में इतनी वाहियात बातें कही हैं कि इन्हें अगर कोरोना वायरस खुद अपने कानों से सुन ले तो वो बिना वैक्सीन के ही आत्महत्या करने का मन बना सकता है। मौलाना नूरानी इस वीडियो में कहते सुने जा सकते हैं कि मुस्लिमों के खिलाफ छेड़ी गई साजिश कोरोना यहूदियों की साजिश इसलिए है क्योंकि वे इसकी वैक्सीन बनाकर उसमें एक चिप डाल रहे हैं। जब वह वैक्सीन मुसलमानों या किसी भी इंसान को लगाई जाएगी, तब चिप भी इंसानी जिस्म में दाखिल कर टिका दी जाएगी। इस चिप से आपका मिजाज कंट्रोल किया जाएगा। आप क्या सोचते हैं, क्या करते हैं सब यहूदियों को पहले ही पता होगा।
मगर मौलाना नूरानी ने इसमें क्या कहा, यह बड़ा विषय नहीं है। विषय इस वीडियो को शेयर करने वाले व्यक्ति, यानी मोहम्मद जुबैर, जिसका अधिकतर समय हममजहब लोगों का बचाव करने और झूठ फ़ैलाने में ही जाता है, की मंशा है। ये वीडियो शेयर करते हुए शलभ मणि त्रिपाठी ने लिखा, “ये हैं भारत के ‘मुन्ना भाई वैक्सीन विशेषज्ञों’ का इस्लामिक संस्करण। कहते हैं वैक्सीन में चिप लगी है, सबका मिज़ाज क़ाबू कर लेंगे।”
मौलाना कौकब नूरानी का यह वीडियो काफी समय से ही सोशल मीडिया पर वायरल होता आया है। लेकिन इस्लामी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर को कौकब नूरानी के इस वीडियो का मजाक बनाना बहुत रास नहीं आया और ‘फैक्ट चेकर’ ने इस पर अपनी मजहबी खुजली मिटाते हुए ‘ज्ञान’ देने की कोशिश कर डाली।
मोहम्मद जुबैर ने शलभ मणि त्रिपाठी का यह ट्वीट रीट्वीट करते हुए लिखा, “हैलो शलभ मणि त्रिपाठी, वो आदमी पाकिस्तान से है (Raukab Noorani Okarvl), भारत से नहीं। वैसे वीडियो देख के, नैनो चिप वाली नोट का वीडियो याद आ गया।”
पहली गलती तो यहाँ पर मजहबी ‘फैक्ट चेकर’ ज़ुबैर ने यह की है कि मौलाना नूरानी का बचाव करने की जल्दबाजी में उसने मौलाना कोकब नूरानी का नाम ‘रोकब नूरानी’ लिख दिया।
दूसरी गलती, जो मोहम्मद जुबैर ने अपनी होशियारी दिखाते हुए और मौलाना नूरानी का बचाव करते हुए की, वो ये कि जब शलभ मणि त्रिपाठी ने इस मौलाना के देश का जिक्र ही नहीं किया तो फिर मोहम्मद जुबैर को इसमें स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता ही क्यों महसूस हुई?
वास्तव में, शलभ मणि त्रिपाठी ने अपने ट्वीट में लिखा कि ‘भारत के मुन्ना भाई विशेषज्ञों का इस्लामी संस्करण’, जिसका सीधा सा मतलब ‘भारत के वैक्सीन विरोधी मूर्खों का इस्लामी संस्करण’ है। यह लिखते हुए उन्होंने कहीं पर भी इस मौलवी को ‘भारतीय’ नहीं कहा है, जैसा कि मोहम्मद जुबैर ने जल्दबाजी में मौलाना का बचाव करते हुए दावा किया है।
मोहम्मद जुबैर को यहाँ पर ज्यादा कुछ नहीं करना चाहिए, लेकिन अगर उसे हिंदी नहीं आती है तो पहले किसी से पूछ लिया करे। अगर योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार ने वहाँ इस्लामी संस्करण की जगह ‘भारतीय संस्करण’ लिखा होता तो मोहम्मद जुबैर की बात शायद सही होती।
यह भी सम्भव है कि मोहम्मद जुबैर को दाएँ से बाएँ पढ़ने की आदत हो। हो सकता है कि इसी आदत के चलते उन्होंने ‘भारतीय’ को सबसे आखिर में पढ़ा और फौरन ये मतलब भी निकाल लिया कि मौलवी को भारतीय बताया जा रहा है जबकि वो पाकिस्तानी है।
अकबर-बीरबल के चुटकुलों का फैक्ट चेक करने वाला मोहम्मद जुबैर अपनी बुद्धि क्षमता का परिचय देकर हर दूसरी बात पर फैक्ट चेक की गुंजाइश तलाशता है और जब दिनभर में ये कोटा पूरा नहीं होता, तो उसे इसी तरह से दूसरों के रैंडम ट्वीट का जबरन फैक्ट चेकर करना होता है।
ऐसे में, अगर किसी मुल्ला-मौलवी को क्लीन चिट देने का मौका मिल जाए तो वह आखिर उसे चूकेगा ही क्यों? यूँ भी, मजहब में ‘उम्माह’ का महत्त्व सबसे ऊपर है। तो क्या ये माना जा सकता है कि चाहे मुल्ला-मौलवी पाकिस्तानी ही क्यों न हो, मोहम्मद जुबैर को बचाव करने के लिए आना पड़ा?
मोहम्मद जुबैर को अपने दैनिक फैक्ट चेक के बहीखाते को दुरुस्त रखने के लिए इस तरह के कारनामों का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन इससे पहले उन्हें हिंदी पर भी अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी वरना वो इसी तरह अपना ही फैक्ट चेक करवाते नजर आएँगे।
आखिरी बार जब मोहम्मद जुबैर चर्चा में आया था, तब वह अस्पताल से लेकर सड़कों पर स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सरदर्द बने तबलीगी जमात के लोगों को क्लीन चिट देते हुए देखा गया था। यही नहीं, जुबैर ने फलों पर थूक लगाकर बेचने वाले समुदाय विशेष के लोगों का भी फर्जी फैक्ट चेक कर उन्हें क्लीन चिट देने की कोशिशें भी की थीं।
सोशल मीडिया पर लोगों की स्टाकिंग करना और उनकी गोपनीय जानकारियाँ सार्वजानिक करना तो मोहम्मद जुबैर का पहला पेशा है ही। इसी शौक के चलते वो एक मासूम बच्ची की तस्वीर सार्वजनिक कर चर्चा का विषय भी बने थे।
आजकल मोहम्मद जुबैर, कोरोना को यहूदियों की साजिश बताने वाले मौलाना नूरानी के वकील और निजी प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे हैं। हालाँकि, यह बात कितनी सही है और कितनी गलत, इसका फैक्ट चेक करने की गुंजाइश हमेशा बनी रहेगी मगर उनके ट्वीट और स्पष्टीकरण कम से कम इस बात की गवाही देने के लिए काफी हैं।