फैक्ट चेक के नाम पर ऑल्ट न्यूज़ जैसी दुकान खोल देने के बाद सबसे बड़ा संघर्ष तब खड़ा हो जाता है जब आपको येन-केन-प्रकारेण किसी खबर को अपने नैरेटिव में ढालकर अपनी ऑडियंस को संतुष्ट करना हो। कोरोना जैसी वैश्विक आपदा के समय भी एक पूरा तंत्र निरंतर अपने इस एकसूत्री कार्यक्रम पर जमा हुआ है और ऐसा करने में इनका साथ देने के लिए वो सब लोग मौजूद हैं, जो हर दिन खुद किसी न किसी प्रकार की फर्जी खबर को फैलाने के षड्यंत्र से जुड़े हुए हैं।
इंटरनेट पर बैठकर कभी डॉक्टर, कभी जज, कभी अर्थशास्त्री तो कभी पुरातत्व वैज्ञानिक की भूमिका निभाने वाले ध्रुव राठी इन्हीं में से एक नाम है। ध्रुव राठी ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए कुछ प्रोपेगेंडा पोर्टल्स को (जिनका नाम देखते ही आप तुरन्त समझ जाएँगे कि किसी भी प्रकार के तथ्य के लिए आपको कम से कम उन पर तो नहीं ही जाना है) शेयर करते हुए लिखा है कि पिछले एक सप्ताह में इनके द्वारा कुछ फर्जी खबरें शेयर की गई हैं।
एक-एक कर इनका सच जानते हैं –
साइबर योद्धा ध्रुव राठी का ‘बड़ा खुलासा’ संख्या- 1
1 – ध्रुव राठी ने पहली लिंक शेयर की है इंजीनियर को डॉक्टर बताकर कोरोना पर फर्जी इंटरव्यू छापने वाले प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘दी क्विंट’ की! क्विंट द्वारा किए गए इस फैक्ट चेक में साबित करने का “प्रयास” किया गया है कि शेरू मियाँ नाम का यह शख्स फलों पर थूक नहीं लगा रहा था। ध्रुव राठी ने भी इसी कोशिश के अंतर्गत इस लिंक को लोगों के बीच रखा है। कारण यह भी है कि ऐसे समय में, जब सोशल मीडिया पर हर दूसरा वीडियो किसी मुस्लिम को कोरोना वायरस को फैलाने से जुड़ा है, इसकी भरपाई की जिम्मेदारी मजहबी विचारधारा के ‘सूचना प्रमुखों’ के कंधों पर ही आ जाती है।
नीचे क्विंट की इस रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट है, जिसे ध्रुव राठी ने फैक्ट चेक बताकर शेयर किया है। इसमें कहा गया है कि इनकी रिसर्च अभी जारी है।
सवाल यह है कि जब क्विंट अभी तक कोई फैसला नहीं कर पाया है तो फिर इसके आधार पर ध्रुव राठी ने कौन सा फैक्ट चेक किया है? जबकि सोशल मीडिया पर महज 100 फोलोअर्स वाले लोग भी इस विडियो की सच्चाई तक पहुँच चुके हैं।
हाल ही में ऐसी कुछ चीजें सामनी आईं, जिसने सेक्युलर विचारधारा की पोल खोलकर रख दी। जैसे – ताबीज पहनकर कोरोना को रोकना, 50 करोड़ हिंदुओं के मरने की दुआ करता मौलवी, सुन्नत को कोरोना का इलाज बताता युवक, कोरोना को अल्लाह का अजाब बताते हुए मुँह पर नोट रगड़कर कोरोना को फैलाने की नसीहत देता युवक, आदि।
ऐसे में जब फलों पर थूक लगाते हुए इंदौर के शेरू मियाँ का वीडियो सामने आया तो लोगों में दहशत होनी स्वाभाविक थी। फैक्ट चेकर इस बात से खुश नहीं थे कि लोगों ने इस वीडियो के बारे में पुलिस को सूचित कर इसकी जाँच करवाई। इसके उलट, फैक्ट चेकर्स ने इस वीडियो की तारीख की ओर ध्यान देते हुए कहा कि शेरू मियाँ अप्रैल में नहीं बल्कि फ़रवरी में फलों पर थूक लगाकर उन्हें बेच रहे थे।
सवाल यह है कि इसमें फैक्ट चेक किस बात का हुआ? पुलिस और अन्य मीडिया ने भी यह बात तुरन्त सामने रख दी थी कि शेरू मियाँ ने बेचने से पहले फ़रवरी में फलों ओर थूक लगाया था और ऐसा वो अपने नोट गिनने की आदत के कारण करते हैं। ध्रुव राठी, दी क्विंट, और स्वघोषित फैक्ट चेकर वेबसाइट ने पहले तो इस वीडियो को ही फर्जी साबित करने का प्रयास किया और बाद में खुद सोशल मीडिया उपहास का पात्र बन गए।
साइबर योद्धा ध्रुव राठी का ‘बड़ा खुलासा’ संख्या- 2
2- कुछ मुस्लिमों को बर्तन चाटते हुए दिखाया गया है। जिसका फैक्ट चेक इस्लामिक विचारधारा वाले स्वघोषित फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने ये करते हुए किया है कि यह वीडियो ‘अनरिलेटेड वीडियो’ है। जाहिर सी बात है कि कोरोना जैसी महामारी के समय सरकार और प्रशासन लोगों से व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे वीडियो, ग्राफिक्स के प्रति सतर्क रहने को प्रेरित कर रही है।
ऐसे में, जब 50 करोड़ हिन्दुओं को कोरोना से खत्म करने की दुआ करता मौलवी गिरफ्तार होता है, या फिर टिकटोक पर युवक इसे अल्लाह का कहर बताते नजर आते हैं, तो लोगों की जिज्ञासा एक बार के लिए मुस्लिम समुदाय पर सवाल खड़े जरूर कर देती है। ऑल्ट न्यूज़ जैसे फैक्ट चेकर्स के कंधे पर बंदूक रखकर दक्षिणपंथियों के दावों को खारिज करने का दावा करने वाला ध्रुव राठी यहाँ पर एक बार फिर सस्ती लोकप्रियता जुगाड़ते व्यक्ति से ज्यादा कुछ भी नजर नहीं आते।
साइबर योद्धा ध्रुव राठी का ‘बड़ा खुलासा’ संख्या- 3
3 – तीसरा ‘इलॉजिकल फैक्ट चेक’ ध्रुव राठी ने एक ऐसे फेसबुक पेज ‘द लॉजिकल इंडियन’ के हवाले से किया है, जो दक्षिणपंथी विचारधारा के विरोध के नाम महिलाओं के खड़े होकर पेशाब करने जैसे इंटरनेट आयोजनों को समर्थन करते हुए देखा जाता है। इसमें फैक्ट चेक करते हुए बताया गया है कि मुस्लिमों पर लगाया गया यह आरोप झूठा है कि वो छींककर कोरोना फैला रहे हैं।
इसी के उलट वास्तविकता की कुछ खबरों पर यदि नजर दौड़ाई जाए, तो कल ही इंडिया टीवी से बात करते हुए उत्तर प्रदेश के कानपुर में तबलीगी जमात के कोरोना मरीजों का इलाज कर रहीं गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. आरती लालचंदानी ने कहा है कि उनके अस्पताल में इलाज ले रहे तबलीगी जमात के कोरोना मरीज इलाज में जरा भी सहयोग नहीं कर रहे हैं और अपने हाथों में थूक लेकर वार्ड की रेलिंग, दीवारों और सीढ़ियों पर चिपका रहे हैं। हालाँकि, गूगल पर ‘रिवर्स इमेज सर्च’ कर के तथ्यों को झूठ साबित करने की अद्भुत क्षमता रखने वाले ध्रुव राठी और ऑल्ट न्यूज़ की टीम अभी तक इस बात का खंडन करने के लिए डॉ. आरती के पास नहीं गई है।
साइबर योद्धा ध्रुव राठी का ‘बड़ा खुलासा’ संख्या- 4
4- चौथी खबर में फैक्ट चेकर्स ने देश की सीमाओं के बाहर जाकर हमेशा, हर बात को नकारने की फितरत वाले पड़ोसी देश पाकिस्तान के कराची से कुछ फैक्ट्स लाकर ‘साबित” किया है कि उन्होंने कराची के कमिश्नर समीउल्लाह से बात कर के पता कर लिया है कि कराची में जिस गाँव की बात हो रही थी है, वहाँ कोई हिन्दू है ही नहीं इसलिए हिंदुओं को राशन न मिलने की खबर फेसबुक सत्यशोधक सेटेलाइट ध्रुव राठी के अनुसार फर्जी है।
पहली बात तो यही हास्यास्पद है कि किसी हिंदुओं से जुड़े तथ्य के लिए उस पाकिस्तान से बात की जाती है, जहाँ अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ हर दूसरे दिन अपहरण, बलात्कार, धर्मांतरण और हर तरह के अत्याचार की खबरों से इंटरनेट भरा पड़ा है। दूसरी यह कि किसी हिन्दू के न पाए जाने का दावा ठीक उसी तरह है, जिस तरह कॉन्ग्रेस ने भारत में गरीबी मिटाने के बजाए शहर में 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन और गाँव में 22 रुपए 42 पैसे खर्च करने वाले से खुद को गरीब कहने का अधिकार ही छीन लिया था। यह गरीबी मिटाने की कॉन्ग्रेस की निंजा तकनीक अब कॉन्ग्रेस-पोषित फैक्ट चेकर्स अपनी खबरों में इस्तेमाल करने लगे हैं। तीसरा यह कि खोजी फैक्ट चेकर यह अवश्य सुनिश्चित करें कि पाकिस्तान में बैठे जिन ‘सूत्रों’ से वो अपनी फैक्ट चेक वाली रिपोर्ट तैयार करते हैं, वो कल पाकिस्तान की सत्ता पलटते ही किसी आतंकवादी संगठन का हिस्सा न निकल आएँ।
साइबर योद्धा ध्रुव राठी का ‘बड़ा खुलासा’ संख्या- 5
5- इस दावे में कोरोना वायरस के दौरान लोगों की सेक्स लाइफ पर निबंध लिखने वाले BBC ने एक ऐसे वीडियो का फैक्ट चेक किया है, जिसमें मोहम्मद सुहैल शौकत अली नाम का एक 26 साल का युवक मुंबई कोर्ट में सुनवाई के लिए जाते वक़्त वैन में पुलिसकर्मियों पर थूक देता है और इसके बाद पुलिस वाले उसकी कुटाई कर देते हैं।
आश्चर्यजनक रूप से यह फैक्ट चेक एकदम सही माना जा सकता है, लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि थूकने वाला युवक यहाँ भी मुस्लिम समुदाय का ही है और आजकल इंदौर सहित देश के अन्य हिस्सों में भी पुलिस और डॉक्टरों की टीम पर थूकने वाली घटनाएँ भी मुस्लिम बस्तियों में देखने को मिली हैं। यही नहीं, कुछ मुस्लिमों ने डॉक्टर्स पर पथराव और कुल्हाड़ी से भी हमला कर दिया।
इसलिए यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि थूक का कोई मजहब नहीं होता है, वह एकदम सेक्युलर प्रकृति का होता है और इंसानों पर थूकना किसी भी मजहब या धर्म में इंसानियत तो नहीं बताई गई होगी।
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6 – लिबरल्स के राजा बाबू* ने छठवाँ दावा हिटलर की मौत के इतने वर्षों बाद उसके लिंग की नाप बताने वाले दी लल्लनटॉप की खबर के आधार पर किया है, इसलिए उनके दावे पर शक नहीं किया जा सकता है। हालाँकि इस्लामोफोबिक दी लल्लनटॉप ने इस फैक्ट चेक में सेक्युलर फेब्रिक दुरुस्त रखने के लिए एक लाइन यह भी जोड़ दिया कि पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान मंदिर में बैठे पुजारी पर ही नहीं बल्कि मुस्लिमों पर भी कार्रवाई की। मजहबी घृणा से भरे दी लल्लनटॉप ने कोरोना जैसी महामारी के समय भी इस फैक्ट चेक में मुस्लिमों को बदनाम करने का काम किया है।
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7- सातवाँ दावा ऑल्ट न्यूज़ जैसे फैक्ट चेकर्स के शातिरपने का सबसे बड़ा उदाहरण है। इसमें दावा किया गया है कि उन्होंने रेस्टॉरेंट में खाने की थैली में थूकने वाले युवक का फैक्ट चेक किया है, जबकी इस खबर के भीतर जाने पर पता चलता है कि यह फैक्ट चेक सिर्फ इस बात का है कि खाने की पैकेजिंग का यह वीडियो भारत का है, गल्फ कंट्रीज का है, या फिर किसी एशियन कंट्री का है।
सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसे वीडियो शेयर किए जाते हैं, जिनमें मुस्लिम समुदाय के लोग सामुहिक भोज से पहले खाने में थूक मिलाते हुए देखे जाते हैं या फिर लोग ऐसा दावा करते नजर आते हैं।
वहीं, समाज के एक बड़े वर्ग में यह भी सन्देह व्याप्त है कि मुस्लिम समुदाय में खाने में थूकने की प्रथा है। ऑल्ट न्यूज़ अगर कर सके तो उसे सर्वप्रथम मजहब और धर्म से जुड़ी इस प्रकार की नकारात्मक अफवाहों का फैक्ट चेक कर लोगों को जागरूक करना चाहिए ना कि यह साबित करना चाहिए कि टोपी पहने किसी युवक ने खाने में सिंगापुर में थूका था या फिर दुबई में। और कम से कम समाज पर वह यह एहसान कर सकता है कि वो इसे कोरोना वायरस वाले फैक्ट चेक का नाम ना दे।
साइबर योद्धा ध्रुव राठी का ‘बड़ा खुलासा’ संख्या- 8
8- आठवाँ और आखिरी, और सबसे वाहियात फैक्ट चेक ध्रुव राठी ने जो शामिल किया है, वह है विदेशियों के पटना में छुपे होने की खबर का।
ऑल्ट न्यूज़ के स्वयं शिरोमणि मुहम्मद जुबैर ने इस खबर का फैक्ट चेक करते हुए बताया है कि पटना की मस्जिद में छुपे हुए ये लोग इटली नहीं बल्कि किर्गिस्तान से आए थे। यहाँ दिलचस्प बात यह है कि ऑल्ट न्यूज़ किर्गिस्तान को विदेश नहीं मानता है। और यदि मानता है तो इसमें उन्होंने फैक्ट चेक सिर्फ यह साबित करने के लिए किया है कि उन्होंने यह फैक्ट चेक किसी फेसबुक पेज के एडमिन से बात के आधार पर किया है।
ऑपइंडिया ने समाचार स्रोतों के आधार पर ही (जो कि फेसबुक पेज के एडमिन न होकर मीडिया थे) रिपोर्ट में इनके तुर्कमेनिस्तान से होने की सम्भावना का जिक्र किया था, जो कि बेहद स्वाभाविक है।
सूचना के अभाव में, कई बार अलग-अलग स्रोतों से आती खबरों के कारण ‘गलत नाम/जगह’ छापे जा सकते हैं, जबकि वहाँ मकसद सिर्फ पाठकों तक एक खबर पहुँचाना होता है। यही ऑल्ट न्यूज जब पत्थर को वॉलेट बताता है, तो वहाँ इनका मकसद फेक न्यूज की जाँच नहीं, एक तय एजेंडा घुसाना होता है।
यहाँ भी ऑल्ट न्यूज़ ने वही काम किया है। अपनी ही खबर में उसने लिखा है कि इन्हें मस्जिद में देख स्थानीय लोगों को इन पर सन्देह हुआ और उन्होंने पुलिस को सूचित किया। लिबास को देखकर लोगों को यदि संदेह हो जाता है तो इसके लिए अमर उजाला से लेकर ऑपइंडिया को जिम्मेदार ठहराने के बजाए इतने दिनों तक मस्जिद में छुपकर बैठे हुए लोगों की मंशा पर सवाल करना ज्यादा जरूरी हो जाता है। वो भी तब, जब कि यही लोग टूरिस्ट वीजा के नाम पर मजहबी गतिविधियों में शामिल पाए गए हैं।
ध्रुव राठी का यह फेसबुक पोस्ट और जितने भी इस लीग के सदस्यों का उसने इसमें जिक्र किया है, उनके फैक्ट चेक के पीछे की विचारधारा और तर्क आज भी पत्थर को वॉलेट साबित करने से आगे नहीं बढ़ पाई है।
ध्रुव राठी के साथ ही सारा मुस्लिम समुदाय अब तबलीगी जमात के फैलाए रायते की लीपापोती में लग गया है। इसका अंदाज ध्रुव राठी के इस फैक्ट चेक के साथ ही इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया पर अब तबलीगी जमात के भगौड़े मौलाना साद की तरफ से कोरोना के लिए मदद के नाम पर PM राहत फंड में 1 करोड़ रुपए की राशि दान की फर्जी खबरें फैलाई जाने लगी हैं। जबकि समाज के खिलाफ सबसे बड़ी साजिश जो यह तबलीगी जमात कर चुकी है, उसकी भरपाई ध्रुव राठी और उसके आठ फैक्ट चेकर मजहबी सिपहसालार अपने तर्कों से नहीं कर सकते हैं।