Thursday, October 10, 2024
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पवार फैमिली में पावर की लड़ाई: ₹25000 करोड़ के घोटाले में फॅंसे शरद भतीजे की लेंगे बलि!

महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विधानसभा से दिया इस्तीफा। चाचा शरद पवार का दावा राजनीति छोड़ पारिवारिक बिजनेस पर ध्यान देंगे अजित। भतीजे ने रहस्यमय तरीके से साधी चुप्पी।

विधानसभा चुनाव की देहरी पर खड़े महाराष्ट्र में राजनीति रोज नई करवट ले रही है। 25,000 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले में नाम आने के बाद शरद पवार ने पहले बिना समन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर जाने का राजनीति स्वांग रचा। अब खबर आ रही है कि खुद को पाक-साफ साबित करने के लिए वे अपने भतीजे और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार को राजनीति से रिटायर करने के फेर में हैं।

बारामती से पॉंच बार विधायक रहे अजित ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा स्पीकर हरिभाऊ बागड़े ने उनका इस्तीफा मिलने की पुष्टि की है। विधानसभा अध्यक्ष ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। टीओआई के मुताबिक एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने दावा किया है कि अजित राजनीति से संन्यास लेकर पारिवारिक बिजनेस पर ध्यान देंगे। हालॉंकि पूरे मामले पर अजित ने खुद रहस्यमयी तरीके से चुप्पी साध रखी है।

इस घटना ने पवार परिवार में सत्ता को लेकर जारी संघर्ष को भी सामने ला दिया है। बताया जाता है कि शरद पवार अपनी बेटी सांसद सुप्रिया सुले को पार्टी का चेहरा बनाना चाहते हैं, जबकि अजित राजनीति में आने के बाद से ही उनका उत्तराधिकारी होने का दावा करते रहे हैं।

मीडिया रिपोर्टों में पवार के हवाले से बताया गया है कि अजित 25,000 करोड़ रुपए के स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में नाम आने से आहत हैं। पवार के अनुसार अजित ने न तो इस्तीफे से पहले और न उसके बाद उनसे बात की है। उन्होंने बताया कि मैंने जब उसके बेटे पार्थ से बात की तो उसने बताया कि ‘अजित ने परिवार के सदस्यों से कहा है कि राजनीति से संन्यास लेने का यह उनके लिए सही वक्त है।’

एनसीपी प्रमुख ने कहा, “मैंने कारण जानने के लिए उनके पुत्र और दूसरे लोगों से संपर्क किया और पता चला कि उन्होंने अपने परिवार को बताया कि वह चाचा (शरद पवार) का नाम मामले में आने से बहुत दुखी हैं। इसमें उनका (अजित पवार) नाम भी है। वह इससे बहुत परेशान हैं।”

अजित के बेटे पार्थ ने ट्वीट कर इसे भावुक और मुश्किल वक्त बताया है। उन्होंने पवार के दावे का भी खंडन किया है। उनके मुताबिक राजनीति छोड़ने का उनके पिता का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने राजनीति में जाने को लेकर मुझे सावधान किया है।

एक एनसीपी नेता के मुताबिक जिस तरीके से पार्टी चलाई जा रही उससे अजित दुखी हैं। यही कारण हो कि की ने ईडी कार्यालय जाने के पवार के फैसले के वक़्त भी वे नहीं दिखे थे। एनसीपी के अन्य नेताओं ने भी कहा कि उन्हें अजित के फैसले को लेकर कोई जानकारी नहीं है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। हमें इस्तीफे बारे में जानकारी नहीं है।”

पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हार चुकी एनसीपी इस वक़्त अपना गढ़ बचाने के लिए जूझ रही है। शरद पवार के अलावा पार्टी के सभी संस्थापक निकल गए हैं। ऐसे में, अजित के जाने से नया संकट खड़ा हो गया है। अजित पवार महाराष्ट्र सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं। एनसीपी में दशकों से वह निर्णायक भूमिका में रहे हैं। वे अपने विवादित बयानों के लिए सुर्ख़ियों में रहे हैं।

अप्रैल 2013 में सूखाग्रस्त इलाक़ों पर टिप्पणी करते हुए अजित पवार ने कहा था, ‘यदि बाँध में पानी नहीं है, क्या हमें उसमें पेशाब करना चाहिए?‘ जब उन्होंने यह बयान दिया था, तब उनके चाचा शरद पवार देश के कृषि मंत्री थे। उन्होंने बिजली को लेकर भी विवादित बयान देते हुए कहा था कि बिजली जाने से ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं।

क्या है महाराष्ट्र कोऑपरेटिव घोटाला?

मामला 25,000 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड से जुड़ा है। ईडी के अनुसार, यह लोन धोखाधड़ी का बहुत बड़ा मामला है और यह कार्रवाई बॉम्बे हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुरूप की जा रही है। कई शुगर फैक्ट्रीज को आने-पौने दाम में बेच डाला गया था। कई कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज में काम ठप्प होने लगा था और उन्हें काफ़ी कम दाम पर बेच कर ख़रीदने वालों को फ़ायदा पहुँचाया गया। इस मामले में अजित पवार और बैंक के 70 पूर्व अधिकारियों पर पहले ही मामला दर्ज हो चुका है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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