Saturday, April 20, 2024
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बिलकुल जूते के लायक है केजरीवाल: परेश रावल

केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, "लोकसभा चुनाव में 300 सीटें जीतने के लिए क्या-क्या करोगे? सीमा पर कितने जवानों को शहीद करोगे? कितनी लाश और चाहिए तुम लोगों को? हमारे कितने जवानों के घर बर्बाद करोगे?"

एक तरफ जहाँ देश आतंक, आतंकवादियों और उनके संरक्षणकर्ताओं के ख़िलाफ़ एकजुट है। वहीं एक बाद एक अपने घर में ही छुपे आस्तीन के साँप रह-रह कर विषवमन कर रहे हैं। किसी के प्रति नफ़रत, व्यक्तिगत कुंठा आपको कहाँ पहुँचा सकती है, इसके कई नमूने आजकल देखने-सुनने में आ रहे हैं। कुछ से आप परिचित होंगे, जो छूट गए उनसे परिचय कराता हूँ।

शायद आपकी उत्सुकता बढ़ रही होगी ऐसे महानुभाव से परिचित होने के लिए तो जनमानस में तरह-तरह के नामों से विख्यात, बच्चे की क़सम खा राजनीति में नए-नए ड्रामे रचने वाले, धरनाप्रसाद ने फिर एक नया कारनामा किया है।

शायद नाम आप समझ गए होंगे! हाल ही में एक वीडियो शेयर हुआ जहाँ अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली विधान सभा में कुछ यूँ उद्गार व्यक्त किए, “मैं इनसे (नरेंद्र मोदी) पूछना चाहता हूँ कि लोकसभा चुनाव में 300 सीटें जीतने के लिए क्या-क्या करोगे? सीमा पर कितने जवानों को शहीद करोगे? कितनी लाश और चाहिए तुम लोगों को? हमारे कितने जवानों के घर बर्बाद करोगे? कितने परिवार बर्बाद करोगे, कितनी माओं के बच्चे छीनोगे और कितनी औरतों को बेवा करोगे? लानत है ऐसी पार्टी के ऊपर, लानत है ऐसी सरकार पर।”

केजरीवाल के इस वीडियो को एक ट्वीटर यूज़र ने शेयर किया। फिर क्या था, पुलवामा आतंकी हमला से दुखी, सर्जिकल स्ट्राइक- 2 से राहत महसूस कर रही और अब जाँबाज पायलट के अभिनन्दन में खड़ी जनता का गुस्सा फूट पड़ा। सब ने जम कर केजरीवाल पर अपनी भड़ास निकाली।

सांसद परेश रावल भी खुद को रोक नहीं पाए और अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए बोल उठे, “ये बिलकुल जूते के लायक है पर अफ़सोस इस बात का है जूता भी इनको छूने के बाद इतना गंदा हो जाएगा कि दुबारा पहनने के लायक़ नहीं रहेगा।”

फिर क्या था, लोगों ने अपना धैर्य खो दिया। सबने अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आज ही उपयोग कर लिया। बीजेपी के तेजिंदर सिंह बग्गा ने कहा, “इमरान खान के हिन्दुतानी दलालों सम्भल जाओ नहीं तो जनता सड़क पर लेके पीटेगी।”

संबित पात्रा ने भी फटकार लगाई, “धिक्कार है! किस किस से लड़ें? पाकिस्तान से… घर में बैठे आस्तीन के साँपों से… किस किस से ??”

एक और ट्वीटर यूजर ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा, “इस आदमी को गाली दो तो गाली बुरा मान जाती है पर इस पर कोई असर नहीं होता। निर्लज्ज, निकम्मा, नकारा, नामाकूल, नल्ला, नमकहराम।”

राजनीतिक बयानबाज़ी का गिरता स्तर

आजकल राजनीतिक बयानबाज़ी का स्तर गिरता ही जा रहा है। इस तरह के शब्दों का प्रयोग, एक सम्मानित कलाकार और सांसद द्वारा पूरी तरह से गलत है। अरविन्द केजरीवाल निजी जीवन या पब्लिक लाइफ में जैसे भी हों, उनका मुख्यमंत्रीत्व जैसा भी रहा हो, उसकी आलोचना की जानी चाहिए। उस आलोचना की शब्दावली सभ्य होनी चाहिए न कि अभद्र, जैसा की परेश रावल ने किया है। केजरीवाल जी द्वारा इस्तेमाल किए हुए शब्द भी गलत हैं, और निंदनीय भी, जब उन्होंने मोदी को पुलवामा के बलिदानियों का हत्यारा बताने की कोशिश की।

दिनों-दिन नेताओं में एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए प्रयुक्त शब्दों का स्तर गिरता ही जा रहा है। भले ही अरविन्द केजरीवाल ने भी पहले आपत्तिजनक और भद्दे शब्दों का सहारा लिया हो, लेकिन इस तरह की बातों को बढ़ावा देना अनुचित है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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