OpIndia is hiring! click to know more
Wednesday, April 16, 2025
Homeहास्य-व्यंग्य-कटाक्षसबसे ख़तरनाक होता है राहुल हो जाना!

सबसे ख़तरनाक होता है राहुल हो जाना!

एक विडियो घूम रहा है जिसमें भारतीय राजनीति के चिरयुवा डायमंड स्टार परमसम्माननीय राहुल गाँधी जी ब्रो पत्रकारों को किसी विषय पर प्रतिक्रिया देने से पहले रायशुमारी कर रहे हैं। चूँकि वो बहुत बड़े नेता हैं तो ज़ाहिर है कि बोलने से पहले ये पता करना ज़रूरी है कि क्या बोला जाए, कैसे बोला जाए, और किस तरीके से बोला जाए।

बड़े नेता हो जाने पर ये करना होता है। खासकर जब आप कॉन्ग्रेस पार्टी के बड़े नेता हो जाते हैं तब आपको ऑक्सफ़ोर्ड के पीएचडी से लेकर हार्वर्ड के डॉक्टर साहब तक आपको यह ज्ञान देते हैं कि आप उन्हें क्या ज्ञान दें। फिर से समझिए कि राहुल गाँधी हो जाने का मसला इतना गम्भीर होता है कि अगर आपको पार्टी के कुछ नेताओं को कुछ कहना है, तो आपको वही नेतागण बताते हैं कि नेताओं को क्या कहना यही रहेगा। 

राहुल गाँधी ये अफ़ोर्ड कर सकते हैं क्योंकि उनके पास कॉन्ग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के अध्यक्ष होने की ज़िम्मेदारी है, और वो ज़िम्मेदारी इतनी बड़ी है कि उसके साथ-साथ सोच पाना एक अलग समस्या है। अतः, सोचने के लिए उन्हें घेरकर चलनेवाले नेताओं की मंडली है। नहीं, ऐसा नहीं है कि वो उन्हें प्रेस के पास इसलिए घेर लेते हैं कि पता नहीं क्या बोल दें, बल्कि ये महज़ इत्तेफाक होता है कि पार्टी के कई क़ाबिल नेता उनके आस पास ही हुआ करते हैं।

जिसके बाप, दादी, परदादा सब प्रधानमंत्री रहे हों, तो ‘गरीब का बेटा गरीब’ की तर्ज़ पर उसका भी प्रधानमंत्रीत्व पर सीधा अधिकार होना भी चाहिए। ऐसे में आदमी प्रधानमंत्री बनने के सपने भी देखे, पार्टी की अध्यक्षता भी देखे और ‘मोदी को कैसे घेरा जाए’ इस बात पर भी ध्यान दे तो कैसे चलेगा! बड़े नेताओं की कोई क़द्र ही नहीं है यहाँ।

भाजपा के तमाम नेताओं और संघी लोगों ने परमसम्माननीय राहुल गाँधी जी के उस विडियो का उपहास किया है जो कि आज की आदर्श राजनीति के दौर में बिलकुल भी शोभनीय नहीं है। भला किसी नेता द्वारा अपने पार्टी के बुद्धिमान लोगों से एक विषय पर राय लेना गलत है क्या? फिर मजाक क्यों उड़ाया जा रहा है? और तो और, दोनों गालों में डिम्पल पड़ते हैं राहुल जी के, फिर भी उनका मजाक बनाया जा रहा है! 

मध्यप्रदेश के किसानों का ऋण मात्र दस दिनों में माफ़ करने की बात करनेवाले राहुल गाँधी जी इन्हीं सब बेवजह की बातों में घसीट लिए जाने के कारण ये नहीं बता पाए हैं कि किसानों की लोन माफ़ी में कितने प्रतिशत किसान लाभान्वित होंगे। कर्नाटक में जलवे देखिए कि कुल 800 किसानों का कर्ज माफ किया है। 800 कोई छोटी संख्या नहीं है, एक से 799 ज़्यादा है। आप चाहें तो वो उँगलियों पर 1 से 800 तक की गिनती कर सकते हैं। 

देवता समान इन्सान है जो कि सोचकर, समझकर कोई बात बोलना चाहता है, और लोग चाहते हैं कि हर बार ‘आलू-सोना’, ‘आलू की फ़ैक्ट्री’, ‘किसानों की खेती से दवाई कारख़ाना’, ‘मेड इन दिस-दैट कपड़ा-मोबाइल’, ‘कुम्भकर्ण लिफ़्ट योजना’ जैसी बातें वो बोल दें और फिर मीम बनाए जाएँ। राहुल जी अब समझदार हो गए हैं, वो अपने पोजिशन का सही इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें ये बात समझ में आ गई है कि अध्यक्ष बनने के ये सब फ़ायदे हैं कि चाटुकारों, सॉरी, सलाहकारों की एक फ़ौज़ उनके पीछे चलती रहती है। 

अध्यक्ष होने पर राज्यों के लिए नेता चुनने की ज़िम्मेदारी भी तो उन्हीं के कंधों पर है। अगर ऐसे सलाहकार बिना पूछे एक-एक लाइन नहीं बताएँगे तो फिर राहुल गाँधी जी ये निर्णय कैसे ले पाएँगे कि किस राज्य में अनुभवी व्यक्ति को सत्ता देना है, और किस राज्य में (खुद से) बेहतर को और बेहतर होने से रोकने के लिए सत्ता से बहुत दूर रखना है? 

इसी तरह के मौक़ों पर तो एक अध्यक्ष को ये देखना होता है कि कौन कितना सक्षम है और जानबूझकर भोला बनने का फ़ायदा यह है कि आपके सहकर्मी बिना आपके सवाल पूछे अपनी योग्यता साबित कर देते हैं। फिर आपके लिए आसान हो जाता है यह चुनना कि ‘सिंधिया तो कुछ ज़्यादा ही जानता है, इसको बिठाकर ही रखना है’। 

सच मायनों में राहुल जी डबल ब्लफ़ खेलते हैं। साथ ही, हर आम आदमी या पत्रकार यह गूढ़ योजना नहीं समझ सकता कि राहुल जी क्यों ऐसी बातें करते हैं कि उनका मजाक उड़े। वो ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वो हर बात पर नज़र रख सकें, वो अपनी पार्टी में योग्य लोगों को स्पॉट कर सकें, चुनावों में उनमें यह जोश भर दें कि युवा ही भविष्य है, और समय आने पर उन युवाओं को सत्ता से बहुत दूर रखें। 

ऐसा कार्य हर राजनेता नहीं कर सकता। ऐसा करने के लिए ऊँचे स्तर की बुद्धिमत्ता चाहिए जो कि परमसम्माननीय राहुल गाँधी जी ब्रो में कूट-कूट कर भरी हुई है। विश्वास नहीं है तो पार्टी में उनका पद देख लीजिए, समझ जाएँगे कि वो कौन हैं, क्या हैं, और वो जो हैं, वो क्यों हैं। राहुल गाँधी भारतीय लोकतंत्र के लिए एक चुनौती हैं कि ‘भैया, आओ और हमें समझने की कोशिश करो। भैया, सोचो कि आखिर कुछ लोग मुझे प्रधानमंत्री क्यों बनते देखना चाहते हैं?’ 

वैसे भी, किसी की कमी पर ऐसे हँसना सही बात नहीं है। भगवान हर किसी को अलग तरह से बनाता है। किसी को रूप देता है, किसी को बुद्धि। किसी को रूप नहीं देता, किसी को बुद्धि नहीं देता। किसी को एक डिम्पल देता है, तो किसी को दो। जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट के घोटालेबाज़ नेताओं के भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर एक ज्ञान की बात कही थी कि इतिहास उनके साथ न्याय करेगा, मैं तो कहता हूँ कि राहुल गाँधी जी के साथ भविष्य न्याय करेगा जब आलू से बिजली बनाते हुए कोई बच्चा सही में उससे सोना बना लेगा। 

तब राहुल जी हँसेंगे, और तब उनके गालों में भँवर पड़ेंगे। 

OpIndia is hiring! click to know more
Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अजीत भारती
अजीत भारती
पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

सोनिया आरोपी नंबर 1 तो राहुल आरोपी नंबर 2, नेशनल हेराल्ड केस के चार्जशीट में करोड़ों के घोटाले का जिक्र

सबसे पहले 2013 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मोतीलाल वोहरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और मेसर्स यंग इंडियन के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।

ED ने जब्त की सहारा की ₹1400 करोड़ की प्रॉपर्टी, आंबी वैली सिटी भी हुई सीज: निवेशकों को पैसा ना लौटाने पर हुई कार्रवाई

ED ने सहारा ग्रुप की 700 एकड़ से ज्यादा जमीन जब्त की है। यह जमीन महाराष्ट्र के लोनावला में है और इसकी बाजार कीमत ₹1400 करोड़ से अधिक है।
- विज्ञापन -