वामपंथी प्रोपगेंडा पोर्टल द वायर कथित अपराधों में जाति का एंगल निकाल कर न केवल फेक न्यूज़ फैलाने बल्कि मुस्लिम आरोपितों की धार्मिक पहचान छिपाकर अपराध को धर्मनिरपेक्ष बनाने की भी पूरी कोशिश करता आया है। इसी कड़ी में द वायर ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में 26 साल के दलित आदमी की हत्या में भी लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया।
10 दिसंबर को ’द वायर’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित कर दावा किया था कि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक 25 वर्षीय दलित युवक की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उसने पार्टी के दौरान उच्च जाति के लोगों की प्लेटों को छू लिया था। रिपोर्ट के अनुसार, किशनपुर गाँव के निवासी और अनुसूचित जाति समुदाय (कोरी) के देवराज अनुरागी को दो ‘सवर्ण’ मित्रों अपूर्व सोनी और संतोष पाल ने एक प्लेट को छूने की वजह से पीट-पीटकर मार डाला था।
गौरीहार पुलिस ने दोनों आरोपितों पर हत्या और दलितों के खिलाफ अत्याचार के आरोप में मामला दर्ज किया था, हालाँकि घटना के बाद वे फरार हो गए थे।
वहीं इस घटना को लेकर ‘द वायर ’जैसे लिबरल-धर्मनिरपेक्ष’ मीडिया हाउसों ने कथित जाति एंगल को मामले में जबरन घुसाने का प्रयास किया और यह बताने की कोशिश की छुआछूत के चलते इस क्रूर हत्या को अंजाम दिया गया। हालाँकि, सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत थी और मामला कथित हत्या का नहीं बल्कि महिला से छेड़छाड़ से संबंधित था।
देवराज अनुरागी के भाई हरिश्चंद्र ने भी घटना की पुष्टि करते हुए कहा था कि जिस दिन यह घटना घटी यानी 7 दिसंबर को उसका भाई पूरे दिन घर से बाहर नहीं गया था। उन्होंने कहा कि देवराज मानसिक रूप से अस्थिर था। इसके अलावा उन्होंने मामले में किसी भी प्रकार के जातिगत एंगल के दावे को भी नकार दिया था।
वहीं गाँववालों के बताया था कि आरोपितों में से एक संतोष पाल की बहन 7 दिसंबर को हरिश्चंद्र की मिठाई की दुकान पर गई थी, जहाँ देवराज अनुरागी ने कथित तौर पर उसके साथ छेड़छाड़ की और उसे उसके साथ बैठने के लिए मजबूर किया। पाल की बहन ने इस बात की शिकायत अपने भाई से की थी, जिसके बाद गुस्से में बौखलाए भाई ने अपने दोस्त भूरा सोनी के साथ मिलकर देवराज के घर में मारपीट की थी।
गौरतलब है कि इस मामले में प्रोपेगैंडा वेबसाइट द वायर ने हिंदू विरोधी खबर को अंजाम देने की जल्दबाजी में न केवल झूठी खबर को फैलाया, बल्कि अपराध को जातिगत एंगल देकर लोगों को भड़काने का भी काम किया।
इसके विपरीत द वायर ने मुस्लिम समूहों द्वारा किए गए अपराधों के मामले में लीपापोती कर उन्हें अक्सर बचाने की कोशिश की है। साथ ही ऐसी घटना में जिसमें आरोपित मुस्लिम समुदाय से जुड़ा हो, उसमें धर्म को छुपाने और आरोपित की पहचान को छुपा कर रिपोर्ट को प्रकाशित किया गया है। इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में दलित आदमी की हत्या को लेकर छापी गई रिपोर्ट में देखा जा सकता है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के मलवां इलाके में रहने वाले 25 वर्षीय दलित युवक धर्मपाल दिवाकर ने आत्महत्या कर ली, जब दो आरोपितों ने उसे आम के पेड़ से पत्तियाँ चोरी करने पर जमकर पीटा था। धरमपाल के पिता रामपति दिवाकर ने आरोप लगाया था कि उनका बेटा मंगलवार को पत्ते तोड़ कर अपनी बकरियों को खिला रहा था। जिस वजह से आरोपितों ने उसे बेहरहमी से पीटा। इसे बाद में स्थानीय लोगों ने मामले में हस्तक्षेप कर इसे सुलझा दिया था।
वहीं अपमान झेलने के बाद दिवाकर ने घर लौट कर खुद को स्टोर रूम के खूँटी से लटका लिया। पुलिस ने मामले में आरोपित नूर मोहम्मद (27) और सलमान (22) को गिरफ्तार किया था।
हालाँकि, इस मामले में लिबरल सेक्युलर मीडिया द वायर ने अपनी खबर से मुस्लिम शब्द और आरोपितों का नाम ही गायब कर दिया। जानबूझकर हर घटना में जातिगत एंगल डालने वाले द वायर ने आरोपितों की पहचान छिपाने के लिए हेडलाइन में सिर्फ दलित शब्द का इस्तेमाल किया और मुस्लिम आरोपितों का जिक्र तक नहीं किया।
ऊपर दिए स्क्रीनशॉट में आप द वायर की हैडलाइन देख सकते है कि किस तरह इन्होंने आरोपितों के धर्म का कोई उल्लेख नहीं किया है, जो कि उनकी फेक समाचार रिपोर्टों में भी दर्शा दिया जाता है। लेकिन मुस्लिम समूह के आते ही ये अपनी खुद की सामान्य रणनीति को बदल देते है। जोकि यह स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि द वायर किस प्रकार सवर्ण जाति समुदायों के खिलाफ नफ़रत के बीज बोने का काम करते है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में कई मीडिया संगठनों द्वारा मुस्लिम अपराधियों के नाम छुपाने का न केवल प्रयास किया गया हैं, बल्कि धर्मनिरपेक्ष खबर बनाने के लिए यह दिखाने की भी कोशिश की गई है कि मामले में आरोपित हिन्दू समुदाय से हैं, इसके लिए बाकायदा हिन्दू स्पिन दिया गया।