उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित सिलक्यारा टनल के पास बाबा बौखनाग के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन हुआ। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार (16 अप्रैल 2025) को बाबा बौखनाग के मंदिर में पहुँचे और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हुए और बाबा बौखनाग की विधि-विधान से पूजा अर्चना की।
सिलक्यारा वही टनल है जहाँ नवंबर 2023 में बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें 41 श्रमिकों की जान बचाने के लिए पूरी दुनिया की नजर इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर टिक गई थी। उस समय सीएम धामी ने सुरंग के पास मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था, जिसे अब पूरा कर लिया गया है। इस दौरान सीएम धामी ने टनल के निर्माण कार्य का भी रिव्यू किया।
सिलक्यारा सुरंग के समीप बाबा बौखनाग के नवनिर्मित मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ। इस दौरान बाबा बौखनाग की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर समस्त प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि व मंगल की कामना की। pic.twitter.com/OuJrmTSWcS
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) April 16, 2025
सिलक्यारा टनल हादसे के बाद मंदिर बनाने का किया था वादा
दरअसल, साल 2023 की दीपावली की सुबह निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में मलबा आने के चलते 41 श्रमिक अंदर फँस गए थे। तब बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर उनको बाहर निकाला गया था। इस पूरे ऑपरेशन में ऑस्ट्रेलियाई रेस्क्यू विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स की मदद ली गई थी। इस दौरान सुरंग के पास बाबा बौखनाग का एक मंदिर भी स्थापित किया गया था। जहाँ श्रमिकों की सलामती के लिए पूजा-अर्चना की गई थी। श्रमिकों को 17 दिन चले राहत-बचाव ऑपरेशन के बाद सुरक्षित निकाल लिया गया था।
प्रदेश के सीएम पुष्कर धामी उस समय भी घटनास्थल पर लगातार नजर बनाए हुए थे और उन्होंने इस स्थान पर स्थायी मंदिर निर्माण का वादा किया था। अब यह वादा पूरा हो गया है। टनल के पास बाबा बौखनाग मंदिर बनकर तैयार हो गया है। यह मंदिर सुरंग के एकदम नजदीक बनाया गया है ताकि भविष्य में आने-जाने वाले लोग बाबा बौखनाग के दर्शन भी कर सकें।
स्थानीय लोगों की रक्षा करते हैं ‘खेत्रपाल’ देवता
बाबा बौखनाग को यहाँ के स्थानीय लोग खेत्रपाल देवता मानते हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में खेत्रपाल का अर्थ होता है, ‘क्षेत्र की रक्षा करने वाला देवता’। गढ़वाली भाषा में ‘क्ष’ को ‘ख’ बोला जाता है इसलिए क्षेत्रपाल को खेत्रपाल कहा गया है। बाबा बौखनाग को वासुकि नाग का रूप मानते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण यहाँ आए थे और फिर सेम मुखेम की ओर गए थे। सेम मुखेम में भी नागराजा का प्रसिद्ध मंदिर है।
गढ़वाल क्षेत्र में मुख्य हिन्दू देवी-देवताओं के साथ-साथ स्थानीय देवी-देवताओं की भी मान्यता है। यहाँ वन देवता, खेत्रपाल और ग्राम देवता जैसे अनेक रूपों में पूजा की जाती है। कई बार यह पूजा किसी भव्य मंदिर में नहीं बल्कि किसी चिह्न या पत्थर के रूप में भी होती है। जिस स्थान पर यह हादसा हुआ था, वहाँ पहले कोई बड़ा मंदिर नहीं था। लेकिन अब वहाँ एक भव्य मंदिर बन चुका है जो आस्था और राहत-बचाव के इतिहास का प्रतीक बन गया है।
ऑस्ट्रेलिया के रेस्क्यू विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स भी पहुँचे थे मंदिर
जब इस मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था, उसी दौरान बाबा बौखनाग के दर्शन करने ऑस्ट्रेलिया के रेस्कयू विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स पहुँचे थे। दरअसल सिलक्यारा सुरंग के रेस्क्यू ऑपरेशन के एक साल पूरा होने पर 25 नवंबर 2024 में उसी स्थान पर मेले का आयोजन किया गया था। इसमें रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अर्नाल्ड डिक्स को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। इससे पहले भी उन्हें 2023 में हादसे में रेस्क्यू के समय पर बाबा बौखनाग के मंदिर में पूजा-अर्चना करते देखा गया था। डिक्स ने रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने के बाद मंदिर में बाबा बौखनाग को जाकर आभार व्यक्त किया था।
सुरंग बनने से गंगोत्री और यमुनोत्री की दूरी कम होगी
बता दें कि सिलक्यारा सुरंग अब भी निर्माणाधीन है। लगभग 853 करोड़ की लागत से बनाई जा रही टनल की लंबाई 4.531 किलोमीटर है। टनल को दो लेन और दो दिशा में बनाया जा रहा है। ये सुरंग चारधाम यात्रा के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। सुरंग बनने से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी और समय की बचत भी होगी।